Ndtv के शालीनता और सहजता पूर्वक रिपोर्टिंग से जो ज्ञान की बात जानने को मिलती है वो चीख़म चिली करके रिपोर्टर नही कर सकते क्या गजब के सख्श को चुना जो इस विषय और सरकार की खुद की कमजोरी को बहुत अच्छे से बेबाक तरीके से बताया 👌👌👌👌👍👍👍👍👍
Bhai hum logo ki yhi problem h...ki agar koi kuchh bol de tum bina dekhe uspar vishwas karne lagte ho... Jabki jo sach h wo sabke aankho ke samane h...kya bharosa h ki ye jo bol raha hai wo sach bol Raha hai... Ye log fake research karke book likh dete h.... Koi bhi scientific tarike se research nhi karte... Iski research ka result wahi hota h jo ye batana chahate h... Never trust on anyone nor on any intellectual.. please go see with your eyes
@Tarun T अनपढ़ , गूगल में सर्च कर आरएसएस का मुस्लिम संगठन तो मिलेगा राष्ट्रीय मुस्लिम मंच जो 2001 में स्थापना हुई हे । उसी में ये सब पत्थर बाजी की ट्रेनिंग दी जाती है । इसीलिए तो तेरे ढोंगी बाबा ने पत्थर बाजों पर कारवाई नही की क्योंकि ये तो उनके ही थे और उसकी बजाए वो SP से जुड़े एक मुस्लिम ईमानदार परिवार का घर ढहा दिया !!! ✅💯
हा भाई वो बेचारा कन्हइया के बेटे ने नूपुर शर्मा के सपोर्ट में पोस्ट लगा दिया तो गला काट दिया इसमे बुरॉइ ही क्या है वो अंधभक्त था मारा गया आप लोग गलती से मुस्लिम के खिलाफ एक पोस्ट मत कर देना नही तो पूछने व नही आएंगे की अंधभक्त हो कि नही गला तो तुम्हारा व कटेगा
क्या ‘अल्लाह’ है? और ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता? * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं। * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी अधिक ज्ञानी हूं। * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं। * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे गुलामी करवा सकता है * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं। * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं। * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परमश्रेष्ठ हूं। * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परम ज्ञानी हूं। * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं। इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं। * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं। * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता, * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता, * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं। * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता। * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता। ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं? ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये * अल्लाह आया कैसे? * अल्लाह को माना क्यों गया? * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया? तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो। इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था। लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं, तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है। और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा। आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।
क्या ‘अल्लाह’ है? और ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता? * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं। * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी अधिक ज्ञानी हूं। * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं। * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे गुलामी करवा सकता है * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं। * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं। * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परमश्रेष्ठ हूं। * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परम ज्ञानी हूं। * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं। इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं। * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं। * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता, * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता, * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं। * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता। * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता। ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं? ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये * अल्लाह आया कैसे? * अल्लाह को माना क्यों गया? * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया? तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो। इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था। लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं, तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है। और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा। आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।
Kashmir me muslim jyada h waha hinduon ke sath kya hota , malum h ki nahi , andhbhakt of Islam . muslim can never be secular as Islam says non muslim as kaafir .
@@princekrkr8163 I don’t find any logic in what u guys say. Tell me one thing, u said that in kashmir, Hindus are not safe. In that context r even Muslims can say that they are also not safe in India especially in UP..what will u answer that as we have seen their houses being bulldozed in recent times.. n the whole nation has seen tha
तभी तो सरकार मदरसों से स्कूल की तरफ ध्यान देने पर अधिक जोर दे रही है। और एक बात कि भारत आज भी सम्पूर्ण मानव जाति को मानवता के वास्तविक ज्ञान से अवगत कराने के लिए विश्व गुरु है।
क्या ‘अल्लाह’ है? और ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता? * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं। * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी अधिक ज्ञानी हूं। * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं। * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे गुलामी करवा सकता है * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं। * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं। * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परमश्रेष्ठ हूं। * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परम ज्ञानी हूं। * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं। इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं। * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं। * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता, * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता, * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं। * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता। * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता। ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं? ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये * अल्लाह आया कैसे? * अल्लाह को माना क्यों गया? * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया? तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो। इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था। लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं, तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है। और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा। आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।
कुरेशी साहाब का बहोत बहोत धन्यवाद,ईतना अभ्यास पुर्ण Interview देने के लीये , और NDTV का भी शुक्रिया, जो मीथ्या फैला रहे हैं ऊनको जवाब मील गया होगा , समाज को जवाब देही से काम करते हुऐ ,शांती बनायें रखे ,एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने से बचना चाहिए,
क्या ‘अल्लाह’ है? और ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता? * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं। * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी अधिक ज्ञानी हूं। * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं। * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे गुलामी करवा सकता है * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं। * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं। * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परमश्रेष्ठ हूं। * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परम ज्ञानी हूं। * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं। इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं। * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं। * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता, * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता, * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं। * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता। * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता। ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं? ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये * अल्लाह आया कैसे? * अल्लाह को माना क्यों गया? * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया? तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो। इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था। लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं, तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है। और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा। आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।
@abushama azmi وعلیکم السلام ورحمۃ اللہ وبرکاتہ افسوس ہے ان بھائیوں پر جو قرآن کو تو پڑھا لیکن اس کو سمجھ نہ سکے اللہ قرآن کی صحیح سمجھ نصیب عطا فرمائے
@Tarun T thankyou so much Tarun bro I started watching from 52 :00 but ended on watching the whole talk . Seemed like a tight slap to the leftist and also to this video Plzz make ur comment available to others also if u can paste it 👍👍👍
कुरैशी साहब ने तार्किक बात कही अब जब43 फ़ीसदी हिन्दू फैमिली प्लानिंग नही करते तब तो जनसंख्या नियंत्रण कानून जरूर लागू किया जाना चाहिए ताकि हिन्दू हो या मुसलमान पापुलेशन कंट्रोल होनी चाहिए
Keyonke Janta Murkh Hai.AurNetawon Ke Baat Mein Phans Jaati Hai. Agar Janta Kuchh Paise Ki Laalach Aur Dharam/Mazhab Se Alag Hokar Soche To Desh Ki Taraqqi Hogi
बड़ी ही खूबसूरती के साथ अपने देश हित में इंसानियत के हित में और मुसलमानों के हित में नौजवानों के हित में अपनी बात रखी आपका बहुत-बहुत शुक्रिया चैनल के तमाम विवर से गुजारिश है ज्यादा से ज्यादा फॉरवर्ड करें शेयर करें शेयर करने से ही ऐसे शेर जिंदा रह सकते हैं
मेरे दादा 3 भाई थे, तीनो से 19 बच्चे पैदा हुए, फिर 19 से 58 बच्चे हुए अब इस 58 वाली पीढ़ी से अब तक 16, बच्चे पैदा हो चुके है, अभी काफी लोग अविवाहित है, नोट तीसरी पीढ़ी में अधिकतम 3 बच्चों से अधिक कोई नही कर रहा है।
Mere Dada 2 bhai the unse dono se ll-peedhi me 9 bachhe huye unse lll-peedhi me 40 bachche huye,inse lV-peedhi 10 bachhe huye hn abtak kisi 1 bache hn kisi ke 2 aur 6 aise hn jinhe bache hi nhi h Shadi ko 5-10 saal ho gye hn, Sarkari marriage age se khi late me shadi ho rhi h kisi ki bhi shadi 28 se pahle nhi huyi h Kuchh ki to 35 me huyi h. Jo baki hn o bhi 25 par hn. To mere poore khandaan me sarkari akde se khi neeche hn.
क्या ‘अल्लाह’ है? और ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता? * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं। * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी अधिक ज्ञानी हूं। * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं। * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे गुलामी करवा सकता है * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं। * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं। * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परमश्रेष्ठ हूं। * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परम ज्ञानी हूं। * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं। इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं। * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं। * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता, * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता, * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं। * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता। * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता। ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं? ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये * अल्लाह आया कैसे? * अल्लाह को माना क्यों गया? * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया? तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो। इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था। लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं, तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है। और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा। आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।
@@imran3usmanansari252 क्या ‘अल्लाह’ है? और ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता? * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं। * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी अधिक ज्ञानी हूं। * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं। * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे गुलामी करवा सकता है * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं। * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं। * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परमश्रेष्ठ हूं। * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परम ज्ञानी हूं। * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं। इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं। * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं। * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता, * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता, * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं। * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता। * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता। ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं? ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये * अल्लाह आया कैसे? * अल्लाह को माना क्यों गया? * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया? तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो। इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था। लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं, तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है। और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा। आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।
मुसलमानो पर आरोप लगा दिया तो अब माननीय योगी जी व माननीय मोदी जी को भी यह सार्वजनिक करना चाहिए कि वो कितने भाई बहन थे या हैं , माननीय अटल जी कितने भाई बहन थे
@@kalagujjar5401 अबे गोबर भक्त पहले सवाल देख मैंने भाई बहन पूछा था बच्चे नहीं , जो अपनी बीवी को छोड़कर भाग जाता है वो बच्चे क्या पैदा करेगा , जो बात तू मुल्लों की करता है तो सुन बच्चे मर्द पैदा करते हैं नामर्द नहीं वो तो बीवी छोड़कर भाग जाते हैं
क्या ‘अल्लाह’ है? और ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता? * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं। * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी अधिक ज्ञानी हूं। * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं। * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे गुलामी करवा सकता है * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं। * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं। * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परमश्रेष्ठ हूं। * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परम ज्ञानी हूं। * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं। इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं। * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं। * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता, * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता, * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं। * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता। * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता। ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं? ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये * अल्लाह आया कैसे? * अल्लाह को माना क्यों गया? * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया? तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो। इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था। लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं, तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है। और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा। आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।
M boht khush hun muje itni Acchi knowledge mili hm bhi sbko yahi batana chahte h pr koi manta nhi h or graff apne dekh hi liya hoga hum Muslim 30 cr k 90 cr honge or aap hindu log 100 cr ho to aap 300 cr to barabri or jyada ka to koi meht hi nhi h nd jitne bacche duniya m ate h utne hi ya usse jyada duniya se jate bhi h to jyada barabri ki to koi bt hi nhi h yr practical knowledge pe dhiyan do faltu ki afbao or byan baji pe nhi 👍I’m Indian Muslim 🇮🇳
क्या ‘अल्लाह’ है? और ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता? * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं। * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी अधिक ज्ञानी हूं। * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं। * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे गुलामी करवा सकता है * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं। * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं। * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परमश्रेष्ठ हूं। * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परम ज्ञानी हूं। * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं। इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं। * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं। * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता, * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता, * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं। * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता। * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता। ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं? ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये * अल्लाह आया कैसे? * अल्लाह को माना क्यों गया? * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया? तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो। इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था। लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं, तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है। और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा। आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।
सही कहा सर जी आप ने बहुत अच्छी बात कही हम आप को सलाम करते हैं गौदी मिडिया मुर्दा बाद आप ने बहुत अच्छी खबर दिखाई हम आप जैसे पत्रकारों को दिल से सलाम करते हैं
1947 mai muslaman 3 karod thai jo aaj 30 karod hai. 1000% growth. Whi hindu 30 Karod thai jo aaj 90 karod hai. 300% growth. Muslaman hinduo sai 3 guna raftar mai bad rha hai. Aur ish speed mai agle 50 saal mai aasani sai Hinduo ki population cross ker lega agar population control bill nhi aaya to
@@mr.amitbhatt3176 Agar aap ye comparison 1200ad se karenge to muslim population Or payenge. Agar ye hindu comparison 2500bc me karenge to chize ulat yejengi...
Hamare Ghar ke saamne , Dome jati ke log rahte Hain, Hindu Hain, lekin unke Ghar har Saal 1 Bach cha paida hota hai,domni kabhi bhi non pregnant nahi dikhti ,Eik delivery hote hi ,phir se pet se ho jati hai .11 bachche ho chuke Hain ,8 bade bachche kaam kerke Ghar ka pet palte Hain.Wo family Musalman nahi hai.🤣🤣
क्या ‘अल्लाह’ है? और ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता? * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं। * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी अधिक ज्ञानी हूं। * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं। * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे गुलामी करवा सकता है * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं। * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं। * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परमश्रेष्ठ हूं। * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परम ज्ञानी हूं। * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं। इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं। * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं। * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता, * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता, * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं। * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता। * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता। ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं? ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये * अल्लाह आया कैसे? * अल्लाह को माना क्यों गया? * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया? तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो। इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था। लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं, तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है। और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा। आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।
श्रीमान जी मैने सर का इंटरव्यू देखा था कानून विशेषज्ञ फैजान मुस्तफा जी ने लिया था। लेकिन इस विषय पर बात होनी चाहिए। क्योंकि इस बात पर बहुत शोषण होता है।
क्या ‘अल्लाह’ है? और ★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता? * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं। * मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी अधिक ज्ञानी हूं। * अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं। * मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे गुलामी करवा सकता है * मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं। * अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं। * मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परमश्रेष्ठ हूं। * मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परम ज्ञानी हूं। * अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं। इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं। * अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं। * स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता, * अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता, * मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं। * मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता। * हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता। ★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं? ★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये * अल्लाह आया कैसे? * अल्लाह को माना क्यों गया? * अल्लाह को supreme power क्यों माना गया? तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो। इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था। लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं, तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है। और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा। आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।
India's ranking in the 2022 World Press Freedom Index has fallen to 150 out of 180 countries, according to the latest report released by Reporters Without Borders. Countries are evaluated on five contextual indicators: political context, legal framework, economic context, socio-cultural context, and safety.
Ndtv के शालीनता और सहजता पूर्वक रिपोर्टिंग से जो ज्ञान की बात जानने को मिलती है वो चीख़म चिली करके रिपोर्टर नही कर सकते क्या गजब के सख्श को चुना जो इस विषय और सरकार की खुद की कमजोरी को बहुत अच्छे से बेबाक तरीके से बताया 👌👌👌👌👍👍👍👍👍
कुरैशी जी ने ईमानदारी से सब सवाल का जवाब दिया।
50 साल बाद कौन ज्यादा होगा कौन कम यह अलग बात है लेकिन यह राजनीति कुछ ही सालों में देश का बंटाधार जरूर कर देगी
Ab batwaraa nhi ho scta. Is bar khali kraya jaega 🐷
Lagta to kuch aisa hi h sir
@@arifpathan4033 Tum to chahata hi ho
Batbara to 1947 me hi ho chuka h .agar kisi ko bharat me nhi rahna h to ja sakte ho .
@@silentboy8954 British ko apna guru manne wale Sri Lanka chale jaye yaha unki koi jarurat nahi
श्री कुरैशी साहब, आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
Bhai hum logo ki yhi problem h...ki agar koi kuchh bol de tum bina dekhe uspar vishwas karne lagte ho... Jabki jo sach h wo sabke aankho ke samane h...kya bharosa h ki ye jo bol raha hai wo sach bol Raha hai... Ye log fake research karke book likh dete h.... Koi bhi scientific tarike se research nhi karte... Iski research ka result wahi hota h jo ye batana chahate h... Never trust on anyone nor on any intellectual.. please go see with your eyes
haa, jiska khud koi wakad nehi wo ek IAS ke baare main bol raha.....Kiya baat hai..... WhatsApp Gyan koi awab nehi
झूठ बोल रहा है मुसलमान है
Saurabh Shukla ji very respectful, intellegent, honest reporter.I salute to you sir..🙏
चरण चूम ले 😂😂😂
@@jagveersaini7455 😂😂😂😂😂
Gurvinder don't forget sacrifices of char sahibzadas and g teg bahadur
@@jagveersaini7455 आ गया अंधभक्त
@@jagveersaini7455 andhbakht
इस हिसाब से तो कुरान बहोत पवित्र ग्रंथ है खाली उसका अर्थ सही तरीके से करना चाहिए । ✅💯✌️👌👍
Bilkul Bhai log galat samajh ke bina padhe ulta sidha bolte rhte g
@Tarun T
अनपढ़ , गूगल में सर्च कर आरएसएस का मुस्लिम संगठन तो मिलेगा राष्ट्रीय मुस्लिम मंच जो 2001 में स्थापना हुई हे । उसी में ये सब पत्थर बाजी की ट्रेनिंग दी जाती है । इसीलिए तो तेरे ढोंगी बाबा ने पत्थर बाजों पर कारवाई नही की क्योंकि ये तो उनके ही थे और उसकी बजाए वो SP से जुड़े एक मुस्लिम ईमानदार परिवार का घर ढहा दिया !!! ✅💯
Quraaan ko aasman se zameen par Ishwar ne utaara hai.......is ko apni zindagii me utarna chahiye..
Bilkul sahi kaha aapne
@Tarun T jo log debute m bethtiy h kya unko sahe knowledge h ye wo khud decite kregi
आपकी रिपोर्टिंग क़माल साब की याद दिलाती है। बहुत मेहनत से और मन से आप रिपोर्टिंग करते हैं।..💚💚
कुरेशी साहब ने जो किताब लिखी है बिल्कुल सत्य लिखी है
true
How do you know?
Stop andh bhakti. Study stuff.
Passing judgement like you have done even more research like the author.
आप लोगों के सुझाव आम लोगों को गृहड़ करना चाहिए बहुत अच्छा वक्तव्य
जो बात, सौ साल में भी असम्भव है.. मूल समस्याओं से ध्यान हटाने का..भ्रम फैलाने का.. गुमराह करने का..सिर्फ़ चुनावी मुद्दा बनाने का प्रयास 🤔
This is a very good interview. Qureshi has given good answers
Baklol h ye
this type of interview can be taken only NDTV (a true reporter)
Who only talks against government 🤣🤣
@@harendranathmochahary8164 godi media ke anchor se to phir bhi theek hai
@@desijugaad2062 yes in the sense to counter it but both should be free from this.
@@harendranathmochahary8164 What was against Govt in this interview? 🤡
@@harendranathmochahary8164 sach dekhne ki himmat rakh. Be gadhe
मोदी और योगी ...... पांच पांच भाई हैं ...🤔
ये पहले के जमाने की बात।
मुझे आप बताओ आज योगी और मोदी के कितने बच्चे है और ओवैसी के कितने बच्चे है।
लोगो को आप मूर्ख समझना बंद कर दीजिए।
@@kanhaiyadwivedi8943 😂👌
@@kanhaiyadwivedi8943 ये निठल्ला तो शादी भी नही किया है😁
तभी शादी सुदा के पीछे परा हुआ है😰
अब तो ऐसा कानून लाना चाहिए की जिसने शादी नही किया हो वो चुनाव नही लड़ सकते, उसे सरकारी कुंभी सुबधा नही।मिलना चाहिए🙏🙏🙏
@@kanhaiyadwivedi8943 tumhare bap k kitne bacche h .chek krle tere bhai bahan to honge
Always sourabh Shukla makes people aware. Proud of you 👍
Saurabh shukla I salute you.
अब तो ऐसा कानून लाना चाहिए की जिसने शादी नही किया हो वो चुनाव नही लड़ सकता🙏🙏🙏
😂😂😂😂
Taki sadhi krne vale apne bete ko next mp mla bna ske
@@sagartomar3461 bhaiji.desh.ko.imandar
Leader.milna.chahiye.chahe.wo.kisi.ka.beta ho.bhanja.ho.bhatija.ho.chahe.kisi.
Ka.natin.pota.ho.ussekoi.mtlab.nhi.serf.imandary.se.amis.greeb.janata.ko.leat.kre.bIna.bhe'd,bhawo.tb.desh.khushhal.hopaega.dusra.desh.kitna.trakki.kerrha.haI?.
@@zafarzafar1567 tum apni behen se shadi kar aur 50 baccha paida kar sugar jaise fir yogi modi ko bolna rojgar daba
Haa, modi , Yogi se dikat hai😁
बिल्कुल सही बात बोला है आपने सर्
इंसानियत की मिसाल NDTV और सौरभ सुखला जी
सच्चाई कितनी भी बयान कर दो लेकिन आंड भक्त तो बस वही मानेंगे,वही देखेंगे जो उनके आका उनको दिखाना चाहते है।चाहे वो गलत ही क्यों ना हो।👍🏼🙏🏻🙏🏻🙏🏻
अंधों भक्त मतलब, भेड़, बकरी, इनके दिमाग तो होता नहीं है, इनके आका लोग जैसा समझाते हैं वो वोही समाझता हैं 😂😂😂😂😂
और हालाला की औलाद ,,, सिर्फ बच्चे पैदा करना जानते है😂😂😂😂
@@subratabiswas9163 Andhabhakto bed bakri kutte se bhi ghatia dimag hai...
@@subratabiswas9163 बहुत जल्दी समझ गए 😂😂😂
हा भाई वो बेचारा कन्हइया के बेटे ने नूपुर शर्मा के सपोर्ट में पोस्ट लगा दिया तो गला काट दिया इसमे बुरॉइ ही क्या है वो अंधभक्त था मारा गया आप लोग गलती से मुस्लिम के खिलाफ एक पोस्ट मत कर देना नही तो पूछने व नही आएंगे की अंधभक्त हो कि नही गला तो तुम्हारा व कटेगा
औलाद हर किसी को नसीब नहीं होता जिन्हें औलाद नहीं है उनसे पूछो, कम ज्यादा का सवाल ही नहीं उठता
मैं अपने देश के अजीज लोगों से कहूंगा आपस में हिन्दू मुस्लिम में नफरत फैलाने की बात न करें और जो लोग शादी नहीं करते और बीबी को भगा देते वो ऐसे न करें
क्या ‘अल्लाह’ है?
और
★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
* मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
* मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी अधिक ज्ञानी हूं।
* अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
* मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे गुलामी करवा सकता है
* मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
* अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
* मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परमश्रेष्ठ हूं।
* मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परम ज्ञानी हूं।
* अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
* अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
* स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
* अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
* मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं।
* मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
* हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
* अल्लाह आया कैसे?
* अल्लाह को माना क्यों गया?
* अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।
बहुत ही सच एवं सधे हुए शब्दों में कुरेशी साब ने बताया ।सच भी यही है।पर भगत लोग अन्यथा न ले लें।
जान बूझ कर भ्रम फैलाते है नेता गण।
वास्तविकता उन सब को पता है।
वह जानते है कि अग्यान से पीडित जनता उनके झूठ-फरेब पर विश्वास कर लेगी।
Bahut achha analysis kiye kuraisi sahab population pr 👍❤👊
क्या ‘अल्लाह’ है?
और
★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
* मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
* मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी अधिक ज्ञानी हूं।
* अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
* मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे गुलामी करवा सकता है
* मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
* अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
* मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परमश्रेष्ठ हूं।
* मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परम ज्ञानी हूं।
* अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
* अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
* स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
* अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
* मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं।
* मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
* हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
* अल्लाह आया कैसे?
* अल्लाह को माना क्यों गया?
* अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।
That is what we can call a wonderful interview..👏🏻
Kashmir me muslim jyada h waha hinduon ke sath kya hota , malum h ki nahi , andhbhakt of Islam . muslim can never be secular as Islam says non muslim as kaafir .
@@princekrkr8163 I don’t find any logic in what u guys say. Tell me one thing, u said that in kashmir, Hindus are not safe. In that context r even Muslims can say that they are also not safe in India especially in UP..what will u answer that as we have seen their houses being bulldozed in recent times.. n the whole nation has seen tha
👊✌🗽
@Tufail Akram Pakistan jao
Ritu tujhe bacche paida karne ka Sauk hai kya
मजलूम मुस्लिम समुदाय के उत्थान के बिना भारत विश्वगुरु नही बन सकता।
तभी तो सरकार मदरसों से स्कूल की तरफ ध्यान देने पर अधिक जोर दे रही है। और एक बात कि भारत आज भी सम्पूर्ण मानव जाति को मानवता के वास्तविक ज्ञान से अवगत कराने के लिए विश्व गुरु है।
Saurabh is doing great job for us
क्या ‘अल्लाह’ है?
और
★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
* मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
* मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी अधिक ज्ञानी हूं।
* अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
* मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे गुलामी करवा सकता है
* मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
* अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
* मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परमश्रेष्ठ हूं।
* मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परम ज्ञानी हूं।
* अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
* अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
* स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
* अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
* मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं।
* मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
* हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
* अल्लाह आया कैसे?
* अल्लाह को माना क्यों गया?
* अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।
The man of reasons & compassion is Kureshi saab
कुरेशी साहाब का बहोत बहोत धन्यवाद,ईतना अभ्यास पुर्ण Interview देने के लीये , और NDTV का भी शुक्रिया, जो मीथ्या फैला रहे हैं ऊनको जवाब मील गया होगा , समाज
को जवाब देही से काम करते हुऐ ,शांती बनायें रखे ,एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने से बचना चाहिए,
हम कुरेशी साहब से सहमत हैं
ये इस बात का सबूत है कि अगर सरकार किसी को जेल में रखना चाहती है तो 'न्यायपालिका' भी बचा नहीं सकती : KRK
Right
क्या ‘अल्लाह’ है?
और
★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
* मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
* मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी अधिक ज्ञानी हूं।
* अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
* मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे गुलामी करवा सकता है
* मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
* अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
* मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परमश्रेष्ठ हूं।
* मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परम ज्ञानी हूं।
* अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
* अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
* स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
* अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
* मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं।
* मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
* हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
* अल्लाह आया कैसे?
* अल्लाह को माना क्यों गया?
* अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।
Very thinkable speech from Qureshi saahab
Thank you Saurav shukla ji for your valuable information.
@abushama azmi وعلیکم السلام ورحمۃ اللہ وبرکاتہ
افسوس ہے ان بھائیوں پر جو قرآن کو تو پڑھا لیکن اس کو سمجھ نہ سکے اللہ قرآن کی صحیح سمجھ نصیب عطا فرمائے
@howindie
True information👍🙏
@Tarun T thankyou so much Tarun bro I started watching from 52 :00 but ended on watching the whole talk . Seemed like a tight slap to the leftist and also to this video
Plzz make ur comment available to others also if u can paste it 👍👍👍
Congress ka ek hi nara Mia ek bibi 4 bachhe 40 sab k hath Mae stone and Ak47
कुरैशी साहब ने तार्किक बात कही अब जब43 फ़ीसदी हिन्दू फैमिली प्लानिंग नही करते तब तो जनसंख्या नियंत्रण कानून जरूर लागू किया जाना चाहिए ताकि हिन्दू हो या मुसलमान पापुलेशन कंट्रोल होनी चाहिए
Tum 100 cror ho kar yah bat Kar rahe ho hum 100 cror Hone do fir bat karna
@@reactionmunda368 Are Bhai Hum 100 Par 20 Hi Bhaari Hain.Isiliye To Baar Baar Hindu Muslim Karte Rahte Hain
धार्मिक डिबेट से जनता को कब मुक्ति मिलेगी और सभी समस्याओं को एक बार मे ही क्यों नही उठा देते .....? अब नेता जनता के धैर्य का परीक्षा न ले।
Keyonke Janta Murkh Hai.AurNetawon Ke Baat Mein Phans Jaati Hai.
Agar Janta Kuchh Paise Ki Laalach Aur Dharam/Mazhab Se Alag Hokar Soche To Desh Ki Taraqqi Hogi
बड़ी ही खूबसूरती के साथ अपने देश हित में इंसानियत के हित में और मुसलमानों के हित में नौजवानों के हित में अपनी बात रखी आपका बहुत-बहुत शुक्रिया चैनल के तमाम विवर से गुजारिश है ज्यादा से ज्यादा फॉरवर्ड करें शेयर करें शेयर करने से ही ऐसे शेर जिंदा रह सकते हैं
Loved it 🙏
I love the journalism of this guy Saurabh. Always on ground and reporting on issues of the country. God bless him.
देश की राजनीती इस्लाम,मुसलमान या पाकिस्तान इन मुद्दो पर की जाती है ...
Saar tan se juda kon bola hain
@@wb1244 ☝️भी नहीं अंध भक्ती उतार सकता तुम जैसो की ... तरस आता है तुम पर क्या खाते हो अन्न की गोबर ..
@@wb1244 Ram, Gau Mata Or Bharat Mata Ke Naam Par Kisne Masum Logo Ka Gala Kata Hai...!
@@wb1244 Sar Tan Se Juda Karne Ki Baat Kyu Nikli Or Kiske Wajah Se Nikli ??
@@mrcorrect1839 Nupur sharma ne jo bola same cheez zakir nayak ne bhi bola uska bhi saar kat
मेरे दादा 3 भाई थे, तीनो से 19 बच्चे पैदा हुए, फिर 19 से 58 बच्चे हुए अब इस 58 वाली पीढ़ी से अब तक 16, बच्चे पैदा हो चुके है, अभी काफी लोग अविवाहित है,
नोट तीसरी पीढ़ी में अधिकतम 3 बच्चों से अधिक कोई नही कर रहा है।
Mere Dada 2 bhai the unse dono se
ll-peedhi me 9 bachhe huye unse
lll-peedhi me 40 bachche huye,inse
lV-peedhi 10 bachhe huye hn abtak kisi 1 bache hn kisi ke 2 aur 6 aise hn jinhe bache hi nhi h Shadi ko 5-10 saal ho gye hn,
Sarkari marriage age se khi late me shadi ho rhi h kisi ki bhi shadi 28 se pahle nhi huyi h Kuchh ki to 35 me huyi h. Jo baki hn o bhi 25 par hn.
To mere poore khandaan me sarkari akde se khi neeche hn.
mere dada log 3 the
tino se 22 huwe
un 22 se 75 h
mere 6 bcche h aur av aur 6 ka irada h...ek aur sadi krunga qk ek ladki se man nai var rha h
@@onpassiveartificialintelli7361
🤣🤣🤣🤣🤣🤣
Are bhai aaram se..
🤣🤣🤣
@@ahmadashraf5952 aram se hi krte h vai...islye ek aur ladki chahye...
सौरभ शुक्ला आपकी रिपोर्टिंग बहुत ही लाजवाब है
Bohot achcha laga interview bohot sahi knowledge batayi sir ne
क्या ‘अल्लाह’ है?
और
★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
* मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
* मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी अधिक ज्ञानी हूं।
* अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
* मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे गुलामी करवा सकता है
* मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
* अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
* मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परमश्रेष्ठ हूं।
* मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परम ज्ञानी हूं।
* अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
* अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
* स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
* अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
* मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं।
* मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
* हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
* अल्लाह आया कैसे?
* अल्लाह को माना क्यों गया?
* अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।
सर आप योगी से सवाल पूछो योगी के खुद 8 भाई बहेन है अगर योगी का पिता कंट्रोल किया होता तो इतनी आबादी नहीं होती योगी चिलम पीकर कुछ भी भूकता है
🤣🤣😅
🤣🤣🤣
Bilkul sahi kaha aapne
😊🤣🤣😅
@@imran3usmanansari252
क्या ‘अल्लाह’ है?
और
★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
* मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
* मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी अधिक ज्ञानी हूं।
* अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
* मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे गुलामी करवा सकता है
* मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
* अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
* मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परमश्रेष्ठ हूं।
* मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परम ज्ञानी हूं।
* अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
* अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
* स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
* अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
* मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं।
* मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
* हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
* अल्लाह आया कैसे?
* अल्लाह को माना क्यों गया?
* अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।
मुसलमानो पर आरोप लगा दिया तो अब माननीय योगी जी व माननीय मोदी जी को भी यह सार्वजनिक करना चाहिए कि वो कितने भाई बहन थे या हैं , माननीय अटल जी कितने भाई बहन थे
मोदी के कितने बच्चे है योगी के कितने बच्चे है ओर इस उम्र के मुल्लाओ के कितने बच्चे है जरा बता
@@kalagujjar5401
अबे गोबर भक्त पहले सवाल देख मैंने भाई बहन पूछा था बच्चे नहीं , जो अपनी बीवी को छोड़कर भाग जाता है वो बच्चे क्या पैदा करेगा , जो बात तू मुल्लों की करता है तो सुन बच्चे मर्द पैदा करते हैं नामर्द नहीं वो तो बीवी छोड़कर भाग जाते हैं
कुरैशी सर यू r absolutely right आप जैसे लोगों की हमे जरूरत है
अगर देश को कोई बचाएगा, तो सिर्फ NDTV India
🤣
देश को कोई तोड़ रहा है तो वो रण्डीटीवी है। सिवाय नफ़रत और ज़हर उगता है।
सौरभ भाई को मेरा सलाम
❤️ NDTV India jaisa koi bhi nahi ❤️🇮🇳💯
क्या ‘अल्लाह’ है?
और
★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
* मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
* मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी अधिक ज्ञानी हूं।
* अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
* मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे गुलामी करवा सकता है
* मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
* अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
* मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परमश्रेष्ठ हूं।
* मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परम ज्ञानी हूं।
* अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
* अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
* स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
* अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
* मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं।
* मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
* हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
* अल्लाह आया कैसे?
* अल्लाह को माना क्यों गया?
* अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।
Sauravji,excellent contents of interview with the Country's top-ceded administrator and experienced Election Commissioner of respect ..thanks....
Very knowledgeable interview thankyou NDTV..
Hats off to Sourab shukla ji for true journalism
Sir, I really like this type of episode....A very informative and interesting points are mentioned in this video👍🔥. Superb Saurabh sir 👏👏
Imagine you not watching this, will be caught in stupid propoganda by politicians
First sentence of Saurabh Shukla says it all.
Sourabh Shukla ji love u brother for your honesty journalism and khuraishi saheb ne bahut sahi bat explain kiya
बढ़िआ जानकारी
World Happiness Index 136th
Rank of India of (2022)🇮🇳
M boht khush hun muje itni Acchi knowledge mili hm bhi sbko yahi batana chahte h pr koi manta nhi h or graff apne dekh hi liya hoga hum Muslim 30 cr k 90 cr honge or aap hindu log 100 cr ho to aap 300 cr to barabri or jyada ka to koi meht hi nhi h nd jitne bacche duniya m ate h utne hi ya usse jyada duniya se jate bhi h to jyada barabri ki to koi bt hi nhi h yr practical knowledge pe dhiyan do faltu ki afbao or byan baji pe nhi 👍I’m Indian Muslim 🇮🇳
कोई भी बचे ज्यादा पईदा करे बचा तो भारतीय ही होगा।
तभी अब केरल में शुक्रवार को छुट्टी होगी और शरिया कानून लागू की मांग उठ रही है क्योंकि वहां इनकी आवादी अधिक हो गई है।
@@jaybeernath9818 हुआ नही ना कभी होगा
Mr. Saurabh Shukla Sir Salaam hai apko apke nishpakshya aur jurrat Patrakarita ko ❤❤
ये चर्चा वही करते है, जिनको शादी करने से भी डर लगता है😂
कोई कोई तो नोपुंसक भी है,सादि तो करता है लेकिन बिबि को छोड़ देता है,किउकि किउकि किउकि ___वो नोपुंसक है ।😀😂😀😂😀😂
100%.Sach.kaha.hai jisne.bhi.kaha.ki.jan
Sankhiya.ko.leker.wohi.log.hall.mchate.h.jinko.shadi.kerne.se.der.lglad.h.
Great respect for saurabh shukla❤️❤️
वाह क्या बात बहुत खूब बहुत अच्छा माशा अल्लाह सलामत रहो हजारो साल पढा लिखा पढा लिखा ही होता है चाहे कितने भी भोपू बजते रहे सच्चाई सामने आ गई
Nice sir
Very true information by a learned man , this is a requirement of the present time, thankyou NDTV
क्या ‘अल्लाह’ है?
और
★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
* मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
* मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी अधिक ज्ञानी हूं।
* अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
* मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे गुलामी करवा सकता है
* मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
* अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
* मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परमश्रेष्ठ हूं।
* मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परम ज्ञानी हूं।
* अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
* अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
* स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
* अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
* मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं।
* मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
* हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
* अल्लाह आया कैसे?
* अल्लाह को माना क्यों गया?
* अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।
Saurabh Shukla is the best journalist ever seen
पीवी नरसिम्हा राव पूर्व पीएम, लालू यादव हिंदू नही है कितने-कितने बच्चे है
Up ke hijda uske kud 8 Bhai bhen h
Thanks to Sourabh Shukla sir.
सही कहा सर जी आप ने बहुत अच्छी बात कही हम आप को सलाम करते हैं गौदी मिडिया मुर्दा बाद आप ने बहुत अच्छी खबर दिखाई हम आप जैसे पत्रकारों को दिल से सलाम करते हैं
Good reporting by Shorab shukla 🙏
मुस्लिम पॉप्युलेशन का हौ्व्वा चुनाव मे पोलराइजेशन करने के लिए खडा किया जाता है
1947 mai muslaman 3 karod thai jo aaj 30 karod hai. 1000% growth. Whi hindu 30 Karod thai jo aaj 90 karod hai. 300% growth. Muslaman hinduo sai 3 guna raftar mai bad rha hai. Aur ish speed mai agle 50 saal mai aasani sai Hinduo ki population cross ker lega agar population control bill nhi aaya to
@@mr.amitbhatt3176
Agar aap ye comparison 1200ad se karenge to muslim population Or payenge. Agar ye hindu comparison 2500bc me karenge to chize ulat yejengi...
@@mr.amitbhatt3176 चोकर बेच के गणित पढ़े हो का बे 😂😂😜
@@mskhan5850 RSS office ka knowledge pel raha h
@@mr.amitbhatt3176
Total Hindu Population in India is 117.3 Crore Approx.
Total Muslim Population 20.4 Crore Approx.
जब भी जनसंख्या का मुद्दा आये
हिंदू मुस्लिम कर दो
Masah Allah aap ki research bahut achha laga
Thank you saurabh Shukla ji hamare aankhein kholne k liye
Hamare Ghar ke saamne , Dome jati ke log rahte Hain, Hindu Hain, lekin unke Ghar har Saal 1 Bach cha paida hota hai,domni kabhi bhi non pregnant nahi dikhti ,Eik delivery hote hi ,phir se pet se ho jati hai .11 bachche ho chuke Hain ,8 bade bachche kaam kerke Ghar ka pet palte Hain.Wo family Musalman nahi hai.🤣🤣
la jawab defination of islam
good work ndtv
big fan shukla g
Very informative discussion truly eye opening and factful. 😀
Very nice good speech sir you are great.NDTV. good News
Shaurabh sir ji and all others of NDTV are doing good truthful honest anchoring & patrakaarita for common men of india and globally.
सर बहुत अच्छी ज़ानकारी दी सर ने
Bahut badi shaksiat hai Quraisi sb Allah aap ko lambi aur sehatwali zindagi ata kare.
Badhiya Saurabh Shukla!This video is very much needed.
Very appropiate analysis. Must go through.
Saurabh shukla ji Best
Great sir.।।। Very knowledge able
Shukla ji the Great patrakaar
My grand father had 5 children their children has 1, 2 and 2 children. Now this generation has 1 child 2 don't have. One has adopted a child.
Yes you r right
Saurab ko gold medal janta ki taraf se 🥇
Very good interviews keep it up sir valuable information
क्या ‘अल्लाह’ है?
और
★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
* मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
* मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी अधिक ज्ञानी हूं।
* अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
* मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे गुलामी करवा सकता है
* मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
* अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
* मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परमश्रेष्ठ हूं।
* मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परम ज्ञानी हूं।
* अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
* अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
* स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
* अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
* मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं।
* मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
* हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
* अल्लाह आया कैसे?
* अल्लाह को माना क्यों गया?
* अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।
श्रीमान जी
मैने सर का इंटरव्यू देखा था कानून विशेषज्ञ फैजान मुस्तफा जी ने लिया था। लेकिन इस
विषय पर बात होनी चाहिए। क्योंकि इस बात
पर बहुत शोषण होता है।
जब संजय गांधी नें पकङ पकङ उस्तरा फिरवाना शुरू किया था , तब यही संघी सङंको पर आ गए थे 🤪
acha polio nasbandi ki dba h kehkr kis dhrm ke logo ne jada bahiskar kiya tha btaiyega jra?
Yaha bi shru atleast kisi mudda pr to hindostani ban kr soocho
बहुत - बहुत धन्यवाद 🙏
Excellent Sir
Honour to you
Nicely elaborate
💕💕💕👌👌👌💕💕💕
Kureshiji i admire you a lot. U are a great indian muslim. Whenever i listen you i fell good. I pray God give you long life and good health.
Saurabh sukla sir is growing time to time 👍
क्या ‘अल्लाह’ है?
और
★मैं अल्लाह को क्यों नहीं मानता?
* मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी श्रेष्ठ हूं।
* मैं अल्लाह को इसलिए नहीं मानता क्योंकि मैं अल्लाह से भी अधिक ज्ञानी हूं।
* अल्लाह को न मानकर भी जीवित हूं।
* मैं अल्लाह का गुलाम नहीं हूं और न ही अल्लाह मुझसे गुलामी करवा सकता है
* मैं अल्लाह को नहीं मानता फिर भी अल्लाह को मनाने वाले कई लोगों से उत्कृष्ट जीवन जीता हूं।
* अल्लाह से मांगने से कुछ नहीं मिलता इसलिए अल्लाह से कुछ मांगता भी नहीं, और और बिना मांगे भी मेरे पास बहुत कुछ है,जितना मेरे पास है उतने मे खुश भी हूं।
* मैं तुमको अल्लाह से भी अधिक श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परमश्रेष्ठ हूं।
* मैं प्राणी मात्र को अल्लाह से भी श्रेष्ठ मानता हूं क्योंकि मैं परम ज्ञानी हूं।
* अल्लाह मानव को मुस्लिम बनाता है लेकिन मैं मानव को समझदार,स्वतंत्र,आत्मनिर्भर,तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का मानव ही बनाता हूं।
इसका अर्थ स्पष्ट है कि अल्लाह को मानव की आवश्यकता है जबकि मानव को अल्लाह की नहीं।
* अल्लाह को मेरी जरूरत है लेकिन मुझे अल्लाह की जरूरत नहीं।
* स्वयं को अल्लाह से अधिक शक्तिशाली मानता हूं फिर भी अल्लाह मेरी शक्ति को छीन नहीं सकता,
* अल्लाह को मैं कुछ बुरा कहूं तो भी अल्लाह मेरा कुछ कर नहीं सकता,
* मैं अल्लाह की संतान नहीं क्योंकि वो मेरा पिता नहीं।
* मैं अल्लाह को मनाने वाले को गुलाम भी बना सकता हूं लेकिन उस गुलाम को अल्लाह मेरी गुलामी से छुड़ा भी नहीं सकता।
* हालाकि मैं एक चरित्रवान,जीवों पर दया करने वाले व्यक्ति,निर्दोष पशु और जानवरों की हत्या न करने वाले के सामने नतमस्तक होता हूं लेकिन मुझे ऐसा करने से अल्लाह रोक भी नहीं सकता।
★ अब जब मैं इतने सारे कृत्य अल्लाह की इच्छा के विरुद्ध जाकर भी कर सकता हूं तो मैं उस काल्पनिक अल्लाह को क्यों मानूं?
★अब प्रश्न ये आता है कि आखिर ये
* अल्लाह आया कैसे?
* अल्लाह को माना क्यों गया?
* अल्लाह को supreme power क्यों माना गया?
तो ये सब चतुर,चालक और बुद्धिजीवी वर्ग ने असभ्य,भोलेभाले,हिंसक,घमंडी अशिक्षित, अल्पज्ञानी लोगों को डराकर,समूहों का निर्माण कर और ये बात बताकर कि तुमसे भी शक्तिशाली कोई इस ब्रम्हांड में है, तुम्ही सब कुछ नहीं हो।
इस तरह से मासूम लोगों को एकजुट करके एक सही रास्ते पर लाने के लिए किया गया था।
लेकिन अब लोग समझदार,सभ्य,तार्किक शिक्षित,हिंसा को नकारने वाले,आत्मसम्मान के साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना और वैज्ञानिक विचारधारा वाले हो गए हैं,
तो अब मजहब,religion और इस्लाम को मानने की कोई आवश्यकता नहीं है।
और जैसे-जैसे तार्किक और वैज्ञानिक विचारधारा का विकास होगा तो धीरे-धीरे इस्लाम का पतन भी शुरू हो जाएगा और अंततः इस्लाम विलुप्त हो जाएगा।
आप विज्ञान पढ़कर भी अतार्किक और मूर्ख बनते हो तो ये आपकी मूर्खता ही नहीं बल्कि आप महामूर्ख हो।
Great suggestion for NDTV👏mukabla or swal India ka. me yeh krantikari bhai hona chahiye
Jiske khud ke bache families na ho use aur kya umeed hogi
Saurabh Shukla is best
India's ranking in the 2022 World Press Freedom Index has fallen to 150 out of 180 countries, according to the latest report released by Reporters Without Borders. Countries are evaluated on five contextual indicators: political context, legal framework, economic context, socio-cultural context, and safety.
बिलकुल सही कहा आपने
बेशर्मी की हद हो गई मौजूदा सरकार की
Sorabh sukhlal ji salamat raho !
Are katoge Kab saurab ka gala
🤣🤣🤣🤣
Koi kafir tumhara saga nhi hai 😂