वीतराग सर्वज्ञ देव की जय जिनेंद्र प्रभु को मेरा कोटि कोटि नमोस्तु. यह 12 भावना मनुष्य तथा संसार के सभी जीवो के जीवन का सही चित्रण करती है कि संसार में सुख नाम की कोई चीज नहीं है तथा जिनेंद्र प्रभु की शरण के अलावा भव संसार से मुक्ति का भी कोई मार्ग नहीं है तथा इस बारह भावना मैं वर्णित संसार के दुखों की व्याख्या से बैरागी की उत्पत्ति होती है जय जिनेंद्र
Jai jinendra ji Namostu bhagwan Namostu Acharya Shree ji Namostu gurudev Jai jai gurudev Jaikara gurudev ka jai jai gurudev Jai Ho Shri Acharya Bhagwan Vudyasagar Ji Maha Muniraj Ki Jai Ho Jain Dharam Ki Jai Ho Jainam Jayatu Shasanam.... 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
प्रति दिन इन बारह भावनाओं का चिन्तन करने से संसार से वैराग्य की भावनाओं में वृद्धि होती है जिससे ये संसार की सब वस्तुऐं विनसवर लगती है तथा ये सभी क्षणभंगुर सी है इनसे मोह करना व्यर्थ सा लगता है ।
देव धर्म गुरु शरण जगत मे और नही कोई भ्रम से फिरे भटकता चेतन युही उम्र खोयी और मानुष जन्म अनेक विपत्ति मय कही ना सुख देखा Ye lines mujhe bhot dil se pasand aayi hai
कहाँ गये चक्री जिन जीता, भरत खण्ड सारा। कहाँ गये वह राम-रु-लक्ष्मण, जिन रावण मारा॥ कहाँ कृष्ण रुक्मणी सतभामा, अरुसंपति सगरी। कहाँ गये वह रंगमहल अरु, सुवरन की नगरी||(2) नहीं रहे वह लोभी कौरव, जूझ मरे रन में। गये राज तज पांडव वन को, अगनि लगी तन में॥ मोह- नींद से उठ रे चेतन, तुझे जगावन को। हो दयाल उपदेश करैं, गुरु बारह भावन को||(3) 1. अनित्य भावना सूरज चाँद छिपै निकलै ऋतु, फिर फिर कर आवै। प्यारी आयु ऐसीबीतै, पता नहीं पावै॥ पर्वत-पतित-नदी-सरिता-जल, बहकर नहिं हटता। स्वास चलत यों घटै काठ ज्यों, आरे सों कटता||(4) ओस-बूंद ज्यों गले धूप में, वा अंजुलि पानी। छिन-छिन यौवन छीन होत है, क्या समझै प्रानी॥ इंद्रजाल आकाश नगर सम,जग-संपत्ति सारी। अथिर रूप संसार विचारो, सब नर अरु नारी||(5) 2. अशरण भावना काल-सिंह ने मृग- चेतन को घेरा भव वन में। नहीं बचावन हारा कोई, यों समझो मन में॥ मंत्र तंत्र सेना धन संपति, राज पाट छूटे। वश नहिं चलता काल लुटेरा,काय नगरि लूटे||(6) चक्ररत्न हलधर सा भाई, काम नहीं आया। एक तीर के लगत कृष्ण की विनश गई काया॥ देव धर्म गुरु शरण जगत में, और नहीं कोई। भ्रम से फिरै भटकता चेतन, यूँ ही उमर खोई||(7) 3. संसार भावना जनम-मरण अरु जरा- रोग से,सदा दु:खी रहता। द्रव्य क्षेत्र अरु काल भाव भव-परिवर्तन सहता॥ छेदन भेदन नरकपशुगति, वध बंधन सहना। राग-उदय से दु:ख सुर गति में, कहाँ सुखी रहना||(8) भोगिपुण्य फल हो इक इंद्री, क्या इसमें लाली। कुतवाली दिन चार वही फिर, खुरपा अरुजाली॥ मानुष-जन्म अनेक विपत्तिमय, कहीं न सुख देखा। पंचम गति सुख मिले शुभाशुभ को मेटो लेखा||(9) 4. एकत्व भावना जन्मै मरै अकेला चेतन, सुख-दु:ख का भोगी। और किसी का क्या इक दिन, यह देह जुदी होगी॥ कमला चलत न पैड़ जाय,मरघट तक परिवारा। अपने अपने सुख को रोवैं, पिता पुत्र दारा||(10) ज्यों मेले में पंथीजन मिल नेह फिरैं धरते। ज्यों तरुवर पै रैन बसेरा पंछी आ करते॥ कोस कोई दो कोस कोई उड़ फिर थक-थक हारै। जाय अकेला हंस संग में, कोई न पर मारै||(11) 5. अन्यत्व भावना मोह-रूप मृग-तृष्णा जग में, मिथ्या जल चमकै। मृग चेतन नितभ्रम में उठ उठ, दौड़े थक थककै॥ जल नहिं पावै प्राण गमावे, भटक भटक मरता। वस्तु पराई माने अपनी, भेद नहीं करता||(12) तू चेतन अरु देह अचेतन, यह जड़ तू ज्ञानी। मिले-अनादि यतन तैं बिछुडै, ज्यों पय अरु पानी॥ रूप तुम्हारा सबसों न्यारा, भेद ज्ञान करना। जौलों पौरुष थकै न तौलों उद्यम सों चरना||(13) 6. अशुचि भावना तू नित पोखै यह सूखे ज्यों, धोवै त्यों मैली। निश दिन करे उपाय देह का, रोग-दशा फैली॥ मात-पिता-रज-वीरज मिलकर, बनी देह तेरी। मांस हाड़ नशलहू राध की, प्रगट व्याधि घेरी||(14) काना पौंडा पड़ा हाथ यह चूसै तो रोवै। फलै अनंत जु धर्म ध्यान की, भूमि-विषै बोवै॥ केसर चंदन पुष्प सुगन्धित, वस्तु देख सारी। देह परसते होय, अपावन निशदिन मल जारी||(15) 7. आस्रव भावना ज्यों सर-जल आवत मोरी त्यों, आस्रव कर्मन को। दर्वित जीव प्रदेश गहै जब पुद्गल भरमन को॥ भावित आस्रव भाव शुभाशुभ, निशदिन चेतन को। पाप पुण्य के दोनों करता,कारण बन्धन को||(16) पन-मिथ्यात योग- पन्द्रह द्वादश- अविरत जानो। पंच रु बीसकषाय मिले सब, सत्तावन मानो॥ मोह- भाव की ममता टारै, पर परिणति खोते। करै मोख का यतन निरास्रव, ज्ञानी जन होते||(17) 8. संवर भावना ज्यों मोरी में डाटलगावै, तब जल रुक जाता। त्यों आस्रव को रोकै संवर, क्यों नहिं मन लाता॥ पंचमहाव्रत समिति गुप्तिकर वचन काय मन को। दशविध-धर्म परीषह-बाईस, बारह भावन को||(18) यह सब भाव सत्तावन मिलकर, आस्रव को खोते। सुपन दशा से जागो चेतन, कहाँपड़े सोते॥ भाव शुभाशुभ रहित शुद्ध- भावन- संवर भावै। डाँट लगत यह नाव पड़ी मझधार पार जावै||(19) 9. निर्जरा भावना ज्यों सरवर जल रुका सूखता, तपन पड़ै भारी। संवर रोकै कर्म निर्जरा, ह्वै सोखन हारी॥ उदय-भोग सविपाक-समय, पक जाय आमडाली। दूजी है अविपाक पकावै, पालविषै माली||(20) पहली सबके होय नहीं, कुछ सरैकाज तेरा। दूजी करै जू उद्यम करकै, मिटे जगत फेरा॥ संवर सहित करो तप प्रानी,मिलै मुकत रानी। इस दुलहिन की यही सहेली, जानै सब ज्ञानी||(21
@@surbhijain1483 10. लोक भावना लोक अलोक आकाश माहिं थिर, निराधार जानो। पुरुष रूप कर- कटी भये षट् द्रव्यन सोंमानो॥ इसका कोई न करता हरता, अमिट अनादी है। जीवरु पुद्गल नाचै यामैं, कर्मउपाधी है||(22) पाप पुण्य सों जीव जगत में, नित सुख दु:ख भरता। अपनी करनी आप भरै सिर, औरन के धरता॥ मोह कर्म को नाश, मेटकर सब जग की आसा। निज पद में थिरहोय लोक के, शीश करो वासा||(23) 11. बोधि-दुर्लभ भावना दुर्लभ है निगोद सेथावर, अरु त्रस गति पानी। नर काया को सुरपति तरसै सो दुर्लभ प्रानी॥ उत्तमदेश सुसंगति दुर्लभ, श्रावक कुल पाना। दुर्लभ सम्यक् दुर्लभ संयम, पंचम गुणठाना||(24) दुर्लभ रत्नत्रय आराधन दीक्षा का धरना। दुर्लभ मुनिवर के व्रत पालन,शुद्ध भाव करना॥ दुर्लभ से दुर्लभ है चेतन, बोधि ज्ञान पावै। पाकर केवलज्ञान नहीं फिर, इस भव में आवे||(25) 12. धर्म भावना धर्म अहिंसा परमो धर्म: ही सच्चा जानो। जो पर को दुख दे, सुख माने, उसे पतित मानो॥ राग द्वेष मद मोह घटा आतम रुचि प्रकटावे। धर्म-पोत पर चढ़ प्राणी भव-सिन्धु पार जावे||(26) वीतरागसर्वज्ञ दोष बिन, श्रीजिन की वानी। सप्त तत्त्व का वर्णन जामें, सबको सुखदानी॥ इनका चिंतवन बार-बार कर, श्रद्धा उर धरना। ‘मंगत’ इसी जतनतैं इकदिन,भव-सागर-तरना||(27)
Jai Jinendra ji Namostu Bhagwan Namostu Acharya Shree ji Namostu gurudev Jai jai gurudev Jaikara Gurudev Ka jai jai gurudev Jai Ho Shri Acharya Bhagwan Vidyasagar Ji Maha Muniraj Ki Jai Ho Jain Dharam Ki Jai Ho Jainam Jayatu Shasanam…..🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
विज्ञापन को भावना के प्रारंभ या अंत मे सुविधानुसार रखे किन्तु मध्य में रखने से भावना की सरल सरिता में अवरोध उत्त्पन्न होता है बहुत सुंदर प्रस्तुति।जय जिनेन्द्र।
हर जीव को इन बारह भावनाऔं का दैनिक रूप से चिंतन करना चाहिए । इस संसार की नशवरता ही सवीकार करनी चाहिए । आज जो है कल उसका सवरूप बदलता रहता है सदा एकसा नहीं रहता है ।
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Dr Manju Jain is doing drugless therapy for every problem by Bhakatamar Strotra.You can join her free class everyday on zoom app on this link. Timing-7:30 PM -9:30PM us02web.zoom.us/j/83989706088?pwd=VlVGUkVxWnRKbUJuNGhlVXZadzhVdz09
@@mamatarjainmamatarjain8172 Dr Manju Jain is doing drugless therapy of every problem by bhakatamara strotra.You can contact her by joining her free classes on Zoom app by the given link. timing is 7:30 p.m.to 9:30 p.m.us02web.zoom.us/j/83989706088?pwd=VlVGUkVxWnRKbUJuNGhlVXZadzhVdz09 She will definitely help you.
@@JainBhajanBrijwani of our family z up or A l I me oooook iook up opo no of ho ko ok ooo up o ok no one knows o lol ok ki ok ooo look to no ok look ok l up ok no l ok no opjjoio up o ok o no no j ok of I come k ok i ok look ok o I l ok b
Jai jinendra ji Namostu bhagwan Namostu Acharya Shree ji Namostu gurudev Jai Jai gurudev Jaikara gurudev ka Jai Jai gurudev Jai ho Shri Acharya bhagwan vidhyasagar ji maha muniraj ki jai ho Jain Dharam ki jai ho Jainam Jayatu Shasanam..::🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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वीतराग सर्वज्ञ देव की जय
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यह 12 भावना मनुष्य तथा संसार के सभी जीवो के जीवन का सही चित्रण करती है कि संसार में सुख नाम की कोई चीज नहीं है तथा जिनेंद्र प्रभु की शरण के अलावा भव संसार से मुक्ति का भी कोई मार्ग नहीं है तथा इस बारह भावना मैं वर्णित संसार के दुखों की व्याख्या से बैरागी की उत्पत्ति होती है
जय जिनेंद्र
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बहुत सुंदर ! दिल को छू लेने वाली बारह भावना मैं हमेशा सुनती हूँ , राकेशजी की आवाज भी बहुत मधुर !
Super
Barah bhawna is very 👌👌👌good
I loved it
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🙏
P.c.
Aap ke dwara varnit barah bhawnao ka swarroop gayan is appreciable &it promote my theem& thoughts. Thanks
who can dislike this😠......this is the reality of the life cycle.just love this.really inspiring.
Murkho ki kami Ni hai....dislike karne wale Wahi sb hai....
My
🙏
@@vikashjain6710see Zee XD XD
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@@veermatijain7944 ba
प्रति दिन इन बारह भावनाओं का चिन्तन करने से संसार से वैराग्य की भावनाओं में वृद्धि होती है जिससे ये संसार की सब वस्तुऐं विनसवर लगती है तथा ये सभी क्षणभंगुर सी है इनसे मोह करना व्यर्थ सा लगता है ।
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देव धर्म गुरु शरण जगत मे और नही कोई भ्रम से फिरे भटकता चेतन युही उम्र खोयी और
मानुष जन्म अनेक विपत्ति मय कही ना सुख देखा
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यह भावना बहुत सुंदर है तथा मन को शांति प्रदान करता है। बहुत ही मधुर वाणी में गया है।
अवश्य सुनेंruclips.net/video/hOiXl2tucd4/видео.html
Jayjinendra
आपकी मधुर वाणी से इस भजन का महत्व ही बड गया और नित्य सुबह इसको सुनने से जीवन की सत्यता को समझने का प्रयास करना चाहिए अति उत्तम 👍👍👍🙏🙏
०
बहुत-बहुत सुदंर 🙏👌👌
कहाँ गये चक्री जिन जीता, भरत खण्ड सारा।
कहाँ गये वह राम-रु-लक्ष्मण, जिन रावण मारा॥
कहाँ कृष्ण रुक्मणी सतभामा, अरुसंपति सगरी।
कहाँ गये वह रंगमहल अरु, सुवरन की नगरी||(2)
नहीं रहे वह लोभी कौरव, जूझ मरे रन में।
गये राज तज पांडव वन को, अगनि लगी तन में॥
मोह- नींद से उठ रे चेतन, तुझे जगावन को।
हो दयाल उपदेश करैं, गुरु बारह भावन को||(3)
1. अनित्य भावना
सूरज चाँद छिपै निकलै ऋतु, फिर फिर कर आवै।
प्यारी आयु ऐसीबीतै, पता नहीं पावै॥
पर्वत-पतित-नदी-सरिता-जल, बहकर नहिं हटता।
स्वास चलत यों घटै काठ ज्यों, आरे सों कटता||(4)
ओस-बूंद ज्यों गले धूप में, वा अंजुलि पानी।
छिन-छिन यौवन छीन होत है, क्या समझै प्रानी॥
इंद्रजाल आकाश नगर सम,जग-संपत्ति सारी।
अथिर रूप संसार विचारो, सब नर अरु नारी||(5)
2. अशरण भावना
काल-सिंह ने मृग- चेतन को घेरा भव वन में।
नहीं बचावन हारा कोई, यों समझो मन में॥
मंत्र तंत्र सेना धन संपति, राज पाट छूटे।
वश नहिं चलता काल लुटेरा,काय नगरि लूटे||(6)
चक्ररत्न हलधर सा भाई, काम नहीं आया।
एक तीर के लगत कृष्ण की विनश गई काया॥
देव धर्म गुरु शरण जगत में, और नहीं कोई।
भ्रम से फिरै भटकता चेतन, यूँ ही उमर खोई||(7)
3. संसार भावना
जनम-मरण अरु जरा- रोग से,सदा दु:खी रहता।
द्रव्य क्षेत्र अरु काल भाव भव-परिवर्तन सहता॥
छेदन भेदन नरकपशुगति, वध बंधन सहना।
राग-उदय से दु:ख सुर गति में, कहाँ सुखी रहना||(8)
भोगिपुण्य फल हो इक इंद्री, क्या इसमें लाली।
कुतवाली दिन चार वही फिर, खुरपा अरुजाली॥
मानुष-जन्म अनेक विपत्तिमय, कहीं न सुख देखा।
पंचम गति सुख मिले शुभाशुभ को मेटो लेखा||(9)
4. एकत्व भावना
जन्मै मरै अकेला चेतन, सुख-दु:ख का भोगी।
और किसी का क्या इक दिन, यह देह जुदी होगी॥
कमला चलत न पैड़ जाय,मरघट तक परिवारा।
अपने अपने सुख को रोवैं, पिता पुत्र दारा||(10)
ज्यों मेले में पंथीजन मिल नेह फिरैं धरते।
ज्यों तरुवर पै रैन बसेरा पंछी आ करते॥
कोस कोई दो कोस कोई उड़ फिर थक-थक हारै।
जाय अकेला हंस संग में, कोई न पर मारै||(11)
5. अन्यत्व भावना
मोह-रूप मृग-तृष्णा जग में, मिथ्या जल चमकै।
मृग चेतन नितभ्रम में उठ उठ, दौड़े थक थककै॥
जल नहिं पावै प्राण गमावे, भटक भटक मरता।
वस्तु पराई माने अपनी, भेद नहीं करता||(12)
तू चेतन अरु देह अचेतन, यह जड़ तू ज्ञानी।
मिले-अनादि यतन तैं बिछुडै, ज्यों पय अरु पानी॥
रूप तुम्हारा सबसों न्यारा, भेद ज्ञान करना।
जौलों पौरुष थकै न तौलों उद्यम सों चरना||(13)
6. अशुचि भावना
तू नित पोखै यह सूखे ज्यों, धोवै त्यों मैली।
निश दिन करे उपाय देह का, रोग-दशा फैली॥
मात-पिता-रज-वीरज मिलकर, बनी देह तेरी।
मांस हाड़ नशलहू राध की, प्रगट व्याधि घेरी||(14)
काना पौंडा पड़ा हाथ यह चूसै तो रोवै।
फलै अनंत जु धर्म ध्यान की, भूमि-विषै बोवै॥
केसर चंदन पुष्प सुगन्धित, वस्तु देख सारी।
देह परसते होय, अपावन निशदिन मल जारी||(15)
7. आस्रव भावना
ज्यों सर-जल आवत मोरी त्यों, आस्रव कर्मन को।
दर्वित जीव प्रदेश गहै जब पुद्गल भरमन को॥
भावित आस्रव भाव शुभाशुभ, निशदिन चेतन को।
पाप पुण्य के दोनों करता,कारण बन्धन को||(16)
पन-मिथ्यात योग- पन्द्रह द्वादश- अविरत जानो।
पंच रु बीसकषाय मिले सब, सत्तावन मानो॥
मोह- भाव की ममता टारै, पर परिणति खोते।
करै मोख का यतन निरास्रव, ज्ञानी जन होते||(17)
8. संवर भावना
ज्यों मोरी में डाटलगावै, तब जल रुक जाता।
त्यों आस्रव को रोकै संवर, क्यों नहिं मन लाता॥
पंचमहाव्रत समिति गुप्तिकर वचन काय मन को।
दशविध-धर्म परीषह-बाईस, बारह भावन को||(18)
यह सब भाव सत्तावन मिलकर, आस्रव को खोते।
सुपन दशा से जागो चेतन, कहाँपड़े सोते॥
भाव शुभाशुभ रहित शुद्ध- भावन- संवर भावै।
डाँट लगत यह नाव पड़ी मझधार पार जावै||(19)
9. निर्जरा भावना
ज्यों सरवर जल रुका सूखता, तपन पड़ै भारी।
संवर रोकै कर्म निर्जरा, ह्वै सोखन हारी॥
उदय-भोग सविपाक-समय, पक जाय आमडाली।
दूजी है अविपाक पकावै, पालविषै माली||(20)
पहली सबके होय नहीं, कुछ सरैकाज तेरा।
दूजी करै जू उद्यम करकै, मिटे जगत फेरा॥
संवर सहित करो तप प्रानी,मिलै मुकत रानी।
इस दुलहिन की यही सहेली, जानै सब ज्ञानी||(21
Aap ne nine bhawna hi likhi
@@santoshbhansali9003 mera ek aur comment hai usme bachi hui likhi hai
@@rubinjain7014 baaki yahin reply mein post kar dijiye pls
@@surbhijain1483 10. लोक भावना
लोक अलोक आकाश माहिं थिर, निराधार जानो।
पुरुष रूप कर- कटी भये षट् द्रव्यन सोंमानो॥
इसका कोई न करता हरता, अमिट अनादी है।
जीवरु पुद्गल नाचै यामैं, कर्मउपाधी है||(22)
पाप पुण्य सों जीव जगत में, नित सुख दु:ख भरता।
अपनी करनी आप भरै सिर, औरन के धरता॥
मोह कर्म को नाश, मेटकर सब जग की आसा।
निज पद में थिरहोय लोक के, शीश करो वासा||(23)
11. बोधि-दुर्लभ भावना
दुर्लभ है निगोद सेथावर, अरु त्रस गति पानी।
नर काया को सुरपति तरसै सो दुर्लभ प्रानी॥
उत्तमदेश सुसंगति दुर्लभ, श्रावक कुल पाना।
दुर्लभ सम्यक् दुर्लभ संयम, पंचम गुणठाना||(24)
दुर्लभ रत्नत्रय आराधन दीक्षा का धरना।
दुर्लभ मुनिवर के व्रत पालन,शुद्ध भाव करना॥
दुर्लभ से दुर्लभ है चेतन, बोधि ज्ञान पावै।
पाकर केवलज्ञान नहीं फिर, इस भव में आवे||(25)
12. धर्म भावना
धर्म अहिंसा परमो धर्म: ही सच्चा जानो।
जो पर को दुख दे, सुख माने, उसे पतित मानो॥
राग द्वेष मद मोह घटा आतम रुचि प्रकटावे।
धर्म-पोत पर चढ़ प्राणी भव-सिन्धु पार जावे||(26)
वीतरागसर्वज्ञ दोष बिन, श्रीजिन की वानी।
सप्त तत्त्व का वर्णन जामें, सबको सुखदानी॥
इनका चिंतवन बार-बार कर, श्रद्धा उर धरना।
‘मंगत’ इसी जतनतैं इकदिन,भव-सागर-तरना||(27)
Mm
अंतर आत्मा को छू लेती है यह मारे भावना, 🙏 जय हो पंच परमेष्ठी भगवान की
Qtum
@@priyajain4800 koon inka inka koon inka until hook
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Jai Jinendra ji
Namostu Bhagwan
Namostu Acharya Shree ji
Namostu gurudev
Jai jai gurudev
Jaikara Gurudev Ka jai jai gurudev
Jai Ho Shri Acharya Bhagwan Vidyasagar Ji Maha Muniraj Ki Jai Ho
Jain Dharam Ki Jai Ho
Jainam Jayatu Shasanam…..🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jay jinendra
Bahut sunder bhav avaj v dhoon 🙏🙏🙏
Heart touching
Bhot sunder.. 🙏🏻 Jainam Jayatu Shashnam 🙏🏻
Jai Jinendra
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கெ
ழ
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Gkllbdeghklkjuojvfejdlrirjidodi🥍
विज्ञापन को भावना के प्रारंभ या अंत मे सुविधानुसार रखे किन्तु मध्य में रखने से भावना की सरल सरिता में अवरोध उत्त्पन्न होता है बहुत सुंदर प्रस्तुति।जय जिनेन्द्र।
अतिसुंदर आवाज ओर शब्दरचना
Cccccccccccccccccccccccccccc
Jivan ki hakkikat
Very nice jain bhajan
Jai Jinendra
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बारह भावना का चिंतन हमेशा करना चाहिए इसमें संसार असार है को प्राथमिकता दी है nice voice❤️❤️❤️❤️❤️
Very very touching👌
Plz don't give so much ads between bhajans
Seems professional on religious platform!!
@@parasvaria8045 no no no no no j
@@parasvaria8045 no
@@parasvaria8045 no
@@lataruiwale48 Even non veg Ads are disclosed while we r watching 12 bhavna. Means it's indirect anumodan to that companies!!
Namostu gurudev
Jai ho 🙏🙏🙏🙏🙏
Agar aapko bhi jai ho kehna hai to,
Hit like 👉
Kumbh
@@sumitjain678 😂😂😂😂
@@sumitjain678hhuhh
Barahabhavna dil ko छू lenewali hai. Itne icchi dhun मे गाया की सुनते ही रहो. हम अपने आचरण में लाने के लिए प्रयास करेंगे. 🙏🌸🙏🌸🙏🌸
Jai Jinendra
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सम्पूर्ण जीवन का सार इन बारह भावनाओं में भरा हुआ है वैराग्य वर्धक भावना हैं रोज सुनने से परिणामो में निर्मलता जरूर आती है
Please don't give so much ads between Barack bhawna
Bhut sundar 👌
Bahut accha gate ho aap. Aapki awaaz sun kar accha lagta hai
Jai Jinendra,
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Goodluck
Kaushal Kumar Jain Papdi
@@JainBhajanBrijwani qq¹q¹¹qqqqqqqqqqqqqqqqq😊qqqqqqqqqqqqqqqqqqqqq😊qqqqqq¹qqqqq😊qqqqq😊😊qq😊qq😊q😊qqqqq😊😊qqqqq😊😊😊qqqqqqqqqq😊😊q1qq😊qqq😊😊😊qqqqqqqq😊q¹q1😊q1qqqq😊q1¹q1qqqqqqq¹q1qqqqq😊q¹11th q1qqqqq1¹11qqq¹qq😊q¹q1qqqq q qqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqq¹
Om arham namaha !
ruclips.net/video/0wt54ow31dQ/видео.html🙏🙏🙏🙏
Bahut hi manmohak prastuti. Sunder awaz evam sunder vs shuddh ucharan🙏🏻🙏🏻
Cute
bharah bhava na very nice
lovely song
Jai Jinendra
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हर जीव को इन बारह भावनाऔं का दैनिक रूप से चिंतन करना चाहिए । इस संसार की नशवरता ही सवीकार करनी चाहिए । आज जो है कल उसका सवरूप बदलता रहता है सदा एकसा नहीं रहता है ।
😊😊😊¹😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊¹😊¹😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊
😊😊😊
😅dRRRRRRRR
0p
Deh nashwar Aathma Amar hai .Acche se Acche milthi hai 🙏🙏🙏🙏🙏❤️Jai Jinendra ❤️❤️❤️
Jai Jinendra ji
Namostu bhagwan
Namostu Acharya Shree ji
Namostu gurudev
Jai Jai gurudev
Jaikara gurudev ka Jai Jai gurudev
Jai ho Shri Acharya bhagwan vidhyasagar ji maha muniraj ki jai ho
Jain Dharam ki jai ho
Jainam Jayatu Shasanam.....🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
बचपन से माँ दादी के मुख से सुनती आ रही हूँ
पर आपकी आवाज नित नित आत्मा को जगा रही है 🙏
ruclips.net/video/0wt54ow31dQ/видео.html
👍👍👍
😊😊😊😊@@manojgoyal672ppppppp
Sun kar shanti mil gai
बारह भावना का दैनिक चिंतन करना चाहिए ।
Jay Jinendra
बहुत ही शानदार आवाज है।गायककार को बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएंँ। 🙏😊
Verynice
Shaandaar
Cute song & voice
@@ashokkumargodha9188 00
Proud to be jain
Y hai reality life ki bahut sahi h...jitna sunte utna achha lagta...
ೖಢೈಮ್ಯೈಚಣ್ಣ
Rakesh kala g ki aawaz me barah vaabna shandaar
आत्म कल्याण हेतु सर्वोत्तम विनती ।
bahot badiya jai jinendra
Jai Jinendra
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Man Nirmal ho gaya. Aap ka mangal ho
ऑसम साउंड दिव्यध्वनी जैसा प्रतित होताहै सुनने को बार बार दिल करता है 🙏🏻प्रणाम जी जय जिनेंद्र
Kai bar suna man baichen ho to sun se man Prasanna ho jata hai heart touch feeling 🙏🙏
Jai Jinendra
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Bhai app ek sadhrmik ki kuch madat karege
Ok
Very very nice bhavana
Jai Jinendra
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Jai guru dev 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Jai Jinendra
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हर शव्द का मतलव हैं और जीवन की वस्विकता अति सुंदर
ओं:
Feeling proud to be jain
Heart 💜❤ touching bhakti
Am
Hm
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L
Ftrg)t4w
धन्यवाद सा,गीतकार,संगीतकार और गायक श्री राकेश जी काला को,इस तरह के गीत विरले ही होते है
🙏🙏🙏🙏 Proud to be Jain.
Ben mere pati boat bimaar he hame madat Karo. Please
Dr Manju Jain is doing drugless therapy for every problem by Bhakatamar Strotra.You can join her free class everyday on zoom app on this link.
Timing-7:30 PM -9:30PM
us02web.zoom.us/j/83989706088?pwd=VlVGUkVxWnRKbUJuNGhlVXZadzhVdz09
@@mamatarjainmamatarjain8172 Dr Manju Jain is doing drugless therapy of every problem by bhakatamara strotra.You can contact her by joining her free classes on Zoom app by the given link.
timing is 7:30 p.m.to 9:30 p.m.us02web.zoom.us/j/83989706088?pwd=VlVGUkVxWnRKbUJuNGhlVXZadzhVdz09
She will definitely help you.
@@seemajain2620 behn mere pati boat bimaar he OR bache chote he kahi baar hame khana bhi nahi milta Keya kare
@@seemajain2620 seena ji mere pati boat bimaar he OR bache chote me else karu Hume roti bhi nahi milti
यह भावना से मन बहुत शांत होता है सुनने
Really it is heart touching nd very emotional bhakti
When I have upset then i listen this barah bhavna
I completely feel positive energy
Jai Jinendra
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@@JainBhajanBrijwani of our family z up or A l I me oooook iook up opo no of ho ko ok ooo up o ok no one knows o lol ok ki ok ooo look to no ok look ok l up ok no l ok no opjjoio up o ok o no no j ok of I come k ok i ok look ok o I l ok b
Bhai App ek sadhrmik ki Koch madat karege
HEMANT JAIN
@@OpJain-yr8zj bole. Bhai jai jinendra
शब्द ऐसे जो दिल को छू जाये ❣️
बहुत सुन्दर
Jai Jinendra,
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Hello
Very nice Rakesh ji kala
Beautiful
🙏🙏🙏🙏🙏
ruclips.net/video/0wt54ow31dQ/видео.html
Jain dharam ki jai
Very nice
Jai Jinendra,
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Very nice
Jai jeneder
Song of life
Uplifting lyrics
It brings positive energy.✨
My mom used to listen it every morning !
ruclips.net/video/0wt54ow31dQ/видео.html🙏🙏🙏🙏
@@gaurvijain30 it does not
@@gaurvijain30 ल्ल
Bahut sundar
Jai Jinendra,
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Nitvand
Wonderful ✨😍
જય જિનેન્દ્ર
Ha song bhot nice ha
Ufj
Nity sunne chaiye
@@flyinggaming2045 song nhi bhavna hai bache
SO GOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOOO..................D BHAVNA ATMA PRASSAN HO GAI
Jai Jinendra
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Barah bhavna bhajan is very heart touching.
Very nice bhajan 🙏🏻🙏🏻
Voice is very beautiful
Jin dharma ka sar hai barah bhavna
Jai Jinendra Ji
Bahut hi sunder Bhavana gayi hai aapne congratulations
🙏🙏🙏 beautiful
ruclips.net/video/0wt54ow31dQ/видео.html🙏🙏🙏🙏
Jai Jinendra
Jai Jinendra
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shandaar voice rakesh jee jay ho
Jai Jinendra
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बहुत सुन्दर रचना है।
Jai Jinendra,
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man ko santi
Karen
इ मेल पज
bahut hi accha hai
Jai Jinendra
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@@JainBhajanBrijwani ok
Baarah bhawabna is. Sing a song
More beautiful.
So most heartiest, powerful, nice.
Thank you.
As well as public reply was were
As soon as good, heartiest, beautiful.
Thank you.
Y ji j
We listen to it almost everyday....☺
Everyday listen very nice
अति अति सुन्दर👍👌
Mujhe lagta hai unhone dislike kiya hoga jinko iti sari ads dekni padi ho ...🤣🤣
Kyoki bhai ne bohut sari ads k liye bohut sare ₹ 💰💵💴💶 mil rahe hai 🤣🤣🤣
Jai ho jain jinvani
Jai jinendra ji
Namostu bhagwan
Namostu Acharya Shree ji
Namostu gurudev
Jai Jai gurudev
Jaikara gurudev ka Jai Jai gurudev
Jai ho Shri Acharya bhagwan vidhyasagar ji maha muniraj ki jai ho
Jain Dharam ki jai ho
Jainam Jayatu Shasanam..::🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
I listen to it daily. Very nice
Hua kuchh 🙏🙏 abhi tak 🙏🙏
इस भजन को सुनने में अपार शांति मिलती है
Z
Sundar
jai jinendra
Jai Jinendra
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Nice bhavna
Aa
Ek ek shabd sunne layak hai
@@manishajain9588 roll
@@jainsk889 11
⁰⁰⁰⁰⁰0000
@@jainsk889 2
@@Roman-xv1jy 😂q
Prabhu Mere M Jivanme Uttam Bhavna Rakhu Eisha Vichar Or Achran Dijiye.
Jai Jinendra,
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Kiran Shah
Jain Bhajan
M
,,.
@@manojkumarjain464
Sunil jain
बहुत अच्छा भजन मेरा पसंदीदा भजन है
P
J
9
P c bandhu ashoknagar
Nice voice
Jai Jinendra,
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Avni Raonka nice song
0
@@avnishjain9294 b
M
6289061227🎧🎧🎵🎶❤❤🎧❤🎧❤🎧❤🎧💕💖💖
I love this song
Please No add between
बहुत सुंदर 🙏
Good one. Like the voice of singer. Hope he gets more songs to sing.
Jai jinendra
Very nice
Jai Jinendra,
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Abhishek Jain
Bhut hi sundar hai
Thanks For Removing Ads .
Jai jinendra ji
Namostu bhagwan
Namostu Acharya Shree ji
Namostu gurudev
Jai Jai gurudev
Jaikara gurudev ka Jai Jai gurudev
Jai ho Shri Acharya bhagwan vidhyasagar ji maha muniraj ki jai ho
Jain Dharam ki jai ho
Jainam Jayatu Shasanam.....🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Very nice
Jai Jinendra,
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Jai Jinendra ji
Namostu bhagwan
Namostu Acharya Shree ji
Namostu gurudev
Jai Jai gurudev
Jaikara gurudev ka Jai Jai gurudev
Jai ho Shri Acharya bhagwan vidhyasagar Ji maha muniraj ki jai ho
Jain Dharam ki jai ho
Jainam Jayatu Shasanam.....🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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Very nice