इष्ट देवता का ध्यान। इष्ट देवता कैसे पहचाने। मूर्ति त्राटक।

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  • Опубликовано: 27 дек 2024

Комментарии • 30

  • @patrammakkar5576
    @patrammakkar5576 11 месяцев назад

    आपका बहुत बहुत धन्यवाद् कृपया ऐसी जानकारी देते रहे

  • @patrammakkar5576
    @patrammakkar5576 3 месяца назад

    धन्यवाद

  • @divyarajrahevar5028
    @divyarajrahevar5028 6 месяцев назад

    Murti ko heart❤ mein dhyan karne kya fayda hai Aur third eye main dhyan karne kya mahatva hai. Between heart and third eye

  • @laxmanvvs4184
    @laxmanvvs4184 3 года назад +1

    hare krishna

  • @nikhilbhatt1046
    @nikhilbhatt1046 Год назад

    Sir kitne din me siddh hoga

  • @divyarajrahevar5028
    @divyarajrahevar5028 2 года назад +1

    💯🌺

  • @anjalipatil3274
    @anjalipatil3274 2 года назад

    Thanks sir for your devine guidance.Actualy I have one query I chant Hari Om mantra 21 dec 2015 ,& surprisingly I visited Lord Jaganath in Puri
    25 March / next year same day I was in Narsimha temple vishakhapatnam,but I sit for meditation shirdi saibaba image come in front of my eyes
    Bcz since 6 std I was visiting shirdi ,my question is which is my ishatadevta meaning I chant Hari Om but I visualize Sai Baba

  • @hashmi9887
    @hashmi9887 3 года назад +1

    Guru Dev Sadar Pranam! 💐
    Jo log nirakar ki upasana karte hain vo kese dhyan kare??

    • @Dhyankagyan777
      @Dhyankagyan777  3 года назад +2

      कुछ लोग भगवान्‌ को साकार मानकर पूजते हैं और कुछ निराकार रूप में उसकी आराधना करते हैं। ज्ञानी निराकार की उपासना करता है और भक्त साकार रूप की।
      बहुतों को य़ह प्रश्न उठता है की निराकार ईश्वर की उपासना कैसे की जाए? मन को टिकाने के लिए कोई न कोई तो आधार होना ही चाहिए, चाहे वह आधार कोई मूर्ति हो,कोई प्रकाश हो, कोई दिपक हो, कोई अगरबत्ती हो, कोई लौ हो, कोई बिन्दु हो, कोई चिन्ह हो। कोई न कोई वस्तु तो होनी चाहिए। बिना किसी आधार के मन को कैसे टिका पायेंगे?
      लेकिन निराकार का भी ध्यान होता है। हम सभी निराकार वस्तुओं का भी ध्यान करते हैं। उदाहरण के रूप में क्या वायु किसी को दिखाई देती है? वायु का कोई रूप नहीं, उसका कोई लाल, नीला, पीला रंग नहीं है। वायु निराकार है लेकिन हम वायु का ध्यान करते हैं। वायु की अनुभूति करते हैं।
      तो जिस प्रकार आप वायु को महसूस कर सकते है, ठीक उसी प्रकार निराकार को भी महसूस कर के ध्यान किया जा सकता है।

    • @hashmi9887
      @hashmi9887 3 года назад +1

      @@Dhyankagyan777 dhanywaad Guru Dev 💐💐💐 aap har prahan ka uttar kafi sahajta se dete hai
      Koti koti naman 🌹🌹🌹

  • @GenerationAI0
    @GenerationAI0 3 года назад +2

    Pranam 🙏 mere ek sawal hai...ki akhir Prana sakti se sasir mai apar baal kaise badheee...jaisiki professor ramurthy Naidu ne badhaya tha...iski kya vidhya hai... 🙏 kripaye Margdarshan krein...

    • @Dhyankagyan777
      @Dhyankagyan777  3 года назад +2

      अगर आप अपने शारीरिक बल की वृद्धि करना चाहते है तो योग मे इसका मार्ग प्राणायाम का अभ्यास है और प्राणायाम मे भी कुम्भक का प्रयोग अधिक है, प्रोफेसर राममूर्ति भी इसी प्राणायाम के अभ्यास से ही इतने शक्तिशाली बने थे।

    • @GenerationAI0
      @GenerationAI0 3 года назад

      @@Dhyankagyan777 ji, kumbhak krtey waqt humai apne saso ko ya pran sakti ko kaha par rakha hai chest mai ya stomach mai. Aur kya iske alva Kundalini Shakti ka ya manipura chakra ke energy ka bhi ramurthy ji use kiya krtey the? Waise superhuman strength k liye ... Inn 2 sawalo par margdarshan🙏

    • @Dhyankagyan777
      @Dhyankagyan777  3 года назад +1

      @@GenerationAI0 आपको कुम्भक के समय अपना ध्यान कहा रखना है य़ह इस बात पर निर्भर करता है की आप प्राणायाम की कौनसी विधि कर रहे है और किस उदेश्य से कर रहे हैं।
      सामान्यतः यदि शारीरिक बल वृद्धि के लिए प्राणायाम का अभ्यास कर रहे है तो उस समय कुम्भक के दौरान या तो नाभि पर ध्यान रखना चाहिए और भावना करनी चाहिए की मेरा सूर्य चक्र अपनी शक्ति की किरण पूरे शरीर की नस नस मे पहुंचा रहा है अथवा आप अपना ध्यान अपनी छाती पर भी रख सकते है और उस दौरान भावना कर सकते है की मेरे फेफड़े स्ट्रॉन्ग बन रहे है।

    • @Dhyankagyan777
      @Dhyankagyan777  3 года назад

      @@GenerationAI0 आपके दूसरे सवाल का उतर : जी हाँ, राममूर्ति जी वे सब क्रियाओं का अभ्यास करते थे जिनकी आपने बात की है।

    • @vareshnaragund9063
      @vareshnaragund9063 2 года назад

      @@Dhyankagyan777 good performancr

  • @Shilpabhati-z1y
    @Shilpabhati-z1y 2 года назад

    Thratak karke krte heto esa lagta he jese tasveer hil r he..pls batae esa q

  • @shakuntalas742
    @shakuntalas742 2 года назад

    यदि भगवान के दो रूप प्रिय हो तो कैसे करें कृष्ण और महादेव

  • @shakuntalas742
    @shakuntalas742 2 года назад

    बहुत पहले ज्योति बिंदो पर होता था लेकिन लंबे समय से नहीं हो पाया है निराकार रूप प्रणव में रुचि होने से

  • @wow-108
    @wow-108 3 года назад +1

    Guru ji kya aap kisi devta ki puja karte hain?.. yog me ye sab karna aniyarye hai kya??

    • @Dhyankagyan777
      @Dhyankagyan777  3 года назад +3

      नहीं, अनिवार्य नहीं है।
      अध्यात्म मे परमात्मा प्राप्ति के बहुत से मार्ग है।
      ऐसे ही भक्ति मार्ग भी एक मार्ग है जिसमें भक्त परमात्मा के साकार रूप की पूजा करके उसको प्राप्त करता है ।

  • @vijaykeshri8515
    @vijaykeshri8515 3 года назад +1

    Sir third eye active karne ke liye daily kitne ghante meditation karna hoga????

    • @bulwani107
      @bulwani107 3 года назад

      2:30 ghante amritvela

    • @Dhyankagyan777
      @Dhyankagyan777  3 года назад +2

      य़ह इस बात पर निर्भर करेगा की आप कौनसी विधि का अभ्यास करते है और आपका आज्ञा चक्र जागृति का उद्देश्य क्या है और इस बात पर भी निर्भर करेगा की आप कितनी लगन से और कितनी निष्ठा और नियम से ध्यान करते हैं ।
      इसलिए इस प्रश्न का कोई एक उतर नहीं हो सकता।
      पर सामान्यतः यदि आप अच्छे से रोज अभ्यास करते है तो पहले दिन 5 मिनट से आरंभ करके आप धीरे-धीरे 40 मिनट प्रतिदिन का अभ्यास कर सकते है, इतना समय पर्याप्त है।
      किन्तु यदि आप पूरी तरह समर्पित होकर यदि ध्यान मे यदि अति गहरे जाना चाहते है और आपके पास समय की सुविधा है तो आप दिन मे 2 बार भी 40 मिनट का अभ्यास कर सकते है और यहा तक कि ध्यान की ऐसी विधियों का भी अभ्यास कर सकते है जो सभी काम काज करते हुए हरपल यानि दिन के 24 के 24 घण्टे यहा तक कि नींद मे भी जिसका अभ्यास किया जा सकता है।

  • @sajibghosh6612
    @sajibghosh6612 3 года назад +1

    Namaskar, prabhuji i can understand hindi but can't read so please if you write english title with hindi it would easy for me.

  • @987ajaykaushal
    @987ajaykaushal 3 года назад +1

    Gurujii jab maine dhayan karta hu bichhle 2,3 dino se meri gartan apne aap upr ki aur uth aati hai fir thodi der baad gardan me dard hota hai aur dhayan to krne ka hota hai lekin gardan badha ban rhi hai kripya btaye ki ye kya hai?

    • @Dhyankagyan777
      @Dhyankagyan777  3 года назад +3

      ध्यान के दौरान गर्दन के आगे या पीछे की और धीरे-धीरे खिसकने का कारण होता है हमारी नाड़ीयों की अशुद्धि। जब हमारी इडा नाड़ी अशुद्ध होती है तो गर्दन पीछे की और खिसकने लगती है और जब हमारी पिंगला नाड़ी अशुद्ध होती है तो गर्दन आगे की और झुकने लगती है और जब दोनों नाड़ीए शुद्ध हो जाती है तो सुषुम्ना नाड़ी जागृति मे आ जाती है और तब गर्दन एकदम सीधी खड़ी हो जाती है और आगे पीछे हिलती नहीं है।
      आप नाड़ी शुद्धि के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करे, इससे आपकी य़ह समस्या खत्म हो जायेगी।
      इसका एक कारण ये भी हो सकता है की आप अत्यधिक एकाग्रता व तनावपूर्ण होकर ध्यान करने का प्रयास कर रहे है । स्मरण रहे की जब हम ध्यान करते है उस समय हमारा शरीर विश्राम की मुद्रा मे होना चाहिए और चेहरे की सभी मास्पेशिया खासकर माथा ढीला रखना चाहिये, होठों व दाँत की पंक्तियों को व जीभ को भी शिथिल रखे, आँखो को कसकर बंद मत करे बस कमर भर सीधी रखे । जब आप तनावरहित होकर बैठेगे तो ऐसा नहीं होगा।
      दूसरा, जब ध्यान सघन होने लगता है तो ऊर्जा ऊर्ध्वगमन करके मस्तिष्क में एकत्रित होने लगती है इस कारण से नए तन्तु खुलते है जिससे ऐसी स्थिति बन सकती है।

    • @987ajaykaushal
      @987ajaykaushal 3 года назад +1

      @@Dhyankagyan777 Dhayewaad guruji