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राजा राणा छत्रपति हाथिन के असवार || बारह भावना || Raja Rana Chatrapati || Barah Bhavana
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- Опубликовано: 6 авг 2024
- Song : Raja Rana Chatrapati Barah Bhavana
Album : Barah Bhavana
Singer : Rakesh Kala
Lyrics : Pd. Shri Bhudardass Ji
Music : M.S.Rawat
Label : Brijwani Cassettes
Produced By : Sajal
राजा राणा छत्रपति, हाथिन के असवार।
मरना सबको एक दिन, अपनी-अपनी बार॥
दल बल देवी देवता, मात-पिता परिवार।
मरती बिरियाँ जीव को, कोऊ न राखन हार॥
दाम बिना निर्धन दुखी, तृष्णा वशधनवान।
कहूँ न सुख संसार में, सब जग देख्यो छान॥
आप अकेला अवतरे, मरैअकेला होय।
यो कबहूँ इस जीव को, साथी सगा न कोय॥
जहाँ देह अपनी नहीं,तहाँ न अपना कोय।
घर सम्पत्ति पर प्रगट ये, पर हैं परिजन लोय॥
दिपै चाम-चादरमढ़ी, हाड़ पींजरा देह।
भीतर या सम जगत में, और नहीं घिन गेह॥
मोह नींदके जोर, जगवासी घूमें सदा।
कर्म चोर चहुँ ओर, सरवस लूटैं सुध नहीं॥
सत्गुरु देय जगाय, मोह नींद जब उपशमैं।
तब कछु बनहिं उपाय, कर्म चोर आवत रुकैं॥
ज्ञान-दीप तप-तेल भर, घर शोधै भ्रम छोर।
या विधि बिन निकसैं नहीं, पैठे पूरबचोर॥
पंच महाव्रत संचरण, समिति पंच परकार।
प्रबल पंच इन्द्रिय विजय, धारनिर्जरा सार॥
चौदह राजु उतंग नभ, लोक पुरुष संठान।
तामें जीव अनादितैं,भरमत हैं बिन ज्ञान॥
धन कन कंचन राजसुख,सबहि सुलभकर जान।
दुर्लभ है संसार में, एक जथारथ ज्ञान॥
जाँचे सुर-तरु देय सुख, चिन्तत चिन्ता रैन।
बिन जाँचे बिन चिन्तये, धर्म सकल सुख दैन॥
पं.श्री भूधरदास जी द्वारा कृत