तैश में आ गये साहब; जब किया फोन! पहुंचा ब्रिगेडियर उस्मान के गांव। जब मिलाया DM, CDO को फोन!

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  • Опубликовано: 10 сен 2024
  • तैश में आ गए साहब; जब किया फोन।
    पहुंचा ब्रिगेडियर उस्मान के गांव।
    जब मिलाया DM, CDO को फोन।
    शायद मैंने हुजूर को फोन करने पर अदब के साथ प्रणाम नहीं किया था।
    शायद हमारा सुझाव उन्हें अटपटा लगा हो।
    यह भी हो सकता है कि वह भूल गये हों कि हम एक लोक सेवक हैं।
    हमने पहले उत्तर प्रदेश में मऊ जनपद के जिलाधिकारी को फोन किया उनके सरकारी मोबाइल पर।
    उनको यह बताने के लिए कि अमृत महोत्सव मनाने में कहीं भी शहीद ब्रिगेडियर उस्मान का नाम नहीं लिया गया।
    कायदे से उनके पैतृक निवास और गांव में भी अमृत महोत्सव मनाया जाना चाहिए।
    डीएम के स्टेनो से बात करने के बाद हमने सीडीओ मऊ से बात किया।
    उनका लहजा गैर जिम्मेदाराना था। वे नहीं जानते थे कि पाकिस्तान को धूल चटाने वाले शहीद ब्रिगेडियर उस्मान कौन थे।
    उन्हें ना तो इस बहादुर सैनिक का नाम पता था और ना ही यह पता था कि वह मऊ में किस गांव के रहने वाले थे।
    अपनी बहादुरी के लिए मरणोपरांत सेना का दूसरा सबसे बड़ा खिताब महावीर चक्र अपने नाम करने वाले ब्रिगेडियर उस्मान का घर मऊ जनपद के घोसी तहसील अंतर्गत मधुबन थाना क्षेत्र का बीबीपुर है।
    उनके ऊपर पाकिस्तान गवर्नमेंट ने ₹50000 का इनाम रखा था जिंदा या मुर्दा पकड़कर लाने के लिए, कारण कि उन्होंने हिंदुस्तान पाकिस्तान के बंटवारे में पाकिस्तान के तरफ से जनरल का ऑफर ठुकरा दिया था।
    1948 में बहादुरी के साथ कश्मीर में उन्हें देश के लिए शहादत देनी पड़ी थी।
    सीडीओ साहब से जो बात हुई उसे आप देख सकते हैं।
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