गुरु जी, आप जैसे महान व्यक्ति को बार-बार किडनी का नाम नहीं लेना चाहिए, इस का अर्थ ये लगता है कि आप किडनी के नाम से भक्तो की सहानुभूति लेना चाहते हों, जो कदापि उचित नहीं है। आप के पास वो शक्ति हैं जिससे आप स्वयं की किडनी तो क्या,दुसरो की भी दुरुस्त कर सकते हों, केवल आपको विपश्यना ध्यान/साधना करने की जरूरत है। भला हो, मंगल हो!
प्यार करना बुरा नहीं है लेकिन आसक्ति और बहुत ज़्यादा मोह रखना खतरनाक और दु:ख दांई होता हैं।
गुरु जी, आप जैसे महान व्यक्ति को बार-बार किडनी का नाम नहीं लेना चाहिए, इस का अर्थ ये लगता है कि आप किडनी के नाम से भक्तो की सहानुभूति लेना चाहते हों, जो कदापि उचित नहीं है। आप के पास वो शक्ति हैं जिससे आप स्वयं की किडनी तो क्या,दुसरो की भी दुरुस्त कर सकते हों, केवल आपको विपश्यना ध्यान/साधना करने की जरूरत है।
भला हो, मंगल हो!