@@SanatanTattvagyan-j7k आज तक ब्रह्म ज्ञान से छौकी दाल सब परोसते जबरजस्ती! स्रष्टि - और शरीर रचना पर गुन्गे बहरे और अन्धे पाये जाते , भाई दुकान चलाने का मामला हैबिना कुछ लगत के ।
कुंडली चक्र से स्थूल जगत से कारण जगत सम्पर्क स्थल है आत्म जगत नाभि के सिल्वर वायर से कारण और आत्म जगत से संबधित है जीवन मृत्य के पथ पर चक्र ही संयोग अर्थात जीवन वियोग यानी मृत्यकारण ही स्मृति और स्मृति भ्रंसहै जब उर्जा का क्षय का इस जगत में नियम है तो हर चीज नश्वर है स्थूल जगत में उर्जा संरक्षण की कोई सीमा नहीं
भामती अद्वैत वेदान्त दर्शन का एक उपसम्प्रदाय मान सकते है। इस सम्प्रदाय का नाम वाचस्पति मिश्र के 'भामती' नामक ग्रन्थ पर पड़ा है जो आदि शंकराचार्य कृत ब्रह्मसूत्र के भाष्य की _टीका है। भामती जी वाचस्पति मिश्र की पत्नी थीं । लगभग 1100 साल पुराना यह चरित्र है । वाचस्पति ने जो टीका ग्रन्थ लीखा था उसको अपनी पत्नी भामती का नाम दे कर अपनी पत्नी भामती का समपर्ण अमर कर दिया । भामटी केवल एक भाष्य टीका नहीं है, बल्कि अद्वैत वेदांत के अध्ययन के लिए एक मार्गदर्शक ग्रंथ भी है। इसके माध्यम से वाचस्पति मिश्र ने अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों को सुदृढ़ और स्पष्ट किया, जो भारतीय दर्शन में एक अमूल्य योगदान है। 🕉️🙏
@@SanatanTattvagyan-j7k नमस्कार जिज्ञासा और कुतूहल के वश प्रश्न पूछा था, मेने अभी सुना, कि वाचस्पति मिश्राजी ये सूत्र के टीका भाष्य लिखते वक़्त समय के काल में खो गए थे, कैसे जीविका चली, कब गृहस्थाश्रम में प्रवेश हुआ, कब विवाह हुआ, कुछ ही पता नहीं चला, टीका भाष्य खत्म होते ही,दस साल के बाद, वे विक्षिप्त हुए, पत्नी को देख, उन्होंने पूछा, देवी आप कोन हो, पत्नी बोली, में भामती, आपकी धर्म पत्नी फिर पत्नी का नाम ही रख दिया, भामती
Sorry to say, why are you Sanatani not worshiping Guru Ved Viyas and Guru Valmiki also. Why are you people not placing any statue inside temple. First you filled this void then give lecture on this. Don't spread this types of news.
Thanks!
आपके समर्थन के लिए बहुत आभार तथा
सुपर थैंक्स के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद! 🙏
@@SanatanTattvagyan-j7k आज तक ब्रह्म ज्ञान से छौकी दाल सब परोसते जबरजस्ती! स्रष्टि - और शरीर रचना पर गुन्गे बहरे और अन्धे पाये जाते , भाई दुकान चलाने का मामला हैबिना कुछ लगत के ।
इसके लिए धन्यवाद् भ्राता श्री 😊❤
परम पिता परमेश्वर hiआभार औरधन्यबाद। परब्रह्म परमेश्वर ही जगत का कारण हैं। एकोहमं बहुमास्वामि
साधु साधु साधु♥️🚩🔱🙏
Satchit aanand swaroop uss parmatma ko koti koti pranam 🙏 krtey hain, Radhey Krishna 🙏🌹😊
Om om om om om om
ॐ
Kiti Koti Pranam for creating digital content which is a right mode for present generation Namaste🙏🙏
Om sai guru
अनेक वर्णोंनों में ब्रह्मवाचक शब्दोंको सुसुत्रता लानेका महत्तम प्रयास और साधुवाद को नमन.
ॐ
Narayan Narayan hariom
Bhut hi divy Gyan aapne Jan Kalyan ke liye prastut kiya hei aapka bhut dhnyavad ,sadhuvad
Jay yogeshvar
Hamne yah shri Brahmasutra namak pustak, M.A. sanskriti me study kiya tha, aaj bhi sab yaad aata hai vo college time😥😥, now I'm 56 yrs old.
Jai Hari Mauli. We are very grateful to you for uploading such type of Devine video.
UTPANNA EKADASHEE ‼️
ૐ
सुनकर जानकर, सोचकर अनंतर् ब्रह्म को ही अद्वय, अद्वितीय अपना वास्तविक स्वरूप जानकर, उस ज्ञानस्वरुप में ही ब्रह्मलीन हो ।
Dr. Santosh Kumar Mohanty 🇮🇳
Satyam Gnyanam Anantam Brahmaah ‼️📚📚🇮🇳🇮🇳🙏🙏
अतिसुंदर।
ऊं श्री हरि:
*🙏सादर जय सियाराम जी🙏*
🙏🌹
UNPRECEDENTED. AAPKO PRANAAM JI ❤
कुंडली चक्र से स्थूल जगत से कारण जगत सम्पर्क स्थल है आत्म जगत नाभि के सिल्वर वायर से कारण और आत्म जगत से संबधित है जीवन मृत्य के पथ पर चक्र ही संयोग अर्थात जीवन वियोग यानी मृत्यकारण ही स्मृति और स्मृति भ्रंसहै जब उर्जा का क्षय का इस जगत में नियम है तो हर चीज नश्वर है स्थूल जगत में उर्जा संरक्षण की कोई सीमा नहीं
Hariomtatsat ❤
Jay Thakar 🙏
Vedic gyan thanks
❤❤❤
🙏🙏
ऊं 🎉
Ye Hame Sochhne ko nimit banaya hai ye !Hai....
❤
ब्रह्मसूत्र का ग्यान अन्तःमन से समझा जा सकता है। आनन्दमय कोश परब्रह्म काबाचक है। अन्नमय, प्राणमय ,
मनमय,विग्यानमय और आनन्दमय, पांच कोष ब्रह्म ही है।
Bhrmm satayam
मेरा आँख खुलगय
पूरा चारों अध्याय तथा 16 पाद पूरा करे आपका आभारी हूंगा
🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
ब्रह्म सत्यम जगत मिथ्या 💥🙏
ब्रह्म सूत्र पर शंकर स्वामी ने भी भाष्य किया वह तो जलेवी की तरह है क्या ये भाष्य इमरती की तरह?
12:28
ऊः न म म न।
लेखक नैशैनैलिस्ट वर्कर तथा रूलिंग दल से हैं
वाचस्पति लिखित bhamti क्या है,
भामती अद्वैत वेदान्त दर्शन का एक उपसम्प्रदाय मान सकते है। इस सम्प्रदाय का नाम वाचस्पति मिश्र के 'भामती' नामक ग्रन्थ पर पड़ा है जो आदि शंकराचार्य कृत ब्रह्मसूत्र के भाष्य की _टीका है।
भामती जी वाचस्पति मिश्र की पत्नी थीं । लगभग 1100 साल पुराना यह चरित्र है । वाचस्पति ने जो टीका ग्रन्थ लीखा था उसको अपनी पत्नी भामती का नाम दे कर अपनी पत्नी भामती का समपर्ण अमर कर दिया । भामटी केवल एक भाष्य टीका नहीं है, बल्कि अद्वैत वेदांत के अध्ययन के लिए एक मार्गदर्शक ग्रंथ भी है। इसके माध्यम से वाचस्पति मिश्र ने अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों को सुदृढ़ और स्पष्ट किया, जो भारतीय दर्शन में एक अमूल्य योगदान है। 🕉️🙏
@@SanatanTattvagyan-j7k नमस्कार
जिज्ञासा और कुतूहल के वश प्रश्न पूछा था,
मेने अभी सुना, कि वाचस्पति मिश्राजी ये सूत्र के टीका भाष्य लिखते वक़्त समय के काल में खो गए थे, कैसे जीविका चली, कब गृहस्थाश्रम में प्रवेश हुआ, कब विवाह हुआ, कुछ ही पता नहीं चला, टीका भाष्य खत्म होते ही,दस साल के बाद, वे विक्षिप्त हुए, पत्नी को देख, उन्होंने पूछा, देवी आप कोन हो, पत्नी बोली, में भामती, आपकी धर्म पत्नी फिर पत्नी का नाम ही रख दिया, भामती
@@SanatanTattvagyan-j7k
में एक सांसारिक जीव मात्र हूं, प्रतिक्रिया देते समय कुछ गलती हो तो
में क्षमा पार्थि हूं
“भूल” 😊 उचित शब्द है 🙏
“गलती” हिंदी अथवा संस्कृत भाषा का शब्द नहीं है 🙏
आप जी की टिप्पणी अति सराहनीय है 🙏🙏🙏❤️
Music band kardo or ai voice mat use Karo , karo toh atleast human like ho.
AI voice achi nhi h
Sorry to say, why are you Sanatani not worshiping Guru Ved Viyas and Guru Valmiki also. Why are you people not placing any statue inside temple. First you filled this void then give lecture on this. Don't spread this types of news.
भयंकर झूठ फैला रहे हो ! सदियों से इसी तरह लोगों को बेवकूफ बनाया गया है।
सुननेकी क्षमता रखो बीचमे मचमच नहीं करना 😂
ૐ
🙏🙏