@@gajanandsharma6247 यदि आप मानते हैं कि हम गीत ही गा रहे हैं तो भी हम कमसे कम गीत तो गा रहे हैं। आपके इस शरिया कानून के भय का पर्यवसान एक पार्टीको एक वोट देने और प्रचार करने मे हो जाएगा मुझे पता है। आपको नही पता हो क्या रहा है और दिख क्या रहा है। सीताराम।। 🚩🚩
@@gajanandsharma6247 हाँ तो मत ढोईये। स्वयं जो करना चाहते हैं वह करिए न सनातन धर्मके उत्कर्ष के लिए। बेकार में इधर उधर की निन्दा स्तुति में क्यों मन लगा रहे हैं? आप कुछ अच्छा करें तो हमें भी प्रसन्नता ही होगी।
परमपूज्य जगतगुरु शंकराचार्य पुरी पीठ श्री गुरु महाराज जी के चरणों में साष्टांग प्रणाम I श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव I 29 दिसम्बर 2022, 🙏 🙏 🙏 🕉 🕉 🕉
0:58 बहुत महत्वपूर्ण और सत्य। ❤🎉 अद्वैत तो हमारे वेदांत (उपनिषदों) में ही है आदि शंकराचार्य जी ने तो उसपर भाष्य लिखा था बस और उसी सनातन सत्य को और सामान्य लोगो के लिए अभिव्यक्त करने के लिए ही अपनी तरफ से ग्रंथ लिखा था। वेदांत में पहले से मौजुद 4 महावाक्य ही इस बात को प्रमाणित कर देती है। 🙏🕉️🇮🇳🌟❤️
श्रीमत परमहंस परिव्राजकाचार्य राजराजेंद्र सेवित चरणारविंद सर्वतंत्र स्वतंत्र अनंतश्रीविभूषित श्रीमद जगतगुरू शंकराचार्य ऋग्वेदिय पूर्वान्मय गोवर्धनमठ पुरीपीठाधिश्वर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज की जय । श्री चरणोमे दंडवत प्रणाम। 🙏🙏🙏
🌞 श्री कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् 🌞 🔱 शिव शंकर प्रलयंकर 🔱 🔔🔔🔔🔔🔔🔔🔔🔔🔔🔔 📿 ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय गोवर्द्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर अनंत श्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरू शङ्कराचार्य स्वामी श्री निश्चलानन्दसरस्वती जी महाभाग 📿 के श्रीचरणकमलों में साष्टांग प्रणाम भगवन्🙏🙏🙏🙏 📿 🚩जय जगन्नाथ🚩 🚩जय गुरुदेव🚩🚩 हर हर महादेव 📿
जय गुरुदेव जय माँ गुह्यकाली🚩🚩🚩🇳🇵🇳🇵🇳🇵 पूज्य श्रीगुरुदेव जी महाभागने `ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या...´ उपर ब्रह्मज्ञानावलीमाला ग्रन्थमें ४२ पृष्ठाेंमें हिन्दी व्याख्या किया हैं। हर हर महादेव!!!
महाराज जी के परिकरो को प्रश्न स्पष्ट करना चाहिए , प्रश्न यह है कि जगत के मिथ्यत्व का अनुभव कैसे हो, लेकिन उत्तर कहा यह वाक्य मिलता है यह दिया, परिकरो को सहायता करना चाहिए कि मूल प्रशन क्या है, उसका उत्तर मिले।
🕉️हीरा बा दादी गईं। अब माँ की बारी है। हमारी भी फटी पड़ी है। पर डरो मत। प्रकृति गतिमान है। कदम से कदम मिलाओ, प्रकृति से तुम आगे निकल जाओगे। फिर मरना कैसा? जो जहाँ खड़ा है, वो चल रहा है, या कदमताल कर रहा है, ये तो वो ही जाने। इंद्र वृत्तहंता हैं। अरविन्द जैन गीता सफाई अभियान 30/12/2022
जगद्गुरु जगत् में हैं, अथच जगत् को मिथ्या बोलते रहे हैं । ब्रह्म को गुरु जी ने या हम उनके कोई शिष्य भी देखा नहीं, फीर भी 'ब्रह्म सत्यं' क्यों बोल रहे हैं पत्ता नहीं। हम गये थे, गुरु जी के पास, गुरु जी के पास बैठा था, कई बार प्रणाम भी किया, राजीव ने भी देखा किन्तु गुरुजी ने बात करने के लिए शायद नहीं चाहा तो हम अपने शिष्यों के साथ लौट आया । ॐ तत् सत् नमो नारायणाय गोवर्धनपीठाधीश्वराय जगद्गुरवे तत्रभवते श्रीनिश्चलानन्दसरस्वतीपादाय अत्रभवतः श्रीविद्यास्वामिमहामेधानन्दनाथसरस्वत्युपाह्वस्य । ॐ तत् सत् नमो नारायणाय।
अद्वैत वादियों के पास इसका जवाब नहीं है की संसार की रचना का संकल्प कौन करता है ब्रह्म करता है अथवा माया करती है चूकि ब्रह्म निर्गुण है और उसमे संकल्प विकल्प संभव ही नहीं अन्यथा वह ब्रह्म की परिभाषा में ही नहीं आएगा और माया की स्वतंत्र सत्ता नहीं क्यूंकि माया तो ब्रह्म की शक्ति है और संकल्प या इच्छा करने का कार्य शक्तिमान ही करता है नाकि शक्तिमान की शक्ति पृथक होकर कोई इच्छा या संकल्प करती है यदि माने की श्रष्टि रचना का संकल्प माया द्वारा किया जाता है तो माया की स्वतंत्र सत्ता माननी पड़ेगी फिर तो अद्वैत रहेगा ही नहीं तब तो माया और ब्रह्म दो तत्व हो जायेगे और यदि ये माना जाएं की ब्रह्म संकल्प करता है तो ब्रह्म निर्गुण नहीं रहेगा जबकि शुद्ध ब्रह्म निर्गुण एवं निराकार है और उपाधि भेद से ईश्वर कहलाता है परन्तु संसार की रचना का संकल्प ब्रह्म करता है या माया करती है इसका उत्तर नहीं एक और बात विचारणीय है की जब माया ब्रह्म की शक्ति है तो कोई शक्ति अपने स्वामी पर हावी कैसे हो सकती है अर्थात ब्रह्म का एक अंश अनादि काल से अविद्या से ग्रसित है और 84 लाख योनियों में नाना प्रकार के असंख्य दुःखो को परतंत्र होकर भोग रहा है जैसे मदारी बन्दर को नचाता है तो ये प्रश्न उठता है की ब्रह्म इतना मजबूर है की अपनी ही शक्ति के द्वारा अनंत काल से घोर दुःख पीड़ा व नारकीय यातनाये पाशबद्ध होकर भोग रहा है अर्थात ब्रह्म अज्ञान से ग्रसित होकर जीव के रूप में अनंत दुःख कष्ट पीड़ा भोग रहा तो वह ब्रह्म हो ही नहीं सकता क्यूंकि जीव के रूप में वह महान कष्ट क्यों भोगेगा अपने सत्य स्वरुप को ब्रह्म क्यों भूल जायेगा यदि भूल गया तो ब्रह्म कैसे ? अविद्या ने ब्रह्म को कैसे व्याप्त कर लिया जो वह जीव के रूप में अथाह भाव सागर में गोते लगा रहा है ब्रह्म तो सच्चिदानंद है फिर आनंद से दूर कैसे हो गया जीव के रूप में? यदि यह कहाँ जाएं की ब्रह्म जान बूझकर अनेक योनियों में अनंत काल से जीव के रूप में या जीव की उपाधि में दुःख भोग रहा तो परम ज्ञान से युक्त व परम आनंद से युक्त ब्रम्ह भला अज्ञान व दुःख क्यों चाहेगा और चाहने की इच्छा भी उसमे क्यों उत्पन्न होगी ब्रह्म को अज्ञान व्याप्त ही नहीं कर सकता अतः इस प्रकार से भी वह ब्रह्म नहीं हो सकता इसलिए अद्वैत वादियों का सिद्धांत कभी भी इस प्रश्न का ठीक उत्तर नहीं दें पाया की माया क्या है? माया को अनिर्वचनीय कह कर वह अपना पल्ला छुड़ाना चाहते है परन्तु यह भी मात्रा शब्दों का जाल है वास्तव में या तो किसी वस्तु का अस्तित्व होगा या अस्तित्व नहीं होगा कोई भी वस्तु या शक्ति अनिर्वाचनीय नहीं हो सकती इसलिए द्वैत सिद्धांत ही सत्य है पुरुष और प्रकृति दो हो तत्व है जिनसे श्रष्टि की रचना होती है सांख्य दर्शन का सिद्धांत ही वास्तव में तर्कयुक्त सत्य व मान्य है और अद्वैत सिद्धांत की व्याख्या किसी भी प्रकार नहीं हो सकती महर्षि कपिल जो सांख्य दर्शन के प्रवर्तक है हम उनकी वंदना करते है हम सांख्य को ही सत्य मानते है और सांख्य ही सबसे प्राचीन दर्शन है अद्वैत नहीं
I am not sanatani ( according to you and I believe it) But I am Shaivite. I have some question ❓ Maa durga belongs dasyu( that's oldest historical evidence shown) But all Brahmins worshipping them There's no historical evidence of adi Shankaracharya Please solve my doubt
उसने बहुत सरल प्रश्न किया था, आपने तो इतना अधिक वर्णन किया। उसका प्रश्न कुछ और था शायद आप समझ नहीं पाए।प्रणाम गुरु जी।🙏
हम भारत भव्य बनाएँगे। हम हिन्दूराष्ट्र बनाएँगे।। 🚩
जय जय श्रीरामचन्द्र।। 🚩🚩
शिकारी आयेगा जाल बिछाऐगा दाना डालेगा मगर फंसना मत! गाते रह गये और फंस भी गये! वैसी हिन्दू राष्ट्र का गीत गाते गाते ही सरीया नाफिस हो जाऐगा!
@@gajanandsharma6247 यदि आप मानते हैं कि हम गीत ही गा रहे हैं तो भी हम कमसे कम गीत तो गा रहे हैं। आपके इस शरिया कानून के भय का पर्यवसान एक पार्टीको एक वोट देने और प्रचार करने मे हो जाएगा मुझे पता है।
आपको नही पता हो क्या रहा है और दिख क्या रहा है। सीताराम।। 🚩🚩
@@shreekrishn पार्टियां और तथाकथित संविधान जाऐ भाड़ में! सरकारी धर्मगुरूओ के पाप हम ढोनेवाले नहीं!
@@gajanandsharma6247 हाँ तो मत ढोईये। स्वयं जो करना चाहते हैं वह करिए न सनातन धर्मके उत्कर्ष के लिए। बेकार में इधर उधर की निन्दा स्तुति में क्यों मन लगा रहे हैं?
आप कुछ अच्छा करें तो हमें भी प्रसन्नता ही होगी।
परमपूज्य जगतगुरु शंकराचार्य पुरी पीठ श्री गुरु महाराज जी के चरणों में साष्टांग प्रणाम I
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव I
29 दिसम्बर 2022, 🙏 🙏 🙏 🕉 🕉 🕉
अपने गुरुदेव को शत शत नमन.
0:58 बहुत महत्वपूर्ण और सत्य। ❤🎉 अद्वैत तो हमारे वेदांत (उपनिषदों) में ही है आदि शंकराचार्य जी ने तो उसपर भाष्य लिखा था बस और उसी सनातन सत्य को और सामान्य लोगो के लिए अभिव्यक्त करने के लिए ही अपनी तरफ से ग्रंथ लिखा था। वेदांत में पहले से मौजुद 4 महावाक्य ही इस बात को प्रमाणित कर देती है। 🙏🕉️🇮🇳🌟❤️
गुरु देव भगवान ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय गोवर्धन पीठाधीश्वर श्रीमद् जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज जी को साष्टांग दंडवत प्रणाम।
Shrimad Jagadguru bhagwan Shankaracharya ji ke charnon mein kotishah naman 🙏🏼🙏🏼🙏🏼
जगत गुरु स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज को मेरा कोटि कोटि नमन 🙏🙏
श्रीमत परमहंस परिव्राजकाचार्य राजराजेंद्र सेवित चरणारविंद सर्वतंत्र स्वतंत्र अनंतश्रीविभूषित श्रीमद जगतगुरू शंकराचार्य ऋग्वेदिय पूर्वान्मय गोवर्धनमठ पुरीपीठाधिश्वर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज की जय । श्री चरणोमे दंडवत प्रणाम। 🙏🙏🙏
Bhagwan aadi sankaracharya ke charno me koti koti naman
ब्रह्म सत्यम् जगन्मिथ्या । जीव ब्रह्मैव नापरः ॥
HAR HAR MAHADEV
HAR HAR MAHADEV
HAR HAR MAHADEV
Shankaracharya bhagwan ki Jai
जय श्री सीताराम देव के चरणों में सादर वंदन
Aapki charano mera pranam, aap ka gyan bahut divya hai, hum aap ki is gyan ko naman korte hai
जगद्गुरु भगवान शंकराचार्य स्वामी जी के पावन चरणों में नमन् करते हैं🌹
Guru ji ko sadar naman 🙏🙏🙏🌻
Guruji ko koti koti naman🙏🙏
जय जगन्नाथ
Sat sanàtan Dharam ki jai
Koti Koti Naman
jagatguru shankaracharya ji ki jay
Sadar pranam guruji
Jay Jagannath
Gau mata ji ki jai
Bharat Akhanda Ho
Jay sanatan Jay Hindurashtra
जे गुरु चरन रेनु सिर धरहीं। ते जनु सकल बिभव बस करहीं।।
मोहि सम यहु अनुभयउ न दूजें। सबु पायउँ रज पावनि पूजें।।
जय श्रीगुरुदेव।। 🚩
🙏♥️🙏
Neeralambopnishad wow nice
JagatGuru Shankaracharya Bagwaan ki Jai
जगत गुरु शंकराचार्य जी को कोटि-कोटि प्रणाम हर हर महादेव जगन्नाथ भगवान की जय सनातन धर्म की जय गो हत्या बंद हो भारत अखंड हो आपकी जय हो शिव शंकर प्रलयंकर
राजतंत्रकी जय हो।
अराजकतंत्रका नाश हो।।
हर हर महादेव।। 🚩
जय गुरुदेव 💐👏🏻
Pranipata Gurudeva 🙏🙏🙏
Jai Gurudev
🌞 श्री कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् 🌞
🔱 शिव शंकर प्रलयंकर 🔱
🔔🔔🔔🔔🔔🔔🔔🔔🔔🔔
📿 ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय गोवर्द्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर अनंत श्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरू शङ्कराचार्य स्वामी श्री निश्चलानन्दसरस्वती जी महाभाग 📿 के श्रीचरणकमलों में साष्टांग प्रणाम भगवन्🙏🙏🙏🙏
📿 🚩जय जगन्नाथ🚩 🚩जय गुरुदेव🚩🚩 हर हर महादेव 📿
Shri pujniya Gurudev Shri Anant vibhushit Rigvediya purvamanay Goverdhan math Puri Pithadhishwar Shrimad Jagadguru Shankaracharya ji mahabhag ke Shri Kamal charnon mein dandwat vandan.
Hindu Nagar Sheoganj (Rajasthan).
महाराजजी के पावन चरणों में कोटिकोटी प्रणाम 🙏
Maharaj ka gyan adbhut hai aam ke baare me puchho to sanataron ki charcha karne lagte hai
Pranam guru dev...Krishna govind..
परम पूज्य जगद्गुरू शंकराचार्य जी भगवान की जय। नारायण
जय गुरूदेव भगवान
परम पुज्य गुरुदेव के पावन चरणों में कोटी कोटी वंदन 🙏🏼
जय गुरुदेव जय माँ गुह्यकाली🚩🚩🚩🇳🇵🇳🇵🇳🇵
पूज्य श्रीगुरुदेव जी महाभागने `ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या...´ उपर ब्रह्मज्ञानावलीमाला ग्रन्थमें ४२ पृष्ठाेंमें हिन्दी व्याख्या किया हैं।
हर हर महादेव!!!
Jai ho maharaj ki
Dhanyabad shankaracharya koti koti Pranam
Sakshat Narain Swaroop Gurudev Bhagwan Shri ke Shri Chardon me Sadar sashtang Koti Koti Dandwat pranam.
JAI SHREE RAM
JAI SHREE KRISHNA
HAR HAR MAHADEV
Jai Hindu Raashtra 🙏🏽
गुरु देव भगवान शंकराचार्य स्वामी श्री को नमन
श्रीमद् जगतगुरु भगवान शंकराचार्य जी की जय 🙏 श्री गुरु चरणों में साष्टांग दंडवत प्रणाम 🙏 नमो नारायणा 🙏
चरण वंदन जगत गुरु जी महाराज👣🙏🙏🙏
पूज्य महाराज के श्री चरणों में बार बार प्रणाम
Jai shree krishna ji Guru Dev Ji Ko koti koti pranam ji 🙏🙏🌹🌹💐💐
🙏♥️🙏♥️🙏♥️🙏♥️🙏♥️
🕉️😇🌻🙏
হরে কৃষ্ণ🙏🙏🙏🙏
महाराज जी के परिकरो को प्रश्न स्पष्ट करना चाहिए , प्रश्न यह है कि जगत के मिथ्यत्व का अनुभव कैसे हो, लेकिन उत्तर कहा यह वाक्य मिलता है यह दिया, परिकरो को सहायता करना चाहिए कि मूल प्रशन क्या है, उसका उत्तर मिले।
🕉️हीरा बा दादी गईं।
अब माँ की बारी है।
हमारी भी फटी पड़ी है।
पर डरो मत।
प्रकृति गतिमान है।
कदम से कदम मिलाओ,
प्रकृति से
तुम आगे निकल जाओगे।
फिर मरना कैसा?
जो जहाँ खड़ा है,
वो चल रहा है,
या कदमताल कर रहा है,
ये तो वो ही जाने।
इंद्र वृत्तहंता हैं।
अरविन्द जैन
गीता सफाई अभियान
30/12/2022
बुढ्ढा अभी ज़िंदा हैं घबराने की ज़रूरत नहीं है
🙏🙏🌹🌹💐💐👏👏
Rambhadrcharya ji is mat ka khandan kiya hain
🙏🙏🙏
🌷🙏🌷
🌹🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹🌹
वांयवांय शांय शांय 😁
जगद्गुरु जगत् में हैं, अथच जगत् को मिथ्या बोलते रहे हैं । ब्रह्म को गुरु जी ने या हम उनके कोई शिष्य भी देखा नहीं, फीर भी 'ब्रह्म सत्यं' क्यों बोल रहे हैं पत्ता नहीं। हम गये थे, गुरु जी के पास, गुरु जी के पास बैठा था, कई बार प्रणाम भी किया, राजीव ने भी देखा किन्तु गुरुजी ने बात करने के लिए शायद नहीं चाहा तो हम अपने शिष्यों के साथ लौट आया । ॐ तत् सत् नमो नारायणाय गोवर्धनपीठाधीश्वराय जगद्गुरवे तत्रभवते श्रीनिश्चलानन्दसरस्वतीपादाय अत्रभवतः श्रीविद्यास्वामिमहामेधानन्दनाथसरस्वत्युपाह्वस्य । ॐ तत् सत् नमो नारायणाय।
Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv Shiv
Guru dev agnipuran mein advait ko prachan boudh kyu kaha hain
उत्तर में तो व्याख्यान दे दिया पर प्रश्न तो ये था कि अनुभव कैसे करे?
उस बालक द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर हि नहीँ दिया गया शंकराचार्य जी द्वारा
अद्वैत वादियों के पास इसका जवाब नहीं है की संसार की रचना का संकल्प कौन करता है ब्रह्म करता है अथवा माया करती है
चूकि ब्रह्म निर्गुण है और उसमे संकल्प विकल्प संभव ही नहीं अन्यथा वह ब्रह्म की परिभाषा में ही नहीं आएगा और माया की स्वतंत्र सत्ता नहीं क्यूंकि माया तो ब्रह्म की शक्ति है और संकल्प या इच्छा करने का कार्य शक्तिमान ही करता है नाकि शक्तिमान की शक्ति पृथक होकर कोई इच्छा या संकल्प करती है यदि माने की श्रष्टि रचना का संकल्प माया द्वारा किया जाता है तो माया की स्वतंत्र सत्ता माननी पड़ेगी फिर तो अद्वैत रहेगा ही नहीं तब तो माया और ब्रह्म दो तत्व हो जायेगे और यदि ये माना जाएं की ब्रह्म संकल्प करता है तो ब्रह्म निर्गुण नहीं रहेगा जबकि शुद्ध ब्रह्म निर्गुण एवं निराकार है और उपाधि भेद से ईश्वर कहलाता है परन्तु संसार की रचना का संकल्प ब्रह्म करता है या माया करती है इसका उत्तर नहीं
एक और बात विचारणीय है की जब माया ब्रह्म की शक्ति है तो कोई शक्ति अपने स्वामी पर हावी कैसे हो सकती है अर्थात ब्रह्म का एक अंश अनादि काल से अविद्या से ग्रसित है और 84 लाख योनियों में नाना प्रकार के असंख्य दुःखो को परतंत्र होकर भोग रहा है जैसे मदारी बन्दर को नचाता है तो ये प्रश्न उठता है की ब्रह्म इतना मजबूर है की अपनी ही शक्ति के द्वारा अनंत काल से घोर दुःख पीड़ा व नारकीय यातनाये पाशबद्ध होकर भोग रहा है अर्थात ब्रह्म अज्ञान से ग्रसित होकर जीव के रूप में अनंत दुःख कष्ट पीड़ा भोग रहा तो वह ब्रह्म हो ही नहीं सकता क्यूंकि जीव के रूप में वह महान कष्ट क्यों भोगेगा अपने सत्य स्वरुप को ब्रह्म क्यों भूल जायेगा यदि भूल गया तो ब्रह्म कैसे ?
अविद्या ने ब्रह्म को कैसे व्याप्त कर लिया जो वह जीव के रूप में अथाह भाव सागर में गोते लगा रहा है ब्रह्म तो सच्चिदानंद है फिर आनंद से दूर कैसे हो गया जीव के रूप में?
यदि यह कहाँ जाएं की ब्रह्म जान बूझकर अनेक योनियों में अनंत काल से जीव के रूप में या जीव की उपाधि में दुःख भोग रहा तो परम ज्ञान से युक्त व परम आनंद से युक्त ब्रम्ह भला अज्ञान व दुःख क्यों चाहेगा और चाहने की इच्छा भी उसमे क्यों उत्पन्न होगी ब्रह्म को अज्ञान व्याप्त ही नहीं कर सकता अतः इस प्रकार से भी वह ब्रह्म नहीं हो सकता
इसलिए अद्वैत वादियों का सिद्धांत कभी भी इस प्रश्न का ठीक उत्तर नहीं दें पाया की माया क्या है? माया को अनिर्वचनीय कह कर वह अपना पल्ला छुड़ाना चाहते है परन्तु यह भी मात्रा शब्दों का जाल है वास्तव में या तो किसी वस्तु का अस्तित्व होगा या अस्तित्व नहीं होगा
कोई भी वस्तु या शक्ति अनिर्वाचनीय नहीं हो सकती
इसलिए द्वैत सिद्धांत ही सत्य है पुरुष और प्रकृति दो हो तत्व है जिनसे श्रष्टि की रचना होती है सांख्य दर्शन का सिद्धांत ही वास्तव में तर्कयुक्त सत्य व मान्य है और अद्वैत सिद्धांत की व्याख्या किसी भी प्रकार नहीं हो सकती
महर्षि कपिल जो सांख्य दर्शन के प्रवर्तक है हम उनकी वंदना करते है
हम सांख्य को ही सत्य मानते है और सांख्य ही सबसे प्राचीन दर्शन है अद्वैत नहीं
Vaishnav
Pujniya shankracharya ji aur advait ko mayavad aur prachan boudh kahte haij
💜🦢💓🦢💜
I am not sanatani ( according to you and I believe it)
But I am Shaivite.
I have some question ❓
Maa durga belongs dasyu( that's oldest historical evidence shown)
But all Brahmins worshipping them
There's no historical evidence of adi Shankaracharya
Please solve my doubt
Kuch pucha jaa raha hai Bata kuch rahee ho yr kuch bhi
Ye ponga pandit se pucha sawal kya aur Jawab Kya de rahe. 🤣🤣🤣
Aap sabhi hindu sant jan bjp ke hath mat aana modi aur bhagwat hindu ke sarle per rakh kar muslimo ko desh sansadhan derahe h
Sare vaishnav panth samool nasht karne yogya hain jinhone aajivan siwae bhagwan Adi shankaracharya ko bura saabit karne ke alawa kuchh nahi kiya ...
जगत गुरु स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज को मेरा कोटि कोटि नमन 🙏🙏
Koti Koti Pranam
Koti koti naman.
जय गुरुदेव
JAI SHREE RAM
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