BAGODAR के संग्राम का विजेता कौन ?

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  • Опубликовано: 19 окт 2024
  • कल ही दो कम्युनिस्ट नामधारी पार्टियां एमसीसी तथा सीपीआई माले का विलय हो गया,इसी को ध्यान रखते हुए कि झारखंड की राजनीति में कम्युनिस्टों का क्या स्थान बचा है इसी क्रम में आज बात करेंगे बगोदर विधानसभा सीट की जो की आज भी लाल झंडा का बचा हुआ मजबूत किला है। बगोदर गिरिडीह जिला के अंतर्गत आने वाले 6 विधानसभा सीटो में से एक है। बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित होने की संभावना वाले बाबूलाल मरांडी का गृह जिला है। झारखंड बनने के पहले से और उसके बाद भी बगोदर कम्युनिस्टों का गढ़ रहा है अगर 2014 की बात को छोड़ दें जब पूरे देश में मोदी लहर चल रही थी जिसमे माले के विनोद सिंह को बीजेपी के नागेंद्र महतो ने करारी मात दी थी, 2014 के अलावा यहां पर कम्युनिस्टों ने एकतरफा जीत हासिल की है। पिछले चुनावी इतिहास को देखें तो झारखंड निर्माण के बाद हुए 2005 के चुनाव में बिनोद सिंह ने जेएमएम की तरफ से मैदान में आए नागेंद्र महतो को 24480 वोटो से हराया था 2009 में बिनोद सिंह ने झारखंड विकास मोर्चा की तरफ से प्रत्यासी बने नागेंद्र महतो को 6718 वोटो से मात दी,2014 में बीजेपी के ओर से चुनाव लड़ते हुए मोदी लहर का फायदा उठाते हुए नागेंद्र महतो ने बिनोद सिंह को 4337 वोटो से हराने में कामयाबी पाई, मगर 2019 में बिनोद सिंह ने पुनः नागेंद्र महतो को 14545 वोटो से हराकर दुबारा इस सीट पर कब्जा जमाया। 2014 में एक तो झारखंड साथ साथ पूरे देश में मोदी लहर चल रही थी साथ ही वर्तमान इंडिया गठबंधन की सभी पार्टियों कांग्रेस जेएमएम, आरजेडी और लेफ्ट पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ रहे थे साथ ही बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेबीएम ने यहां से एक मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा कर दिया था जिससे यहां के वोटो में बिखराव हुआ और सीपीआई माले को हार का मुंह देखना पड़ा था।प्रत्यासी की बात करे तो यहां से सीपीआई माले के विनोद कुमार सिंह महागठबंधन के उम्मीदवार होंगे यह बात बिल्कुल तय है,बिनोद सिंह एक साफ सुथरी छवि वाले विधायक हैं उन्हें झारखंड विधानसभा के उत्कृष्ट विधायक सम्मान से नवाजा जा चुका है सरल, सौम्य स्वभाव वाले मृदु भाषी विनोद सिंह बिल्कुल सीधा-साधा जीवन जीते हैं आज कल के विधायकों के ठाठ बाट को देखते हुए, उन्हें देखकर अनुमान लगाना मुश्किल होता है कि वह विधायक भी हैं उनकी यह सादगी जनता को मोह लेती है। चुकी इस बार का चुनावी मुकाबला दो गठबंधनों के बीच होगा एनडीए और इंडिया गठबंधन, इंडिया गठबंधन के अंतर्गत यह सीट सीपीआई माले को मिलेगी और यह निश्चित है, की वर्तमान माले विधायक यहां से प्रत्यासी होंगे।
    दूसरे प्रत्यासी के तौर पर एनडीए की तरफ से नागेंद्र महतो उम्मीदवार होंगे,नागेंद्र महतो 2014 में यह से विधायक रह चुके है, और लगातार कई चुनाव में बिनोद सिंह को टक्कर देते आए है, हालाकि उन्होंने कई बार अपनी पार्टी बदल बदल कर यहां से चुनाव लड़ा था मगर कामयाबी उन्हे सिर्फ एक बार बीजेपी प्रत्यासी के रूप में 2014 में मिली थी। नागेंद्र महतो काफी समय से राजनीति में है। राजनीति का उन्हे लंबा अनुभव है, अपने क्षेत्र में काफी लोकप्रिय नेता है, अपने विधायकी के काल में बगोदर के लिए काफी कुछ करने का प्रयास भी किया, जनता के बीच इनकी भी छवि ठीक ठाक है। तीसरी शक्ति की बात की जाए तो झारखंड की नई नवेली पार्टी जयराम के जेएलकेएम के भी यहां से प्रत्यासी उतारे जाने की संभावना है, मगर उनके प्रत्यासी कौन होंगे इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है,खैर कोई भी प्रत्यासी हो मुख्य मुकाबले में नही होंगे, खासकर बगोदर में तो बिलकुल ही नहीं। अब आते है हार जीत की बात पर तो झारखंड के अन्य विधानसभा क्षेत्रों की तरह यहां जाति समीकरण उतना महत्वपूर्ण फैक्टर नहीं होता, यहां जाति के बजाए विचारधारा के आधार पर मतदान करने की परंपरा रही है,और कम्युनिस्टों ने अपनी विचारधारा के प्रति लोगो को आकर्षित करने में कामयाबी पाई है,और बिनोद सिंह की साफ सुथरी छवि तो उनके पास है ही। बगोदर का समीकरण कम्युनिस्टों के बिलकुल अनुकूल है, कम्युनिस्ट विचारधारा को मानने वालो की संख्या यहां बहुत अधिक है, कमाल की बात यह है कि ये सभी जाति वर्ग में है, वे चाहे पिछड़ी जाति हो अति पिछड़ी जाति हो अनुसूचित जाति हो अनुसूचित जनजाति हो मुस्लिम हो या श्रवण वर्ग हो, सभी मतदाताओं में इसका कैडर वोट बड़ी संख्या में है। बगोदर में जाति की बनावट के आधार पर मतों का विभाजन नही होता,अतः जाति आधारित मतदान का अनुमान लगाना असंभव है, यहां तक कि महतो जाति में अत्यंत लोकप्रिय नेता जयराम महतो का भी समर्थन यहां के महतो जाति अन्य विधानसभा क्षेत्रों की तरह नहीं करते, ऐसे में खास विचारधारा रखने वाली दो पार्टियां सीपीआई माले और बीजेपी ही मुख्य मुकाबले में है और यहां की लड़ाई इन्ही दोनो बिचारधाराओ के बीच होगी। अगर महागठबंधन की सभी पार्टियां जेएमएम कांग्रेस आरजेडी और लेफ्ट पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ती है तो बगोदर से महागठबंधन के प्रत्याशी को हराना नामुमकिन है इसे ना तो बीजेपी हरा सकती है न हीं जयराम की पार्टी जेएलकेएम के पास वो ताकत है कि महागठबंधन को मात दे पाएगी। बगोदर की राजनीतिक अवस्था,कम्युनिस्ट विचारधारा का प्रभाव, जनता के रुझान, वोटिंग पैटर्न आदि को देखते हुए हमारे राजनैतिक विश्लेषकों ने सीपीआई को पहला तथा बीजेपी को दूसरा तथा मुख्य मुकाबले से दूर ही सही जेएलकेएम को तीसरा स्थान दिया है। असली परिणाम तो वोटो की गिनती होने के बाद पता चलेगा, आपका क्या मानना है कि बगोदर से इस बार किसकी जीत हो सकती है, कौन बनेगा यहां का विधायक कमेंट में हमे जरूर बताए !
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