Kashinath Ji has never commercialized his devotion or teachings. He has devoted his life to spreading Dharma without expecting anything in return. His work is grounded in faith, selfless service, and a commitment to truth. What is being discussed is the shallow perspective of Pulin Panda.
भगवान कल्कि अपनी प्रिय तुलसी को अपने चरणों में क्यों रखेंगे भला? Hindi: जो फोटो आप देख रहे हैं, वह एडिटेड है, और उनके चरणों में न तो तुलसी और न ही भगवद्गीता रखी गई थी। यह फोटो लगभग 2016 की है। हमने भी वैकुंठ धाम आश्रम का दौरा किया है, और वहां ऐसी कोई परंपरा नहीं है जिसमें शास्त्रों को प्रभु के चरणों में रखा जाता हो, क्योंकि भगवद्गीता स्वयं प्रभु का स्वरूप है। हमें मीडिया द्वारा फैलाई जा रही झूठी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। यदि हमें प्रभु के सत्य के प्रकाश को समझना है, तो हमें अपने मन में भक्ति-भाव, प्रेम, समर्पण और श्रद्धा को विकसित करना चाहिए। प्रभु को पहचानने के लिए हमें अपनी तुच्छ बुद्धि को त्यागकर, पूर्ण भक्ति और श्रद्धा के साथ उनकी ओर बढ़ना होगा। प्रभु तब ही अपनी कृपा करते हैं और हमें माया के पर्दे से मुक्त करते हैं, जब हम उनके प्रति सच्चे समर्पण से जुड़ते हैं। जय जगन्नाथ। English: The photo you are seeing is edited, and neither Tulsi nor the Bhagavad Gita was placed at the Lord’s feet. This photo dates back to around 2016. We have also visited Vaikuntha Dham Ashram, and there is no tradition of placing scriptures at the Lord’s feet, as the Bhagavad Gita itself is considered the embodiment of the Lord. We should not believe in the false narratives spread by the media. If we truly wish to understand the light of truth from the Lord, we must cultivate devotion, love, surrender, and faith in our hearts. To recognize the Lord, we must set aside our limited intellect and approach Him with pure devotion and reverence. Only then does the Lord bestow His grace and free us from the veil of illusion. Jai Jagannath. Odia: ଯେଉଁ ଫଟୋ ଆପଣ ଦେଖୁଛନ୍ତି, ସେଟି ସମ୍ପାଦିତ ଅଟେ, ଏବଂ ପ୍ରଭୁଙ୍କ ଚରଣରେ ନ ବା ତୁଳସୀ, ନ ବା ଭଗବଦ୍ଗୀତା ରଖାଯାଇଥିଲା। ଏହି ଫଟୋ 2016 ସାଲର ସମୟର ଅଟେ। ଆମେ ମଧ୍ୟ ବୈକୁଣ୍ଠ ଧାମ ଆଶ୍ରମକୁ ଯାଇଥିଲୁ, ଓ ସେଠାରେ ଏପରି କୌଣସି ପରମ୍ପରା ନାହିଁ ଯେ ଶାସ୍ତ୍ରଗୁଡ଼ିକୁ ପ୍ରଭୁଙ୍କ ଚରଣରେ ରଖାଯାଏ, କାରଣ ଭଗବଦ୍ଗୀତା ସ୍ଵୟଂ ପ୍ରଭୁଙ୍କ ରୂପ। ମାଧ୍ୟମରେ ଫାଲସ୍ ନାରାଟିଭରେ ବିଶ୍ୱାସ କରିବା ଉଚିତ ନୁହେଁ। ଯଦି ଆମେ ପ୍ରଭୁଙ୍କର ସତ୍ୟର ଆଲୋକକୁ ଜାଣିବାକୁ ଚାହୁଁଛୁ, ତେବେ ଆମ ହୃଦୟରେ ଭକ୍ତି, ପ୍ରେମ, ସମର୍ପଣ ଏବଂ ଶ୍ରଦ୍ଧାକୁ ବିକଶିତ କରିବାକୁ ପଡ଼ିବ। ପ୍ରଭୁଙ୍କୁ ପରିଚୟ କରିବାକୁ, ଆମର ସୀମିତ ବୁଦ୍ଧିକୁ ପରେ ରଖି ଭକ୍ତି ଏବଂ ଶ୍ରଦ୍ଧା ସହିତ ପ୍ରଭୁଙ୍କୁ ଆଗକୁ ଯାଇବା ଜରୁରି। ପ୍ରଭୁ ତାହାର କୃପା କଲେ ଏବଂ ମାୟାର
*मातृवत पर दारेशु पर द्रव्येशु लोष्टवत* *मिथ्याचारियों की पहचान धर्म की बड़ी बड़ी बातें करना और अपने आसक्ति में कामना के वशीभूत किसी की संपत्ति को प्राप्त करने के लिए किसी अल्लाह ईश्वर गॉड भगवान देवी देवताओं के नाम पर षडयंत्र रचना होता है* *ब्रह्माण्डगुरु बीरेंद्र सिंह*
Aap Pehle pura research kigiye, content na mila to atleast jhootha lanchanon mat daliye honest logon pe. Ap kuch research kare bina, ek mic leke kahaniya mat boliye.
जगद्गुरु शंकराचार्य की जय।
धर्मराज निग्रहाचार्य की जय।
धर्मसम्राट करपात्रीजी की जय।
धर्ममूल वैदिक गोवंश की जय।
Jai shree Ram
Jai Jagannath
जय जगन्नाथ भगवान
Kashinath Ji has never commercialized his devotion or teachings. He has devoted his life to spreading Dharma without expecting anything in return. His work is grounded in faith, selfless service, and a commitment to truth. What is being discussed is the shallow perspective of Pulin Panda.
प्ल्ज़ आप बड़े उम्र के व्यक्ति को बोलने दिय्या करें। Have Revrence.. आचार्य पुलिन जी को कोटि कोटि बन्दन करते हैं। .🎉🎉जॉय जगन्नाथ।💐
Bhut acha karya ker rahe h ap
🤣🤣🤣👉🎤 श्री नारायण को _"गुप्त रूप"_बताया है ??_( नारायण कवच )_मै वर्णन है __
वासुदेव पाऊंरख कि कमी नहीं
45:00 year 2025 मे क्या होने वाला है
सितम्बर 2023 मे भी पण्ड्या जी बोले थे कि हिन्दी पुस्तक दिसम्बर 2023 तक आ जायेगी😅
एक साल हो गया
हम mp से लेकिन कंफ़र्म कह सकते हैं, की उनको केवल दोहन किया गया हैं।।असलियत सामने आएंगी या नहीं पता नहीं।।।
Bjp.rss.htao.hindu.bchao
मुरख
To tu kon hai 😥🚓🚓@@ilyasMugal-fp4iw
Astrologer sab v eahi kah rehe he
माथे पर बड़ा सा C लेकर घूमने वालों ने बाजार दिया है तो धंधा होना ही है
कया अर्थ बताएं.
देखिए अपनी इच्छा से कल्कि भगवान घोषित करना यह स्वयं का भी पतन,और समाज का भी पतन कर रहे।यह पाखंडी।
Accha hai ...aap unke baare mai sachai btao
भगवान कल्कि अपनी प्रिय तुलसी को अपने चरणों में क्यों रखेंगे भला?
Hindi:
जो फोटो आप देख रहे हैं, वह एडिटेड है, और उनके चरणों में न तो तुलसी और न ही भगवद्गीता रखी गई थी। यह फोटो लगभग 2016 की है। हमने भी वैकुंठ धाम आश्रम का दौरा किया है, और वहां ऐसी कोई परंपरा नहीं है जिसमें शास्त्रों को प्रभु के चरणों में रखा जाता हो, क्योंकि भगवद्गीता स्वयं प्रभु का स्वरूप है।
हमें मीडिया द्वारा फैलाई जा रही झूठी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। यदि हमें प्रभु के सत्य के प्रकाश को समझना है, तो हमें अपने मन में भक्ति-भाव, प्रेम, समर्पण और श्रद्धा को विकसित करना चाहिए।
प्रभु को पहचानने के लिए हमें अपनी तुच्छ बुद्धि को त्यागकर, पूर्ण भक्ति और श्रद्धा के साथ उनकी ओर बढ़ना होगा। प्रभु तब ही अपनी कृपा करते हैं और हमें माया के पर्दे से मुक्त करते हैं, जब हम उनके प्रति सच्चे समर्पण से जुड़ते हैं।
जय जगन्नाथ।
English:
The photo you are seeing is edited, and neither Tulsi nor the Bhagavad Gita was placed at the Lord’s feet. This photo dates back to around 2016. We have also visited Vaikuntha Dham Ashram, and there is no tradition of placing scriptures at the Lord’s feet, as the Bhagavad Gita itself is considered the embodiment of the Lord.
We should not believe in the false narratives spread by the media. If we truly wish to understand the light of truth from the Lord, we must cultivate devotion, love, surrender, and faith in our hearts.
To recognize the Lord, we must set aside our limited intellect and approach Him with pure devotion and reverence. Only then does the Lord bestow His grace and free us from the veil of illusion.
Jai Jagannath.
Odia:
ଯେଉଁ ଫଟୋ ଆପଣ ଦେଖୁଛନ୍ତି, ସେଟି ସମ୍ପାଦିତ ଅଟେ, ଏବଂ ପ୍ରଭୁଙ୍କ ଚରଣରେ ନ ବା ତୁଳସୀ, ନ ବା ଭଗବଦ୍ଗୀତା ରଖାଯାଇଥିଲା। ଏହି ଫଟୋ 2016 ସାଲର ସମୟର ଅଟେ। ଆମେ ମଧ୍ୟ ବୈକୁଣ୍ଠ ଧାମ ଆଶ୍ରମକୁ ଯାଇଥିଲୁ, ଓ ସେଠାରେ ଏପରି କୌଣସି ପରମ୍ପରା ନାହିଁ ଯେ ଶାସ୍ତ୍ରଗୁଡ଼ିକୁ ପ୍ରଭୁଙ୍କ ଚରଣରେ ରଖାଯାଏ, କାରଣ ଭଗବଦ୍ଗୀତା ସ୍ଵୟଂ ପ୍ରଭୁଙ୍କ ରୂପ।
ମାଧ୍ୟମରେ ଫାଲସ୍ ନାରାଟିଭରେ ବିଶ୍ୱାସ କରିବା ଉଚିତ ନୁହେଁ। ଯଦି ଆମେ ପ୍ରଭୁଙ୍କର ସତ୍ୟର ଆଲୋକକୁ ଜାଣିବାକୁ ଚାହୁଁଛୁ, ତେବେ ଆମ ହୃଦୟରେ ଭକ୍ତି, ପ୍ରେମ, ସମର୍ପଣ ଏବଂ ଶ୍ରଦ୍ଧାକୁ ବିକଶିତ କରିବାକୁ ପଡ଼ିବ।
ପ୍ରଭୁଙ୍କୁ ପରିଚୟ କରିବାକୁ, ଆମର ସୀମିତ ବୁଦ୍ଧିକୁ ପରେ ରଖି ଭକ୍ତି ଏବଂ ଶ୍ରଦ୍ଧା ସହିତ ପ୍ରଭୁଙ୍କୁ ଆଗକୁ ଯାଇବା ଜରୁରି। ପ୍ରଭୁ ତାହାର କୃପା କଲେ ଏବଂ ମାୟାର
Kaun sahi kaun galat kuch samjh nahi aa raha
पंडित कशीनाथ मिश्रा जी को पैचन ने के लिए आप को बहुत time लगेगा।
*मातृवत पर दारेशु पर द्रव्येशु लोष्टवत*
*मिथ्याचारियों की पहचान धर्म की बड़ी बड़ी बातें करना और अपने आसक्ति में कामना के वशीभूत किसी की संपत्ति को प्राप्त करने के लिए किसी अल्लाह ईश्वर गॉड भगवान देवी देवताओं के नाम पर षडयंत्र रचना होता है*
*ब्रह्माण्डगुरु बीरेंद्र सिंह*
Aap Pehle pura research kigiye, content na mila to atleast jhootha lanchanon mat daliye honest logon pe. Ap kuch research kare bina, ek mic leke kahaniya mat boliye.
पूज्यनीय गुरुदेव पर ऐसा आरोप लगाने वाले को कल्कि भगवान जरूर दंड देंगे ,,,जय गुरु देव,,,
कलकि ये किनहें कहते हो
पंडित काशी नाथ मिश्र जी बिल्कुल सही है, आगे आप सभी लोग पंडित काशी नाथ मिश्र जी से माफी मांगनी पड़ेगी
Pandit kshinath Mishr ji saty ke sath hai. Aur jo bhi vo btate hai sab saty hai
🚓🚓
Jai Jagannath