जाकी रही भावना जैसी। प्रभु मूरति देखी तिन तैसी। आत्मा गई तो मुर्दा पड़ा है भाव ना जैसे पहले था। यह शरीर प्रभु आत्मा के द्वारा रचित मूर्ति है जिसे जीव प्राणी कहते हैं । प्राण से प्राणी है।
कबीर पंथ का आशय ब्राह्मण धर्म, बैदिक धर्म की आध्यात्मिक संस्कृति है जो कि हिन्दू ही है इसलिए बाबासाहब डा अम्बेडकर जी ने नही सवीकारा और एस सी एसटी ,ओबीसी को कबीर पंथ अपनाने नही कहा
जय गुरु जय बंदी छोड़ जय साहेब सतनाम साहिब बंदगी🤝
साहिब बंदगी अति सुंदरप्रवचन
आपका ज्ञान बहुत अच्छा लगा साहिब बंदगीसाहिब 🙏🙏🙏
धन्यवाद
Saheb.bndgi❤❤❤
सत्य साहेब 🙏🙏🙏 साहेब बंदगी साहेब
आश्रम की स्थापना कौन संत ने की पूछना चाहिए था।साहेब बंदगी
सत्संग की आधी घडी तप के बरस हजार तो भी बराबर हैं नही कहे कबीर विचार 🙏🙏
સાહેબ બંદગી
जाकी रही भावना जैसी।
प्रभु मूरति देखी तिन तैसी।
आत्मा गई तो मुर्दा पड़ा है भाव ना जैसे पहले था।
यह शरीर प्रभु आत्मा के द्वारा रचित मूर्ति है जिसे जीव प्राणी कहते हैं ।
प्राण से प्राणी है।
Sahab bandgi❤ 7:23 shahb bandhi ❤sahab bandgi❤
तेरा साईं तुझमे जाग सके तो जाग।
कवीर वाणी।
Shaheb bandgi ham Bihar se hai
More information sant Rampal RUclips channel.
Saheb bandagi video accha banya bhaiya but konsa State me ashram full adress 🙏
District barabanki uttar pradesh
कबीर पंथ का आशय ब्राह्मण धर्म, बैदिक धर्म की आध्यात्मिक संस्कृति है जो कि हिन्दू ही है
इसलिए बाबासाहब डा अम्बेडकर जी ने नही सवीकारा और एस सी एसटी ,ओबीसी को कबीर पंथ अपनाने नही कहा
Sahib Bandagi
नकली आश्रम में सिर्फ मौज मस्ती के अलावा कुछ नहीं।
जाकी रही भावना जैसी
@ghasiramsahu3825 प्रभु मूरति देखी तिन तैसी।
सब आत्मा प्राण के द्वारा रचित मूर्ति हैं ।
रचना कार तो पाँवर प्राण आत्मा है।