ujjain ke ekant me gupt sadhna karte sant🚩divya gyani sant🚩

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  • Опубликовано: 6 окт 2024
  • ujjain ke ekant me gupt sadhna karte sant🚩divya gyani sant🚩
    aaj hum sant Govinddas ji maharaj jo ki haridwar ke he unke ashram ujjain me veshnav Sampradaya ramanuj akhada me aye he
    Namashkar dosto,
    "Jag se pare" channel par aap ka hardik swagat he. Mera nam manoj he or is podcast me hum aadhyatmik vartalap karege or janne ki koshish karenge ki vo ek purn brahm parmatma kon he jisko sabhi rishi muni tapasvi sadhu sant fakir yati devi devta bhi khoj rhe he
    App podcast ko like kare comment kare channel ko subscribe jarur kare apne dosto or relatives me shear jarur kare!!
    Thankyou so mach😊😊❤️🇮🇳🙏🚩
    __________
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Комментарии • 12

  • @navyatafurniturehomedecor2156
    @navyatafurniturehomedecor2156 2 месяца назад

    जय श्री राम

  • @swamithakur5951
    @swamithakur5951 2 месяца назад

    ।। जय श्रीहरि भगवान विष्णु ।। ।। जय श्रीहरि भगवान विष्णु ।। ।। जय श्रीहरि भगवान विष्णु ।। ।। जय श्रीहरि भगवान विष्णु ।। ।। जय श्रीहरि भगवान विष्णु ।। ।। जय श्रीहरि भगवान विष्णु ।।

  • @devnarayanshah4477
    @devnarayanshah4477 2 месяца назад

    सवाल जवाब करने से ज्ञान कि प्राप्ति होती है

  • @सत्यसनातन369
    @सत्यसनातन369 2 месяца назад

    सीधी सी बात जब परमात्मा सर्वव्यापी है
    सर्वशक्तिमान है तो इसका मतलब साफ है हर रूप हर अवस्था मे परमात्मा ही है उसका ही रूप काल भी है उसका ही रूप ब्रह्म पुरुष भी है उसी का रूप जीव भी है उसको कोई काल कोई परमशून्य ठग ही नही सकता 😎ये ये भ्रम उन्ही लोगो को होता है जिन्होंने उपनिषद समहितायें रामायण पुराण स्वयं कभी पढ़े ही नही यही बात तो वैदिक ग्रंथ भी कह रहें की ब्रह्मा विष्णु शिव दुर्गा गणेश ये सब देव हैँ देवी हैँ एक पद हैँ जिनको जीव ही धारण करता है इसे ही सारस्टी मुक्ति कहा गया है वास्तविक ब्रह्मा विष्णु शिव तो त्रिपादविभूति मे स्थित हैँ जिनको नारायण या महाविष्णु, सदाशिव या महाशिव और महाब्रह्मा कहा गया है यहां मुक्ति के बाद कुछ जीव इनके लोक मे इन्ही के रूप मे इनकी सेवा करते हैँ तो कुछ अलग अलग ब्रह्माडो मे ब्रह्मा विष्णु शिव पद धारण करते हैँ हालांकि ये त्रिपाद विभूति भी योगमाया मे होने के कारण नित्य नही इसीलिए प्राकृत प्रलय मे सब लोक काल ब्रह्म अर्थात गोलोकी कृष्ण या निराकार मे समा जाते हैँ
    इसीलिए कबीर इसको काल के अंतर्गत कहके समझाना चाह रहें थे ये योग माया मंडल भी अक्षर ब्रह्म के मन अर्थात गोलोकी ईश्वर से हर महाकल्प मे विस्तार लेता है इसे ही शून्य निरंजन कह रहें कबीर जो की अक्षर ब्रह्म के मन का स्वरुप है इसीलिए कबीर ने सरल भाषा मे यही समझाया की अक्षर ब्रह्म की निंद से जो हिरणयअंड उतपन्न हुआ उसी से कालनिरंजन उतपन्न हुआ यह सब अक्षर ब्रह्म का ही खेल है और अक्षर से परे जो परमब्रह्म है आदि अवस्था परमात्मा की वही है जो परमात्मा परमधाम मे परमपुरुष और निर्गुण रूप मे शब्द स्वरुपी राम कहा जाता है इसी को परवासुदेव कहा है इसीलिए गीता मे अंतिम गति किसी निराकार मे समा जाने को नही कहा है बल्कि उस परमधाम को ही प्राप्त करने मे है जहाँ से लौट के नही आना होता
    वाकई मे कहीं आना जाना ही नही बल्कि स्वयं की जागृति करनी ही है क्युकी आत्मा उसी परमधाम से ये स्वप्न उसी तरह देख रही जैसे मैट्रिक्स फ़िल्म मे हीरो एक स्वप्न जगत मे अपनी चेतना को ले जाता है वास्तव मे कोई सृस्टि प्रलय नही है यह सब हमें खेल दिखा रहा परमात्मा माया के द्वारा सुख और दुख का परमात्मा परमधाम आत्मा सब अवस्था मे एक राम नाम ही है यही परमधाम के रूप मे दिव्य ब्रह्म पुर और परमपुरुष के रूप मे प्रकट होता है इसी को समहिताओं मे काल माया के वैकुंठ और योगमाया के आदि वैकुंठ अर्थात गोलोक से भी ऊपर नित्य लोक कहा है गीता मे इसी को परमधाम कहा है वेदो मे इसे ही अयोध्या कहा है राम का नित्य साकेत कृष्ण का नित्य गोलोक परमशिव का नित्य शिव लोक आदिनारायण का परमवैकुंठ भी यही है 🙏🏻

    • @JagSePare
      @JagSePare  2 месяца назад +1

      Paramatma apne paramdham me sat chit aanand rup me Lila karte hai

    • @natkhatpanthi2550
      @natkhatpanthi2550 2 месяца назад +1

      परमात्मा का अलग से कोई परम धाम नही है परमात्मा स्वयं परम धाम है। राम का अर्थ है जो सब जगह रमता है जड़ मे भी चेतन मे भी पहले अनुभव करिये तब सही और गलत का फैसला लीजिये नही तो ऐसे ही फसे रहोगे परमात्मा के लिए लड़ोगे की जो हम मानते है वही सही है जैसे मुसलमान ईसाई सब अनुभव ही सब कुछ है उसी किताब को मानों ।

    • @सत्यसनातन369
      @सत्यसनातन369 2 месяца назад

      @@natkhatpanthi2550 हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई बौद्ध जैन ये शरीरो के नाम हैँ ये बाद मे आये हैँ असली धर्म आत्मा है असली सत्य आत्मा है असली धर्म सनातन अर्थात आत्म अध्ययन अर्थात अध्यात्म ही है जिससे हम सब भटक कर आपस मे प्रतिस्पर्धा मे लग गए हैँ परीक्षा प्रतिस्पर्धा ही सब दुखो का सब फसाद की मूल जड़ है प्रकृति मे गुलाब भी है कमल भी सूरजमुखी भी है मोगरा भी ज़ब इनमे कोई एक दूसरे जैसा नही बन सकता तो हमें क्यों कम्पटीशन करने मे लगे हैँ मेरा धर्म मेरा पंथ मेरा मत मेरा गुरू मेरा भगवान बड़ा बाकी सब छोटा. समझ के. यही अज्ञान करोड़ो जन्मों से बांध रहा हमें और हम अब भी इससे मुक्त नही होना चाहते

  • @natkhatpanthi2550
    @natkhatpanthi2550 3 месяца назад

    Pahle padho geeta mai aisa kahi nahi kahe ki mai parmatma nahi hu

    • @सत्यसनातन369
      @सत्यसनातन369 2 месяца назад

      कहाँ नही लिखा पहले ये बताओ

    • @natkhatpanthi2550
      @natkhatpanthi2550 2 месяца назад

      Kuran mai

    • @natkhatpanthi2550
      @natkhatpanthi2550 2 месяца назад

      Bible mai

    • @सत्यसनातन369
      @सत्यसनातन369 2 месяца назад

      ​@@natkhatpanthi2550गीता मे कहाँ लिखा है ये ढूंढ़ के बताओ. कुरान बाइबिल मे तो कृष्ण नाम कहाँ से ढूंढोगे
      वहां उनकी देश की भाषा मे परमात्मा को परिभाषित किया गया है जो की उसी भगवान का नाम है जो सनातन धर्म मे परमब्रह्म कहा गया है ॐ कहा गया है राम कहा गया है कृष्ण कहा गया है हरि कहा गया है शिव कहा गया है