कलयुग में पूजा पाठ का महत्व | Sri Ram Katha | Ramcharit Manas | 0001

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  • Опубликовано: 26 окт 2024
  • कलियुग भारतीय पौराणिक कथाओं में चार युगों (युग) में से अंतिम युग है। ये चार युग हैं: सत्य युग (Krita Yuga): यह युग सत्य और धर्म का युग माना जाता है। इसमें लोग सत्य, न्याय, और धर्म के अनुसार जीवन जीते थे। मानवता की नैतिकता और आत्मा की शुद्धता उच्चतम स्तर पर थी। तामस युग (Treta Yuga): इस युग में धर्म का थोड़ा ह्रास होता है, लेकिन फिर भी यह एक उच्च नैतिकता का युग है। इसमें रामायण जैसे महाकाव्य की कथाएँ आती हैं, जहाँ भगवान राम ने अन्याय का सामना किया। द्वापर युग (Dvapara Yuga): इस युग में धर्म और अधर्म के बीच संघर्ष बढ़ जाता है। महाभारत की कथा इस युग में घटित होती है, जहाँ धर्म की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण का अवतार होता है। कलियुग (Kali Yuga): यह युग सबसे अंधकारमय और अधर्म का युग है। इस युग में मानवता की नैतिकता में गिरावट आई है, और लोग स्वार्थी और असामाजिक हो गए हैं। कलियुग में लोग अपनी आत्मा की शुद्धता को भुला चुके हैं और भौतिकता के पीछे भागते हैं।कलियुग की महत्वपूर्ण बातें: यह युग 432,000 वर्षों तक चलेगा, और इसकी शुरुआत भगवान कृष्ण के निधन के बाद मानी जाती है। इसमें साधना और भक्ति का विशेष महत्व है, क्योंकि मानवता को आत्मा की शुद्धता के लिए प्रयासरत रहना होता है। इस युग में भक्ति और धार्मिकता की शक्ति से लोगों को उद्धार मिलने की संभावना रहती है।युगों का महत्व: ये युग हमें मानवता के उत्थान और पतन के विभिन्न चरणों को समझने में मदद करते हैं। प्रत्येक युग का अपना महत्व है और जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है। ये युग हमें यह सिखाते हैं कि कैसे हमें अपनी नैतिकता और मूल्यों को बनाए रखना चाहिए, चाहे जो भी परिस्थिति हो।इस प्रकार, चार युगों की अवधारणा न केवल धार्मिक बल्कि नैतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

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