मुंशी प्रेमचंद की कहानी - गुल्ली डंडा
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- Опубликовано: 30 июл 2024
- In this story, Ram Narayan who becomes an engineer returns to the same village where he spent his early time, he feels that the smell of the sand, the voices of the gulli danda team, the trashy village, everything seems to have lost its charm. He suppose to know that his friend Gaya respect and honor him not because of their old friendship but because of his rank as an Officer.
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मैं upsc की परीक्षा हेतू इस महान कहानी को पड़ रहा हूँ लेकिन जब भी प्रेमचंद की कहानी पड़ता हूँ मुझे उनमे खो जाने की अनुभूति होती हैं| जय हो मुंशी जी को 🥰
विकास सर कहा करते हैं कि प्रेमचंद जी की शुरूआती कहानियों में गोलूपन था, जो गोदान तक आते आते यथार्थ में परिणत हो गया....सच ही तो है परिपक्वता आते आते ही आती है
😭😭🏆💖
Books📚 good👍🍫 🏒
यूपीएससी से पहले हिंदी लिखना सीखो मित्र
@Roshani Kumari aaàaaaaàp0ppppppppppppp
जितनी उमर बढ़ रही है प्रेमचंद जी की स्टोरी और अच्छी तरह समझ में आती है।
जादू है प्रेमचंद जी की लेखनी में।
सही कहा
Things Money Can’t Buy
Time. Happiness. Inner Peace. Integrity. Love. Character. Manners. Health. Respect. Morals. Trust. Patience. Class. Common sense. Dignity.
Always do what is right. It will gratify half of mankind and astound the other.
Mark Twain
Goodness is about character - integrity, honesty, kindness, generosity, moral courage, and the like. More than anything else, it is about how we treat other people.
Character is that which reveals moral purpose, exposing the class of things a man chooses and avoids.
बहुत ही अच्छी कहानी हैं। मैंने यह कहानी बचपन में "मुंशी प्रेमचंद की श्रेष्ठ कहानियां "पुस्तक में पढ़ी थी तब मैं शायद चौथी कक्षा में पढ़ता था ।बहुत अच्छा लगता था उनकी कहानियों को पढ़ने में ।मेरे गांव में पुस्तकालय था ,इसकी वजह से मुझे ऐसी पुस्तकें पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त होता था। आजकल पुस्तकालय खत्म हो चुके हैं जिसकी वजह से लोगों को ,छोटे बच्चों को, विद्यार्थियों को ऐसी पुस्तकें पढ़ने को नहीं मिलती, आजकल ,फिर से जगह जगह, हर गांव में पुस्तकालय होना ही चाहिए, जिससे आने वाली पीढ़ियों को इन रचनाओं को सही समय पर पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हो सके क्योंकि इन कहानियों को पढ़ने का भी एक सही समय होता है अगर सही समय, सही उम्र निकल जाए तो इन कहानियों को पढ़ने का कोई ज्यादा महत्व नहीं रह जाता। यह सीख देने वाली कहानियां होती हैं।
मुझे भी याद आता है बचपन और गुल्ली डंडा, जितनी बार पढता हूँ रो देता हूँ, मैंने 500 से ज्यादा कहानियाँ पढ़ी हैं पर गुल्ली डंडा की बात ही अलग है. कहना मुश्किल है कि क्या दशा रही होगी मुंशी साहब की तब दौर भी अच्छा था . 😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢 स्मृति पर लिखित सर्वश्रेष्ठ कहानी है. "अब कभी गुल्ली डंडा खेलते हो गया" कितना अच्छा सवाल है, कसम से रो पड़ा मैं.....
जब मैं हाई स्कूल में पढ़ता था,उस समय मुंशी प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियां, मेरे कोर्स में था।कितना आनन्द आता था इस किताब को पढ़ने में। अभी मैं इस कहानी को देख रहा हूं तो बचपन याद आ रहा है
Ji sahi kha aapne
Ab kya krte ho tum
@@user-tg3of6ff2d जान कर तुम क्या करोगे।
Ramesh ji aap ne kab and kyan pe 10vi ki ha
Right brother sach me bahut mja aata tha kahani padhkar
सचमुच हृदय पशीज गया...🤔
वो भी क्या दिन थे न मतलब की दोस्ती थी न दोस्ती का मतलब पता था।
मुंशी प्रेमचंद को कोटि-कोटि नमन।🙏
😭😭😭😭
Sahi bola yarrr
Bhai dono alg alg h
Munshi alg h premchand ji alg
@@avinash22768 भाई मैने तो मुंशी प्रेमचंद और प्रेमचंद को पढ़ा है।
बिहार के टेक्स्ट बुक में नोवीं कक्षा में मुंशी प्रेमचंद की कहानी है और आठवीं में प्रेमचंद जी की कहानी है।
" दया अब बहुत बड़ा हो गया है और मै बहुत छोटा " इस वाक्य में पूरी कहानी समा सकती है | आज तक ऐसा कोई कहानीकार नहीं हुआ तो भारत की जनता के हृदय को इतनी गहराई तक छू पाया हो | युगशिल्पी मुंशी जी के साहित्य को किसी प्रशंसात्मक शब्द से श्रृंगारित नहीं किया जा सकता | कैसा अद्भुत लेखन है !🙏
L77788आ
मुंशी प्रेमचंद जैसा उपन्यासकार कोई नहीं हुआ आज तक
Haa
सरकारों को गांव गरीब मजदूर की समस्याओं को जानना हो तो उनको मुंशी प्रेमचंद का साहित्य पढ़ना चाहिए
कोई नहीं पढ़ेगा नहीं तो लूटेंगे कैसे
सरकारों को तो अपने बैंक कैसे भरने है, लूटपाट कैसे करनी है, गरीबी को कैसे बढ़ाना है, आम आदमी की कैसे ऐसी तैसी करनी है ये साहित्य सीखना है
आज मेरी उम्र 60 साल की हो गयी है।
प्रेमचंद की"गुल्ली-डंडा" पढ़ी थी,आज देख भी लिया।
सचमुच मेरा बचपन लौट आया। पुराने सहपाठी
स्मृति-पटल पर स्क्रीन की तरह चलने लगे।
वास्तव में मुंशी जी की प्रत्येक कहानियाँ हृदय झकझोर जाती हैं। निश्चित रूप से ये सिर्फ कहानी है लेकिन वर्तमान की सच्चाई कितनी बारीकी से बयाँ कर रही है। बचपन में न जाति का पता होता न ही धर्म का। सिर्फ और सिर्फ घनिष्ठ मित्रता ही सबसे बड़ा धर्म होता है। उसके बाद जब वही दोस्त बड़े हो जाते हैं। तब "तू" से "तुम" और फिर "आप" तक पहुँच जाते हैं। न जाने कितने करीबी दोस्त छूट भी जाते हैं। जाने अनजाने ही मुलाकात होती है। आज ये कहानी देखकर मुझे भी पुराने दिन याद आ गए। स्कूल के बहुत करीबी मित्रों से संपर्क भी टूट गया है अब 😭😭। पर एक अभिलाषा मन में बनी रहती है कि सब फिर से मिलें और फिर से क्रिकेट खेलें। ❤
जी बिल्कुल मेरे मन की बात कह दी है आपने ।
बचपन के वो दिन याद करके आंखों में आसूं आ जाते हैं।😥😥
हम भी बचपन में गुल्ली-डंडा के खेल में खूब पद्दी करते थे और दोस्तों को पदाते थे।❤️❤️
Mujhe bhi.
जीवन की वास्तविक सच्चाई यों की कहानी जो आजकल कभी भी देखने को नहीं मिलते गाने को देखकर बचपन के दिन याद आ रहे महान कहानीकार उपन्यासकार लेखक मुंशी प्रेमचंद जी के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम
जिसने अपने बचपन की यादें, दोस्त, बिसरा दिये उसका जीवन बगैर नींव के हो गया
बिलकुल ठीक कहा आपने।
There is a great pain of losing friends due to life responsibilities 😢😢 in this story by great premchand ji
बहुत ही प्यारी कहानी है,गया का अभिनय बहुत प्यार था😘😘बचपन की यादे आज फिर से ताज़ा हो गयी,,😘 न जाने कहानी को देखने के बाद ऐसा क्यों प्रतीत होता है कि, कहानी अभी भी अधूरी सी है..........।
ग़रीब कलाकारों को भी अपनी प्रतिभा बड़े लोगों से छुपानी पड़ती है और यही जमाने का दस्तूर बन गया है
Aaj mil hi Gaye. Vinod🤣😂🤣😂
@@shivamrai6003 जी यह तो मेरी गूगल प्लस की प्रोफाइल पिक्चर है जो कि अब नहीं चलाता हूँ !
Sorry Bhai mazzak kar raha tha 🙏🙏🙏
@@shivamrai6003 अरे भई कोई बात नहीं है
बचपन के दिन भुलाए नहीं भूलते वो ही हमारा गोल्डन एरा था पिताजी कमाया करते थे हम खाया करते थे मां हमारी हर बात आसानी से मान लिया करती थी और हमारी जरूरतें ही किया थी उस वक्त ये सब्जी नही खानी वो सब्जी नही खानी अपनी पसंद का खाना चाहिए होता था ऐसी ही छोटी छोटी बातों पर रूठना मनाना होता था और आज न जाने लोगो के दिल मै इतना जहर केसे भर गया हे कोई भी बिना मतलब के बात ही नही करता मालिक रहम करे सब पर
बचपन की यादों को हमेशा हम याद आते ही औलोकिक आनंद से भर जाता है। बचपन की यादों को हमेशा दिल में सजाकर रखोगे तो खुशियाँ ही खुशियाँ होंगी।
sahi me
उत्तम विचार है, मित्र
Dekho sunu mai bhi aapke saath hu
यह कहानी आज से 10 साल पहले पढ़ी थी और आज उसका सजीव चित्रण देखकर बहुत अच्छा लगा ।
Mai upsc ki preparation kar rha hu mera optional Hindi Literature hai aur usme ye padhni hai isliye dekh rha मस्त कहानी है मजा आ गया 😅🤗
Life is simple ,we make it complicated
Rightly said
Right bhaiya...
सत सत नमन सभी को,,,,,, मुझे तो comment पढ़कर रोना आता है 😥 कहां गया वो दौर जब हम भी छोटे थे,,😭😭❤️🙏🏻
Ek acchi kosis h, lekin premchand ji ki kahani padte samay jo dimag me film chalti h uska koi jawab hi nhi.
Missing those old days. Today is very fast way of life. Those days pace was slow enjoying every moment of reality.
बचपन के दिन भुला ना देना ........
Die hard missing those days
You Are Right imran
Nice 🙏👍
शुरुआत में बैकग्राउंड ट्यून बहुत ही सुन्दर और प्यारी है
अब तो श्री मुंशी प्रेम चंद जीके कहानी ही हमारी प्राचीन परंपराओं को जीवित किए है
उनकी भविष्य की वायाख्या दूरदृष्टी
को बरम्मबार प्रणाम करता हूं
उनको भाव सहित श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं
बचपन की याद दिलाती हैं मुंशी प्रेमचन्द जी की कहानियां
मुंशी प्रेमचन्द जी को कोटि कोटि नमन
🙏🙏🙏🙏🙏
मै प्रेम चंद जी के बारे में और उनकी कहानियों के बारे में जितना पढ़ता सुनता देखता हूं मै उतना ही हैरान रह जाता हूं कि कोई कैसे इतना दूरदर्शी लेखन कर सकता है। समय के साथ प्रेम चंद जी की कहानियां जीवन के और करीब होती जाती है। नमन है बारम्बार
प्रेमचंद जी ने जिस प्रकार कहानियों का वातावरण रखा है यह हृदय को छू जाती है और हम लोगों से संबंधित कहानी है , क्योंकि हम लोग भी जब अपने बचपन को याद करते हैं, तो आंखों से आंसू और हृदय में जो भाव उत्पन्न होता है वह अंदर से झकझोर कर रख देता है। प्रेमचंद जी एक महान कहानीकारों में से एक है ।❤😊👌👌
ऐसे सीरियल देखकर कभी किसी से नफरत नहीं होती यार.....आजकल के tv डिबेट से हजार गुना बेहतर....😊 लेकिन जिस तरीके से घटिया बनाया गया है ये सीरियल बहुत निराशा हुई....😢
Childhood Nahi Dikhaya
A gye n uc chutiyapa par.dikha di asli aukat.jo bhav ism mila vo bhav khi nhi mlg lekin tum chhachhundaro ko kmi hi rhegi hmesa kc n kc chj ki.
@@sarjeetmaurya आपकी भाषा पढ़कर लग रहा है संस्कारों की कमी कितनी रह जाती है किसी -किसी में.... अरे जो कहना चाहते हो पहले सीख तो लो लिखा कैसे जाता है और कहा कैसे जाता है....दोंनो ही नहीं सीख पाये…..😊
@@VIJAYYADAV-ve9lf 😄😄😄 kya hua tumhare sanskar aur dimag kha gya . डाक के जमाने में इंटरनेट की बात करते हो इससे ज्यादा bewkuf nhi dekha जब कोई खुद कुछ उखाड़ नहीं पाता तो कहते हैं मैं होता तो तीर मार देता ।
@@sarjeetmaurya डाक के जमाने मे इंटरनेट की बात करते हो या कहना चाहिये इंटरनेट के जमाने मे डाक की बात करते हो..😊..... वैसे ये डाक और इंटरनेट कहाँ से आ गया बीच मे...😊
Same is story of my life. Today I am successful Engineer, while my childhood friend is struggling for his deadly needs. आज लेकिन वैसा मज़ा कहाँ जैसा उस बचपन के दोस्त के साथ था, उस गुलि डंडे और पेड़ों पर चढ़ने मे था l काश वे दिन फिर लौट आते l
Please help them ......true friendship
Please help those friends whose financial condition is not good ... that is true childhood friendship
@@rajeevranjanpathak736
What you said Same I was about to say
Bhai apko life main success Mili to apko purane Din bahut acche Aur yaad bahut ayenge,,, agr Gaya ki Story se btaun to Gya Apne vartmaan ko dekh kar pachtataa hoga gulli danda khela he Kyu isse accha padh likhta apne dost ki trha officer banta ✍️
Ap ne muje udas kar diya
kitne mahan the munsu premchand ji jinki kahani dekhne se 100guna jayada maja padhne me aata hai
sat sat naman hai tumhe mere bharat k ratan.
I like doordarshan serial of 90s
Adbhut... I don't know... Why these kind of serials.. have so less views.
People shud watch these .. they will find themselves in old times... Golden times...
Is video mai bhut loogo ko janta hu agr kisi ko milna ho to contact me fast
Mahan munsi premcand. Mene ye khani pdhi he ,''adbhut" sac me vo bacpan k dost kbhi bhulay nhi ja sakte.
Ji haan bachpan ke dost bhulaye nahin ja sakte
The real asset of life
इस कहानी को पढ़िये, देखने से दोगुना आनंद आऐगा। ये कहानी स्कुल(६ या ७) के पाठयक्रम मे थी।
आप कब पास कि हैँ 7वी
हमरे जमाने मे 2007 मे तो नहीं मिली ये कहानी
आप कब पास कि हैँ 7वी
हमरे जमाने मे 2007 मे तो नहीं मिली ये कहानी
Bachpan me sab bhole anjaan masoom the par bade hote hote masumiyath chupani padti he
जब आपके अंदर छोटे बड़े, ऊंच-नीच, अगड़ा पिछड़ा ,का भेद भाव नहीं रहेगा तो यकीन मानिए दोस्ती का आनंद आप से ज्यादा किसी को नहीं मिलेगा
और इस भावना से परे बचपन ही होता है इसलिए बचपन की दोस्ती हमेशा याद रहती है चाहे कितने भी दोस्त क्यू न बन जाए
इस भावना को त्याग कर यह आनंद आप हर समय पा सकते हैं
कितनी गहराई तक सोच लेते थे मुंशी प्रेमचंद 🙏🙏
लेकिन ऐसा होता नहीं है ना पहले था ना आगे रहेगा
Munci Prem Chandra ji great 🙏🙏🙏🙏🙏
जब भी मन में उलझने आती है प्रेमचंद जी कहानियां देख लेता हूं मन शांत हो जाती हैं बचपन भी किया दिन थे 😢❤❤
मैं फिलहाल जर्मनी में रहता हूं परंतु मुंशी प्रेमचंद साब का प्रशंसक हूं, आज जितने भी सिनेमा निर्देशक हैं उनसे ही कही न कही प्रेरणा लेके कहानियां निर्देशित करते हैं, लेखक तो सौ प्रतिशत उनके कहानियों से प्रेरणा लेके हमारे समाज में अच्छे सिनेमा लेके आते रहे हैं। उम्मीद करता हूं हमारे भारतवासी उनको सदियों तक याद रखेंगे।
I love my childhood memories
Upsc एस्पिरेंट ना होता तो शायद इतनी अच्छी कहानियां नहीं पढ़ पता 🙏🙏🙏
सन 1987 में यह सीरियल मुंशी प्रेमचंद्र की अमर कहानियां दूरदर्शन में आता था रविवार को नियमित रूप से देखता था वह क्या दिन थे वह
Aaj kal k tv seriel mai chote chote kapde pehne dikhate hai hmare Sanskar sab bekar kr dye ekta kapooooor ne
इस कहानी को जब मैं पढ़ा था तब हमें समझ में नहीं आ रहा था कि खुशी के आंसू निकल रहे है या दुःख की ...
Bachpan ki yaad taza kar di aapne
Yeh kahani bachpan mein padhi thi
Ab dekh bhi li :::thank u youtube and ofcourse munshi premchandji
क्या बचपन के दिन थे आज से 35 साल पहले खूब मस्ती करते थे गुल्ली डंडा कान मान मालदारी सतोलिया कंचा क्या पता कितने गेम थे बहुत याद आती है उन दिनों की प्रेमचंद जी की कहानियों में यह सब मिलता है और बड़ा आनंद आता है पढ़ने मैं क्या वह दिन थे कभी-कभी तो आंखों में आंसू आ जाते
jab ye serials aate the tab meri mummy thi mere saath.. Ab she is no more. But while seeing the story I am feeling she is alive and with me
Yes, she is..
Tum padana hum padenge!!😂😂😂 mujhe mere bachpan ki baat yaad aa gai...mera ek aisa hi friend gorakh tha...bahot acha gulli danda khelta tha...bahot padata tha mujhe...
प्रेमचंद जी की अनेक कहानी पढ़ी है मगर इसे पहली बार देखा है । few famous stories read by me - Edgaah, Do bailo ki katha, Mantr, Kafan, Godaan, panch parmeshwr, Poos ki raat, Namak ka daroga, and many many more.
Must seen "sava sher gehu"
१९७०-७२ देहरादून हाईस्कूल में मुंशीजी की यह कहानी पढ़कर रस आया था,
यह चित्रण कथा के अनुरूप नहीं हो पाया।
बचपन के दिन भुलाये नहीं जा सकते हैं और कुछ भी नहीं होता था लेकिन जन्नत जैसा अनुभव होता था !
सुकुमार तुडु दादा। गजब काम किया है
वाह बधाई 💐💐
tere bad koi dusra nayak na aayega mere premchand ji aap jaise ratan ko khokar dil rota hai
Thank you very very much for uploading this serise. 🙏🙏
Bachpan me dekha tha ab you tube me dekh raha hoo bachpan yaad agaya yaar pata nahi woh bachpan kab ayega 😭😭😭
Munshi ji aap ne bacchpan yaad aagaya ab aap jayse koi munshi prem chand is dharti pe nahi aayega munshiji aap ki kahani padhker rooh ko bahoot sukun miltahai khuda aap ke rooh ko sukun de aamin
Mene school time Mei kabhi bhi Hindi ki book Mei in khaniyo Mei koi intereste nahi liya lekin aaj dekh raha hu to bus Mann karta hu ki dekhta rahu
Bhai gulli danda kaun kaun khela hai. Mai to khela hu mere gav me ab khelte hai
Upsc aspirant kon kon hai jo dekhne aaya hai 😊
Me
मुंशी प्रेमचंद की बात ही कुछ और है। उनके बिना हिंदी साहित्य अधूरा है।
ऊँची उपलब्धि के बाद पुराने गरीब मित्र से मित्र मिलने आ जाएं तो जीवन का सारा दुख दुर हो जाए परंतु आज की आधुनिकता में ऐसी दृश्य देखना दुलर्भ है । वो दिन कुछ और थे , ये दौर कुछ और है 😢😢
बचपन,
*मुझे फिर से लौटा दो मेरा बचपन* 😭😭
Mere Dill ki baat Aap ne kha di
मूंशी प्रेमचंद जी की कहानीया काफी अच्छी रहती है । फाॅमेली के साथ बैठकर देखी जा सकती है
मै भी गुल्ली डंडा खेलता था।पुराने दिन याद आते हैं। यार दोस्त प्रेम दया क्षमा शांति सत्य धर्म वाले व्यक्ति थे। अब सब ठीक नहीं है। खत्म हो गया। सब कुछ झूठ बोल रहे हैं।अब लोग बेकार दोस्त प्रेम दया नहीं है।
Aaj aankhe dundatihe un bachapake dostoko,un kheloko,un dinoko,un ratoko😭
Old is gold, old Indian game were precious.
वाह मुंशी जी ।।।।। नमन है आपको🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽
IN MUNDHI PRRMCHAND KI STORIES, I HAVE ALWAYS FOUND
ORIGINALITY
I WILL NEVER FIND SUCH A ORIGINAL WRITER IN MY LIFE.
True realism at its best. The touch of realism makes it more attractive to me as well.
It's better to watch these stories rather than to watch the serials. These are really heart touching stories.
गाँव की यादें
Very emotional KAHANI...... nicely done. Keep it up...
# LAXMI HINDI KAHANI
वो दौर आज भी हृदय में अपनी जगह बनाए हुए है...
😢 Wah wah wah 😭
Munshi ji ki kahanian 😅
School men padha thaa aaj rupantar dekh man prasan ho gaya AOR bachpan ki bhi tazah ho gai😂😂😂🎉🎉🎉
ये कहानी में एम. ए. के एग्जाम के समय पढ़ रही हूं।
Ye kahaniya mai Kai bar padh chuka hu but bore nhi hota.
Superb munsi premchand salute I misss my doordarshan wale din
Love all the stories of premchand ji..
& love the simplicity of DD national..🙏 ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ 🙏
बहुत ही मार्मिक कहानी है ,प्रेमचंद्र जी की ,नमन है
ईश्वर पुनः भारत में जन्म दे ऐसे महान लेखक को
Munsi premchand ki trh kahaniya likhane wala n to koi tha aur na hoga
Mera sabse priy khel tha aaj puri yade taja ho gai
Or bachpan ko yad karke rona bhi aa gaya😭😭😭
Bachman ad kaha ayega khusi milti he ye video dekh kar
I Love my childhood 😍❤️💙 i Miss
So heart touching. Childhood memories
इंसान के जीवन का सबसे सुनहरा सुखमय और स्वर्ग से भी बेहतर समय बचपन का होता है। उसके बाद तो बस जिंदगी कटती रहती है लोग बिछड़ते रहते है।☝️😓😥
Very beautiful comment tearful
उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी को समाज और समाज के अच्छे बुरे और लोगो के अचार विचार ,मानवीय व्यवहार की अच्छाई बुराई ।समाज की हर विषय की अच्छी समझ थी ।जीसे उन्होने अपने आस पास के परिवेश और उस कालावधि मे मेहसूस किया ।और उसे अपनी लेखनी सेबहुत ही शानदार रचना से पारिभाषित किया था।मुंशी जी को पढ्ने के बाद हर पाठक का हृदय झकझोरा सा लगने लगता है ।कलम के इस जादुगर क कोटि-कोटि प्रणाम एवम धन्यवाद ।।
Premchan ki is khaki ki film Ansu
Aagye
Bchpan Sei amir bnjana bhi
Dukh deta hai
Jha purane log, door Ho gaye
If this generation watching this it means they are still loving the real beauty of words and culture ❤
यह कहानी मै नौवी कक्षा मे पढा था।
AP 9th m kb the bhaiya please tell me
@@Vishalkumar-yh9or मै महाराष्ट्र से हूँ हिंदी माध्यम से पढाई किया तो प्रथम भाषा हिंदी कीि पुस्तक थी सन 1994-95 मे यह कहानी थी हमे।
@@ProfGulabraoBhoyarMAMEdSET thanks
Maine apne bachpan ke friend ke mohlle chhodne se pahle bahut khus tha lekin jiss din wo gya main 3 din tak rote raha ...i miss you friend😞
'Gaya bada ho Gaya h or main Chhota' isi line me poori kahani ka saar chhipa h, salam h ese mahan lekhar ko. Munshi Premchand 👍
Bachpan ki yad mujhe nahin bhulegi Kabhi
ये कहानी नही है, आज के समय मे 90s के दशक के लोगो के emotions है...
मैं गुल्ली डंडा का star खिलाड़ी हूं
यदि आप गुल्ली डंडा का कोई मैच खेलते हैं तो कृपया मुझे कॉल करें 🙏🙏🙏
Aa jao bhai kab khelna hai
@@wazifekiduniya1416 आ जाओ आरा जिला बिक्रम गंज
Number to de pahle
filmaankan thoda kharab kiya hai iska. Munsi Premchand aazadi se pahle ke hain. Un jaamane me waise flats nahi hote the jaisa video me dikha diya gaya hai. Tahreer waale series me jis tarah se gaao waala scene dikhaya hai, waisa dikhana tha.
Sahi kaha 👍
मुंशी प्रेमचन्द जी के कहानी मे जितना आनंद और उल्लास मिलता है वो इस कलयुग मे कहा मिलता है ☺️🙏
हम भी यह खेल खेळते थे. बडा मजा आता था
Aap ki kahani sabhi ko prerna pradan krti hai ❤️
Munshi prem chander ke yahi khaane mai batchpan me dekhi the, jab mai chota hu aur ab deskh raha hu jab mai 40 ka hu. Moving story hai.
मुन्शी की प्रेमचंद की कहानी बूढ़ी
काकी,बडे भाईसाहब,जैसी कहानियाँ
बचपन में स्कूली दिनों में पढ़ी जिन्हे
कभी भूल नहीं पाई। साहित्य के क्षेत्र में मुन्शी जी की कहानियाँअनमोल
स्थान रखती हैं।