जीवन की चादर पाप के दाग से मैली, लोभ और मोह से पुरानी हो गयी है. विषयोन्से लिपटि हुई है. इसे ज्ञान के साबुन और शुद्ध पानी से धोया नहीं. सारी उम्र ओढ़ते रहे हो पर असलियत नहीं जानते. अपने मन में शंका करो, यह जान लो की यह दूसरे की चीज है. इसे जतन से रखो. यह चादर (ज़िन्दगी) फिर हाथ नहीं आने वाली….
जीवन की चादर पाप के दाग से मैली, लोभ और मोह से पुरानी हो गयी है. विषयोन्से लिपटि हुई है. इसे ज्ञान के साबुन और शुद्ध पानी से धोया नहीं. सारी उम्र ओढ़ते रहे हो पर असलियत नहीं जानते. अपने मन में शंका करो, यह जान लो की यह दूसरे की चीज है. इसे जतन से रखो. यह चादर (ज़िन्दगी) फिर हाथ नहीं आने वाली….
Thanks Harjibhai for posting this gem. Let us have more from your treasure.
@snehaparab717 his name is vishwanath shirodkar i think. saw them recently in minneapolis.
@muslimharji It's ok, I understand. Thank you for posting! :-D
Kabirji's Purani chadar metaphor was enlivened by Prabha Atreji.
Rasputnaji,
You tube only allows 10 min. segments.
My apology.
Harji
which taal is this................?
and who is tabla player............?
it cuts off at the end :(
sounds like deepchandi to me. 14 beats.