आपकी प्रस्तुति तो अतिसुन्दर है, परन्तु भगवान बुद्ध ने तो आत्मा को नकारा था, तो फिर उपगुप्त ने वासवदत्ता को आत्मा के रहस्य को किस प्रकार समझाया। शायद अतिरंजना हो गई।
सही कहा आपने। बौद्ध दर्शन में आत्मा शब्द को नकारा गया है, हालांकि इसी कॉन्सेप्ट को निर्वाण के माध्यम से व्यक्त भी किया गया है। परंतु फिर भी यह एक फॉल्ट है। आभार आपका ध्यान दिलाने के लिए 🙏
@@kahaniyonkichaupal धन्यवाद। आप 'कहानियों की चौपाल' जारी रखिए। मजा आता है, इसलिए मैं सब्सक्राइबर भी हूं। निन्दक नियरे राखिए..... वाद विवाद होता रहे, ज्ञान वर्धन के लिए यह आवश्यक भी है। पर, आपका कार्य सराहनीय है। महाकवि भास की रचना 'स्वप्न वासवदत्ता' पर आधारित कहानी अब सुनेंगे।
बहुत अच्छी प्रस्तुति दी गई है इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद वास दत्त ने बुद्ध का मार्ग अपना कर संसार में एक मिसाल प्रस्तुत की इससे संसार का भला होगा आपको फिर से बहुत बहुत धन्यवाद है इसी तरह की और भी प्रस्तुति प्रस्तुत किया करें यही मंगल कामनाएं है
आप " समागम " शब्द को गलत प्रयोग कर रहे है.. सामाजिक प्रचलन में, सभी इस शब्द को अलग अर्थ में समझते है.. हटाइए इस शब्द को...!!! कहानी भी पाटलिपुत्र की है, 300 BC में मथुरा इतना उन्नत भी नहीं था, और वहां नर्तकी, गाना बजाना भी लोग नहीं जानते थे.. कृष्णमय था, भक्तिमय था मथुरा..! और, लोगों ने वासवदत्ता को नहीं मारा था.. भोग विलास में अत्यधिक लिप्त होने के कारण उसे रोग हुआ था, असाध्य रोग, इस कारण उसे पाटलिपुत्र से बाहर जाना पड़ा था.. दासी भी रोग से डर कर छोड़ गई थी.. तब आए थे उपगुप्त, सेवा करने..✔️
संत समागम में गलत क्या है? मथुरा की कहानी है यह तो श्री रविन्द्र नाथ टैगोर जी लिखते हैं और उन्होंने कवि क्षेमेंद्र से यह कहानी ली थी तो प्राचीन कवि क्षेमेंद्र भी इसे मथुरा की कथा ही मानते थे। वासवदत्ता को रोग कैसे हुआ इसकी कई कथाएं हैं जिनका सटीक साक्ष्य कोई नहीं दे सकता परंतु तमिल कथाओं में जो कथा बताई गई उसी के आधार पर मैंने कथा विस्तार बताया है।
आपकी कहानी में बहुत झोल है बुद्ध बुद्ध ने अपने शिष्यों को कभी नहीं बताया की आत्मा होती है आत्मा नाम की कोई चीज होती है तो फिर उसका शिष्य कैसे आत्मा के संबंध में शिक्षा दे सकता है
वैश्य की पत्नी या बेटी को वैश्या कहा जाता था 😂 वो कोई धंदेवाली नहीं होती. वैश्यो ने बुध्द धम्म का प्रसार किया इसलिये उनकी बदनामी करने के लिये धंदेवाली को वैश्या कहा गया है . ये बाभन की माया हैं 😂
बहुत ही सुंदर और शानदार कहानी है
बहुत बढिया.
अति सुन्दर
Miracle historical storey, sir ko salute hai
आपकी प्रस्तुति तो अतिसुन्दर है, परन्तु भगवान बुद्ध ने तो आत्मा को नकारा था, तो फिर उपगुप्त ने वासवदत्ता को आत्मा के रहस्य को किस प्रकार समझाया। शायद अतिरंजना हो गई।
सही कहा आपने। बौद्ध दर्शन में आत्मा शब्द को नकारा गया है, हालांकि इसी कॉन्सेप्ट को निर्वाण के माध्यम से व्यक्त भी किया गया है। परंतु फिर भी यह एक फॉल्ट है। आभार आपका ध्यान दिलाने के लिए 🙏
@@kahaniyonkichaupal धन्यवाद। आप 'कहानियों की चौपाल' जारी रखिए। मजा आता है, इसलिए मैं सब्सक्राइबर भी हूं। निन्दक नियरे राखिए.....
वाद विवाद होता रहे, ज्ञान वर्धन के लिए यह आवश्यक भी है। पर, आपका कार्य सराहनीय है।
महाकवि भास की रचना 'स्वप्न वासवदत्ता' पर आधारित कहानी अब सुनेंगे।
@@kahaniyonkichaupal फाल्ट कुछ भी नहीं बौद्ध दर्म मे कई शाखाये हैं जिन्होंने तंत्र मंत्र आत्मा का अष्तित्व मानते हैं
p@@kahaniyonkichaupal
मन चंगा तो कठौती में गंगा।।
बहुत मार्मिक दिल को छू देनेवाली ❤
शिक्षाप्रद कहानी , अत्यंत ही रोचक ।
जय श्री कृष्ण ।🌹🙏
बहुत अच्छी प्रस्तुति दी गई है इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद वास दत्त ने बुद्ध का मार्ग अपना कर संसार में एक मिसाल प्रस्तुत की इससे संसार का भला होगा आपको फिर से बहुत बहुत धन्यवाद है इसी तरह की और भी प्रस्तुति प्रस्तुत किया करें यही मंगल कामनाएं है
Bahut hi sundar gyanprad kahani hai congratulations
बी ए प्रथम वर्ष के संस्कृत विषय में ये कहानी शामिल की गई है
मैंने पढ़ी है ये कहानी
वासवदत्ता विदेशी हिन्दू थी, बाद में उपगुप्त के आकर्षण में मूलनिवासी बन गयी| नमो बुद्धाय, जय जोहार, जय भीम, जय मीम
अति सुन्दर प्रस्तुति
अतीव रोचक एवं सुंदर कहानी और प्रस्तुति❤👌
आभार 💝🙏
Bahut hi shandar ktha 🎉🙏🚩
Baivab ka unmad ka apna mana aanand ki sudda pahichaan ki kahani
आदरणीय जी नमस्कार अपने मथुरा की व्हाट्सएप दत्त की कहानी बहुत ही रोचक ढंग से प्रस्तुत की है आपकी हिंदी की शुद्धता आवाज भी बहुत अच्छी लगी धन्यवाद😊
आभार आपका 🙏
Love you Bro.... समागमन शब्द का खेल क्या खूब खेला.....💐❤️👌🙏
Bahut sundar prastuti🙏🌹🙏
Aisi hi kahani raja janak ki aap hi ki channel se suni hain in dono kahaniyo ki sikh ek hi hain
हर हर महादेव🌹🙏 जय सियाराम 🌹🌹🙏🙏
बुद्ध ही सत्य है, बुद्ध ही सुंदर है जागो उठकर देखो यारो आंखे खोलो मन के द्वार खोलो अपने दीपक जलाओ ।
@@milindmakwana7704हर हर महादेव 🌺🌺🙏🙏
फारच छान माहिती आहे
Feel good
Heart touching story . Vastav me boudh bhikhyu mahan the.
Thanks
Brilliant story, Bandhu and equally brilliant is your telling the story, Bandhu 🙏
Thanks 🙏💝
Very nice story of our Prachin Bharat
Thanks 🙏
Good one ❤
अति उत्तम और प्रेरणादायक कथा है।
❤❤❤❤nice
Good
बहुत कुछ ❤
Mast 🎉
❤❤🙏🏻🙏🏻🪔
❤❤❤❤❤❤
साधू साधू साधू 🙏
ଧନ୍ୟବାଦ 💐🙏
Nepal 🇳🇵🇳🇵🇳🇵🇳🇵🇳🇵🇳🇵🇳🇵🇳🇵🙏🙏
स्वागत है 💝
sir nagar vadhu ka simple meaning bataiye.............
or is nagarvadhu ke nratya me ladies bhi aati thi kyuki
Bahu naya kahan h
आप " समागम " शब्द को गलत प्रयोग कर रहे है..
सामाजिक प्रचलन में, सभी इस शब्द को अलग अर्थ में समझते है..
हटाइए इस शब्द को...!!!
कहानी भी
पाटलिपुत्र की है,
300 BC में मथुरा इतना उन्नत भी नहीं था, और वहां नर्तकी, गाना बजाना भी लोग नहीं जानते थे..
कृष्णमय था, भक्तिमय था मथुरा..!
और,
लोगों ने वासवदत्ता को नहीं मारा था..
भोग विलास में अत्यधिक लिप्त होने के कारण उसे रोग हुआ था,
असाध्य रोग,
इस कारण उसे पाटलिपुत्र से बाहर जाना पड़ा था..
दासी भी रोग से डर कर छोड़ गई थी..
तब
आए थे उपगुप्त, सेवा करने..✔️
संत समागम में गलत क्या है? मथुरा की कहानी है यह तो श्री रविन्द्र नाथ टैगोर जी लिखते हैं और उन्होंने कवि क्षेमेंद्र से यह कहानी ली थी तो प्राचीन कवि क्षेमेंद्र भी इसे मथुरा की कथा ही मानते थे। वासवदत्ता को रोग कैसे हुआ इसकी कई कथाएं हैं जिनका सटीक साक्ष्य कोई नहीं दे सकता परंतु तमिल कथाओं में जो कथा बताई गई उसी के आधार पर मैंने कथा विस्तार बताया है।
उदयन की प्रेमिका का नाम भी vasavdatta था
हां, बट दोनों की कहानी अलग है।
😅
Ae suno ab toh bhumi bilkul pehli jaisi ho gayi hai ab tum usse saza dene kab aa rahe ho batao naa
अानात्मवादि वुद्धकि भिक्षु उपगुप्त कैसे अात्माकि बात कर सकते है ? अापकि दिमाग भि ब्राम्हणवाद भरे हुएँ है ।
कथा पर फोकस कीजिए प्रभु!
THERE IS NO CONCEPT OF ATMA IN BUDHISM SIR !!!! PL CORRECT YOURSELF!!!! NAMOBUDHAY!!!!
You are right sir!
आपकी कहानी में बहुत झोल है बुद्ध बुद्ध ने अपने शिष्यों को कभी नहीं बताया की आत्मा होती है आत्मा नाम की कोई चीज होती है तो फिर उसका शिष्य कैसे आत्मा के संबंध में शिक्षा दे सकता है
वैश्य की पत्नी या बेटी को वैश्या कहा जाता था 😂 वो कोई धंदेवाली नहीं होती. वैश्यो ने बुध्द धम्म का प्रसार किया इसलिये उनकी बदनामी करने के लिये धंदेवाली को वैश्या कहा गया है . ये बाभन की माया हैं 😂