परम्परा का मूल्यांकन कक्षा 10th (गोधूली भाग 2) निबंध पाठ 7 gaddhkhand new target objective questions
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- Опубликовано: 29 сен 2024
- परम्परा का मूल्यांकन कक्षा 10th (गोधूली भाग 2) निबंध पाठ 7 new target objective questions
Bihar board class 10th Hindi गोधूली भाग 2
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परम्परा का मूल्यांकन
रामविलास शर्मा
लेखक-परिचय
जन्म-परिचय: हिन्दी आलोचना के महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर डॉ. रामविलास शर्मा का जन्म 10 अक्टूबर 1912 ई. में उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के एक छोटे-से गाँव ऊँचगाँव सानी में हुआ था।
शिक्षा : रामविलास जी ने 1932 ई. में लखनऊ विश्वविद्यालय से बी. ए. और 1934 ई. में अंग्रेजी साहित्य में एम. ए. किया। एम. ए. करने के बाद 1938 ई. तक शोधकार्य करते रहे। इन्होंने 1938 से 1943 ई. तक लखनऊ विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में अध्यापन कार्य किया। इसके बाद रामविलास जी 1971 ई. तक आगरा के बलवंत राजपूत कॉलेज में अध्यापन कार्य करते रहे। बाद में शर्माजी आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति के अनुरोध पर के. एम. हिंदी संस्थान के निदेशक बने और यहीं से 1974 ई. में सेवानिवृत्त हुए। 1949 से 1953 ई. तक रामविलास जी भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ के महामंत्री पद पर भी रहे।
मृत्यु : रामविलास शर्मा का 30 मई 2000 ई. को दिल्ली में निधन हो गया।
साहित्यिक रचनाएँ : रामविलास शर्मा जी की अन्य प्रमुख रचनाएं 'आचार्य रामचंद्र शुक्ल और हिंदी आलोचना', 'भारतेन्दु हरिश्चंद्र', 'प्रेमचंद और उनका युग', 'भाषा और समाज', 'महावीर प्रसाद द्विवेदी और हिंदी नवजागरण', 'भारत की भाषा समस्या', 'नयी कविता और अस्तित्ववाद', 'भारत में अंग्रेजी राज और मार्क्सवाद', 'भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिंदी', 'विराम चिह्न', 'बड़े भाई' आदि हैं।
सम्मान : रामविलास शर्मा जी को 'निराला की साहित्य साधना' पुस्तक पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल
चुका है।
पाठ-परिचय : प्रस्तुत निबन्ध 'परंपरा का मूल्यांकन' रामविलास शर्मा द्वारा लिखित है। और यह 'परंपरा का मूल्यांकन' नामक पुस्तक से संकलित है। प्रस्तुत निबंध समाज, साहित्य और परंपरा के पारस्परिक संबंधों की सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक मीमांसा को एकसाथ समेटते हुए रूपाकार को ग्रहण करता है। इस निबंध में लेखक परंपरा के ज्ञान, समझ और मूल्यांकन के विवेक (बोध) को उजागर करने के साथ साहित्य की सामाजिक विकास में क्रांतिकारी भूमिका को भी स्पष्ट रूप से दर्शाता है। लेखक इस निबंध से नई पीढ़ी में परंपरा और आधुनिकता की युगानुकूल नई समझ विकसित करने में एक सार्थक हस्तक्षेप करता है।
Nice sir❤❤✍️✍️✍️
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