अखवार पढता हूँ तो अवाक रह जाता हूँअंदर बाहर के पेजों में उलझा रह जाता हूँ
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- Опубликовано: 8 фев 2025
- अखवार पढता हूँ तो अवाक रह जाता हूँ
अंदर बाहर के पेजों में उलझा रह जाता हूँ
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पढ़ें कविता के बोल-
अखवार पढता हूँ तो अवाक रह जाता हूँ
अंदर बाहर के पेजों में उलझा रह जाता हूँ
आतिशे अहम बहके ढोर कहर ढा रहे हैं
आठ साल के बच्चे को शिकार बना रहे हैं
अस्सी साल के बाबा को ठिकाने लगा रहे हैं
अखवार पढता हूँ तो अवाक रह जाता हूँ
अंदर बाहर के पेजों में उलझा रह जाता हूँ
अद्भुत है कि सरेआम सड़क पर रंगत दिखा रहे हैं
अपने बाप संग टैम्पो में बैठी बेटी को खींच अपहरण की कोशिश दिखा रहे हैं
पढाई भाड़ में जाए नसैड़ी तमंचे लहलहा रहे हैं
तनिक सी बात पर भड़के दरिंदे दर्दे मौत सुला रहे हैं
अखवार पढता हूँ तो अवाक रह जाता हूँ
अंदर बाहर के पेजों में उलझा रह जाता हूँ
कब तक भूले भटकोगे और कब इनको पटकोगे
कब तक ताकते देखोगे और कब इनको झटकोगे
अखवार पढता हूँ तो अवाक रह जाता हूँ
अंदर बाहर के पेजों में उलझा रह जाता हूँ
हूटर जब शूटर बन जाएं बहसी खूंखार शिकारी हैं
हद है जब हरामी रहीस बन जाएं बहके बेखौफ भिखारी हैं
अखवार पढता हूँ तो अवाक रह जाता हूँ
अंदर बाहर के पेजों में उलझा रह जाता हूँ
पड़ौस में आग जलती है तो तपिश आती है
निकलकर दो शब्द कहते हैं तो आग बुझादी जाती है
बसाकर बांग्लादेश बगल में शायद भनक नहीं आती है
निकलकर बाहर दो शब्द कहने में शर्म क्यों आती है
अखवार पढता हूँ तो अवाक रह जाता हूँ
अंदर बाहर के पेजों में उलझा रह जाता हूँ
स्ट्राइक बालाकोट होती है जब दूध की नदियाँ खून की धार बहाती हैं
स्ट्राइक बगल में कहीं भी हो सकती है जब दूध की नदियाँ खून की धार बहाती हैं
अखवार पढता हूँ तो अवाक रह जाता हूँ
अंदर बाहर के पेजों में उलझा रह जाता हूँ
समय है कि सम्भल जाओ और नागफनी को ध्यान लाओ
रेप जब चरम होते हैं वहम वर्णशंकर नागफनी बन मौत की धार बनते हैं
अखवार पढता हूँ तो अवाक रह जाता हूँ
अंदर बाहर के पेजों में उलझा रह जाता हूँ
चिंगारी से श्रंगारी उजड़े काली कम्पित होती है
महिमा मंडन मूड़ काट माला पहना करती है
रोके भी रोक ना खाए स्वयं भोले नाथ आते हैं
लेटकर राह में इनकी दहन को थाम आते हैं
अखवार पढता हूँ तो अवाक रह जाता हूँ
अंदर बाहर के पेजों में उलझा रह जाता हूँ
बेहतर है सजग रहें भाई नहीं छोड़ें कोई ढील भरोसे अपने ही
पहचान करें फोटो खींचें और सूचित क्रमबद्ध जरूर करें
पुलिस बीट है पग पग सबके सब इसका संज्ञान जरूर करें
अखवार पढता हूँ तो अवाक रह जाता हूँ
अंदर बाहर के पेजों में उलझा रह जाता हूँ
पवन सर कृत
"अखवार पढता हूँ तो अवाक रह जाता हूँ
अंदर बाहर के पेजों में उलझा रह जाता हूँ"
दिसम्बर 03, 2024