*"भक्तमाली और लड्डू गोपाल जी" पण्ड़ित श्री जगन्नाथ प्रसाद जी 'भक्तमाली' के भक्तिभाव के कारण वृंदावन के सभी संत उनसे बहुत प्रभावित थे और उनके ऊपर कृपा रखते थे। सन्तों की कौन कहे स्वयं 'श्रीकृष्ण' उनसे आकृष्ट होकर जब तब किसी न किसी छल से उनके ऊपर कृपा कर जाया करते थे। एक बार श्री जगन्नाथ प्रसाद जी 'भक्तमाली' अपने घर में बैठे हारमोनियम पर भजन गा रहे थे। उसी समय एक बहुत ही सुन्दर बालक आकर उनके सामने बैठ गया, और तन्मय होकर भजन सुनने लगा। 'भक्तमाली' जी ने बालक का श्रृंगार देखकर समझा कि वह किसी रासमण्डली का बालक है जो उनके भजन से आकृष्ट होकर चला आया है। भक्तमाली जी ने भजन समाप्त करने के बाद बालक से पूछा -"बेटा तुम कहाँ रहते हो ?" बालक ने कहा - "अक्रूर घाट पर भतरोड़ मन्दिर में रहता हूँ।" भक्तमाली जी - "तुम्हारा नाम क्या है ?" बालक - "लड्डू गोपाल।" 'भक्तमाली' जी - "तो तुम लड्डू खाओगे या पेड़ा खाओगे ?" उस समय 'भक्तमाली' जी के पास लड्डू नहीं पेड़े ही थे इसलिए उन्होंने प्रकार पूछा। बालक ने भी हँसकर कहा - "बाबा मैं तो पेड़ा खाऊँगा।" भक्तमाली जी ने बालक को पेडे लाकर दिये। वह बालक पेडे खाता हुआ और भक्तमाली जी की ओर हँसकर देखता हुआ चला गया। पर 'ठाकुर' जी बालक के रूप मे जाते-जाते अपनी जादू भरी मुस्कान और चितवन की अपूर्व छवि 'भक्तमाली' जी के ह्रदय पर अंकित कर गये। अब उस बालक की वह छवि 'भक्तमाली' जी को सारा दिन और सारी रात व्यग्र किये रही। भक्तमाली जी के मन मे तरह तरह के विचार उठते रहे। "ऐसा सुंदर बालक तो मैंने आज तक कभी नहीं देखा। वह रासमण्डली का बालक ही था या कोई और ? घर मे ऐसे आकर बैठ गया जैसे यह घर उसी का हो कोई भय नहीं संकोच नहीं। छोटा सा बालक भजन तो ऐसे तन्मय होकर सुन रहा था जैसे उसे भजन मे न जाने कितना रस मिल रहा हो। नहीं-नहीं वह कोई साधारण बालक नहीं हो सकता। कहीं वे 'भक्तवत्सल भगवान' ही तो नहीं थे जो नारद जी के प्रति कहे गये अपने इन वचनों को चरितार्थ करने आये थे :- नाहं तिष्ठामि वैकुंठे योगिनां हृदयेषु वा। तत्र तिष्ठामी नारद यत्र गायन्ति मद्भक्ताः।। (पद्मपुराण) "हे नारद ! न तो मैं अपने निवास वैकुंठ में रहता हूँ, न योगियों के ह्रदय में रहता हूँ। मैं तो उस स्थान में वास करता हूँ जहाँ मेरे भक्त मेरे पवित्र नाम का कीर्तन करते हैं और मेरे रूप, लीलाओं और गुणों की चर्चा चलाते हैं।" जो भी हो वह बालक अपना नाम और पता तो बता ही गया है कल उसकी खोज करनी होगी।" 'भक्तमाली' जी बालक के विषय मे तरह-तरह के विचार करते हुए सो गये। श्री जगन्नाथ प्रसाद जी 'भक्तमाली' दूसरे दिन प्रातः होते ही भतरोड़ में अक्रुर मन्दिर पहुँचे। 'भक्तमाली' जी ने वहाँ सेवारत पुजारी जी से पूछा - "क्या यहाँ लड्डू गोपाल नाम का कोई बालक रहता हैं ?" पुजारी जी ने कहा - 'लड्डू गोपाल तो हमारे मन्दिर के ठाकुर जी का नाम है। और यहाँ कोई बालक नहीं रहता।' यह सुनते ही भक्तमाल जी सिहर उठे, उनके नेत्र डबडबा आये। अपने आँसू पोंछते हुए उन्होंने पुजारी जी से कहा - "कल एक बहुत खूबसूरत बालक मेरे पास आया था। उस बालक ने अपना नाम लड्डू गोपाल बताया था और निवास-स्थान अक्रुर मन्दिर। मैंने उसे पेड़े खाने को दिये थे, पेड़े खाकर वह बहुत प्रसन्न हुआ था। पुजारी जी कहीं आपके ठाकुर जी ने ही तो यह लीला नहीं की थी ?" पुजारी जी ने कहा - "भक्तमाली जी ! आप धन्य हैं। हमारे ठाकुर ने ही आप पर कृपा की, इसमें कोई सन्देह नहीं है। हमारे ठाकुर जी को पेड़े बहुत प्रिय हैं। कई दिन से मैं बाजार नहीं जा पाया था, इसलिए पेड़ों का भोग नहीं लगा सका था।" भक्तमाली जी ने मन्दिर के भीतर जाकर लड्डू गोपाल जी के दिव्य श्री विगृह के दर्शन किये। दण्डवत् प्रणाम् कर प्रार्थना की - "हे ठाकुर जी इसी प्रकार अपनी कृपा बनाये रखना, बार-बार इसी आकर दर्शन देते रहना।" पता नहीं भक्तमाली जी को फिर कभी लड्डू गोपाल ने उसी रूप में उनपर कृपा की या नहीं, लेकिन एक बार भक्तमाली जी अयोध्या गये थे। देर रात्रि में अयोध्या पहुँचे थे, इसलिए स्टेशन के बाहर खुले मे सो गये। प्रातः उठते ही किसी आवश्यक कार्य के लिए कहीं जाना था, पर सबेरा हो आया था उनकी नींद नहीं खुल रहीं थी। लड्डू गोपाल जैसा ही एक सुन्दर बालक आया और उनके तलुओं में गुलगुली मचाते हुए बोला - "बाबा उठो सबेरा हो गया जाना नहीं है क्या ?" भक्तमाली जी हड़बड़ा कर उठे, उस बालक की एक ही झलक देख पाये थे कि वह बालक अदृश्य हो गया। ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
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🚩🕉️🌺🌹🌷🕉️🚩🌺🌹 *🕉️🚩अपार ऊर्जा का वाहक होता है सुदर्शन चक्र* *🚩🌺* 🕉️🚩🌺🌹🌷🕉️🚩🌺🌹 *🕉️🚩सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु का प्रमुख शस्त्र है, इस चक्र से माध्यम से भगवान ने बहुत से दुष्टों का विनाश किया है।* *🕉️🚩इस चक्र की खास बात यह है कि यह चलाने के बाद अपने लक्ष्य पर पहुंचकर वापिस आ जाता है। यह चक्र कभी भी नष्ट नहीं होता है। इस शस्त्र में अपार ऊर्जा है जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता है।* *🕉️🚩इस दिव्य चक्र की उत्पत्ति को लेकर कई कथाऐं सामने आती हैं, कुछ लोगों का मानना है कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश, बृहस्पति ने अपनी ऊर्जा एकत्रित कर के इसकी उत्पत्ति की है| यह भी माना जाता है कि यह चक्र भगवान विष्णु ने भगवान शिव की आराधना कर के प्राप्त किया है। लोग यह भी कहते हैं कि महाभारत काल में अग्निदेव ने श्री कृष्ण को यह चक्र दिया था जिससे अनेकों का संहार हुआ था।* *🕉️🚩आइये अब जानते हैं सुदर्शन चक्र से जुड़ी कुछ ऐसी ही रोचक बातें -* *1. 🕉️🚩यह चक्र जिसका नाम सुदर्शन है, दो शब्दों से जुड़ कर बना है, ‘सु’ यानि शुभ और ‘दर्शन’। चक्र शब्द ‘चरुहु’ और ‘करूहु’ शब्दों के मेल से बना है, जिसका अर्थ है गति (हमेशा चलने वाला)। यह चक्र हमेशा चलता ही रहता है, ऐसा आपने कई सीरियल में भी देखा होगा।* *2. 🕉️🚩यह चांदी की शलाकाओं से निर्मित था। इसकी ऊपरी और निचली सतहों पर लौहे के शूल लगे हुए थे। कहते हैं कि इसमें अत्यंत विषैले किस्म के विष का उपयोग किया गया था।.* *3. 🕉️🚩सुदर्शन चक्र शत्रु पर गेरा नहीं जाता यह प्रहार करने वाले की इच्छा शक्ति से भेजा जाता है। इस चक्र जिसके भी पास होता था उसे बस इच्छा करनी होती थी और यह चक्र उसकी इच्छा को पुरा करके ही वापिस आता था। यह चक्र किसी भी चीज़ को खत्म करने की क्षमता रखता है।* *4. 🕉️🚩इससे जुडी एक कहानी यह भी है कि इसका निर्माण विश्वकर्मा के द्वारा किया गया है। विश्वकर्मा ने अपनी पुत्री संजना का विवाह सूर्य देव के साथ किया परन्तु संजना सूर्य देव की रोशनी तथा गर्मी के कारण उनके समीप ना जा सकी। यह बात जब विश्वकर्मा को पता चली तब उन्होंने सूर्य की चमक को थोड़ा कम कर दिया और सूर्य की बाकि बची ऊर्जा से त्रिशूल, पुष्पक विमान तथा सुदर्शन चक्र का निर्माण किया।* *5. 🕉️🚩ऐसा माना जाता है कि कृष्ण जी ने गोवर्धन पर्वत को सुदर्शन चक्र की सहायता से उठाया था|। श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल सूर्यास्त दिखने कके लिया किया था जिसकी मदद से जयद्रथ का वध अर्जुन द्वारा हो पाया।*. *6. 🕉️🚩इस चक्र ने देवी सती के शरीर के 51 हिस्से कर भारत में जगह-जगह बिखेर दिए और इन जगहों को शक्ति-पीठ के नाम से जाना जाता है| यह तब हुआ जब देवी सती ने अपने पिता के घर हो रहे यग्न में खुद को अग्नि में जला लिया| तब भगवान शिव शोक में आकर सती के प्राणरहित शरीर को उठाए घूमते रहे।* *7. 🚩🕉️सुदर्शन चक्र की सनातन हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है जैसे वक़्त, सूर्य और ज़िंदगी कभी रूकती नहीं हैं वैसे ही इसका भी कोई अंत नहीं कर सकता। यह परमसत्य का प्रतीक है। शिव पुराण के अनुसार साक्षात आदि शक्ति का सुदर्शन चक्र में वास करती हैं।* *8. 🚩🕉️हमारे शरीर में भी कई तरह के चक्र मौजूद है जिसमें अत्यंत ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति उत्पन्न करने की क्षमता है। योग उपनिषद् में सहस्रार चक्र के आलावा 6 चक्र और हैं- मूलधारा, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विसुद्धा और अजना|* *9. 🚩🕉️श्रीमंदिर के रत्नसिंहासन के 4 देवताओं को चतुर्द्धामूर्थी कहा जाता जिनमें सुदर्शन चक्र को भी देव माना गया है| सुदर्शन चक्र को यहां एक खम्बे के जैसे दर्शाया गया है| इन्हें ऊर्जा और शक्ति का देवता कहा जाता है|* *10. 🚩🕉️तमिल में सुदर्शन चक्र को चक्रथ अझवार भी कहा जाता है. थाईलैंड की सत्ता का नाम भी इसी चक्र के नाम पर रखा गया है जिसे चक्री डायनेस्टी कहा जाता है* 🕉️🚩🌺🌹🌷🕉️🚩🌺
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*🌹रात्रि चिंतन :* *🌹भगवान सर्वनियामक हैं, सर्वनियंता हैं, सर्वसमर्थ हैं, सुहृद भी हैं और ज्ञानस्वरूप भी हैं। कोई समर्थ हो लेकिन सुहृद नहीं हो तो आपका क्या भला करेगा ! भगवान ही सुहृद है, समर्थ हैं और पूर्ण ज्ञान व सामर्थ्य के धनी हैं। इसलिए भगवान की भक्ति से नब्बे प्रतिशत दुःख आसानी से मिट जाता है। दस प्रतिशत दुःख रहता है कि भगवान के विरह में कभी-कभी द्वैत बना रहता है, कभी भगवान के मिलन की इच्छा बनी रहती है अथवा भगवान नाराज न हो जायें इस प्रकार का भाव बना रहता है परंतु तत्त्वज्ञान हो जाय तो भगवान का आत्मा और अपना आत्मा एक ही है - एको ब्रह्म द्वितीयोनास्ति…. ऐसा समझते ही पूर्ण दुःख सदा के लिए मिट जाता है।*
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राम राम जपें या सीताराम जपे...???🌹🙏🙏 एक बार की बात है गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज बहुत कमजोर हो गये तो भगवान श्री राम जी को चिंता हुई कि मेरा भक्त बहुत कमजोर होता जा रहा है,तो हनुमान जी महाराज ने पूछा कि सरकार आज आप उदास क्यों है क्या बात है श्री राम जी बोले हनुमान मेरा प्यारा भक्त तुलसीदास बहुत कमजोर होता चला जा रहा है इस लिए मुझे उसकी चिंता है हनुमान जी महाराज बोले कि प्रभु आप चिंता न करें हम देखते हैं क्या बात हनुमान जी महाराज गोस्वामी तुलसीदास जी के पास श्री राम जय राम जय जय राम बोलकर प्रकट हो गए तुलसीदास जी महाराज बोले आओ महाराज जी आज आपने इस दास पर बड़ी कृपा की है जो दर्शन दिए हनुमान जी महाराज बोले कि हमारे सरकार बहुत चिंतित हैं कि तुम बहुत कमजोर हो रहे हो तबियत ठीक है तुलसी दास जी महाराज बोले कि हां ठीक है महाराज अच्छा भला खाना खाते हैं और खूब सोता भी हूं कोई बीमारी नहीं है मुझे... हनुमान जी महाराज बोले कि आखिर तुम करते क्या हो जो कमजोर होते जा रहे हो तुलसीदास जी महाराज बोले कि करता क्या हूं में तो बस राम राम नाम का जाप करता हूं बस हनुमान जी महाराज बोले कि तुलसी दास तुम यहीं तो गलती करते हो तभी तो तुम कमजोर हो रहे हो , अरे पोषण तो माँ देती है न माँ को तो तुम याद ही नहीं करते हो केवल राम राम करते हो मेरी बात मानो आज से तुम सीताराम सीताराम सीताराम जपना शुरू कर दो फिर देखना कि तुम कितने मोटे होते चले जाओगे... इस कहानी से यह तात्पर्य है कि जितना हो सके हमको सीताराम सीताराम सीताराम जपना चाहिए राम राम राम जपना ग़लत नहीं है परन्तु सीताराम सीताराम जपने की आदत अवश्य डालनी चाहिए क्योंकि शक्ति के बिना हमारे प्रभु अधूरे हैं वैसे तो राम और सीता एक ही है अलग अलग नहीं है।🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡
*"भक्तमाली और लड्डू गोपाल जी"
पण्ड़ित श्री जगन्नाथ प्रसाद जी 'भक्तमाली' के भक्तिभाव के कारण वृंदावन के सभी संत उनसे बहुत प्रभावित थे और उनके ऊपर कृपा रखते थे। सन्तों की कौन कहे स्वयं 'श्रीकृष्ण' उनसे आकृष्ट होकर जब तब किसी न किसी छल से उनके ऊपर कृपा कर जाया करते थे।
एक बार श्री जगन्नाथ प्रसाद जी 'भक्तमाली' अपने घर में बैठे हारमोनियम पर भजन गा रहे थे। उसी समय एक बहुत ही सुन्दर बालक आकर उनके सामने बैठ गया, और तन्मय होकर भजन सुनने लगा। 'भक्तमाली' जी ने बालक का श्रृंगार देखकर समझा कि वह किसी रासमण्डली का बालक है जो उनके भजन से आकृष्ट होकर चला आया है।
भक्तमाली जी ने भजन समाप्त करने के बाद बालक से पूछा -"बेटा तुम कहाँ रहते हो ?" बालक ने कहा - "अक्रूर घाट पर भतरोड़ मन्दिर में रहता हूँ।" भक्तमाली जी - "तुम्हारा नाम क्या है ?" बालक - "लड्डू गोपाल।" 'भक्तमाली' जी - "तो तुम लड्डू खाओगे या पेड़ा खाओगे ?" उस समय 'भक्तमाली' जी के पास लड्डू नहीं पेड़े ही थे इसलिए उन्होंने प्रकार पूछा। बालक ने भी हँसकर कहा - "बाबा मैं तो पेड़ा खाऊँगा।"
भक्तमाली जी ने बालक को पेडे लाकर दिये। वह बालक पेडे खाता हुआ और भक्तमाली जी की ओर हँसकर देखता हुआ चला गया। पर 'ठाकुर' जी बालक के रूप मे जाते-जाते अपनी जादू भरी मुस्कान और चितवन की अपूर्व छवि 'भक्तमाली' जी के ह्रदय पर अंकित कर गये।
अब उस बालक की वह छवि 'भक्तमाली' जी को सारा दिन और सारी रात व्यग्र किये रही। भक्तमाली जी के मन मे तरह तरह के विचार उठते रहे। "ऐसा सुंदर बालक तो मैंने आज तक कभी नहीं देखा। वह रासमण्डली का बालक ही था या कोई और ? घर मे ऐसे आकर बैठ गया जैसे यह घर उसी का हो कोई भय नहीं संकोच नहीं। छोटा सा बालक भजन तो ऐसे तन्मय होकर सुन रहा था जैसे उसे भजन मे न जाने कितना रस मिल रहा हो। नहीं-नहीं वह कोई साधारण बालक नहीं हो सकता। कहीं वे 'भक्तवत्सल भगवान' ही तो नहीं थे जो नारद जी के प्रति कहे गये अपने इन वचनों को चरितार्थ करने आये थे :-
नाहं तिष्ठामि वैकुंठे योगिनां हृदयेषु वा।
तत्र तिष्ठामी नारद यत्र गायन्ति मद्भक्ताः।।
(पद्मपुराण)
"हे नारद ! न तो मैं अपने निवास वैकुंठ में रहता हूँ, न योगियों के ह्रदय में रहता हूँ। मैं तो उस स्थान में वास करता हूँ जहाँ मेरे भक्त मेरे पवित्र नाम का कीर्तन करते हैं और मेरे रूप, लीलाओं और गुणों की चर्चा चलाते हैं।" जो भी हो वह बालक अपना नाम और पता तो बता ही गया है कल उसकी खोज करनी होगी।" 'भक्तमाली' जी बालक के विषय मे तरह-तरह के विचार करते हुए सो गये।
श्री जगन्नाथ प्रसाद जी 'भक्तमाली' दूसरे दिन प्रातः होते ही भतरोड़ में अक्रुर मन्दिर पहुँचे। 'भक्तमाली' जी ने वहाँ सेवारत पुजारी जी से पूछा - "क्या यहाँ लड्डू गोपाल नाम का कोई बालक रहता हैं ?" पुजारी जी ने कहा - 'लड्डू गोपाल तो हमारे मन्दिर के ठाकुर जी का नाम है। और यहाँ कोई बालक नहीं रहता।' यह सुनते ही भक्तमाल जी सिहर उठे, उनके नेत्र डबडबा आये। अपने आँसू पोंछते हुए उन्होंने पुजारी जी से कहा - "कल एक बहुत खूबसूरत बालक मेरे पास आया था। उस बालक ने अपना नाम लड्डू गोपाल बताया था और निवास-स्थान अक्रुर मन्दिर। मैंने उसे पेड़े खाने को दिये थे, पेड़े खाकर वह बहुत प्रसन्न हुआ था। पुजारी जी कहीं आपके ठाकुर जी ने ही तो यह लीला नहीं की थी ?"
पुजारी जी ने कहा - "भक्तमाली जी ! आप धन्य हैं। हमारे ठाकुर ने ही आप पर कृपा की, इसमें कोई सन्देह नहीं है। हमारे ठाकुर जी को पेड़े बहुत प्रिय हैं। कई दिन से मैं बाजार नहीं जा पाया था, इसलिए पेड़ों का भोग नहीं लगा सका था।" भक्तमाली जी ने मन्दिर के भीतर जाकर लड्डू गोपाल जी के दिव्य श्री विगृह के दर्शन किये। दण्डवत् प्रणाम् कर प्रार्थना की - "हे ठाकुर जी इसी प्रकार अपनी कृपा बनाये रखना, बार-बार इसी आकर दर्शन देते रहना।"
पता नहीं भक्तमाली जी को फिर कभी लड्डू गोपाल ने उसी रूप में उनपर कृपा की या नहीं, लेकिन एक बार भक्तमाली जी अयोध्या गये थे। देर रात्रि में अयोध्या पहुँचे थे, इसलिए स्टेशन के बाहर खुले मे सो गये। प्रातः उठते ही किसी आवश्यक कार्य के लिए कहीं जाना था, पर सबेरा हो आया था उनकी नींद नहीं खुल रहीं थी। लड्डू गोपाल जैसा ही एक सुन्दर बालक आया और उनके तलुओं में गुलगुली मचाते हुए बोला - "बाबा उठो सबेरा हो गया जाना नहीं है क्या ?" भक्तमाली जी हड़बड़ा कर उठे, उस बालक की एक ही झलक देख पाये थे कि वह बालक अदृश्य हो गया। ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
Mam jhula strong hone ke sath sath.... bhot hi beautiful bhi h.....
Thanks dear
Didi framing ke dukan pe ye sticks kitne rupees mein milegi please reply 😢😢😢or yeh glue gun se chipke ga ya kill thokni padegi?? 😢
Dear ye aapko 5-10 rs.mai ek stick mil jati hai...n glue gun se paste hi jayegi..or aap keel b lga sakte ho
Apka jhula bhut achha h aur majbut bhi h apko em kam karna chahiye tha ye k jo baithne wala bnayi h uspe kinara lgana chahiye tha isse bhavwan ji apke girenge nhi plz reply jarur kariyega k mai shi hu ki nhi plz
Ji bilkul aap bilkul sahi hai...
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*🕉️🚩अपार ऊर्जा का वाहक होता है सुदर्शन चक्र*
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*🕉️🚩सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु का प्रमुख शस्त्र है, इस चक्र से माध्यम से भगवान ने बहुत से दुष्टों का विनाश किया है।*
*🕉️🚩इस चक्र की खास बात यह है कि यह चलाने के बाद अपने लक्ष्य पर पहुंचकर वापिस आ जाता है। यह चक्र कभी भी नष्ट नहीं होता है। इस शस्त्र में अपार ऊर्जा है जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता है।*
*🕉️🚩इस दिव्य चक्र की उत्पत्ति को लेकर कई कथाऐं सामने आती हैं, कुछ लोगों का मानना है कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश, बृहस्पति ने अपनी ऊर्जा एकत्रित कर के इसकी उत्पत्ति की है| यह भी माना जाता है कि यह चक्र भगवान विष्णु ने भगवान शिव की आराधना कर के प्राप्त किया है। लोग यह भी कहते हैं कि महाभारत काल में अग्निदेव ने श्री कृष्ण को यह चक्र दिया था जिससे अनेकों का संहार हुआ था।*
*🕉️🚩आइये अब जानते हैं सुदर्शन चक्र से जुड़ी कुछ ऐसी ही रोचक बातें -*
*1. 🕉️🚩यह चक्र जिसका नाम सुदर्शन है, दो शब्दों से जुड़ कर बना है, ‘सु’ यानि शुभ और ‘दर्शन’। चक्र शब्द ‘चरुहु’ और ‘करूहु’ शब्दों के मेल से बना है, जिसका अर्थ है गति (हमेशा चलने वाला)। यह चक्र हमेशा चलता ही रहता है, ऐसा आपने कई सीरियल में भी देखा होगा।*
*2. 🕉️🚩यह चांदी की शलाकाओं से निर्मित था। इसकी ऊपरी और निचली सतहों पर लौहे के शूल लगे हुए थे। कहते हैं कि इसमें अत्यंत विषैले किस्म के विष का उपयोग किया गया था।.*
*3. 🕉️🚩सुदर्शन चक्र शत्रु पर गेरा नहीं जाता यह प्रहार करने वाले की इच्छा शक्ति से भेजा जाता है। इस चक्र जिसके भी पास होता था उसे बस इच्छा करनी होती थी और यह चक्र उसकी इच्छा को पुरा करके ही वापिस आता था। यह चक्र किसी भी चीज़ को खत्म करने की क्षमता रखता है।*
*4. 🕉️🚩इससे जुडी एक कहानी यह भी है कि इसका निर्माण विश्वकर्मा के द्वारा किया गया है। विश्वकर्मा ने अपनी पुत्री संजना का विवाह सूर्य देव के साथ किया परन्तु संजना सूर्य देव की रोशनी तथा गर्मी के कारण उनके समीप ना जा सकी। यह बात जब विश्वकर्मा को पता चली तब उन्होंने सूर्य की चमक को थोड़ा कम कर दिया और सूर्य की बाकि बची ऊर्जा से त्रिशूल, पुष्पक विमान तथा सुदर्शन चक्र का निर्माण किया।*
*5. 🕉️🚩ऐसा माना जाता है कि कृष्ण जी ने गोवर्धन पर्वत को सुदर्शन चक्र की सहायता से उठाया था|। श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल सूर्यास्त दिखने कके लिया किया था जिसकी मदद से जयद्रथ का वध अर्जुन द्वारा हो पाया।*.
*6. 🕉️🚩इस चक्र ने देवी सती के शरीर के 51 हिस्से कर भारत में जगह-जगह बिखेर दिए और इन जगहों को शक्ति-पीठ के नाम से जाना जाता है| यह तब हुआ जब देवी सती ने अपने पिता के घर हो रहे यग्न में खुद को अग्नि में जला लिया| तब भगवान शिव शोक में आकर सती के प्राणरहित शरीर को उठाए घूमते रहे।*
*7. 🚩🕉️सुदर्शन चक्र की सनातन हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है जैसे वक़्त, सूर्य और ज़िंदगी कभी रूकती नहीं हैं वैसे ही इसका भी कोई अंत नहीं कर सकता। यह परमसत्य का प्रतीक है। शिव पुराण के अनुसार साक्षात आदि शक्ति का सुदर्शन चक्र में वास करती हैं।*
*8. 🚩🕉️हमारे शरीर में भी कई तरह के चक्र मौजूद है जिसमें अत्यंत ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति उत्पन्न करने की क्षमता है। योग उपनिषद् में सहस्रार चक्र के आलावा 6 चक्र और हैं- मूलधारा, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विसुद्धा और अजना|*
*9. 🚩🕉️श्रीमंदिर के रत्नसिंहासन के 4 देवताओं को चतुर्द्धामूर्थी कहा जाता जिनमें सुदर्शन चक्र को भी देव माना गया है| सुदर्शन चक्र को यहां एक खम्बे के जैसे दर्शाया गया है| इन्हें ऊर्जा और शक्ति का देवता कहा जाता है|*
*10. 🚩🕉️तमिल में सुदर्शन चक्र को चक्रथ अझवार भी कहा जाता है. थाईलैंड की सत्ता का नाम भी इसी चक्र के नाम पर रखा गया है जिसे चक्री डायनेस्टी कहा जाता है*
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Very beautiful jhula
Thanks dear ruclips.net/video/SchqaIX1H2o/видео.html
Watch this jhula also.
Very beautiful 🥰🥰😘
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*🌹रात्रि चिंतन :*
*🌹भगवान सर्वनियामक हैं, सर्वनियंता हैं, सर्वसमर्थ हैं, सुहृद भी हैं और ज्ञानस्वरूप भी हैं। कोई समर्थ हो लेकिन सुहृद नहीं हो तो आपका क्या भला करेगा ! भगवान ही सुहृद है, समर्थ हैं और पूर्ण ज्ञान व सामर्थ्य के धनी हैं। इसलिए भगवान की भक्ति से नब्बे प्रतिशत दुःख आसानी से मिट जाता है। दस प्रतिशत दुःख रहता है कि भगवान के विरह में कभी-कभी द्वैत बना रहता है, कभी भगवान के मिलन की इच्छा बनी रहती है अथवा भगवान नाराज न हो जायें इस प्रकार का भाव बना रहता है परंतु तत्त्वज्ञान हो जाय तो भगवान का आत्मा और अपना आत्मा एक ही है - एको ब्रह्म द्वितीयोनास्ति…. ऐसा समझते ही पूर्ण दुःख सदा के लिए मिट जाता है।*
Beautiful ❤️
Thanks a ton 👍. share n subscribe
Mam agar glue gun na ho to feviquik ka usekr skte hain
Yes aap feviquick ya fevibond use kr sakte ho...n share this video also...
Mene bhi last year bnaya same mera red clour m h
Great..you can share pics with me on my insta id...instagram.com/craftlas_aartigupta?igsh=dW5rbHU0eGgzZzYw
Nice
Stice kisshe kiya aapne
I have used fevibond
mam mere pash jo glue gun h vh thik se kam nhi krti mtlb chipkta nhi h kya isme bhi quality ati h plz rply
Yes..take good quality Stanley glue gun
Very beautiful ❤
So beautiful
Thanks a lot 👍
Thxxuuu so much ji apne bht acha jhula bnaya m v bnana start krne jarhi thi ...aur btaye app konsa fevistick use krrhe ho ji ? Radhe radhe❤
Radhe Radhe..
I am glad that you like my work..I use hot glue gun n feviquik
Mem red colour colour ka Bana sakte hai?
Ji bilkul kanhaji ko to saare hi rang ache lagte hai..
मुझे भी ऐसे ही झूला चाहिए से टू सेम
Di size bta dijiye
Mere laddu gopal 12 no. Ke h
Almost double size kr do is jhule ka
Superb
Thanks a lot dear
..krishna bless you
Super se aupar 🎉🎉🎉🎉 very nice ❤❤❤❤❤❤❤❤❤ beautiful Jai shree Krishna
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Di stick ki size bta dijiye please
Mere laddu gopal 7 no. Ke h
12-14 inch ki stick le lena
Maam kil kaise lagayenge please reply 😢😢😢
Mam keel to corners pr hi lagegi but aap fevibond b use kr sakte ho
राम राम जपें या सीताराम जपे...???🌹🙏🙏
एक बार की बात है गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज बहुत कमजोर हो गये तो भगवान श्री राम जी को चिंता हुई कि मेरा भक्त बहुत कमजोर होता जा रहा है,तो हनुमान जी महाराज ने पूछा कि सरकार आज आप उदास क्यों है क्या बात है श्री राम जी बोले हनुमान मेरा प्यारा भक्त तुलसीदास बहुत कमजोर होता चला जा रहा है इस लिए मुझे उसकी चिंता है हनुमान जी महाराज बोले कि प्रभु आप चिंता न करें हम देखते हैं क्या बात
हनुमान जी महाराज गोस्वामी तुलसीदास जी के पास श्री राम जय राम जय जय राम बोलकर प्रकट हो गए तुलसीदास जी महाराज बोले आओ महाराज जी आज आपने इस दास पर बड़ी कृपा की है जो दर्शन दिए हनुमान जी महाराज बोले कि हमारे सरकार बहुत चिंतित हैं कि तुम बहुत कमजोर हो रहे हो तबियत ठीक है तुलसी दास जी महाराज बोले कि हां ठीक है महाराज अच्छा भला खाना खाते हैं और खूब सोता भी हूं कोई बीमारी नहीं है मुझे...
हनुमान जी महाराज बोले कि आखिर तुम करते क्या हो जो कमजोर होते जा रहे हो तुलसीदास जी महाराज बोले कि करता क्या हूं में तो बस राम राम नाम का जाप करता हूं बस हनुमान जी महाराज बोले कि तुलसी दास तुम यहीं तो गलती करते हो तभी तो तुम कमजोर हो रहे हो , अरे पोषण तो माँ देती है न माँ को तो तुम याद ही नहीं करते हो केवल राम राम करते हो मेरी बात मानो आज से तुम सीताराम सीताराम सीताराम जपना शुरू कर दो फिर देखना कि तुम कितने मोटे होते चले जाओगे...
इस कहानी से यह तात्पर्य है कि जितना हो सके हमको सीताराम सीताराम सीताराम जपना चाहिए राम राम राम जपना ग़लत नहीं है परन्तु सीताराम सीताराम जपने की आदत अवश्य डालनी चाहिए क्योंकि शक्ति के बिना हमारे प्रभु अधूरे हैं वैसे तो राम और सीता एक ही है अलग अलग नहीं है।🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡🧡
आप कहां रहते हो दीदी
Faridabad
हमारे लड्डू गोपाल 7 नंबर के हैं क्या उनके लिए झूला मिल जाएगा cash on delivery available he ky
Sorry dear.i don't sell
If I don't have glue gun ... How to paste wood
U can use fevibond..u can get it from hardware shops
Di size bhi bataye
Ye mere 4no. K kanha ji hai
मुझे आप बना कर दोगे क्या
Kitne Inch ki stick leni h dii
Or jhule wali jo lakdi h uski width length kitni h
10-12 inch ki le lo or 4-5width ki jhule ki ladki hai
Glue gun nhi ho to
Use fevibond
Yeh jhoola strong nahi hai..glue se to bilkul bhi nahi..
This is very strong ।I have used it
दीदी आप कहां रहते
जन्माष्टमी के लिए अपना फोन नंबर मुझे दीजिए ना मैं आपसे बात करूंगी
WApp number dijie aapka
So beautiful ❤️