"हिमालयन चारागाह संस्थान जो आपको विभिन्न प्रकार के चारे के बारे में बताता है" Palampur

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  • Опубликовано: 15 янв 2025

Комментарии • 13

  • @niteshbarsker3546
    @niteshbarsker3546 12 дней назад +1

    Aapka kya andaj hai clear se bhi clear
    Hello viewers
    Superb aapki aawaj bahut behatrin hai sir

  • @DakshKapoor-wu5ge
    @DakshKapoor-wu5ge 12 дней назад +1

    Hilli area ke liye konsa grass hoga

  • @devinnishantkumar
    @devinnishantkumar 11 дней назад +1

    Amma ji wali video ma cows ki full details

  • @farminghimachalhappybhagta713
    @farminghimachalhappybhagta713 9 дней назад +1

    Seed kha mil sakta white clover Grass ka..

  • @Ravi-sp4po
    @Ravi-sp4po 10 дней назад +1

    Hillay area kinnour Himachal Pradesh ke liye btaye sir koi grass

  • @niteshbarsker3546
    @niteshbarsker3546 3 дня назад

    Sir kya aap hm sabhi
    Viewers ke liye
    Khasker un sabhi ke liye jo pashupalan karte hai
    Jo aapke video ka wait karte hai
    Sir plz
    ek video kya me sex shortest
    seaman ke bare me btaye plz

  • @rajender13
    @rajender13 11 дней назад +1

    हिमाचल के माध्यम से उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए नेपियर या बांस की कोई किस्म उपलब्ध है? अथवा विकसित की जा रही है? हिमाचल के निचले क्षेत्रों के लिए बाजरा और नेपियर की मिश्रजाती विकसित की गई थी,उसकी गुणवत्ता और उत्पादकता के परिणाम कैसे रहे हैं?
    मेरा मानना है कि यदि हमें सदाबहार देवदार/ कायल जैसे वनों के संरक्षण को बढ़ावा देना है तो पूरे हिमाचल को किसी विकसित बांस/घास की किस्म से ढकना होगा। जो चारे के साथ साथ इमारती लकड़ी, फर्नीचर /जलावन में मुख्य खपत वाले पेड़ों की जगह ले पाए। पौधारोपण अभियानों में केवल खास सदाबहार पेड़ों को रोपित किया जा रहा है जिनकी जीवित बचने की प्रतिशतता भी विभिन्न कारणों से बहुत कम है। इसमें विविधता लाने की आवश्यकता है। आम व्यक्ति इनके बीज पौधे ढूंढने बाजारों में भटकते रहेंगे तो सफलता कोसों दूर रहेगी। पंचायतों के स्तर पर बीज बैंक/मांग आधारित आपूर्ति का प्रबंधन करने की कोशिश करनी होगी। पायलट प्रोजेक्ट्स डेमो प्रोजेक्ट्स से कोई लाभ नहीं होता है , राज्य स्तर पर एक विस्तृत समयबद्ध नीति और योजना की शुरूआत करने की जरूरत होगी। नरेगा जैसे कार्यक्रमों में भी इस काम का समायोजन करना अच्छे परिणाम सामने ला सकता है।