Wow. One correction though...Ashique-rang was the pen-name of the last Moghul emperor, Bahadur Shah Zafar, who was the pupil of Ustad Tanras Khansaheb of the Delhi Gharana: Here is a piece I wrote for my edit page column in February 2013 in The Economic Times on this very bandish: Mango / Tango VITHAL C NADKARNI The liquid-lute-like call of orioles heralds mango blossom season in the city. The forest too is aflame with Palash, and the fields awash with golden mustard. “It’s time to bring home pitchers brimming with flowers,” says a famous verse that the ill-starred `Last Moghul’, Bahadur Shah Zafar, composed but which is often attributed to Hazrat Amir Khusrau. A variety of flowers adorn the door of Khwaja Nizamuddin Aulia, the Sufi master, says Zafar who composed the song under the pen-name, Ashak-rang. The song ends with the plaint that years have passed but the Khwaja who promised to come in a moment, has still not returned! Meanwhile the great cycle of seasons continues to revolve like an invisible machine: mangoes blossom and orioles arrive with seemingly uncanny precision as do festivals such as Eid al-Kabir. One such occasion has been immortalised in a 12-part panorama painted by Sir Thomas Metcalfe, the East India Company’s agent at Bahadur Shah Zafar’s court in 1843. It shows the Emperor seated on his royal elephant returning with his heirs and relatives in procession after offering Eid prayers. Barely a decade later, Bahadur Shah Zafar lost his throne in the abortive bid for independence. In another verse describing his fall, Zafar called himself “the ruined harvest of the parched skies (Jo chaman Khijr se ujad gaya, mein usi ki fasl-bahar hoon).” But nothing, except perhaps Time, endures forever: within a century, the Sun also set on the British Empire. Yet the Earth revolves around the Sun, creating the ebb and rise of seasons: orioles arrive, mangoes blossom, as they always have. ENDS// 1,347 characters without spaces excluding heading and byline (265 words) ...
Thank you for your comments and information. It is really a pleasure to know this well-researched fact where we are frequently misinformed. Please keep on supporting us and enriching us as well as our valued listeners with your valuable resources.
अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं। इसे और अच्छे से समझाने के लिये मुझे वीडियो बनाना पड़ेगा। बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। इन संगीतज्ञ महिला से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रही हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में कुछ भी पिरो के दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएँगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे। शब्दों पर गौर करना सीखेंगे। आप सभी शब्दों पर गौर करना सीखें। इन मुस्लिमों ने जो भी लिखा है, उसमें जिहाद पिरोया हुआ है। जिहाद क्या होता है, ये जानना एक अलग मेहनत का काम है। यह बहुत ही वृहद विषय है। जिहाद का मतलब वो नहीं, जो मुसलमान आपको बताते हैं कि खुद से संघर्ष, बल्कि जिहाद का मतलब होता है - इस्लाम फैलाने की कोशिश, चाहे जैसे भी फैले इस्लाम, तलवार से, बंदुक से, गायन से, लेखन से, फिल्मों से, किसी को धोखा देकर, झूठ बोलकर, हत्या करके, अपने आलस्य से लड़कर, हिंदु महिला को प्रेमजाल में फंसाकर, सुफी गायन से, शायरी से। अगर किसी भी तरह इस्लाम फैल रहा हो, तो वही करना जिहाद कहलाता है। इस प्रकार प्रत्येक मुसलमान जिहाद करता है, और हिंदु उस जाल में फंसता जाता है। अपनी आंखें खोलो हिंदुओं, क्या गा रहे हो, क्या सुन रहे हो, क्या देख रहे हो, सब पर गौर करो। इन जिहादियों का प्रपंच बहुत ही कसीला और खतरनाक है। इनकी सोच आपकी सोच से कई गुना आगे की होती है। ये आपकी सोफ्ट ब्रेनवाशिंग करते हैं, ताकि आपके बच्चे अपने आप इस्लाम में कन्वर्ट हो जाएं। आपके बच्चों को इस्लाम की कोई समझ नहीं और ना ही आपको है। इस्लाम की हकीकत जानने के लिये एक्स मुस्लिम के वीडियो देखें।
@@anushtuprouth अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं। इसे और अच्छे से समझाने के लिये मुझे वीडियो बनाना पड़ेगा। बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। इन संगीतज्ञ महिला से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रही हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में कुछ भी पिरो के दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएँगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे। शब्दों पर गौर करना सीखेंगे। आप सभी शब्दों पर गौर करना सीखें। इन मुस्लिमों ने जो भी लिखा है, उसमें जिहाद पिरोया हुआ है। जिहाद क्या होता है, ये जानना एक अलग मेहनत का काम है। यह बहुत ही वृहद विषय है। जिहाद का मतलब वो नहीं, जो मुसलमान आपको बताते हैं कि खुद से संघर्ष, बल्कि जिहाद का मतलब होता है - इस्लाम फैलाने की कोशिश, चाहे जैसे भी फैले इस्लाम, तलवार से, बंदुक से, गायन से, लेखन से, फिल्मों से, किसी को धोखा देकर, झूठ बोलकर, हत्या करके, अपने आलस्य से लड़कर, हिंदु महिला को प्रेमजाल में फंसाकर, सुफी गायन से, शायरी से। अगर किसी भी तरह इस्लाम फैल रहा हो, तो वही करना जिहाद कहलाता है। इस प्रकार प्रत्येक मुसलमान जिहाद करता है, और हिंदु उस जाल में फंसता जाता है। अपनी आंखें खोलो हिंदुओं, क्या गा रहे हो, क्या सुन रहे हो, क्या देख रहे हो, सब पर गौर करो। इन जिहादियों का प्रपंच बहुत ही कसीला और खतरनाक है। इनकी सोच आपकी सोच से कई गुना आगे की होती है। ये आपकी सोफ्ट ब्रेनवाशिंग करते हैं, ताकि आपके बच्चे अपने आप इस्लाम में कन्वर्ट हो जाएं। आपके बच्चों को इस्लाम की कोई समझ नहीं और ना ही आपको है। इस्लाम की हकीकत जानने के लिये एक्स मुस्लिम के वीडियो देखें।
Like 644 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 Good morning dear Very nice upload dear wha kya baat hai zabardas Masha Allah Aap ka jawab nahi Very beautiful singing dear Bohot khubsurat gate ho aap sun ke bohat acha lagta hai So sweet voice dear Jitni bhi tarif ki jaye kam hai aap ki Thanks for sharing 👌👌👌👌👌♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️👌👌👌👌👌👌♥️♥️🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🥰🙏
These are all inspired by, if not stolen, from Meera Bai's poetry. After Meera Bai's husband Raja Bhoj, and her father-in-law Rana Sangha died fighting the Mughals,, Meera Bai vanished from home. She was a poet, a singer and composer of Raags. But she disappeared, probably kidnapped. Her work was also stolen. Then it started reappearing in Mughal courts under the name of .Mohammad Shah Rangeele,. Her work also appears in the writings of Amir Khusro. Otherwise where did bhakti appear in the poems attributed to these two fellows. I mean Mohammad Shah rangeele was born in Afgha istan, had 3 elder brothers killed before he became king with the help of his supporters. He had them killed too later.
Wow. One correction though...Ashique-rang was the pen-name of the last Moghul emperor, Bahadur Shah Zafar, who was the pupil of Ustad Tanras Khansaheb of the Delhi Gharana: Here is a piece I wrote for my edit page column in February 2013 in The Economic Times on this very bandish:
Mango / Tango
VITHAL C NADKARNI
The liquid-lute-like call of orioles heralds mango blossom season in the city. The forest too is aflame with Palash, and the fields awash with golden mustard. “It’s time to bring home pitchers brimming with flowers,” says a famous verse that the ill-starred `Last Moghul’, Bahadur Shah Zafar, composed but which is often attributed to Hazrat Amir Khusrau. A variety of flowers adorn the door of Khwaja Nizamuddin Aulia, the Sufi master, says Zafar who composed the song under the pen-name, Ashak-rang.
The song ends with the plaint that years have passed but the Khwaja who promised to come in a moment, has still not returned! Meanwhile the great cycle of seasons continues to revolve like an invisible machine: mangoes blossom and orioles arrive with seemingly uncanny precision as do festivals such as Eid al-Kabir.
One such occasion has been immortalised in a 12-part panorama painted by Sir Thomas Metcalfe, the East India Company’s agent at Bahadur Shah Zafar’s court in 1843. It shows the Emperor seated on his royal elephant returning with his heirs and relatives in procession after offering Eid prayers. Barely a decade later, Bahadur Shah Zafar lost his throne in the abortive bid for independence.
In another verse describing his fall, Zafar called himself “the ruined harvest of the parched skies (Jo chaman Khijr se ujad gaya, mein usi ki fasl-bahar hoon).” But nothing, except perhaps Time, endures forever: within a century, the Sun also set on the British Empire. Yet the Earth revolves around the Sun, creating the ebb and rise of seasons: orioles arrive, mangoes blossom, as they always have.
ENDS//
1,347 characters without spaces excluding heading and byline (265 words)
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Thank you for your comments and information. It is really a pleasure to know this well-researched fact where we are frequently misinformed. Please keep on supporting us and enriching us as well as our valued listeners with your valuable resources.
Just wow. Lucky to have clicked on this video
अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं। इसे और अच्छे से समझाने के लिये मुझे वीडियो बनाना पड़ेगा। बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। इन संगीतज्ञ महिला से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रही हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में कुछ भी पिरो के दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएँगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे। शब्दों पर गौर करना सीखेंगे। आप सभी शब्दों पर गौर करना सीखें। इन मुस्लिमों ने जो भी लिखा है, उसमें जिहाद पिरोया हुआ है। जिहाद क्या होता है, ये जानना एक अलग मेहनत का काम है। यह बहुत ही वृहद विषय है। जिहाद का मतलब वो नहीं, जो मुसलमान आपको बताते हैं कि खुद से संघर्ष, बल्कि जिहाद का मतलब होता है - इस्लाम फैलाने की कोशिश, चाहे जैसे भी फैले इस्लाम, तलवार से, बंदुक से, गायन से, लेखन से, फिल्मों से, किसी को धोखा देकर, झूठ बोलकर, हत्या करके, अपने आलस्य से लड़कर, हिंदु महिला को प्रेमजाल में फंसाकर, सुफी गायन से, शायरी से। अगर किसी भी तरह इस्लाम फैल रहा हो, तो वही करना जिहाद कहलाता है। इस प्रकार प्रत्येक मुसलमान जिहाद करता है, और हिंदु उस जाल में फंसता जाता है। अपनी आंखें खोलो हिंदुओं, क्या गा रहे हो, क्या सुन रहे हो, क्या देख रहे हो, सब पर गौर करो। इन जिहादियों का प्रपंच बहुत ही कसीला और खतरनाक है। इनकी सोच आपकी सोच से कई गुना आगे की होती है। ये आपकी सोफ्ट ब्रेनवाशिंग करते हैं, ताकि आपके बच्चे अपने आप इस्लाम में कन्वर्ट हो जाएं। आपके बच्चों को इस्लाम की कोई समझ नहीं और ना ही आपको है। इस्लाम की हकीकत जानने के लिये एक्स मुस्लिम के वीडियो देखें।
Manali ji sakal Ban ful Rahi sarson. Aapki aavaz sada Bahar rahen AISI prbhu SE prarthna..jivan Mai ભી baharen aayen .ek binti gate vakat mushkaan bani Rahe
Adbhut, perfect sur lage, with full energy, salute to ur gayki
RUclips is recommending this after I watched heeramandi series.
Same here
@@anushtuprouth अमीर खुसरो का लेखन जिहादी लेखन है। इसे समझने के लिये थोड़ा बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है। इस लेखन पर ध्यान दीजिये। ये कोई सामान्य महिलाएं अपने पति के लिये फूल नहीं सजा रही, बल्कि ये वे हिंदु महिलाएं हैं, जिनके पतियों को मारने के बाद उन्हें गुलाम भोगदासी बना लिया गया, और अब उन्हें मनाया जा रहा है अथवा श्रंगारित किया जा रहा है कि वे अपने मुस्लिम बलात्कारी के लिये अच्छा महसूस करे, उसके प्रति प्रेम में पड़े। जिहादियों ने वाकई बहुत ही तगड़ा काम किया है।।।। "छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाईके" भी ऐसा ही लेखन है। यह हिंदु महिला को जबरन इस्लाम में कन्वर्ट करने की कहानी है, और उसे श्रंगार रस में पिरोया जा रहा है। वाकई मुसलमानों का काम बहुत ही शातिर रहा। जिस पर अत्याचार किया जा रहा है, उसे अत्याचार में खुशी मनाने को प्रेरित किया जा रहा है। इसे सादवाद (Sadism) कहते हैं। इसे और अच्छे से समझाने के लिये मुझे वीडियो बनाना पड़ेगा। बॉलीवुड में किस तरह जिहाद को प्रमोट किया गया, उसके अनेको वीडियो पहले ही आ चुके हैं। इन संगीतज्ञ महिला से अनुरोध है, कृपया इस्लाम के जिहाद के बारे में थोड़ा जानें, और आप क्या गा रही हैं, उस पर गौर करें। जिहादियों का लेखन बहुत ही खतरनाक रहा है, लेकिन हिंदुओं को उसकी कोई समझ नहीं। जैसे तराना गायन में "बुदपरस्ती मेकु नेद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है और हिंदु उसे गा रहा है। हिंदु को मालूम ही नहीं कि ये मुर्तिपूजा को गंदा बताया जा रहा है। हिंदुओं के अज्ञानता की कोई सीमा नहीं है। संगीत में कुछ भी पिरो के दे दो, वो सुन लेंगे और तालियां भी बजाएँगे। आशा है धीरे धीरे हिंदुओं की आंखें खुलेंगी और वे शब्दों पर ध्यान देना सीखेंगे। शब्दों पर गौर करना सीखेंगे। आप सभी शब्दों पर गौर करना सीखें। इन मुस्लिमों ने जो भी लिखा है, उसमें जिहाद पिरोया हुआ है। जिहाद क्या होता है, ये जानना एक अलग मेहनत का काम है। यह बहुत ही वृहद विषय है। जिहाद का मतलब वो नहीं, जो मुसलमान आपको बताते हैं कि खुद से संघर्ष, बल्कि जिहाद का मतलब होता है - इस्लाम फैलाने की कोशिश, चाहे जैसे भी फैले इस्लाम, तलवार से, बंदुक से, गायन से, लेखन से, फिल्मों से, किसी को धोखा देकर, झूठ बोलकर, हत्या करके, अपने आलस्य से लड़कर, हिंदु महिला को प्रेमजाल में फंसाकर, सुफी गायन से, शायरी से। अगर किसी भी तरह इस्लाम फैल रहा हो, तो वही करना जिहाद कहलाता है। इस प्रकार प्रत्येक मुसलमान जिहाद करता है, और हिंदु उस जाल में फंसता जाता है। अपनी आंखें खोलो हिंदुओं, क्या गा रहे हो, क्या सुन रहे हो, क्या देख रहे हो, सब पर गौर करो। इन जिहादियों का प्रपंच बहुत ही कसीला और खतरनाक है। इनकी सोच आपकी सोच से कई गुना आगे की होती है। ये आपकी सोफ्ट ब्रेनवाशिंग करते हैं, ताकि आपके बच्चे अपने आप इस्लाम में कन्वर्ट हो जाएं। आपके बच्चों को इस्लाम की कोई समझ नहीं और ना ही आपको है। इस्लाम की हकीकत जानने के लिये एक्स मुस्लिम के वीडियो देखें।
❤❤
Manali di splendid rendition. Cannot believe I have never heard or heard off you
Good
Divine voice & singing! ❤
🎉🙏🎉
Simply outstanding
It is great to hear this song based on raag bahar sung by several great singers
Beautiful heavy and resonating voice.perfect.
Excellent
Like 644
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
Good morning dear
Very nice upload dear wha kya baat hai zabardas
Masha Allah
Aap ka jawab nahi
Very beautiful singing dear
Bohot khubsurat gate ho aap sun ke bohat acha lagta hai
So sweet voice dear
Jitni bhi tarif ki jaye kam hai aap ki
Thanks for sharing
👌👌👌👌👌♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️👌👌👌👌👌👌♥️♥️🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🥰🙏
Thank u for this 🙏
Very nice singing - watched this after listening in Heeramandi
Thank you! We have binge-watched the show too :)
Beautiful 👌🏻🙏🏻
Outstanding singing 🎶
Waah di
I enjoyed listening this!
💐💐💐💐❤️
Bahut sundar
Outstanding❤
Lovely 😂❤❤❤
Was it written by Amir Khusro? Ashiq Rang was the pen name of Bahadur Shah Zafar, the last Mughal Emperor.
Anuja K' you tube post clear it.
It's a widespread wrong information. Pardon her.
Yes. It was composed by Amir Khusro.. chap tilak and many more...
These are all inspired by, if not stolen, from Meera Bai's poetry. After Meera Bai's husband Raja Bhoj, and her father-in-law Rana Sangha died fighting the Mughals,, Meera Bai vanished from home. She was a poet, a singer and composer of Raags. But she disappeared, probably kidnapped. Her work was also stolen. Then it started reappearing in Mughal courts under the name of .Mohammad Shah Rangeele,. Her work also appears in the writings of Amir Khusro. Otherwise where did bhakti appear in the poems attributed to these two fellows. I mean Mohammad Shah rangeele was born in Afgha istan, had 3 elder brothers killed before he became king with the help of his supporters. He had them killed too later.
Such a heart touching melodious presentation
Glad you liked it
Pleasing rendition
Waah
really splendid !
Thanks a lot!
I did not expect this much 😢😢😢❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤🎉
Super❤❤
Excellently rendered! Like this bandish a lot!
Thanks for listening
Excellent ❤
Brilliant
🙏💐💐💐
Gen G 🙏🏼 thanks
Wawa
mem hindi me bole jab gana Hindi me to explanation English me kyo?
Kyuki yaha Hindi ke alawa alag bhasha bolne wala log bhi hain jo Hindi Nehi samajhte hain
Please apka number dijie
🎉🙏🎉