जब किसिभि ब्यक्तिके भाब जागेगे तबउ शान्ति निरन्तर चल्तारहता है बस उहाँ नबुद्दि न मन काम करेगा उसको केबल आनेदो बस उस धुनको सुन्नेके लिए शान्त यानि एकान्त जगह चुने
इस शरीर में आतमा का ठिकाना दो आखों के बीच में है लेकिन यह यहाँ से नीचे नौ द्वार में पूरे शरीर में फैल जाती है जब आप को चोट लगती है तो दर्द कौन महशुस करता है आप की सूरत करती है अब सत कहते हैं अपनी सुरत को उलटाओ और अपने ठिकाने पर लाओ जो कोई इस काम में काम जाब हो गया वह अदर की दुनिया में जाऐगा और परमात्मा से मिल पाऐगा बातो से क् नहीं करनी मेहनत से होगा
योगेश्वर श्री कृष्ण ने परमात्मा को हृदय में निवास माना है वही आत्मा के भीतर परमात्मा व्यापक रूप में विराजमान है आत्मा मस्तिष्क में ऊर्जा को केंद्रित करके समस्त ब्रह्मांड की जानकारी भी ले लेता है। इसलिए लोग भ्रम वशआत्मा को मस्तक में निवास स्थान मानते वैसे ही सुख और दुख की अनुभूति हृदय से ही होती है अतः आत्मा का निवास हृदय में ही है।
नहीं, ऐसे भ्रम में ना रहे रहस्य कुछ और ही है अगर वह बताया जाए तो कोई मानने को तैयार नहीं होगा सिर्फ संकेत कर रहा क्या परमात्मा शरीर के अंदर रह सकता है भावनाओं में कहां जाए तो उचित हो सकता है क्योंकि भावनाएं हदय में होती है ना कि हृदय मे, परमात्मा। यह वही जान सकता है जो साधना की पराकाष्ठा को करता है ना कि पढ़ कर।
योगेश्वर श्री कृष्ण ने और कई प्राचीन ऋषियों ने और महर्षि दयानंद ने मनुष्य के हृदय में ईश्वर का निवास स्थान माना है आप इतना हठ मत कीजिए आप योगेश्वर श्री कृष्ण और महर्षि दयानंद से महान नहीं हो। वेद भी यही प्रमाणित करता है कि जीवात्मा मनुष्य के हृदय में निवास करती है वही जीवात्मा को परमात्मा का साक्षात्कार होता है मस्तिक तो ध्यान का केंद्र है।
@@BholanathSharma-i9c शर्मा जी सही कहा अपने यही अमृत कुंड होता है त्रिवेड़ी सीमृत बनता इसलिए आत्मा मर्तईनहीं अमृत कुंड मै वास रहताह उस स्थान को गोलोक कहा जाताहै यहीं लक्ष्मीनारायण काभी wash
साधना की स्थितियों एवं अवस्थाओं की स्थिति पर आत्मा के 6 सूक्ष्म शरीर होते हैं जो आगे किसी वीडियो में पूर्ण जानकारी पॉइंट मेडिटेशन तहत के अनुसार सुनेंगे।
कण कण में अणु परमाणु में ज्ञान है कि वह क्या करे और बह एक बनावट तैयार करता है।निरन्तर वर्धमान है।इसी को ब्रह्म समझा गया है।फिर उस स्ट्रक्चर में भौतिक कारणों से अवरोध पैदा होता है तो उसके अणु सट्रक्चर छोड़ कर अपनी चेतना से कार्य की दिशा बदल बदल देता है।यही चेतना आत्मा के रूप में है।
आत्मा सर से लेकर पांव तक होती है हर एक एक नस और एक एक इंद्री में प्रवाहित करती रहती है शरीर का संपूर्ण ऊर्जा मस्तिष्क के चंद्र बिंदु पर एकत्र होती रहती है जिसे पूरे ब्रह्मांड का ज्ञान का अनुभव महसूस होने लगता है दूर दृष्टि का मन से संपर्क हो जाता रहा प्राण का रहस्य समझे किसी भी जीव का अंग से टुकड़ा अलग हो जाता है तो आप देखेंगे उसमें ऊर्जा प्रवाहित होती रहती है मृत्यु को समझे प्राण निकलने से पहले ही शरीर का ऊर्जा संपूर्ण एक स्थाई होने लगता है और शरीर के नव छिद्रों में से कर्म के अधीन अनुसार निकलता है और हवा मे विलय हो जाता है आत्माध्यात्मिक विषय गलत लगे तो छमा करे हनुमान चालीसा का संदर्भ पवन तनय संकट हरण मंगल मूर्ति रूप इस शब्द को पर्यायवाची करे
श्रीमान सिर्फ यूट्यूब पर वीडियो देखने से कुछ नहीं होगा अपने अंदर एकाग्र होकर विचार करें चिंतन करें उसके बाद साधना करें क्योंकि सब कुछ साधना करने से ही होगा सिर्फ देखने से कुछ नहीं कौन सी साधना करना है क्या लक्ष्य है उसे हिसाब से अपनी ध्यान साधना को प्रारंभ करें। साधक जब साधना प्रारंभ करता है उसके बाद और भी बहुत सारी समस्याएं आती हैं उनसे भी जूझना पड़ता है।
हम आपसे एक निवेदन करते हैं की क्या इस महान विज्ञान के बारे में यानी शरीर शोधन के विषय में या अंतःकरण की यात्रा के बारे में जहां से योग मार्ग का प्रथम चरण शुरू होता है उससे लेकर ब्रह्मत्व की प्राप्ति तक का मार्ग सविस्तार ज्ञात है आपसे करबद्ध सवाल है
क्योंकि हम इस मार्ग पर करीब करीब बचपन की अवस्था से हैं। आप जैसे कोई महानुभाव से हमारा मिलन होगा तो हो सकता है शायद आगे के मार्ग में हमें सरलता और सुगमता हो
हे श्रीमान, मैं इतना ज्ञानी विज्ञान नहीं हूं न तो मैंने अधिक शास्त्रों का अध्यन किया है, मै सिर्फ इतना कह सकता हूं कि एक को जो जान लेता है ( यानी परमात्मा को ) फिर सब कुछ जान लेता है। मैं आपसे एक बात कहना चाहता हूं अपने विवेक से बहुत बारीकी से सच्चे गुरु की तलाश करें फिर जो गुरु कहे वही करे सब सफल हो जाएगा पुरा जीवन व्यर्थ गवाने की क्या जरूरत है । सच्चे गुरु को खोजने के लिए मैंने गुरु कैसा हो बताया हुआ है वीडियो ध्यान से देख सकते हैं और नियमो के बारे में बताया है । अधिक जानकारी के लिए आने वाले किसी वीडियो में पूरी जानकारी और मिलेगी।
Shukriya Baba shukriya yah sab batane Ke liye Tera lakh lakh dhanyvad mera naam Sunita hai main Brahma Kumari mein jaati hun Baba main sab kuchh Karti hun Baba per pura Vishwas hai lekin Anubhav Mera kam hota hai iske liye aapko dhanyvad dhanyvad shukriya batane ke liye
प्रणाम गुरुजी मेरा ऐक प्रश्न है क्या आप गुरु देव और भगवान को साक्षी मानकर सत्य सत्य मार्गदर्शन देंगे तो वटसप पे बात कर सकता हु नंबर दिजिए धन्यवाद गुरुजी जय मां मेलडी
आवश्य परमपिता परमात्मा का साक्षात्कार करने के लिए मार्गदर्शन करूंगा , कुछ समय बाद नंबर देंगे अभी कुछ व्यस्तता के कारण समय का अभाव है तब तक सत्संग वीडियो देखकर ज्ञान को अर्जित करें और जो नियम बताए हैं उन नियमों पर चलने का प्रयास करें।
Atma is in a small cavity of Heart ! Brain is the work shop , it's resting place is heart according to upanishats ! But Atma is nitya sarvagatha stanurachaloyam sanatana !Atma is Brahman , Almighty connected to every living being as jeevatma , when jeevatma which is Paramatma is disconnected the body will is dead , and mind intellect ego leaves the body along with indriyas , and load of past good and bad deeds, that is load of karma leaves the body and that will take birth in the next birth! About atma githa part 2 verses 23 and 24 gives details and also part 7 verses from 2 to 6 !
देवी भागवत में वर्णन है कि जीव सूक्ष्म शरीर में निवास करते हैं। उपनिषद कहते हैं शरीर के अंदर जीवात्मा और आत्मा दोनों निवास करते हैं। शिव संहिता में स्वयं शिव जी कहते हैं कि जीवात्मा हृदय में और आत्मा मस्तिष्क में रहते हैं। जीवात्मा ही सबकुछ भोगते है आत्मा नहीं। वह तो साक्षी के रूप में निवास करते हैं।
@@tamalkrishnadas6448 जीवात्मा और आत्मा में कोई फर्क नहीं है जैसे जल और बर्फ जब तक आत्मा शरीर में है तब तक जीवन होने के कारण जीव आत्मा कहलाती है जब शरीर से अलग हो जाती है तब केवल आत्मा के रूप में रह जाती है ठीक जैसे बर्फ पिघल कर जल हो जाता है फिर वह जल ही कहलाता है बर्फ नहीं।
आपको आत्मा के स्थान के बारे में नहीं पता है। श्रीमद् भागवत गीता में स्पष्ट श्लोक है कि- ईश्वर: सर्वभूतानां हृदयदेशेअर्जुन: तिष्ठति !! भ्रामयन्सर्वभूतानी यंत्रारूढानी मायया !! हिंदी में लिखने में ढंग से नहीं लिख पा रहा हूं- लेकिन आप इतना जान ले कि श्रीमद् भागवत गीता के 18वें अध्याय का 61वां श्लोक है।
जो गीता में लिखा है उसको कभी प्रत्यक्ष अनुभव किया है या फिर सिर्फ पढ़कर के ज्ञानी बन रहे जो पढ़कर के दूसरों को ज्ञान बघारता है क्या वह सत्य है उसको स्वयं पहले प्रमाणित कर लेना चाहिए।
श्रीमान यदि आप स्वयं अनुभव करना चाहते हैं वही सच्चा ज्ञान होता है इसके लिए आपको स्वयं तैयार होना होगा स्वयं अनुभव करें तभी आनंद आएगा तभी दूसरों को बता पाएंगे।
Hava poore sharir me jisdin sharir se hava nikalti usdin Charo tatwo bekar hojate hai Hava ka hi pavar hai hava ak jagah nahi rahti poore sharir me har jagah hai
श्रीमान जी,बताने के लिए आपको धन्यवाद आप अपने ज्ञान में परम कट्ठा को प्राप्त करें यह परमात्मा से हमारी प्रार्थना है, एक प्रार्थना आपसे है यही सच्चा ज्ञान समाज को दें और एक मार्गदर्शन करें, समाज का बहुत कल्याण होगा एक नए समाज का सृजन होगा यदि हमारा ज्ञान गलत है तो इसकी तरफ कोई भी ध्यान ना दें उसके आगे बढ़े। लेकिन विचार जरूर करें शायद आपकी समझ से बात पार हो धरती में ज्ञानी और वीरों एवं साधकों की कमी नहीं है । चौधरी जी भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है सज्जन पुरुष वही है जो किसी की गलती नहीं ढूंढता है गुणों को ढूंढता है और उसको ग्रहण कर लेता है वही महान है सभी संत भी यही कहते हैं।
मानव शरीरी में आत्मा कहां रहती है?यह आपका बिल्कुल महा मूर्खतापूर्ण प्रश्न है। आप बताये कि मानव शरीर में वह और कौन सी सत्य चेतन सत्ता है जो मानव शरीर में आत्मा की खोज करेगी?आप ऐसे फिजूल के विडियो बनाकर अपनी मूर्खता का परिचय दे रहे है।आपके शरीर में आत्मा को जानने वाली कौन सी शक्ति है ?आप बताइए?आपकी सभी बाते कपोल-कल्पित बाते है।जब शरीर में आत्मा ही सब कुछ जानने वाली है फिर आत्मा को इस शरीर में कौन जाने जानेगा? आप यह बताये कि आपके शरीर में रहने वाली आप की आत्मा इस शरीर को छोडकर कहां जायेगी? जिससे भवसागर में आवागमन से बंध छूट सके।आपकी सभी बाते बिल्कुल बकवास है। सदगुरु कबीर साहेब समझा रहे है। गुरु किया है देह का, सदगुरु चिन्हा नाहि। भवसागर के बीच में, फिर फिर गोते खाहि।। आत्मा के निवास को जानने से कुछ प्राप्त नही होगा। साधना वह करो जिस साधना से आपके शरीर में रहने वाली आत्मा पुनः पुनः शरीरों के जन्म मरण में नही आये। इसलिए आपका यह विडियो बिल्कुल बकवास है। बेकार है।आप जैसे लोग सीधे-सीधे भक्त जनों को भ्रमित कर रहे है।पहले सत्पुरूषो के संग सत्संग करों झूठी विडियो बनाकर अनर्गल बाते मत बताओ। आज्ञा चक्र पर त्रिकुटि में निरंजन की ज्योति है और मन इसका गवाह है।यह आत्मा नही है आत्मा तो इस मन रुप निरंजन की दृष्टा है। फिर आत्मा का यहां निवास कैसे हो सकता है?आपकी सब बाते बिल्कुल झूठ और कपोल कल्पित है
पहले आप अपनी सोच को बदलें और चिंतन करें अधिक से अधिक साधना करें उसके बाद स्वयं पता चल जाएगा जो आप निरंजन के बारे में कह रहे हैं आपको पता ही नहीं है सिर्फ आपने पढ़ा होगा साधना नहीं की होगी अगर साधना करते तो समझते आप बकवास अपने जीवन को बना रहे हैं घनघोर ध्यान साधना करें तभी अंदर के खेल सभी समझ में आएंगे दूसरे के बताने से पढ़ने से कुछ नहीं होता और दूसरे को बकवास बताने से खुद ऐसे पद को नहीं प्राप्त कर लेंगे जो आपको श्रेष्ठ बना दे अपने अंदर की श्रेष्ठ को निखरे। दूसरी बात निरंजन का मॉडल आज्ञा चक्र नहीं सहस्त्रासार है किस भूल में पड़े हैं कहां पर पढ़ लिया है। यदि इतने बड़े ज्ञानी हो तो दूसरे को वही ज्ञान दो जो अभ्यास कर लिया करो यह जो मैंने बताया कबीर सागर में ही है और पूर्ण अभ्यास करने के बाद में अनुभव करने के बाद में पता चलता है वही मैंने बताया है हवा हवाई नहीं।
ओम तत्त सत का अर्थ कोई बात दे, पूरे विश्वमें संत रामपाल जीके शिवाय किसी के पासज्ञान नहीं है, केवल तत्वदर्शीसंत ही बता सकते हैं, गीता का ज्ञान देने वाला खुद नहीं बता पाया,
Har har mahadev har har mahadev har har mahadev har har mahadev ❤❤
जब किसिभि ब्यक्तिके भाब जागेगे तबउ शान्ति निरन्तर चल्तारहता है बस उहाँ नबुद्दि न मन काम करेगा उसको केबल आनेदो बस उस धुनको सुन्नेके लिए शान्त यानि एकान्त जगह चुने
ॐ😍💐🙏💐😍
Joy goru har har mahadsve I love you so much 🙏🙏🙏🙏🙏
Om Shanti 🙏🙏
भृकुटि के बीच ध्यान साधना से चित्र प्रफुल्लित होता है ऊं नमो भगवते वासुदेवाय
इस शरीर में आतमा का ठिकाना दो आखों के बीच में है लेकिन यह यहाँ से
नीचे नौ द्वार में पूरे शरीर में फैल जाती है
जब आप को चोट लगती है तो दर्द कौन
महशुस करता है आप की सूरत करती है
अब सत कहते हैं अपनी सुरत को उलटाओ और अपने ठिकाने पर लाओ
जो कोई इस काम में काम जाब हो गया
वह अदर की दुनिया में जाऐगा और
परमात्मा से मिल पाऐगा बातो से क् नहीं करनी मेहनत से होगा
Om om om
radhe radhe ❤️💙
Wahigur Ji
Jai Shree Ram
योगेश्वर श्री कृष्ण ने परमात्मा को हृदय में निवास माना है वही आत्मा के भीतर परमात्मा व्यापक रूप में विराजमान है आत्मा मस्तिष्क में ऊर्जा को केंद्रित करके समस्त ब्रह्मांड की जानकारी भी ले लेता है। इसलिए लोग भ्रम वशआत्मा को मस्तक में निवास स्थान मानते वैसे ही सुख और दुख की अनुभूति हृदय से ही होती है अतः आत्मा का निवास हृदय में ही है।
नहीं, ऐसे भ्रम में ना रहे रहस्य कुछ और ही है अगर वह बताया जाए तो कोई मानने को तैयार नहीं होगा सिर्फ संकेत कर रहा क्या परमात्मा शरीर के अंदर रह सकता है भावनाओं में कहां जाए तो उचित हो सकता है क्योंकि भावनाएं हदय में होती है ना कि हृदय मे, परमात्मा। यह वही जान सकता है जो साधना की पराकाष्ठा को करता है ना कि पढ़ कर।
योगेश्वर श्री कृष्ण ने और कई प्राचीन ऋषियों ने और महर्षि दयानंद ने मनुष्य के हृदय में ईश्वर का निवास स्थान माना है आप इतना हठ मत कीजिए आप योगेश्वर श्री कृष्ण और महर्षि दयानंद से महान नहीं हो। वेद भी यही प्रमाणित करता है कि जीवात्मा मनुष्य के हृदय में निवास करती है वही जीवात्मा को परमात्मा का साक्षात्कार होता है मस्तिक तो ध्यान का केंद्र है।
आत्मा दोनों आंखों के सेंटर में यानी की दिनों के बीच में जहां पर तिलक लगती है परमात्मा ने मनुष्य शरीर में आत्मा रूपी तिलक दिया है
@@BholanathSharma-i9c शर्मा जी सही कहा अपने यही अमृत कुंड होता है त्रिवेड़ी सीमृत बनता इसलिए आत्मा मर्तईनहीं अमृत कुंड मै वास रहताह उस स्थान को गोलोक कहा जाताहै यहीं लक्ष्मीनारायण काभी wash
Jay malik ❤
बहुत अच्छा सच्चा ज्ञान बताया आपको कोटि कोटि प्रणाम
Aap yog kaa jaankare deeya
Jai Bharat mata ki jai
अनुभव सहीत सत्य कहा आपने लेकिन आपको एक विनंती है कि सबकुछ मत खोलके बताओ ...गुप्तता रखो .कुछ ऐसी भी बाते है कि वो गुप्त रखी जाय l धन्यवाद ॐ
आत्म ज्ञानी ही आत्मा का ज्ञान दे सकते,,,आत्मा का स्थान दोनो आंखो के मध्य हे,,वहा मन बुद्धी ओर चित्त से नही जान पायेगे,,दोनो भौवो के मध्य हे,,
कृपया गुरु जी बताने की कृपा करे कि क्या आत्मा का सूक्ष्म शरीर होता है या वो ज्योति के रूप में दोनों भौंवो के मध्य हैं।
साधना की स्थितियों एवं अवस्थाओं की स्थिति पर आत्मा के 6 सूक्ष्म शरीर होते हैं जो आगे किसी वीडियो में पूर्ण जानकारी पॉइंट मेडिटेशन तहत के अनुसार सुनेंगे।
ठीक हैं गुरु जी 🙏🙏🙏
Brahma Gyaan Dhyaan omkarom kar OM 🕉
Ak,danm,sahi,bataya,
कण कण में अणु परमाणु में ज्ञान है कि वह क्या करे और बह एक बनावट तैयार करता है।निरन्तर वर्धमान है।इसी को ब्रह्म समझा गया है।फिर उस स्ट्रक्चर में भौतिक कारणों से अवरोध पैदा होता है तो उसके अणु सट्रक्चर छोड़ कर अपनी चेतना से कार्य की दिशा बदल बदल देता है।यही चेतना आत्मा के रूप में है।
आत्मा सर से लेकर पांव तक होती है हर एक एक नस और एक एक इंद्री में प्रवाहित करती रहती है शरीर का संपूर्ण ऊर्जा मस्तिष्क के चंद्र बिंदु पर एकत्र होती रहती है जिसे पूरे ब्रह्मांड का ज्ञान का अनुभव महसूस होने लगता है दूर दृष्टि का मन से संपर्क हो जाता
रहा प्राण का रहस्य समझे
किसी भी जीव का अंग से टुकड़ा अलग हो जाता है तो आप देखेंगे उसमें ऊर्जा प्रवाहित होती रहती है
मृत्यु को समझे
प्राण निकलने से पहले ही शरीर का ऊर्जा संपूर्ण एक स्थाई होने लगता है और शरीर के नव छिद्रों में से कर्म के अधीन अनुसार निकलता है और हवा मे विलय हो जाता है
आत्माध्यात्मिक विषय
गलत लगे तो छमा करे
हनुमान चालीसा का संदर्भ
पवन तनय संकट हरण मंगल मूर्ति रूप इस शब्द को पर्यायवाची करे
Your very very wrong
Bilkul sahi baat hai ji
Om Namah Shivay Jai Shree Radhe Krishna Radhe Radhe 🙏👋🌹🩸💯♥️🙏
राधा स्वामी जी🙏🙏
गुरुजी प्रणाम स्वीकार करे, 7साल से लगातार मैं खुद महसूस कर रहा हूं ❤
Brahma Gyaan Dhyaan omkarom kar OM 🕉
आत्मा, शरीर के हर अँगो पर उपलब्ध होता है।
thanks गुरु जि
जय श्री कृष्णा आत्मा ह्रदय में रहती है
ह्रदय में आत्मा की अस्थाई सीट हे
Om Hari Jai Shree Ram Jai Shree Ram Jai Shree Ram
Jay Hanuman
Jay shree ram 🚩🚩🚩
Saheb bandagi ❤❤❤
સત સાહેબ
❤️🙏❤️
Sat saheb
Nice
Jay guru dev
rights
Jaygurdev
आत्मा का निवास स्थान है ह्रदय कमल में तिरकुटी में मन जोती का निवास है
युटुब पर बहुत वीडियो देखा है अभी तक कोई सफल वीडियो नहीं देखा जिसे सफल हो सके🙏🙏🙏
श्रीमान सिर्फ यूट्यूब पर वीडियो देखने से कुछ नहीं होगा अपने अंदर एकाग्र होकर विचार करें चिंतन करें उसके बाद साधना करें क्योंकि सब कुछ साधना करने से ही होगा सिर्फ देखने से कुछ नहीं कौन सी साधना करना है क्या लक्ष्य है उसे हिसाब से अपनी ध्यान साधना को प्रारंभ करें। साधक जब साधना प्रारंभ करता है उसके बाद और भी बहुत सारी समस्याएं आती हैं उनसे भी जूझना पड़ता है।
jai shree ram 🚩🚩🚩🚩
Santrampalji maharaj ki jay 🙏🙏
Om namah shivaya
Jai shree ram
har har har mahadev 🕉️🙏🏾🕉️🕉️
❤jai guru dev ñaam prabhu ka❤❤
धन्य हो गुरदेव
गलत जानकारी देने के लिए महोदय धन्यवाद
आत्मा हृदय चक्र में स्थित है तिरकुटी एक एअरपोर्ट समझो यहां से साधक अपनी भक्ति के अनुसार अपने इष्ट देव के पास जाता है
सुनने पढ़ने से कुछ नहीं साधना करके देखें तभी सत्यता समझ में आएगी भ्रम में ना रहे ।
Hirde chakkar se thoda aur upper
@@aatmyogSadhanaसाधना से जो कुछ दिखाई देता है तो उसको टेलीविजन कि तरह समझे जैसे फ़िल्म इस्टिडियो में चलती है दिखाई टेलीविजन में देती
Jai mata di
@Atma yog sa....
jai shree Krishna 🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾
Jai mahakal
आत्मा को जाणणे के लिए कुंडलिनी जागृती करके ही जान सकते है
प्रणाम गुरुजी आपका कोई जवाब नही मिला कृपया करके मुजे बताइए धन्यवाद गुरुजी जय मां मेलडी
Jai maa chamunda Jai guruji me bahri hun mughe thik karne ka samadhan bataiye apki bahut kripa hogi kusum 10:19 10:19
हम आपसे एक निवेदन करते हैं की क्या इस महान विज्ञान के बारे में यानी शरीर शोधन के विषय में या अंतःकरण की यात्रा के बारे में जहां से योग मार्ग का प्रथम चरण शुरू होता है उससे लेकर ब्रह्मत्व की प्राप्ति तक का मार्ग सविस्तार ज्ञात है आपसे करबद्ध सवाल है
क्योंकि हम इस मार्ग पर करीब करीब बचपन की अवस्था से हैं। आप जैसे कोई महानुभाव से हमारा मिलन होगा तो हो सकता है शायद आगे के मार्ग में हमें सरलता और सुगमता हो
हे श्रीमान, मैं इतना ज्ञानी विज्ञान नहीं हूं न तो मैंने अधिक शास्त्रों का अध्यन किया है, मै सिर्फ इतना कह सकता हूं कि एक को जो जान लेता है ( यानी परमात्मा को ) फिर सब कुछ जान लेता है।
मैं आपसे एक बात कहना चाहता हूं अपने विवेक से बहुत बारीकी से सच्चे गुरु की तलाश करें फिर जो गुरु कहे वही करे सब सफल हो जाएगा पुरा जीवन व्यर्थ गवाने की क्या जरूरत है । सच्चे गुरु को खोजने के लिए मैंने गुरु कैसा हो बताया हुआ है वीडियो ध्यान से देख सकते हैं और नियमो के बारे में बताया है । अधिक जानकारी के लिए आने वाले किसी वीडियो में पूरी जानकारी और मिलेगी।
Shukriya Baba shukriya yah sab batane Ke liye Tera lakh lakh dhanyvad mera naam Sunita hai main Brahma Kumari mein jaati hun Baba main sab kuchh Karti hun Baba per pura Vishwas hai lekin Anubhav Mera kam hota hai iske liye aapko dhanyvad dhanyvad shukriya batane ke liye
Please parho pustak Geeta Tera gian amrit ram ram ji
प्रणाम गुरुजी मेरा ऐक प्रश्न है क्या आप गुरु देव और भगवान को साक्षी मानकर सत्य सत्य मार्गदर्शन देंगे तो वटसप पे बात कर सकता हु नंबर दिजिए धन्यवाद गुरुजी जय मां मेलडी
आवश्य परमपिता परमात्मा का साक्षात्कार करने के लिए मार्गदर्शन करूंगा , कुछ समय बाद नंबर देंगे अभी कुछ व्यस्तता के कारण समय का अभाव है तब तक सत्संग वीडियो देखकर ज्ञान को अर्जित करें और जो नियम बताए हैं उन नियमों पर चलने का प्रयास करें।
ॐ नमः शिवाय। आत्मा को सुषम ज्योति बिंदु रुप में भृकुटि के मध्य देखने का अभ्यास ही योग है।
Atma is in a small cavity of Heart ! Brain is the work shop , it's resting place is heart according to upanishats ! But Atma is nitya sarvagatha stanurachaloyam sanatana !Atma is Brahman , Almighty connected to every living being as jeevatma , when jeevatma which is Paramatma is disconnected the body will is dead , and mind intellect ego leaves the body along with indriyas , and load of past good and bad deeds, that is load of karma leaves the body and that will take birth in the next birth! About atma githa part 2 verses 23 and 24 gives details and also part 7 verses from 2 to 6 !
Eshe guru ko kaha dhundenge
Han Sahi kaha is sansar mein chhal Dhokha bahut hai fir bhi prayas Karen
देवी भागवत में वर्णन है कि जीव सूक्ष्म शरीर में निवास करते हैं। उपनिषद कहते हैं शरीर के अंदर जीवात्मा और आत्मा दोनों निवास करते हैं। शिव संहिता में स्वयं शिव जी कहते हैं कि जीवात्मा हृदय में और आत्मा मस्तिष्क में रहते हैं। जीवात्मा ही सबकुछ भोगते है आत्मा नहीं। वह तो साक्षी के रूप में निवास करते हैं।
@@tamalkrishnadas6448 जीवात्मा और आत्मा में कोई फर्क नहीं है जैसे जल और बर्फ जब तक आत्मा शरीर में है तब तक जीवन होने के कारण जीव आत्मा कहलाती है जब शरीर से अलग हो जाती है तब केवल आत्मा के रूप में रह जाती है ठीक जैसे बर्फ पिघल कर जल हो जाता है फिर वह जल ही कहलाता है बर्फ नहीं।
आपको आत्मा के स्थान के बारे में नहीं पता है।
श्रीमद् भागवत गीता में स्पष्ट श्लोक है कि-
ईश्वर: सर्वभूतानां हृदयदेशेअर्जुन: तिष्ठति !!
भ्रामयन्सर्वभूतानी यंत्रारूढानी मायया !!
हिंदी में लिखने में ढंग से नहीं लिख पा रहा हूं- लेकिन आप इतना जान ले कि श्रीमद् भागवत गीता के 18वें अध्याय का 61वां श्लोक है।
जो गीता में लिखा है उसको कभी प्रत्यक्ष अनुभव किया है या फिर सिर्फ पढ़कर के ज्ञानी बन रहे जो पढ़कर के दूसरों को ज्ञान बघारता है क्या वह सत्य है उसको स्वयं पहले प्रमाणित कर लेना चाहिए।
राधे राधे जी
Om namah Shivay Om namah shivay om namah Shivay
❤om❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤namahashivaayaoo❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤harharmahadeava❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Aapko karodo baar namaskar
💐🌺🌹❤️♣️
नमस्कार, आप लोग की आत्म ज्ञान हुआ।
श्रीमान यदि आप स्वयं अनुभव करना चाहते हैं वही सच्चा ज्ञान होता है इसके लिए आपको स्वयं तैयार होना होगा स्वयं अनुभव करें तभी आनंद आएगा तभी दूसरों को बता पाएंगे।
Rajukeot
Anubhaw kare Pata chal jayai ga
आत्मा शिखर यानी त्रिकुटी पर स्थापित हैं
आत्मा जाते वेळेस मी बघितला करंट लागत असते
Aatma pure body me faili hui h dhyan kriya dwara dusve dwar me ekatr kerne ko hi yog kehte h
Yog matlab permatma se aatma ka milan
Hava poore sharir me jisdin sharir se hava nikalti usdin
Charo tatwo bekar hojate hai
Hava ka hi pavar hai hava ak jagah nahi rahti poore sharir me har jagah hai
कहने मे ये बाते सब सही है लेकिन करने में बहुत
Sr apne Kiya hai kya
Aatma koi bkrika bchhav nhi jo aese pakad liya Jay maf kro
Bakri charane walon Ko maaf to karna hi padta hai
Atma chalayman hai
Gyan vahi hai jo bataya jaye baanta jaaye
आत्मा डोक्यातून करंट लागत असते
Atma chalai man nahin hai manchala imarat mein sthit hai Ajay Amar Avinash
મેઆપકોયેકેહનાચાહતાહુકીઆતમાકીસજગાપરનહીહૈ
நீங்கள் எது சரி என்று நினைக்கிறீர்களோ, அது சரி என்று நினைக்கிறீர்கள்.
आपको आत्मा के बारे में जानकारी नहीं है तभी ऐसी गलत बातें कह रहे हैं आप जो कह रहे हैं इसमें आत्मा का एक अंश भी नहीं है
श्रीमान जी,बताने के लिए आपको धन्यवाद आप अपने ज्ञान में परम कट्ठा को प्राप्त करें यह परमात्मा से हमारी प्रार्थना है, एक प्रार्थना आपसे है यही सच्चा ज्ञान समाज को दें और एक मार्गदर्शन करें, समाज का बहुत कल्याण होगा एक नए समाज का सृजन होगा यदि हमारा ज्ञान गलत है तो इसकी तरफ कोई भी ध्यान ना दें उसके आगे बढ़े। लेकिन विचार जरूर करें शायद आपकी समझ से बात पार हो धरती में ज्ञानी और वीरों एवं साधकों की कमी नहीं है । चौधरी जी भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है सज्जन पुरुष वही है जो किसी की गलती नहीं ढूंढता है गुणों को ढूंढता है और उसको ग्रहण कर लेता है वही महान है सभी संत भी यही कहते हैं।
आत्मा बड़ी है की हृदय बड़ा है बड़ी चीज छोटे में कैसे आ सकती है
भाई नकली गुरु से कोई लाभ नहींहोता दोनों आंखों के बीच में आत्मा का स्थान नहींहै , मूर्ख लोग सुनी सुनाई बातकरते हैं। संत जान केवल संकेतकरते हैं
Nobbbbbbb
फीर आपको पता है तो आप बताइए ना भाईसाहबजी@@DineshKumar-n5x6l
आपका ठिकाना कामा है
Your very very wrong 100%√
Dimag me agni ka khostra impossible
आप का ज्ञान सत्य है मान्यवर लेकिन इतना कैसे जाने आप क्या practical अनुभव किया है क्या आप की आत्मा निकल ब्रह्मांड में भ्रमण कर सकी है
हां बिल्कुल, मैं ही नहीं आप भी कर सकते हैं मैंने कई वर्षों तक 15 -16 घंटे प्रतिदिन साधना की है तभी संभव हो सकता है
Kisi Puran mein likha hai
Galat bat he,,aatma 1 jagah par shthir nahi he,,ye chalayman he,,jiski jesi dristy,,,,pitu ke jay🌾🌽
Logo ko bhrmit na kare.ye aatma ka sathan nahi hota.
योगी बोलते नहीं
मानव शरीरी में आत्मा कहां रहती है?यह आपका बिल्कुल महा मूर्खतापूर्ण प्रश्न है। आप बताये कि मानव शरीर में वह और कौन सी सत्य चेतन सत्ता है जो मानव शरीर में आत्मा की खोज करेगी?आप ऐसे फिजूल के विडियो बनाकर अपनी मूर्खता का परिचय दे रहे है।आपके शरीर में आत्मा को जानने वाली कौन सी शक्ति है ?आप बताइए?आपकी सभी बाते कपोल-कल्पित बाते है।जब शरीर में आत्मा ही सब कुछ जानने वाली है फिर आत्मा को इस शरीर में कौन जाने जानेगा? आप यह बताये कि आपके शरीर में रहने वाली आप की आत्मा इस शरीर को छोडकर कहां जायेगी? जिससे भवसागर में आवागमन से बंध छूट सके।आपकी सभी बाते बिल्कुल बकवास है। सदगुरु कबीर साहेब समझा रहे है।
गुरु किया है देह का,
सदगुरु चिन्हा नाहि।
भवसागर के बीच में,
फिर फिर गोते खाहि।।
आत्मा के निवास को जानने से कुछ प्राप्त नही होगा। साधना वह करो जिस साधना से आपके शरीर में रहने वाली आत्मा पुनः पुनः शरीरों के जन्म मरण में नही आये। इसलिए आपका यह विडियो बिल्कुल बकवास है। बेकार है।आप जैसे लोग सीधे-सीधे भक्त जनों को भ्रमित कर रहे है।पहले सत्पुरूषो के संग सत्संग करों झूठी विडियो बनाकर अनर्गल बाते मत बताओ। आज्ञा चक्र पर त्रिकुटि में निरंजन की ज्योति है और मन इसका गवाह है।यह आत्मा नही है आत्मा तो इस मन रुप निरंजन की दृष्टा है। फिर आत्मा का यहां निवास कैसे हो सकता है?आपकी सब बाते बिल्कुल झूठ और कपोल कल्पित है
पहले आप अपनी सोच को बदलें और चिंतन करें अधिक से अधिक साधना करें उसके बाद स्वयं पता चल जाएगा जो आप निरंजन के बारे में कह रहे हैं आपको पता ही नहीं है सिर्फ आपने पढ़ा होगा साधना नहीं की होगी अगर साधना करते तो समझते आप बकवास अपने जीवन को बना रहे हैं घनघोर ध्यान साधना करें तभी अंदर के खेल सभी समझ में आएंगे दूसरे के बताने से पढ़ने से कुछ नहीं होता और दूसरे को बकवास बताने से खुद ऐसे पद को नहीं प्राप्त कर लेंगे जो आपको श्रेष्ठ बना दे अपने अंदर की श्रेष्ठ को निखरे। दूसरी बात निरंजन का मॉडल आज्ञा चक्र नहीं सहस्त्रासार है किस भूल में पड़े हैं कहां पर पढ़ लिया है। यदि इतने बड़े ज्ञानी हो तो दूसरे को वही ज्ञान दो जो अभ्यास कर लिया करो यह जो मैंने बताया कबीर सागर में ही है और पूर्ण अभ्यास करने के बाद में अनुभव करने के बाद में पता चलता है वही मैंने बताया है हवा हवाई नहीं।
Aapko kuch nahi aata
मुझे बताने के लिए कोटि कोटि धन्यवाद अंतर्यामी महापुरुष महाराज आपकी जय हो, सारे संसार में आपकी जय हो जन-जन आपकी जय जयकार करें।
@@aatmyogSadhanaबढ़िया जवाब मीठे शहद से दिया
Bakbas kar rha hai om is kal
ओम तत्त सत का अर्थ कोई बात दे, पूरे विश्वमें संत रामपाल जीके शिवाय किसी के पासज्ञान नहीं है, केवल तत्वदर्शीसंत ही बता सकते हैं, गीता का ज्ञान देने वाला खुद नहीं बता पाया,