इतना सरल तरीके से कुण्डलिनी के बारे में किसी ने भी नहीं समझाया 🙏🏻🙏🏻 कृपा करके आगे के चक्र के बारे में भी जरूर बताइये।🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 पता होगा तो हम लोग बढ़ पायेंगे ।
कुंडलिनी पर बहुत अफवाहें उड़ रहे हैं youtube पर लेकिन आपका जवाब हमेशा आध्यात्मिक और सटीक होता है। कुंडलिनी को चेतना की दृष्टि से देखना होता है पर बहुत लोग इसे शरीर का हिस्सा बता कर लोगो को गुमराह कर रहे हैं।
@@kuldeepkumar-st7me इसका अर्थ है कि गुरु ही ब्रहृमा है गुरु ही विष्णु है गुरु ही आदि देव महादेव हैं गुरु साक्षात् परब्रह्म है ऐसे महान गुरु को हम प्रनाम करते हैं 🙏🏻🙏🏻🙏🏻 गुरु की महिमा हरि से भी बड़ी है क्यूंकि गुरु ही है हरि दर्शन करवाने में समर्थ होते हैं इस संसार रूपी भव सागर से पार लगाते है 🙏🏻🙏🏻
भुलिएगा नहीं कि हम अधूरे हैं हमारी चेतना अधूरी है और हम इस वीडियो को इसलिए देख रहे हैं ताकि हमारी चेतना पूर्णता की ओर बढ़ सके शांति की ओर बढ़ सके मुक्ति की ओर बढ़ सके।।
मूलाधार चक्र के बारे में आपने जो व्याख्यान दिया वो सराहनीय है। अभिवादन 🙏 वास्तव में देखा जाए तो इस सृष्टि में सामान्य मनुष्य का और कतिपय सभ्य और धनाढ्य कहे जानेवाले कुछ अमीर मनुष्यों का सारा का सारा जीवन ही मूलाधार चक्र तक ही सीमित रह जाता है और अंत में ऐसा मनुष्य यथार्थ बोध के अभाव में माया में पड़ विषय भोग कर इस संसार में आने का प्रयोजन जाने बिना ही इस दुनियां को छोड़कर चला जाता है और ऐसा प्रतिदिन घटित हो रहा है और ऐसा तब तक होता रहेगा जब तक मनुष्य को आत्म बोध नहीं होगा और यह तभी संभव है जब मूलाधार चक्र उर्धगामी हो या वह इसकी प्रक्रिया प्रारम्भ करे अन्यथा जीवन मृत्यु के आवागमन में ना जाने कितनी बार कौन कौन सी योनियों में अनगिनत काल तक भटकते रहेगा। कुछ विशिष्ट मनुष्यों को छोड़कर जिन्होंने इस सृष्टि में आने का सही कारण ज्ञात कर लिया है। और वो आवागमन के बन्धन से मुक्त होना चाहते हैं। अंत में मोक्ष। इति
Janwar ka yhan matlab h काम क्रोध मोह माया आदि जो मनुष्य को इस भौतिक संसार में भटकाता है और जीवन के बहुमूल्य समय को बर्बाद करता है। अगर मनुष्य समय रहते ये जान ले कि हमारे सभी दुखों का कारण मनुष्य खुद है तब वो इसका समाधान निकाल लेगा और अपने जीवन में शांति, दया, आभार, प्रेम और मानवता से परिपूर्ण पाता है तो वह अपनी परेशानियों से छुटकारा पा लेता है। इसे ही कहते हैं बोध विवेक का मस्तिष्क में विकास होना चाहिए।
श्रद्धेय आचार्य जी , आपको प्रणाम, मैं तो आपके उद्बोधन से भ्रमित हो गया हु । मैंने तो अभी तक मैंने तो यही सुना है की मूलाधार चक्र जनेंद्रियों के नीचे और रीढ की हड्डी के सबसे नीचे एवम पेरेनियम के पास पाया जाता है । कृपया ऐसे भ्रम को दूर कराने की कृपा करिए ।
Kya baat hai Sir apko sunkar jeevan ki sacchai ko samjhakar mun prasan ho jaata .lekin kuch logo ki wajah se aur Bhasha badlav ki wajah se hum khud hi arth ka anatrh kiye hue hai 🙏 sahi marg dikhane ke liye dhanyawad apki umra lambi ho.
शरीर के भीतर कुछ नहीं है जो ऊपर उठ रहा है, ये चेतना उठ(उन्नति ,आरोहण,उत्थान का प्रतीक) रही है और सबसे निचला स्तर के चेतना होती हैं वो जो हम ले कर के पैदा होते हैं।।
Acharya prasant ne Jo logo ki jagruk Kiya hi.jeewan badal Diya hi hum sab ka.isse desh ka bhi bhala ho rha hi population km ho rahi hi bahot kuch faida ho rha hi.thanku guru ji ka dharti me awatar hi aap
आम आदमी को यह ज्ञान बहुत अच्छे तरह से समजना चाहिए, समाज में कुछ पाखंडी लोग है जो इस ज्ञान का विपर्यास करके खुद को समाज में सिद्ध पुरुष,बडा योगी महात्मा कहलवाते है और लोगो का आर्थिक , मानसिक शोषण करते रहते है
Very excellent expressions explaining words of yours thank you sir I am 68 years woman from Telangana state telugu is my mother tong thank you very much for your bright knowledge and wisdom
Itani asan bhasa me itani gahari bat bata di apne....aur ye bhi samjha Diya ki ye kundalini Shakti asaliyat me kya hoti hai....... dhanyawad acharya ji
आचार्यजी प्रणाम । जिस प्रकार मूलाधार चक्र आपने समझाया है ठीक उसी प्रकार क्रमवार अन्य चक्रों को समझाइए ताकि हम सही और सटीक ज्ञान प्राप्त कर सके। धन्यवाद ।🙏🙏🙏
हम सब मूलाधार को ही केंद्र बना कर के अपना पूरा जीवन बिता देते हैं ,हमारे जीवन का केंद्र आत्मा नहीं होती ,विचार भी नहीं होते ,केंद्र पर भावनाए भी नहीं होती ,केंद्र पर बस पाशविक वृत्तियाँ होती हैं।।
सुखवाद अत्यंत लोकप्रिय सिद्धांत है मनुष्य साधारणत सुख की प्राप्ति और दुख से मुक्ति चाहता है उसके प्राय सभी कर्मो के पीछे यह भावना काम करती है जो कार्य सुख देने वाला होता है वही अच्छा है और जो कार्य दुख देने वाला होता है वही बुरा है इस प्रकार सुख और दुख में शुभ और अशुभ प्रतीक बन जाते हैं/ प्रकाश डालिये गुरु जी
I wish there was a translation or an English talk on Muladhaar/Root Chakra. Since there's a rise in New-age guru's and yogis. And this clarity that Acharyajee is bringing is very important.
हमारी चेतना इतनी नीचे गिर चुकी है कि हम हर चीज़ को सिर्फ स्थूल रूप में देखना जानते हैं और अर्थ का अनर्थ कर लेते हैं। योग के विषय में स्पष्टता प्रदान करने के लिए आपका हार्दिक आभार, आचार्य जी। 🙏🙏🙏
Janwar ka yhan matlab h काम क्रोध मोह माया आदि जो मनुष्य को इस भौतिक संसार में भटकाता है और जीवन के बहुमूल्य समय को बर्बाद करता है। अगर मनुष्य समय रहते ये जान ले कि हमारे सभी दुखों का कारण मनुष्य खुद है तब वो इसका समाधान निकाल लेगा और अपने जीवन में शांति, दया, आभार, प्रेम और मानवता से परिपूर्ण पाता है तो वह अपनी परेशानियों से छुटकारा पा लेता है। इसे ही कहते हैं बोध विवेक का मस्तिष्क में विकास होना चाहिए।
मैं भी फसा था इन चक्रों के खेल में बहुत पहले। ये पाखंडी अंधविश्वासी बाबे। आचार्य जी की कृपा से चीज समझा, पहले दिक्कत हुई पर अभी हसी आती है अपनी बेवकूफियो को देखकर।
संस्था से संपर्क हेतु इस फॉर्म को भरें: acharyaprashant.org/enquiry?formid=209
उपनिषद और जीवन पर ऑनलाइन कोर्स: solutions.acharyaprashant.org
Khud ko kaise pehchane yeh bhi samjhayen
सच ही कहा है सात समुंदर की मसि करूं लखनी सब बन राय तो भी गुरु का गुण लिखा न जाए कोटि कोटि नमन आचार्य जी❤❤❤🎉🎉🎉
इतना सरल तरीके से कुण्डलिनी के बारे में किसी ने भी नहीं समझाया 🙏🏻🙏🏻 कृपा करके आगे के चक्र के बारे में भी जरूर बताइये।🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 पता होगा तो हम लोग बढ़ पायेंगे ।
ऋषिकेश में इन चक्रों का व्यापार चलता और यहाँ अपने बात को बहुत सरलता से बताया हैं। प्रणाम 🙏 गुरुदेव
मूलाधार से यदि ऊपर उठना है तो अचार्य प्रशांत जी के वीडियो उसके लिए बहुत ही ज्यादा आवश्यक है।।
Dhanana acharya ji
ये सब बातों के बारे में आज सटीक तथ्य जानूंगी सोच कर ही कितना बढ़िया महसूस हो रही है 🙏🙏🙏🙏🙏
जितनी भी चीजे प्राकृतिक और पाशविक है,इन्हीं का सम्बन्ध मूल आधार से है, यही हमारी हस्ती का निम्नतम बिंदु भी है।
कुंडलिनी पर बहुत अफवाहें उड़ रहे हैं youtube पर लेकिन आपका जवाब हमेशा आध्यात्मिक और सटीक होता है। कुंडलिनी को चेतना की दृष्टि से देखना होता है पर बहुत लोग इसे शरीर का हिस्सा बता कर लोगो को गुमराह कर रहे हैं।
गुरु ब्रम्हा गुरु विष्णू, गुरुः देवो महेश्वरा । गुरु शाक्षात परब्रम्हा तस्मै श्री गुरुवे नमः ।।
@@kuldeepkumar-st7me इसका अर्थ है कि गुरु ही ब्रहृमा है गुरु ही विष्णु है गुरु ही आदि देव महादेव हैं गुरु साक्षात् परब्रह्म है ऐसे महान गुरु को हम प्रनाम करते हैं 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
गुरु की महिमा हरि से भी बड़ी है क्यूंकि गुरु ही है हरि दर्शन करवाने में समर्थ होते हैं इस संसार रूपी भव सागर से पार लगाते है 🙏🏻🙏🏻
@@anamikakashyap8692 bohot badhiya
भुलिएगा नहीं कि हम अधूरे हैं हमारी चेतना अधूरी है और हम इस वीडियो को इसलिए देख रहे हैं ताकि हमारी चेतना पूर्णता की ओर बढ़ सके शांति की ओर बढ़ सके मुक्ति की ओर बढ़ सके।।
Right
Sahajyog aaj ka mahayog
मूलाधार चक्र के बारे में आपने जो व्याख्यान दिया वो सराहनीय है। अभिवादन 🙏 वास्तव में देखा जाए तो इस सृष्टि में सामान्य मनुष्य का और कतिपय सभ्य और धनाढ्य कहे जानेवाले कुछ अमीर मनुष्यों का सारा का सारा जीवन ही मूलाधार चक्र तक ही सीमित रह जाता है और अंत में ऐसा मनुष्य यथार्थ बोध के अभाव में माया में पड़ विषय भोग कर इस संसार में आने का प्रयोजन जाने बिना ही इस दुनियां को छोड़कर चला जाता है और ऐसा प्रतिदिन घटित हो रहा है और ऐसा तब तक होता रहेगा जब तक मनुष्य को आत्म बोध नहीं होगा और यह तभी संभव है जब मूलाधार चक्र उर्धगामी हो या वह इसकी प्रक्रिया प्रारम्भ करे अन्यथा जीवन मृत्यु के आवागमन में ना जाने कितनी बार कौन कौन सी योनियों में अनगिनत काल तक भटकते रहेगा। कुछ विशिष्ट मनुष्यों को छोड़कर जिन्होंने इस सृष्टि में आने का सही कारण ज्ञात कर लिया है। और वो आवागमन के बन्धन से मुक्त होना चाहते हैं। अंत में मोक्ष। इति
जिस दिन तुम ये समझ जाओगे की तुम जो कर रहे हो , वो तुम नही , तुम्हारे अंदर का जानवर कर रहा है, उस दिन से तुम्हारी जागृति की शुरुआत होती है।🙏
Kya Aapne Apne andar ke janwar ko pahchan Lya ? If yes then how ?
Janwar ka yhan matlab h काम क्रोध मोह माया आदि जो मनुष्य को इस भौतिक संसार में भटकाता है और जीवन के बहुमूल्य समय को बर्बाद करता है। अगर मनुष्य समय रहते ये जान ले कि हमारे सभी दुखों का कारण मनुष्य खुद है तब वो इसका समाधान निकाल लेगा और अपने जीवन में शांति, दया, आभार, प्रेम और मानवता से परिपूर्ण पाता है तो वह अपनी परेशानियों से छुटकारा पा लेता है। इसे ही कहते हैं बोध विवेक का मस्तिष्क में विकास होना चाहिए।
~Acharya Prashant
Bhai ye to me samajh gya
आपके जितना सही और सटीक है नहीं आज कहीं भी🙏🏻
बहुत ही सरल और आसान भाषा में समझाया आपने
मूल आधार चक्र का बहुत ही सटीक स्पष्टीकरण
बहुत बहुत धन्यवाद गुरुजी समझाने के लिए🙏
ये बिल्कुल सच है आचार्य जी हम सभी अपने जीवन का केन्द्र में अपने पाश्विक व्रित्तियों को रखकर अपना पुरा जीवन बिता देते हैं।
Bhai ye pasvik varitiya mstlv
श्रद्धेय आचार्य जी , आपको प्रणाम, मैं तो आपके उद्बोधन से भ्रमित हो गया हु । मैंने तो अभी तक मैंने तो यही सुना है की मूलाधार चक्र जनेंद्रियों के नीचे और रीढ की हड्डी के सबसे नीचे एवम पेरेनियम के पास पाया जाता है । कृपया ऐसे भ्रम को दूर कराने की कृपा करिए ।
मूलाधार चक्र हमारी प्राकृतिक और पाशविक वास्तविकता का प्रतीक है ।।
Wah ye tumhari kud ki samjh h ya khi papdha h tumne
बात और विचारों से पूर्णत सहमत हूं , मगर यह भौतिक भी हैं , शरीर में भी वो sensetive point होते हैं।🙏🏼🙏🏼🙏🏼
वास्तविक एवं तथ्यम वाला ज्ञान मिला है ।
जिन गुरु जी की स्वयं की जाग्रत नही है, वह ग्यान दे रहे है 🕉🙏🏻🕉Happy Guru Poornima 💓🙏🏻💓
🌺🙏असली बात , सच्ची बात , दम दार बात 💪👌🌷🙏
जब-जब आप को सुनता हूं, सत्य को और करीब पाता हूं। नमन आचार्य जी 🙏🙏😌
संग्रह करना भी एक पार्श्विक वृत्ति ही है।।
मूलाधार चेतना का सबसे निम्नतम तल है और विडंबना ये कि अधिकतर मनुष्य जाति मूलधार से ही चलायमान है।।
बहुत बढ़िया| काश आचार्य जी बाकी चक्रो का भी वर्णन करते तो उनका क्या महत्व है वो भी हम जान पाते|
एकदम सही कहा गुरुजी बाज़ार मै कुण्डलिनी शक्ति को लेकर बोहोत सारी अंधविश्वास फैला हुआ है।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका AP🙇🙏♥️
धन्यवाद, आचार्य जी और संस्था।
Kya baat hai Sir apko sunkar jeevan ki sacchai ko samjhakar mun prasan ho jaata .lekin kuch logo ki wajah se aur Bhasha badlav ki wajah se hum khud hi arth ka anatrh kiye hue hai 🙏 sahi marg dikhane ke liye dhanyawad apki umra lambi ho.
Gurudev bohot amulya Gyan Diya hey samaj ke liye 🙏. Aap ke vichar aur shiksha amulya hey. Pranam 🙏.
शरीर के भीतर कुछ नहीं है जो ऊपर उठ रहा है, ये चेतना उठ(उन्नति ,आरोहण,उत्थान का प्रतीक) रही है और सबसे निचला स्तर के चेतना होती हैं वो जो हम ले कर के पैदा होते हैं।।
यहाँ पर जो मूल की बात हो रही है वो है शारीरिक मूल ,यहाँ पर आधार से अर्थ सत्य मत ले लेना , आधार माने निम्नतम ,निचला स्तर।।
Acharya prasant ne Jo logo ki jagruk Kiya hi.jeewan badal Diya hi hum sab ka.isse desh ka bhi bhala ho rha hi population km ho rahi hi bahot kuch faida ho rha hi.thanku guru ji ka dharti me awatar hi aap
आम आदमी को यह ज्ञान बहुत अच्छे तरह से समजना चाहिए, समाज में कुछ पाखंडी लोग है जो इस ज्ञान का विपर्यास करके खुद को समाज में सिद्ध पुरुष,बडा योगी महात्मा कहलवाते है और लोगो का आर्थिक , मानसिक शोषण करते रहते है
Acharya ji ,kitni sahajta se,our saralta se samzaya hai aapne .sadar pranam🙏
acharya ji ki baat gyan se bhari hai❤❤
Samjhaya to sahi hai
Ek dum sadharan
सटीक विश्लेषण किया आचार्य जी आपने।बहुत बहुत धन्यवाद।💐💐🙌🙏🙏
आचार्य जी सादर प्रणाम🙇🙏बहुत सुंदर और सच्ची व्याख्या🙏
नमस्कार आचार्यजी,आप का कोईभी वीडियो देखें हर वीडियो में आप के शब्द जीवन के अनमोल है अमृत तुल्य है।🙏
He's the Chanakya of 21st Century ❤
Kuch bhi
Yes, Arachrya prasant is very knowledgeable person. U must respect him.
@@advaitanahat2779he is knowledgeable
जितने भी गुण हैं वो सब प्राकृतिक होते हैं और गुण का अर्थ ही होता है अध्यात्म की भाषा में अवगुण(दोष , विकार)।।
Guru ji aapko mera koti koti pranaam.
धन्यवाद गुरुजी 😍🥰❤️💓🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Very excellent expressions explaining words of yours thank you sir I am 68 years woman from Telangana state telugu is my mother tong thank you very much for your bright knowledge and wisdom
Itani asan bhasa me itani gahari bat bata di apne....aur ye bhi samjha Diya ki ye kundalini Shakti asaliyat me kya hoti hai....... dhanyawad acharya ji
अधिकांश लोग जो कुछ भी करते हैं वो अपनी पाशविक और पाकृतिक बृतियों से संचालित हो कर ही करते हैं ।।।बिल्कुल 🙇
Anantam shukrana sirji
After Osho, you are the one I listen to most ❤❤
I also
Me 🎉😂😂😂😂😅😅
Same❤
Acharya Prashant jii apko Mera shatt shatt Naman
Gurupurnima par guruji aapko Mera pyarbhara nmskar ❤
दंडवत प्रणाम गुरू जी 🙏🙏🙏🙏🙏 🌺🌺💐💐💐 सटीक, अद्भुत, शानदार इससे अच्छी व्याख्या ना सुनी न समझ पाया।
😂😂
अत्यंत सुंदर विवेचना । A real eye opener.
🙏🙏सभी भ्रमों और चक्रों के चक्कर से निकालने के लिए कोटिशः धन्यवाद
आचार्य जी नमन् 🙏🙏🙏
Love you aachariye ji ❤❤
आचार्यजी प्रणाम ।
जिस प्रकार मूलाधार चक्र आपने समझाया है ठीक उसी प्रकार क्रमवार अन्य चक्रों को समझाइए ताकि हम सही और सटीक ज्ञान प्राप्त कर सके। धन्यवाद ।🙏🙏🙏
shi baat kahi bilkul,sb kuch sanket hi hai
Dhanyvad satguru
बहुत सुन्दर समझाया आपने प्रणाम गुरु जी
हम सब मूलाधार को ही केंद्र बना कर के अपना पूरा जीवन बिता देते हैं ,हमारे जीवन का केंद्र आत्मा नहीं होती ,विचार भी नहीं होते ,केंद्र पर भावनाए भी नहीं होती ,केंद्र पर बस पाशविक वृत्तियाँ होती हैं।।
गुरुजी आपने बिलकुल सत्य जानकारी दी है
ॐ नमः शिवाय
आपको दिल से कोटि कोटि प्रणाम ❤❤❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
Acharya ji= Mythbuster
Param Pujya Gurudev ke Charanon Mein Koti Koti Naman
Sir,
Your way to teach mooladhar chakra is out of the box and crystal clear.
सुखवाद अत्यंत लोकप्रिय सिद्धांत है मनुष्य साधारणत सुख की प्राप्ति और दुख से मुक्ति चाहता है उसके प्राय सभी कर्मो के पीछे यह भावना काम करती है जो कार्य सुख देने वाला होता है वही अच्छा है और जो कार्य दुख देने वाला होता है वही बुरा है इस प्रकार सुख और दुख में शुभ और अशुभ प्रतीक बन जाते हैं/ प्रकाश डालिये गुरु जी
Gulami kar rahe hai hum, prakriti ki🙏
🌺🌺🌺🌺🌺🙏🌺🌺🌺🌺🌺
नमन् आचार्य श्री जी ! प्रणाम 🌷 🙏 🌷
धन्यवाद
मूलाधार चक्र के बारे मे आज समझ आया🙏🙏🙏🙏🙏
आपको मूलाधार से ऊपर उठना है ,एक के बाद एक चक्र है और आखिरी चक्र आपको देता हैं मुक्ति।।
मुझे तो डर लगता हैं इनके वीडियो देखने से कही मुझसे ये सारी भौतिकता छूट न जाए।
Sir aap aaj k osho hai main pranaam karta hu apko 🙏🙏
Bahut sateek jankari dibguru ji koit koti dhanyawad
Bahut sundar bat aapne kha 🙏
प्रणाम आचार्य जी🙏🌸
I wish there was a translation or an English talk on Muladhaar/Root Chakra. Since there's a rise in New-age guru's and yogis. And this clarity that Acharyajee is bringing is very important.
🙏🏻🌷Dandvat Pranam Pujya Acharya ji🌼🙏🏻🙂
हमारी चेतना इतनी नीचे गिर चुकी है कि हम हर चीज़ को सिर्फ स्थूल रूप में देखना जानते हैं और अर्थ का अनर्थ कर लेते हैं।
योग के विषय में स्पष्टता प्रदान करने के लिए आपका हार्दिक आभार, आचार्य जी। 🙏🙏🙏
Aacharya ji parnam
शुक्रया आचार्यजी
आपका शुक्रया।❤
Wah wah
.kya samajh he.Sahi he.
Janwar ka yhan matlab h काम क्रोध मोह माया आदि जो मनुष्य को इस भौतिक संसार में भटकाता है और जीवन के बहुमूल्य समय को बर्बाद करता है। अगर मनुष्य समय रहते ये जान ले कि हमारे सभी दुखों का कारण मनुष्य खुद है तब वो इसका समाधान निकाल लेगा और अपने जीवन में शांति, दया, आभार, प्रेम और मानवता से परिपूर्ण पाता है तो वह अपनी परेशानियों से छुटकारा पा लेता है। इसे ही कहते हैं बोध विवेक का मस्तिष्क में विकास होना चाहिए।
Ati uttam
❤ Boldness and Frankkness Very selfless person Thanks
Sir ji , आपका बहुत बहुत शुक्रिया 🙏🏿
Sayad ab atma parmatma ke sare sawalo ke jawab mujhe ek isi vedio me hi mil Gaye.......
Waahe guru...jai ho ..hardik pranaam....//
मैं भी फसा था इन चक्रों के खेल में बहुत पहले। ये पाखंडी अंधविश्वासी बाबे।
आचार्य जी की कृपा से चीज समझा, पहले दिक्कत हुई पर अभी हसी आती है अपनी बेवकूफियो को देखकर।
Thank you ❤️ Universe ❤️
स्पष्टता के लिये बहुत बहुत आभार आचार्य जी🙏🙏
नहीं | नाभि और जननेंद्रियों के बीच में मूलाधार चक्र नहीं, बल्कि स्वाधिष्ठान चक्र स्थित है |
Bilkul sahi..
Sir you are an intellectual person.
Aaj mujhe samajh mein a Gaya 🙏👍
बहुत ही अच्छा pravachan
आचार्य जी को प्रणाम ||
अति उत्तम जी🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
अप्रतिम❤️❤️,योग्य और जो आप को सही रास्ता दिखाएं, जो काम करें ऐसा
स्पष्टीकरण
व्यवहारिक स्पष्टीकरण🙏🏻💐