15. आत्मिक रूप से सुखी होने के उपाय कठोपनिषद् 2/13-15

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  • Опубликовано: 7 май 2024
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Комментарии • 11

  • @rahulchaurasiya6105
    @rahulchaurasiya6105 2 месяца назад +2

  • @PrabhakarSharma-qg4ov
    @PrabhakarSharma-qg4ov 2 месяца назад +2

    आचार्य जी सादर नमस्ते 🙏🙏🚩🌞🕉️ ॐ नाम परमेश्वर का अपना नाम है ॐ सब्दा संसार जग के बनने से पहले ही शुरू हो गया था क्योकी सोलर वाइस ही है सत्य वचन सुनकर बहुत अच्छा लगा पृथ्वी सूर्य देव का ही एक टुकड़ा अलग हो कर करोड़ों वर्ष बाद ठंडी हो कर वर्षा जल हवा एच.२ओ से बनी हुई है फिर पेड़ पौधे नदी झील आदि बने जीव जन्तु आदि उत्पन हुए हजारों साल बाद फिर आदि मानो मनुष्य का जन्म हुआ 🌻🌷🌺🕴️👫👭👯🕺🐕👍🧡👍

  • @ManikpardesiManik-un7yh
    @ManikpardesiManik-un7yh 2 месяца назад +1

    नमस्ते आचार्यजी।🙏🙏🙏

  • @Premthakur533
    @Premthakur533 2 месяца назад +2

    Great work guru dhanyvad 🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • @ashokagrawal4513
    @ashokagrawal4513 2 месяца назад +1

    ओम् , सादर प्रणाम आचार्य जी।

  • @user-fg5tu1ci8i
    @user-fg5tu1ci8i Месяц назад

    Ram.

  • @Himanjanprabalmisra
    @Himanjanprabalmisra 2 месяца назад +1

    सादर नमस्ते जी।

  • @bachanoraon723
    @bachanoraon723 Месяц назад

    सादर नमस्ते आचार्य जी

  • @DSplay-ox1vr
    @DSplay-ox1vr 2 месяца назад +1

    जीव आत्मा कामना से लिप्त रहती है।
    आत्मा किसी से लिप्त नहीं रहती।आत्मा पर किसी भी चीज़ कि आसर नहीं होता।।
    हम ये समझते हैं और मानते हैं।
    कुछ कहें। धन्यवाद

    • @DSplay-ox1vr
      @DSplay-ox1vr 2 месяца назад

      त्या असत नहीं है। सत है जीव आतम जीव के साथ जीव है और असत है जीव आत्मा शरीर है और केवल शरीर असत है।

    • @DSplay-ox1vr
      @DSplay-ox1vr 2 месяца назад

      त्या आत्मा