ग्लोबल वार्मिंग पर आसान निबंध | Global Warming par Nibandh | Essay on Global Warming in Hindi | lekh

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  • Опубликовано: 20 окт 2024
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    ग्लोबल वार्मिंग क्या है?
    ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ है- पृथ्वी की सतह के तापमान में वृद्धि ग्लोबल वार्मिंग है। ग्रीनहाउस गैसें जैसे वाष्प, कार्बन डाइऑक्साइड,और मीथेन आदि की मात्रा जब हमारे वातावरण में अधिक हो जाती है तब हमारी पृथ्वी गरम होने लगती है। इसे ही हम ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं।
    बढ़ते प्रदूषण के कारण हमारे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन की मात्रा बढ़ी है। जैसे ही पृथ्वी की सतह का तापमान गर्म होता है तब बर्फीले इलाकों की बर्फ पिघलकर समुद्र में गिरती है जिसके कारण समुद्र का स्तर ऊंचा हो जाता है। समुद्र का जल स्तर बढ़ने से तटीय क्षेत्रों में बाढ़ आती है। मौसम के मिजाज में ग्लोबल वार्मिंग के कारण बदलाव होगा। रेगिस्तान संभवतः आकार में वृद्धि करेंगे। गर्म क्षेत्रों की तुलना में ठंडा क्षेत्र तेजी से गर्म होगा। मजबूत तूफान की संभावना अधिक हो सकती है।
    ग्लोबल वार्मिंग के कारण
    ग्लोबल वार्मिंग का असली कारण है मानव से होने वाला प्रदूषण जो हम लगातार किसी ना किसी रूप में धरती पर फैला रहे हैं। वातावरण को हमने इतना प्रदूषित कर दिया है की जहरीली गैसों की मात्रा बढ़ गई है।
    मानव प्रदूषण कई तरह से फैलते हैं जैसे -
    जहरीली गैसों का उत्सर्जन - वाहनों में इस्तेमाल किया जाने वाला ईंधन और बिजली बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कोयले के धुएँ से वातावरण में हम कार्बन डाइऑक्साइड गैस छोड़ते हैं जो प्रदूषण का कारण बनती है। सिर्फ यही नहीं उद्योगों-कारखानों से निकलने वाले धुएँ के कारण भी वातावरण प्रदूषित होता है। सभी देशों में हवा के प्रदूषण की मात्र बढ़ी है।
    जंगलो की कटाई - हम भारी संख्या में जंगलों की कटाई कर रहे हैं, जिसके कारण वृक्षों की संख्या कम हो रही है। हरे-भरे वृक्ष वातावरण में से कार्बन को ग्रहण कर ऑक्सीज़न मुक्त करते हैं और वातावरण शुद्ध रखने का काम करते हैं। लेकिन हम लगातार वनों की कटाई कर वहाँ शहरीकरण कर रहे हैं जिसके कारण हवा में कार्बन की मात्र बढ़ रही है।
    ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव
    बर्फीले क्षेत्र पिघलना - ग्लेशियरों का पिघलना मानव और पृथ्वी पर रहने वाले जानवरों के लिए विकट समस्याओं को पैदा करेगा। बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का स्तर बढ़ेगा जिससे बाढ़ आएगी और आस-पास रहने वाले लोगों के लिए मुसीबत बनेगी। समुद्र के स्तर के ऊपर उठने के अलावा, जानवरों की कई प्रजातियों का जीवन भी खतरे में पड़ जाएगा और इस तरह पर्यावरण के संतुलन को बाधित करेगा।
    जलवायु परिवर्तन- अनियमित मौसम के परिणाम हमें अभी से देखने को मिल रहे हैं। अधिक वर्षा, अधिक गर्मी और ठंड जैसे बदलाव मौसम में होने की संभावना है। जहां बरसात नहीं होती वहां तेज बरसात होगी और जहां अधिक बरसात होती है वहां कम बरसात देखने को मिलेगी। जलवायु परिवर्तन का सबसे बुरा असर वन्य जीवों पर पड़ेगा।
    सूखे की स्थिति- जहां बरसात के कारण बाढ़ आती थी आज वहां भीषण सूखा पड़ रहा है। तापमान गर्म होने के कारण, धरती को एक तरफ सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। सूखे के कारण वनों में पेड़-पौधे नष्ट हो रहे हैं और वन्य जीवों का भी नाश हो रहा है।
    ग्लोबल वार्मिंग मानव जीवन के लिए भी बड़ा खतरा बन सकती है और अगर इसी तरह से इसकी असर होती रही तो एक दिन मानव जीवन भी संकट में पड़ सकता है।
    ग्लोबल वार्मिंग रोकने के उपाय
    ऐसा नहीं की ग्लोबल वार्मिंग की समस्या का हम मुक़ाबला नहीं कर सकते हैं। ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिनमें बदलाव कर हम ग्लोबल वार्मिंग से अपनी धरती को बचा सकते हैं।
    प्रदूषण को कम करें- वाहनों के धुएँ से प्रदूषण फैलता है तो हमें वाहनों का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए। बिजली से चलने वाले वाहनों का उत्पादन कर हम इस समस्या को सुलझा सकते हैं।
    उद्योग धंधों का प्रदूषण कम करें - सबसे ज्यादा प्रदूषण उद्योगों से निकालने वाले धुएँ से होता है। ऐसे उद्योगों को बंद करने की जरूरत है जो हवा को अशुद्ध करते हैं।
    जंगलों की कटाई रोकना और अधिक वृक्ष उगाना - जंगलों को काटना हमें बंद करना होगा और अधिक से अधिक वृक्ष लगाकर हमें जंगलों का विस्तार बढ़ाना होगा।
    सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का उपयोग - कोयले से बिजली उत्पादन करने की जगह हमें प्राकृतिक ऊर्जा के साधन जैसे की सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा से बिजली उत्पन्न करने की जरूरत है।
    इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बंद करें - अपने टेलीविज़न, डीवीडी प्लेयर, स्टीरियो और कंप्यूटर आदि का जब आप उपयोग नहीं कर रहे हैं तो उन्हें बंद कर दें , ऐसा करने से कार्बन डाइऑक्साइड फैलने से आप रोक सकते हैं।
    उपसंहार
    ग्लोबल वार्मिंग एक वैश्विक समस्या है और पूरा विश्व एक जुट होकर ही इसका खतरा टाल सकता है। विश्व के सभी प्रगतिशील देशों को इसके बारे में गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। अभी तो हम ग्लोबल वार्मिंग की कम असर को देख रहे हैं लेकिन यदि समय रहते हम जागरूक नहीं हुए तो इसके गंभीर परिणाम मानव जाति और अन्य जीवों को भुगतने पड़ सकते हैं।

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