Jake pehle puri shankaracharya ko suno phir gyan jhado 😂😂. Shankaracharya avimukteshwaranand brahmavaivarta purana ki katha bhi keh chuke hai usme shiv shakti uttpatti kaise hui yeh baat vyaas peeth mein baith khud bataya hai 😂😂 ye jo iscon ka keeda hai dimaag m ise nikaal do 😂. @@shreeharibhavik
परमपिता परमेश्वर नारायण के मन में भी इसप्रकार का प्रश्न उठना की कौन श्रेष्ठ हैं मुझे ठीक नहीं लगता और ना ही यह कथा किसी धर्मप्रेमी को अधिक जानकारी हो तो अवश्य मुझे बताए 👏👏 🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
Yeh ghatna 14 manmantar me se sirf ek baar hota hai wo bhi parampita Narayan ki ichha se. Wo hi manmantar ke anta me alag roop lekar srishti ka vistar karte hai. Yeh Padma purana ke patal khanda me likha hua hai. Hare Krishna ❤
@@sunnykavitavlogs5186 Ha Narayan to tumhe aa kar bataye Hain... brainwashed people...keep silence...it will be good for you..firstly read all the shastras..at first you have to know the shastras then you should make any comment...har har Mahadev
प्रणाम गुरू जी ,🙏🙏 राजस्थान के समस्त राजपुरोहित समाज ब्रह्माजी जी पूजा अर्चना करते है और हमारे गुरु जी श्री संत श्री 1008 खेताराम जी महाराज जी ने भव्य मंदिर बना कर प्राण प्रतिष्ठा की ओर अपने प्राण ब्रह्मा जी की दिव्य प्रतिमा में डाल दिए जय ब्रह्मा जी री सा जय खेतेश्वर महाराज ri jay shree raghunath Ji
रंगों के पर्व होली की ढेरों शुभकामनाएं।💐 नमन शंकराचार्य जी को।🙏 #WalkForCows #रामा #गौमाता_राष्ट्रमाता #WeSupportShankaracharya शिवमयी शुभदिवस सत्य सनातन धर्म की जय हो #गौमाँ_हत्या_बन्द_करे_सरकार #Save_Gaumata #FreeTemples हर हर महादेव।जय माँ🙏🔱💐
🕉️ ब्रह्मणे नमः। जय गुरु महाराज की।। में वहा गया हू।। दोनो मंदिर दर्शन किए गुजरात राजस्थान बॉर्डर के पास में माता अंबाजी शक्ति पीठ है। वहा से 50 किलोमीटर दूर खेड़ ब्रह्मा कर के गांव है वहा भी ब्रह्मा जी का पुराणिक मंदिर है। गांव में थोड़ा अंदर की तरफ है।।। आप भी कभी दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त करे।
आचार्य जी के चरणों मे प्रणाम!🙏🙏🏿🙏🏻 मै चन्दन कुमार गुप्ता, महम्मन-पट्टी, सारण, बिहार से हूँ! मेरा प्रश्न है:- *शून्यवाद, अद्वैतवाद, विशिष्टाद्वैतवाद, द्वैतवाद एवं शुद्धाद्वैतवात* की व्याख्या क्या है? इनमे अंतर क्या है? इनके आचार्य कौन है? और किस किस काल मे ये मत प्रकाशित हुए हैं? कृप्या निष्पक्ष एवं सरल भाषा मे उदाहरण द्वारा इनका उत्तर देने की कृपा प्रदान करें! 🙏नमो श्रीमद्शंकराचार्याय!🙏🏻 *_🙏🏻श्रीगोविन्द!🙏🏻_*
एक अन्य मत, मेरा मत चूंकि सृष्टि का निर्माण हो चुका है लेकिन पालन और संहार चलता रहता है इसलिए उनकी उपासना होती रहती है। जन्म के बाद जब भक्ति शुरू करते हैं तब हमारा शरीर और सृष्टि निर्माण हो चुका होता है ।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ब्रह्मा की पूजा करके ब्रह्मध्वज हर घर में लगाया जाता है। ब्रह्मा जी का दूसरा नाम विश्वकर्मा है। और विश्वकर्मा के सैकड़ों मंदिर भारत में है। तिरुपति बालाजी और बहुत-से मंदिरों में ब्रह्मोत्सव मनाया जाता है। ब्रह्मोत्सव मतलब ब्रह्मदेव का उत्सव।
Gurudev bhagban aapke Charan me koti pranam gurudev Mera sabal he bishnuji se Narayan he ki Narayan se bishnu he bishnu or Narayan me kya antar he kripakar ke uttar dijiye
*हे जगतगुरु* - मुझे ये नहीं पता की आप गुरु-जनो का आदर-सत्कार गुरु-शिस्य परम्परा मे कैसे की जाती है इस लिये प्रश्न पूछने के पूर्व क्षमाप्रार्थी हु; लेकिन कृपा कर के मेरे प्रश्न का उत्तर दे... *प्रश्न.01:* "मैं" और "हम" मे क्या अंतर है, अगर ये एक है तो इनका धर्म क्या है; और ये अलग है तो दोनों का धर्म क्या है? *प्रश्न.02:* क्या "मैं" और "हम" एक दुसरे के धर्म मे हस्तछेप कर सकते हैं? और हा! तो इसमे किसको किसके प्रती प्राथमिकता दी जनी चाहिये. हे आचार्य मेरे मन मे और भी प्रश्न है लेकिन इसका कोई अंत नहीं दिखता संभव है आपके उत्तर के बाद मार्ग स्वतः ही दिख जाय. आपके उत्तर का हमे वेसब्री से इंतजार रहेगा. *सदर-प्रणाम* -विकास (गोरखपुर -उत्तरप्रदेश )
आपको नमन सह प्रणाम। गुरुजी में वेदांती ही हुँ।चार आश्रमो को मानता हुँ।वेदांत का अभ्यास करता हुँ।काशीकानंद गिरि,मुंबई का शिष्य हुँ।उनसे प्रश्न करना कह गया था।वो ब्रह्मलीन हो गये है। मुझे लोग प्रश्न करते है तो में जवाब नहीं दे पाता। वो प्रश्न है। प्रश्नः-राम और कृष्णने ७५ वर्ष आने पर संन्यास आश्रम क्युँ नहीं लीया ?वो सब के आदर्श है। जवाब देने की कृपा करे। ॥हरिःॐ॥
Brahmvaivart puran main bhi Iska prsang hai jisme Narad or Brahma ji ka ek dusre ko shaap dete hai jisme Narad ji Brahma ji ko shaap dete hai ki aap 3 kalpo k liye apujniya rehenge.
Pranam Acharya Ji. Hamare parampara may eak katha hai ki bhrugu maharshi ke shrap se shiv ji ko ling roop pooja & bramha ji ko pooja hi nahi hona hai & hamare Prabhu Shreeman Narayan ko Sarva Shreshthatha prapt hai & Vahi Mukti, Moksh Data hai.🙏🙏
गुरुजी प्रणाम, मेरा प्रश्न है जब ब्रह्मा और विष्णु दोनों ही ईश्वर है तो दोनों में 'मैं बड़ा' होने का अहंकार कैसे आ सकता है क्या भगवान ब्रह्मा और विष्णु को अहम् ब्रह्मास्मि का ज्ञान नहीं है ? या यह दोनों बह्म नहीं ? कृपया मार्गदर्शन करें
Are bhai voh ek ishwar ke anek roop ki Leela ka varnan hai isliye to puran ko Leela ke madhyam se dekha jata hai. Vedo mai aisi baatein nhi milti hai. Gyan dono ko tha aham brahmasmi or ye sab upanishad vachan Brahma ne dusro ko diye the. Or Brahma kitne saare hai har kalp mai anek Brahma marte utpanna hote rehte hai. Jaise ramayan crore baar Hui thi har samay alag kakbhushundi ne bataya tha jaise.
महाराज जी आपके चरणों में प्रणाम होलिका और होली मनाने का सही समय निर्धारित क्यों नहीं होता है ऋषिकेश पंचांग के अनुसार काशी में 25 मार्च को होली काशी अन्यत्र 26 को है और सरकारी छुट्टी भी 25 को सभी लोग होली मना रहे हैं 25 को क्या धर्माचार्य और धर्म गुरुओं का बात नहीं सुना जाता क्या ज्योतिषाचार्य और धर्म गुरु सही निर्णय नहीं ले पाते🙏🙏
गुरु जी सादर प्रणाम, मेरा एक प्रश्न है कि दुर्गा सप्तशती में एक जगह पर लाजा की आहूति देने का उल्लेख है । यह लाजा क्या है । लाजवंती चावल की धानी या चावल कृपया बताने की कृपा करें ।
@@arunvijay7166 लाजवंती तो वनस्पती है जिसे हम छुईमुई भी कहते है लेकीन लाजा यानी मुरमुरे ही होता है विवाह के समय पति पत्नि इसी से आहुती करते है और गणेश जी का सहस्त्रार्चन इससे भी होता है मेरी जानकारी के हीसाबसे लाजा ही मुरमुरे है
महाराज जी को प्रणाम एक प्रश्न है कृपया इसका उत्तर दीजिए क्षेत्रपाल महाराज जी ने खेड़ा महाराज बोलते हैं क्या स्त्री उनकी पूजा या जल चढ़ा सकती है उनके पर कई जगह हमने सुना है कि स्त्री क्षेत्रपाल खड़े बाबा पर नहीं जा सकती अगर यह सही है तो किस शास्त्र में लिखा है इसका प्रमाण कहां है क्या स्त्री क्षेत्रपाल महाराज की पूजा कर सकती है जल चढ़ा सकती है प्रणाम कृपया उत्तर दें
नमस्ते आचार्य जी। मेरा प्रश्न है की जो लोग पुष्कर जा कर ब्रह्मा जी की पूजा करते है उन्हे तो फिर पाप लगता होगा ना क्योंकि भगवान शिव का आदेश तो यह था की इनकी पूजा नही करनी किसी ने?
@@Anandharmic Mere liye Brahma + Gayatri hi ParamBrahm hain 💯. Bahut Shadyantra aur Character Assassination kar liye log ab Satya ko parajit nahi hone denge
प्रणाम गुरु वर होली पर किसकी पूजा होती है होलिका की या प्रहलाद की और क्यों होती है और होलिका दहन से पहले करे या बाद में किस वर्ण के लोगों को यह पूजा करनी चाहिए। देवेश गौतम कोटा राजस्थान
होली की पूजा कोई भी कर सकता है , किसी भी वर्ण का व्यक्ति कर सकता है , क्योंकि सनातन धर्म में सभी त्योहार भगवान को समर्पित हैं , और भगवान पर हर जाति वर्ण का अधिकार है । जब बात आती है वैदिक मंत्र जाप की, या किसी विशेष अनुष्ठान की तो वहां पर वर्ण व्यवस्था का ध्यान रखना होता है । होली और होलिका दोनो एक ही हैं । होलिका नाम से ही इस त्योहार का नाम होली रखा गया । इसलिए होलिका दहन वाले दिन को छोटी होली भी कहा जाता है । और अगले दिन को होली अथवा दुलहंडी भी कहा जाता है । बहुत समय पहले प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था, जिसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु जी का एक परम् भक्त था । हिरण्यकश्यप भगवान को जानते हुए भी उनके अस्तित्व को नही मानता था । वह अपने पुत्र को विष्णु जी की आराधना करते देख जलता था । एक दिन उसने अपने बेटे प्रह्लाद को मारने के लिए तलवार उठाई तो उसकी मां ने रोक लिया, इतने में ही प्रह्लाद की बुआ होलिका वहां आ गई । होलिका ने कहा भईया आप प्रह्लाद एक बच्चा है उसको मारो मत । ये काम मैं करूंगी , क्योंकि मुझे ब्रह्मा जी से वरदान है , की अग्नि मुझे जला नही सकती । मैं उसको अपनी गोदी में लेकर आग में बैठ जाऊंगी । प्रह्लाद की मां ने लाख कोशिश करी लेकिन राजा के बल के आगे नाकाम रही । राजा ने चिता सजाई जिसमे होलिका प्रह्लाद को गोदी में लेकर बैठ गई । प्रह्लाद मुस्कुरा रहा था क्योंकि उसे अपने भगवान पर विश्वास था । उसको मुस्कुराते देख सारी राजा की सेना प्रजा हैरान रह गई , की उसको जरा भी डर नही अपनी मौत का । इतने में उसके पिता ने हुकुम दिया चिता में आग लगाओ, आग लगते ही प्रह्लाद ने नारायण को पुकारना शुरू किया , और कुछ देर में चीखने की आवाज़ आने लगी ,वो आवाज होलिका की थी , प्रह्लाद को जलाने वाली आग में होलिका जिसको अग्नि में ना जलने का वरदान था , वो खुद जल गई । क्योंकि उसने अपने वरदान का गलत इस्तेमाल किया एक मासूम विष्णु भक्त बालक पर , इसलिए वरदान शाप में बदल गया । और प्रह्लाद बच गया । इसलिए होलिका दहन पर भगवान विष्णु जी की पूजा करी जाती है । क्योंकि भक्त प्रह्लाद के स्वामी वही हैं । लेकिन जैसे दशहरे पर राम जी की पूजा के साथ साथ , रावण को भी प्रणाम किया जाता है , उसकी भी ज्योति बाती जगाई जाती है रावण दहन से पहले । वैसे ही होलिका और होली त्योहार भगवान विष्णु को समर्पित है लेकिन होलिका मां को पूजने का विधान है , लेकिन होलिका को घर में नही पूजा जाता । घर के बाहर किसी स्थान पर दहन किया जाता है । ऐसा माना जाता है की होलिका पूजन पर भगवान नारायण का ध्यान करके , भक्त प्रह्लाद को साक्षी मानकर , होलिका मां से प्रार्थना करनी चाहिए की होलिका की पवित्र अग्नि में ,, हमारे सभी विकारों और दोषों का भी जलकर नाश हो जाए। होलिका दहन फागुन मास की पूर्णिमा तिथि को प्रदोष काल में किया जाता है । क्योंकि यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत होने के लिए मनाया जाता है । और अगले दिन रंगो से इस त्योहार को भगवान के प्रेम में नाच गाकर और रंगो से खेलकर मनाया जाता है । हरि ॐ
@@Amit_S_Kaushal Brhamaji ke Panch sir se ek sir kat Diya. Or Apuj hone ka Shrap Diya. Or Dusre Jhuthe Witness, Jo ki Gandharva the unhe Tapasya kar ke shuddha hone ke liye Kashi Bhej Diya. ( Gyanwapi me )
महाराज जी को प्रणाम हमने सुना है कि पुष्कर में ब्रह्मा जी यज्ञ कर रहे थे और मुहूर्त निकाला जा रहा था ब्रह्मा जी की धर्मपत्नी ब्राह्मणी लेट हो गए ब्रह्मा जी ने मंत्र के द्वारा गौ माता को गायत्री का रूप देखकर यज्ञ में बिठा लिया जिससे कि ब्राह्मणी रस्ट होकर ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया कि आपकी पूजा कहीं नहीं होगी सिर्फ पुष्कर में क्या यह सत्य है और हमने तो यही कारण जाना है ब्रह्मा जी की पूजा न होने का
There is another story... Brahman married to another lady instead of waiting for his wife to reach for Yajna, so she cursed Brahma that he will not be worshipped except the place pushkar where he was performing Yajna....
मेरी संदिग्धता यह है की, जब रजस्वला स्त्री हो तो पुजा पाठ कर सकते है? त्योहार के समय, की जैसे होली (कुलाचार का त्योहार) के दिन रजस्वला स्त्री हो तो संध्या, पुजा का क्या प्रावधान है। क्या देवघर को कपड़े से ढक कर रखे? क्या दिया बत्ती कर सकते है? और दूसरी एक संदिग्धता यह है की, अगर सुबह पूजा ना हो पाई तो क्या हम श्याम के समय पूजा कर सकते है। स्वामीजी, आपसे मन:पूर्वक अनुरोध है की कृपया मेरी संदिग्धता को दूर करने की कृपा करें और आशीर्वाद बनाएं रखे।
जितने दिन भी रजस्वला से युक्त हैं , उतने दिन मंदिर में प्रवेश नही होगा , भगवान के किसी स्वरूप को नही छू सकते , दिया बाती नही कर सकते , माला आसन कोई वस्तु नहीं छूनी । केवल मानसिक जाप , वो भी सर्वश्रेष्ठ नाम जाप , क्योंकि मंत्र का जाप माला से होता है , और रजस्वला में माला छू नही सकते इसलिए पाठ पूजा आपका जो भी त्रिकाल संध्या का नियम है , घर में और किसी सदस्य से करवा लीजिए लेकिन सिर्फ पूजा पाठ , आपकी माला और आसन पर कोई और जाप नही कर सकता । यदि आप अकेले हैं या कोई अन्य सदस्य पूजा नही कर पा रहा है और आप रजस्वला युक्त हैं , तो फिर वही मानसिक नाम जाप करें । देव घर को कपड़े से ढकना की जरूरत नही है , यदि आप आरती या संध्या पूजन के बाद परदा लगाते हो हमेशा , तो रजस्वला में आप स्पर्श नही कर सकते । किसी सदस्य से करवा लीजिए , और अपने रजस्वला की तारीख का स्मरण रखिए और पहले ही भगवान से प्रार्थना कर लीजिए की मासिक दिनों के लिए पूजा सेवा रोकनी होगी , क्षमा करें । शास्त्रों में स्त्रियों के लिए यही कहा गया है की आप रोज कोई सेवा सुमिरन करते हैं और महीना आ जाए , तो सेवा रोक देनी चाहिए उसका कोई दोष नही लगता , क्योंकि यह प्रकृति की देन है । तो जब पांचवे या छटे दिन सिर धोकर जब आप पवित्र हो जाएं , तब दोबारा से अपनी सेवा शुरू कर दे, जैसा आप करते हो । त्योहार के समय भी आप मान लीजिए होली है , तो आप रंग खेल सकते हो , लेकिन भगवान को रंग नही लगा सकते , आप होली की पूजा नही कर सकते । दीवाली है तो आप घर साफ कर सकते हो, लेकिन मंदिर नही , दिया बाती नही कर सकते । रजस्वला में भगवान का भोग प्रसाद आप नही बना सकते क्योंकि ऐसे में रसोई घर में जाना भी वर्जित है वेद शास्त्रों के हिसाब से । लेकिन कलयुग है , आपके अलावा अगर कोई और खाना नही बना सकता तो आप खाना पकाए लेकिन भगवान या उनके भोग प्रसाद के लिए नही बना सकते आप । जितना था उतना बताने की कोशिश करी है । जय जय श्री राधेश्याम । हरि ॐ।।
हमने दुसरी कहानी सुनी है की ब्रह्मा ने अपने द्वारा उत्पन्न स्त्री पर कु दृष्टि डली थी और उनका एक सिर शिव भगवान ने काट दिया था और पूजा ने हो ऐसा श्राप दिया था ये गलत है क्या अचार्य जी
Aapne jo katha kahi hai ye dusre puran ki hai aur jo Maharaj ne kahi hai wo shiv puran ki hai kalp bhed ke karan alag alag samay bhagwan bhinn leela karte hai
महाराज जी बिल्कुल सत्य कह रहे हैं, यही वास्तविक कारण है ब्रह्मा जी की पूजा ना होने का ,मुगलों और अंग्रेजों के आ जाने से हमारे धर्म ग्रंथों में मिलावट हो गया, इसके कारण अलग अलग कहानी सुनाने को मिलती है
Baba ji ko Gyan nahi hai ki Brahmakumari sansthan jiska mukhyalay Mount Abu, Rajasthan me hai, Bramha ji ki hi puja karte hain. Un logo ne Bharat tatha bahar bahut se Bramha mandir ko sthapit kiya hai. Bramha ji is sanstha ke pravartak ban kar avtaar liya tha. Isliye Bramha ji ka puja nahi hota, aisa samajhna galat hai.
Aadarniya shankara charya ji Kripya krke aise video na banye jisse hum hindu hi aapas me divide ho jaye Aap ek shankaracharya ki position per hai aapke ek vakya me itni shakti hai ki sabhi hindu unite aur divide ho skte hai Alag alag puran alag alag samay ki baat krte hai toh kisi ek puran ki specially baat na kre Koi bhi topic agar clear krna ho toh use detail me explain kre taki logo ko yeh pta chale ki parbrahm ek hi hai jo alag alag roop me leelaye krta hai Brahma vishnu aur shiv teeno ek hi parbrahm ki shakti hai bus gun, roop aur karya alag hai in teeno me bhed krna sabse bada paap hai Koi us parbrahm koi sada shiv koi maha vishnu Koi krishna koi ram koi devi aur ananya naam se bulate hai lekin yeh sab ek hi hai bus hmari shardha ke hisab se naam alag hai
*ब्रह्माजी ने सृष्टि नहीं किया है ब्रह्माजी स्वयं श्रीहरि के नाभिकमल से पैदा हुए हैं, शिवजी हमेशा श्रीहरि की सेवा में तत्पर रहते हैं, ये दोनों दोनों श्रीहरि के जन हरिजन हैं* *ब्रह्माजी का कोई औरस पुत्र नहीं है मानस पुत्र हैं* *ब्रह्माजी झूठ बोलते हैं कि इनके पुत्र शिवजी हैं, शिवजी ने इनका सिर काटा है*
यह कपोल कल्पित हैं । ऐसी कथाओं के कारण सनातन धर्म बदनाम और हास्यास्पद हो जाता हैं । कही कही जगह ब्रह्माजी की पुजा होती हैं । जैन धर्म में भी श्री ब्रह्मदेव की पुजा होती हैं ।
जगद्गुरु शंकराचार्यजी महाराजकी जय
सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय 🚩 परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य श्री स्वामी जी महाराज को मेरा शत-शत नमन🙏💐
भगवान नारायण के ही तीन रूप है बिष्णु ब्रह्मा शिव🌺🌺🌺🌺🌺
Aa gaye iskcon bhakt 😂
Jake pehle puri shankaracharya ko suno phir gyan jhado 😂😂.
Shankaracharya avimukteshwaranand brahmavaivarta purana ki katha bhi keh chuke hai usme shiv shakti uttpatti kaise hui yeh baat vyaas peeth mein baith khud bataya hai 😂😂 ye jo iscon ka keeda hai dimaag m ise nikaal do 😂.
@@shreeharibhavik
परमपिता परमेश्वर नारायण के मन में भी इसप्रकार का प्रश्न उठना की कौन श्रेष्ठ हैं मुझे ठीक नहीं लगता और ना ही यह कथा किसी धर्मप्रेमी को अधिक जानकारी हो तो अवश्य मुझे बताए 👏👏 🕉️ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
Apke lagne se kuch nehi hoga...shastra mein Jo Hain...wo hi parampujya bhagwan shankaracharya ji bata rahe hain...Har har Mahadev Mahadev...
Yeh ghatna 14 manmantar me se sirf ek baar hota hai wo bhi parampita Narayan ki ichha se. Wo hi manmantar ke anta me alag roop lekar srishti ka vistar karte hai. Yeh Padma purana ke patal khanda me likha hua hai.
Hare Krishna ❤
@@sunnykavitavlogs5186 Ha Narayan to tumhe aa kar bataye Hain... brainwashed people...keep silence...it will be good for you..firstly read all the shastras..at first you have to know the shastras then you should make any comment...har har Mahadev
@@pinakidirghangi3692 See I am giving reference form shastras. Still you all are not understanding. Krishnastu Bhagwan Swayam 🙏
Sastra me yah bhi hai ki sadashiv se hi vishnu aur brahma ki uttapatti hoti hai..
प्रातः बन्दनीय परमाराघ्य परमपूज्य परमपावन धरमाधीश भगवान शंकराचार्य महराज श्री जी के चरणों में दंडवत प्रणाम करता हूँ महराज श्री जी की जय हो
नमः शिवाय धन्यवाद जय गुरुदेव दत्तात्रेय
परमपूज्य गुरुदेव के श्री चरणों में कोटि कोटि प्रणाम ।
श्री राम जय राम जय जय राम ।
शिव शिव शम्भो हर हर महादेव ।
#गौमाता_राष्ट्रमाता
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌺🌻🔱💐🌼🌹🥀🚩🪔🏵️🕉️🌷 શિવ સ્વરૂપ જ્ઞાન સ્વરૂપ ભક્તિ સ્વરૂપ આદિ જગતગુરુ શંકરાચાર્ય સ્વરૂપ સદગુરુ ભગવાન દત્તાત્રે સ્વરૂપ શ્રી શ્રી 1008 પદ્મવિભૂષિત પરમહંસ ધર્મ સમ્રાટ સ્વામી અવિ મુક્તેશ્વર આનંદ સરસ્વતીજી મહારાજના ચરણ કમલમો કોટી કોટી દંડવત નમસ્કાર 🙏🏻🙏🏻💐🔱💐🕉️🌺🌻🌺🌺🌺🌺 શિવ શિવ શંભુ હર હર મહાદેવ શ્રી રામ જય રામ જય જય રામ 🙏🏻🙏🏻
प्रणाम गुरू जी ,🙏🙏 राजस्थान के समस्त राजपुरोहित समाज ब्रह्माजी जी पूजा अर्चना करते है और हमारे गुरु जी श्री संत श्री 1008 खेताराम जी महाराज जी ने भव्य मंदिर बना कर प्राण प्रतिष्ठा की ओर अपने प्राण ब्रह्मा जी की दिव्य प्रतिमा में डाल दिए जय ब्रह्मा जी री सा जय खेतेश्वर महाराज ri jay shree raghunath Ji
रंगों के पर्व होली की ढेरों शुभकामनाएं।💐
नमन शंकराचार्य जी को।🙏
#WalkForCows #रामा #गौमाता_राष्ट्रमाता
#WeSupportShankaracharya
शिवमयी शुभदिवस
सत्य सनातन धर्म की जय हो
#गौमाँ_हत्या_बन्द_करे_सरकार #Save_Gaumata #FreeTemples
हर हर महादेव।जय माँ🙏🔱💐
ANANT SHRI VIBHUSIT SHANKARACHARYA SHRI JAGATGURUDEV BHAGWAN SHRI KE SHRI CHARDON MEN DASS KA SADAR SASHATANG KOTI KOTI DANDWAT PRANAM.
शंकराचार्य भगवान जो कह रहे हैं वही सत्य है।
महाराज पुराणों में इसके लिये कई कहानियां है ...
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
ब्रह्मा जी के दो मन्दिर है दोनों राजस्थान में हैं पुष्कर और बाड़मेर में।🙏
🕉️ ब्रह्मणे नमः।
जय गुरु महाराज की।।
में वहा गया हू।। दोनो मंदिर दर्शन किए
गुजरात राजस्थान बॉर्डर के पास में माता अंबाजी शक्ति पीठ है। वहा से 50 किलोमीटर दूर खेड़ ब्रह्मा कर के गांव है वहा भी ब्रह्मा जी का पुराणिक मंदिर है।
गांव में थोड़ा अंदर की तरफ है।।। आप भी कभी दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त करे।
Ujjain me bhi hai
जय श्री राम ❤🙏 ॐ नमः शिवाय ❤🙏
।। ॐ नमः शिवाय ।। ❤
।। नारायण ।।❤
।। हरिहर ।। ❤
आचार्य जी के चरणों मे प्रणाम!🙏🙏🏿🙏🏻
मै चन्दन कुमार गुप्ता, महम्मन-पट्टी, सारण, बिहार से हूँ!
मेरा प्रश्न है:-
*शून्यवाद, अद्वैतवाद, विशिष्टाद्वैतवाद, द्वैतवाद एवं शुद्धाद्वैतवात* की व्याख्या क्या है? इनमे अंतर क्या है? इनके आचार्य कौन है? और किस किस काल मे ये मत प्रकाशित हुए हैं? कृप्या निष्पक्ष एवं सरल भाषा मे उदाहरण द्वारा इनका उत्तर देने की कृपा प्रदान करें!
🙏नमो श्रीमद्शंकराचार्याय!🙏🏻
*_🙏🏻श्रीगोविन्द!🙏🏻_*
Charo matho ke bare me jane website se unki
Om Namah Shivay
Har Har Shankar 🎉
Jai Brahma dev bhagwan ki
Sanatan Dharma ki jai Jai Shiv Shankar Mahadevan,Jai Shree Narayan ji
Om Namo Narayan
प्रणाम गुरुदेव महाराज ❤❤
🙏सीताराम गुरुदेव महाराज जी 🙏
रंगोत्सव महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं गुरुदेव महाराज ❤❤
हर हर महादेव
जय श्री राम
🕉🙏
ॐ नमः शिवाय।।
Har Har Mahadav ❤
🙏🙏
🕉🙏🙏
Jay GuruDev 🙏🌹
Jai shri ram
एक अन्य मत, मेरा मत
चूंकि सृष्टि का निर्माण हो चुका है लेकिन पालन और संहार चलता रहता है इसलिए उनकी उपासना होती रहती है।
जन्म के बाद जब भक्ति शुरू करते हैं तब हमारा शरीर और सृष्टि निर्माण हो चुका होता है ।
Pranam Maharaj ji apke charno mein...Har har Mahadev
Dandvat pranam Maharaj ji
Param pujniy guruji koti koti pranam 🙏🏻 🌷 ⚘️ 🌹
ऊँ नमोनारायण सा
🙇🙇🙇
🌺🌺🌺🙏🙏🙏
Shankaracharya Bhagwan ki Jay
🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
🙏🌹🌺🌺🌻🌸💐💐🌸🌸🌸🌻🌺🌹🌹🌺🌺🌻💐💐🌻🌺🌹🌹🌺🌻🌻💐💐🌻🌺🙏गुरु देव भगवान् की जय श्री चरणों में बारंबार नमन 🌸🌹🌹💐🌻🌺गौ माता राष्ट्र माता 🙏
❤❤❤❤ Guru meri Puja Guru govind Guru Mera parbrahma Guru bhagwanta
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ब्रह्मा की पूजा करके ब्रह्मध्वज हर घर में लगाया जाता है। ब्रह्मा जी का दूसरा नाम विश्वकर्मा है। और विश्वकर्मा के सैकड़ों मंदिर भारत में है। तिरुपति बालाजी और बहुत-से मंदिरों में ब्रह्मोत्सव मनाया जाता है। ब्रह्मोत्सव मतलब ब्रह्मदेव का उत्सव।
Gurudev bhagban aapke Charan me koti pranam gurudev Mera sabal he bishnuji se Narayan he ki Narayan se bishnu he bishnu or Narayan me kya antar he kripakar ke uttar dijiye
*हे जगतगुरु* - मुझे ये नहीं पता की आप गुरु-जनो का आदर-सत्कार गुरु-शिस्य परम्परा मे कैसे की जाती है इस लिये प्रश्न पूछने के पूर्व क्षमाप्रार्थी हु; लेकिन कृपा कर के मेरे प्रश्न का उत्तर दे...
*प्रश्न.01:* "मैं" और "हम" मे क्या अंतर है, अगर ये एक है तो इनका धर्म क्या है; और ये अलग है तो दोनों का धर्म क्या है?
*प्रश्न.02:* क्या "मैं" और "हम" एक दुसरे के धर्म मे हस्तछेप कर सकते हैं?
और हा! तो इसमे किसको किसके प्रती प्राथमिकता दी जनी चाहिये.
हे आचार्य मेरे मन मे और भी प्रश्न है लेकिन इसका कोई अंत नहीं दिखता संभव है आपके उत्तर के बाद मार्ग स्वतः ही दिख जाय.
आपके उत्तर का हमे वेसब्री से इंतजार रहेगा.
*सदर-प्रणाम*
-विकास
(गोरखपुर -उत्तरप्रदेश )
Sabhi sathiyo sea nivedan hai ki prashna ko Acharya kea pas pahuchnea mea madadat kare..🙏
Jarur bhai
Good 👍 👍 👍
आपको नमन सह प्रणाम।
गुरुजी में वेदांती ही हुँ।चार आश्रमो को मानता हुँ।वेदांत का अभ्यास करता हुँ।काशीकानंद गिरि,मुंबई का शिष्य हुँ।उनसे प्रश्न करना कह गया था।वो ब्रह्मलीन हो गये है।
मुझे लोग प्रश्न करते है तो में जवाब नहीं दे पाता।
वो प्रश्न है।
प्रश्नः-राम और कृष्णने ७५ वर्ष आने पर संन्यास आश्रम क्युँ नहीं लीया ?वो सब के आदर्श है।
जवाब देने की कृपा करे।
॥हरिःॐ॥
Brahmvaivart puran main bhi Iska prsang hai jisme Narad or Brahma ji ka ek dusre ko shaap dete hai jisme Narad ji Brahma ji ko shaap dete hai ki aap 3 kalpo k liye apujniya rehenge.
Pranam Acharya Ji. Hamare parampara may eak katha hai ki bhrugu maharshi ke shrap se shiv ji ko ling roop pooja & bramha ji ko pooja hi nahi hona hai & hamare Prabhu Shreeman Narayan ko Sarva Shreshthatha prapt hai & Vahi Mukti, Moksh Data hai.🙏🙏
Bhagwan shiv ji ko kese prasan kare
Ap ko kouti kouti nomon
गुरुजी प्रणाम, मेरा प्रश्न है जब ब्रह्मा और विष्णु दोनों ही ईश्वर है तो दोनों में 'मैं बड़ा' होने का अहंकार कैसे आ सकता है क्या भगवान ब्रह्मा और विष्णु को अहम् ब्रह्मास्मि का ज्ञान नहीं है ? या यह दोनों बह्म नहीं ? कृपया मार्गदर्शन करें
Are bhai voh ek ishwar ke anek roop ki Leela ka varnan hai isliye to puran ko Leela ke madhyam se dekha jata hai.
Vedo mai aisi baatein nhi milti hai. Gyan dono ko tha aham brahmasmi or ye sab upanishad vachan Brahma ne dusro ko diye the. Or Brahma kitne saare hai har kalp mai anek Brahma marte utpanna hote rehte hai. Jaise ramayan crore baar Hui thi har samay alag kakbhushundi ne bataya tha jaise.
महाराज जी आपके चरणों में प्रणाम होलिका और होली मनाने का सही समय निर्धारित क्यों नहीं होता है ऋषिकेश पंचांग के अनुसार काशी में 25 मार्च को होली काशी अन्यत्र 26 को है और सरकारी छुट्टी भी 25 को सभी लोग होली मना रहे हैं 25 को
क्या धर्माचार्य और धर्म गुरुओं का बात नहीं सुना जाता
क्या ज्योतिषाचार्य और धर्म गुरु सही निर्णय नहीं ले पाते🙏🙏
आप का कथन विचारणीय है। धर्म गुरुओं को शंका समाधान करना चाहिए।
Jagadguru Shankaracharya Bhagwan ki Jay
Yah pauranik vichar hai
Aadhyatmik Sant ke liye yah Koi uchit santoshjanak Uttar Nahin Hai
गुरु जी सादर प्रणाम, मेरा एक प्रश्न है कि दुर्गा सप्तशती में एक जगह पर लाजा की आहूति देने का उल्लेख है । यह लाजा क्या है । लाजवंती चावल की धानी या चावल कृपया बताने की कृपा करें ।
लाजा यानी मुरमुरे
भेल में डाले जाने वाले
लाजा मतलब धान का लावा
कुछ पंडित लाजवंती बताते हैं।
@@arunvijay7166 लाजवंती तो वनस्पती है जिसे हम छुईमुई भी कहते है
लेकीन लाजा यानी मुरमुरे ही होता है विवाह के समय पति पत्नि इसी से आहुती करते है
और गणेश जी का सहस्त्रार्चन इससे भी होता है
मेरी जानकारी के हीसाबसे लाजा ही मुरमुरे है
वेद प्रकट कैसे हुआ यह बताने का कष्ट करें महाराज जी
Gurudev ke charno me koti koti pranam. Gurudev ghar me Shiv aur parwati ki ek choti murti h kya ham unke sath shiv pindi ko rkhkr puja kr skte h.
Namaste guruji,magar Brahman ji ki Puja अधिदेवता,प्रतधिदेवता के रूप मे होती हैं।
महाराज जी को प्रणाम एक प्रश्न है कृपया इसका उत्तर दीजिए क्षेत्रपाल महाराज जी ने खेड़ा महाराज बोलते हैं क्या स्त्री उनकी पूजा या जल चढ़ा सकती है उनके पर कई जगह हमने सुना है कि स्त्री क्षेत्रपाल खड़े बाबा पर नहीं जा सकती अगर यह सही है तो किस शास्त्र में लिखा है इसका प्रमाण कहां है क्या स्त्री क्षेत्रपाल महाराज की पूजा कर सकती है जल चढ़ा सकती है प्रणाम कृपया उत्तर दें
ब्रम्हा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका प्रणवाक्षर के मध्य ये तीनो एक हर शिव ॐ कारा
Guru ji kuch log kehte h ki un me Devta ata h usme kitni sachai h kripya spasht kre
i dont think this is the reason
Yagye aadi me to hoti hai
Puskar me kiski puja hoti?
नमस्ते आचार्य जी।
मेरा प्रश्न है की जो लोग पुष्कर जा कर ब्रह्मा जी की पूजा करते है उन्हे तो फिर पाप लगता होगा ना क्योंकि भगवान शिव का आदेश तो यह था की इनकी पूजा नही करनी किसी ने?
खाटू श्याम की पूजा क्या शास्त्रोक्त है? यदि हां तो किस शास्त्र में उल्लेखित है यह?
Brahma ji ParamBrahm hain jinki koi murti nahi ho sakti isiliye unka na koi murti hai na koi mandir 🌞🕉️🔥✍🏻
नहीं
परब्रह्म और ब्रह्मा मे अंतर है ये दोनो एक नहीं है
@@Anandharmic Mere liye Brahma + Gayatri hi ParamBrahm hain 💯. Bahut Shadyantra aur Character Assassination kar liye log ab Satya ko parajit nahi hone denge
@@Anandharmic Sabse pahle ParamBrahm aur phir Surya Devta sakshat Brahm sirf inhi ki jay hogi ab ☀️
@@DeepObserver7689Haa Humare sabhi Maharishi Brahm Devta aur Maa Gayatri ki hi sadhna karte the jisse wo Brahmrishi ban jate the 🚩💪🏻
@@Anandharmic Brahma ne ek ladki ka rape kar Diya tha esliye shiv ji ne punishment di😂😂😂
प्रणाम गुरु वर
होली पर किसकी पूजा होती है होलिका की या प्रहलाद की और क्यों होती है और होलिका दहन से पहले करे या बाद में
किस वर्ण के लोगों को यह पूजा करनी चाहिए।
देवेश गौतम
कोटा राजस्थान
होली की पूजा कोई भी कर सकता है , किसी भी वर्ण का व्यक्ति कर सकता है , क्योंकि सनातन धर्म में सभी त्योहार भगवान को समर्पित हैं , और भगवान पर हर जाति वर्ण का अधिकार है । जब बात आती है वैदिक मंत्र जाप की, या किसी विशेष अनुष्ठान की तो वहां पर वर्ण व्यवस्था का ध्यान रखना होता है । होली और होलिका दोनो एक ही हैं । होलिका नाम से ही इस त्योहार का नाम होली रखा गया । इसलिए होलिका दहन वाले दिन को छोटी होली भी कहा जाता है । और अगले दिन को होली अथवा दुलहंडी भी कहा जाता है । बहुत समय पहले प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था, जिसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु जी का एक परम् भक्त था । हिरण्यकश्यप भगवान को जानते हुए भी उनके अस्तित्व को नही मानता था । वह अपने पुत्र को विष्णु जी की आराधना करते देख जलता था । एक दिन उसने अपने बेटे प्रह्लाद को मारने के लिए तलवार उठाई तो उसकी मां ने रोक लिया, इतने में ही प्रह्लाद की बुआ होलिका वहां आ गई । होलिका ने कहा भईया आप प्रह्लाद एक बच्चा है उसको मारो मत । ये काम मैं करूंगी , क्योंकि मुझे ब्रह्मा जी से वरदान है , की अग्नि मुझे जला नही सकती । मैं उसको अपनी गोदी में लेकर आग में बैठ जाऊंगी । प्रह्लाद की मां ने लाख कोशिश करी लेकिन राजा के बल के आगे नाकाम रही । राजा ने चिता सजाई जिसमे होलिका प्रह्लाद को गोदी में लेकर बैठ गई । प्रह्लाद मुस्कुरा रहा था क्योंकि उसे अपने भगवान पर विश्वास था । उसको मुस्कुराते देख सारी राजा की सेना प्रजा हैरान रह गई , की उसको जरा भी डर नही अपनी मौत का । इतने में उसके पिता ने हुकुम दिया चिता में आग लगाओ, आग लगते ही प्रह्लाद ने नारायण को पुकारना शुरू किया , और कुछ देर में चीखने की आवाज़ आने लगी ,वो आवाज होलिका की थी , प्रह्लाद को जलाने वाली आग में होलिका जिसको अग्नि में ना जलने का वरदान था , वो खुद जल गई । क्योंकि उसने अपने वरदान का गलत इस्तेमाल किया एक मासूम विष्णु भक्त बालक पर , इसलिए वरदान शाप में बदल गया । और प्रह्लाद बच गया । इसलिए होलिका दहन पर भगवान विष्णु जी की पूजा करी जाती है । क्योंकि भक्त प्रह्लाद के स्वामी वही हैं । लेकिन जैसे दशहरे पर राम जी की पूजा के साथ साथ , रावण को भी प्रणाम किया जाता है , उसकी भी ज्योति बाती जगाई जाती है रावण दहन से पहले । वैसे ही होलिका और होली त्योहार भगवान विष्णु को समर्पित है लेकिन होलिका मां को पूजने का विधान है , लेकिन होलिका को घर में नही पूजा जाता । घर के बाहर किसी स्थान पर दहन किया जाता है । ऐसा माना जाता है की होलिका पूजन पर भगवान नारायण का ध्यान करके , भक्त प्रह्लाद को साक्षी मानकर , होलिका मां से प्रार्थना करनी चाहिए की होलिका की पवित्र अग्नि में ,, हमारे सभी विकारों और दोषों का भी जलकर नाश हो जाए। होलिका दहन फागुन मास की पूर्णिमा तिथि को प्रदोष काल में किया जाता है । क्योंकि यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत होने के लिए मनाया जाता है । और अगले दिन रंगो से इस त्योहार को भगवान के प्रेम में नाच गाकर और रंगो से खेलकर मनाया जाता है । हरि ॐ
प्रहलाद की भक्ति से अग्नि ने अपना स्वभाव बदल दिया और भक्त प्रहलाद को आंच भी नहीं आई इसी घटना पर यानि भक्ति की शक्ति की पूजा होती हैं
@@a.p8496 शास्त्र सम्मत पूछ रहा हूं शास्त्र में कैसा और किस प्रकार से वर्णन है
गवाह कौन थे, उन्होंने ब्रह्मा जी की बात क्यों मानी और झूट क्यों बोला, और उनको क्या दंड मिला, पूरी कहानी क्या है??
Ketaki ka phool gawah Bana tha or Ketaki ke phool ko shrap laga ki wo shiv ji ki pooja me nhi chadega
Shiv ji ne Brahama ji ka ek sar kat dala tha
@@shreeharibhavik other witnesses
@@Amit_S_Kaushal Brhamaji ke Panch sir se ek sir kat Diya. Or Apuj hone ka Shrap Diya.
Or Dusre Jhuthe Witness, Jo ki Gandharva the unhe Tapasya kar ke shuddha hone ke liye Kashi Bhej Diya. ( Gyanwapi me )
Bagwan ko v aadmi bana diya
महाराज जी को प्रणाम हमने सुना है कि पुष्कर में ब्रह्मा जी यज्ञ कर रहे थे और मुहूर्त निकाला जा रहा था ब्रह्मा जी की धर्मपत्नी ब्राह्मणी लेट हो गए ब्रह्मा जी ने मंत्र के द्वारा गौ माता को गायत्री का रूप देखकर यज्ञ में बिठा लिया जिससे कि ब्राह्मणी रस्ट होकर ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया कि आपकी पूजा कहीं नहीं होगी सिर्फ पुष्कर में क्या यह सत्य है और हमने तो यही कारण जाना है ब्रह्मा जी की पूजा न होने का
There is another story...
Brahman married to another lady instead of waiting for his wife to reach for Yajna, so she cursed Brahma that he will not be worshipped except the place pushkar where he was performing Yajna....
Inse question kaise puch sakte hi
मेरी संदिग्धता यह है की, जब रजस्वला स्त्री हो तो पुजा पाठ कर सकते है?
त्योहार के समय, की जैसे होली (कुलाचार का त्योहार) के दिन रजस्वला स्त्री हो तो संध्या, पुजा का क्या प्रावधान है।
क्या देवघर को कपड़े से ढक कर रखे?
क्या दिया बत्ती कर सकते है?
और दूसरी एक संदिग्धता यह है की, अगर सुबह पूजा ना हो पाई तो क्या हम श्याम के समय पूजा कर सकते है।
स्वामीजी, आपसे मन:पूर्वक अनुरोध है की कृपया मेरी संदिग्धता को दूर करने की कृपा करें और आशीर्वाद बनाएं रखे।
जितने दिन भी रजस्वला से युक्त हैं , उतने दिन मंदिर में प्रवेश नही होगा , भगवान के किसी स्वरूप को नही छू सकते , दिया बाती नही कर सकते , माला आसन कोई वस्तु नहीं छूनी । केवल मानसिक जाप , वो भी सर्वश्रेष्ठ नाम जाप , क्योंकि मंत्र का जाप माला से होता है , और रजस्वला में माला छू नही सकते इसलिए पाठ पूजा आपका जो भी त्रिकाल संध्या का नियम है , घर में और किसी सदस्य से करवा लीजिए लेकिन सिर्फ पूजा पाठ , आपकी माला और आसन पर कोई और जाप नही कर सकता । यदि आप अकेले हैं या कोई अन्य सदस्य पूजा नही कर पा रहा है और आप रजस्वला युक्त हैं , तो फिर वही मानसिक नाम जाप करें । देव घर को कपड़े से ढकना की जरूरत नही है , यदि आप आरती या संध्या पूजन के बाद परदा लगाते हो हमेशा , तो रजस्वला में आप स्पर्श नही कर सकते । किसी सदस्य से करवा लीजिए , और अपने रजस्वला की तारीख का स्मरण रखिए और पहले ही भगवान से प्रार्थना कर लीजिए की मासिक दिनों के लिए पूजा सेवा रोकनी होगी , क्षमा करें । शास्त्रों में स्त्रियों के लिए यही कहा गया है की आप रोज कोई सेवा सुमिरन करते हैं और महीना आ जाए , तो सेवा रोक देनी चाहिए उसका कोई दोष नही लगता , क्योंकि यह प्रकृति की देन है । तो जब पांचवे या छटे दिन सिर धोकर जब आप पवित्र हो जाएं , तब दोबारा से अपनी सेवा शुरू कर दे, जैसा आप करते हो । त्योहार के समय भी आप मान लीजिए होली है , तो आप रंग खेल सकते हो , लेकिन भगवान को रंग नही लगा सकते , आप होली की पूजा नही कर सकते । दीवाली है तो आप घर साफ कर सकते हो, लेकिन मंदिर नही , दिया बाती नही कर सकते । रजस्वला में भगवान का भोग प्रसाद आप नही बना सकते क्योंकि ऐसे में रसोई घर में जाना भी वर्जित है वेद शास्त्रों के हिसाब से । लेकिन कलयुग है , आपके अलावा अगर कोई और खाना नही बना सकता तो आप खाना पकाए लेकिन भगवान या उनके भोग प्रसाद के लिए नही बना सकते आप । जितना था उतना बताने की कोशिश करी है । जय जय श्री राधेश्याम । हरि ॐ।।
How to ask question from pujya shankaracharya g
Email bhi kar skte hai
प्रभु ब्रामण्ड भगवान ने बनाया है तो फिर उनको क्यों nhi पता की ब्रामंड कितना है plz इसका उत्तर दे 🙏
then why ravan worship brahma and there are more example
Brahma + Gayatri = ParamBrahm 🌞🕉️🔥✍🏻💯🚩💪🏻
@@DeepObserver7689 there is no + in parambrahm
Brahma ji ki puja kaliyuga me nishidh hai
अतिशय मान की इच्छा और झूठ, यानी नरेंद्र मोदी।
हमने दुसरी कहानी सुनी है की ब्रह्मा ने अपने द्वारा उत्पन्न स्त्री पर कु दृष्टि डली थी और उनका एक सिर शिव भगवान ने काट दिया था और पूजा ने हो ऐसा श्राप दिया था ये गलत है क्या अचार्य जी
Aapne jo katha kahi hai ye dusre puran ki hai aur jo Maharaj ne kahi hai wo shiv puran ki hai kalp bhed ke karan alag alag samay bhagwan bhinn leela karte hai
वेद व्यास ने पुराण लिखी सभी में अलग अलग कहानी दे कर भेद उत्पन्न कर दिया
Ussey kalp bhed kehte hai@@gautams9253
अपने विवेक के अनुरूप मन को समझाने की बात है। मनोरंजन के साथ नैतिक मूल्यों का निर्वहन महत्वपूर्ण है।
महाराज जी बिल्कुल सत्य कह रहे हैं, यही वास्तविक कारण है ब्रह्मा जी की पूजा ना होने का ,मुगलों और अंग्रेजों के आ जाने से हमारे धर्म ग्रंथों में मिलावट हो गया, इसके कारण अलग अलग कहानी सुनाने को मिलती है
ओर छोर का मतलब?
किनारा। उपर का अंतिम और निचे का अंतिम
parashar, pariyan , parashar,parshi log apne Bap ko Bap nhi mante khte h Brahma ke mukh se paida hue h l😂
Baba ji ko Gyan nahi hai ki Brahmakumari sansthan jiska mukhyalay Mount Abu, Rajasthan me hai, Bramha ji ki hi puja karte hain. Un logo ne Bharat tatha bahar bahut se Bramha mandir ko sthapit kiya hai. Bramha ji is sanstha ke pravartak ban kar avtaar liya tha. Isliye Bramha ji ka puja nahi hota, aisa samajhna galat hai.
Aadarniya shankara charya ji
Kripya krke aise video na banye jisse hum hindu hi aapas me divide ho jaye
Aap ek shankaracharya ki position per hai aapke ek vakya me itni shakti hai ki sabhi hindu unite aur divide ho skte hai
Alag alag puran alag alag samay ki baat krte hai toh kisi ek puran ki specially baat na kre
Koi bhi topic agar clear krna ho toh use detail me explain kre taki logo ko yeh pta chale ki parbrahm ek hi hai jo alag alag roop me leelaye krta hai
Brahma vishnu aur shiv teeno ek hi parbrahm ki shakti hai bus gun, roop aur karya alag hai in teeno me bhed krna sabse bada paap hai
Koi us parbrahm koi sada shiv koi maha vishnu Koi krishna koi ram koi devi aur ananya naam se bulate hai lekin yeh sab ek hi hai bus hmari shardha ke hisab se naam alag hai
बाबा जी आप सब शंकराचार्य ने भी यही किया श्री राम मन्दिर में ना जाकर आपको भी अतिशय मान चाहिए था बाकी क्षमा चाहूंगा जय श्री राम
*ब्रह्माजी ने सृष्टि नहीं किया है ब्रह्माजी स्वयं श्रीहरि के नाभिकमल से पैदा हुए हैं, शिवजी हमेशा श्रीहरि की सेवा में तत्पर रहते हैं, ये दोनों दोनों श्रीहरि के जन हरिजन हैं*
*ब्रह्माजी का कोई औरस पुत्र नहीं है मानस पुत्र हैं*
*ब्रह्माजी झूठ बोलते हैं कि इनके पुत्र शिवजी हैं, शिवजी ने इनका सिर काटा है*
Ab jhoothe ka maan ho r ha hai duniya me
Bjp ke raja ka bhi yehi haal hoga.jhooth bolna fitrat hai aur maan ke liye ed income tax cbi sab ko laga do.
Maharaaj Kashi Ram mandir ka virodh karte ho aur yaha dharm ka jhutha gyaan pel rahe ho, shrota dhyan de
यह कपोल कल्पित हैं । ऐसी कथाओं के कारण सनातन धर्म बदनाम और हास्यास्पद हो जाता हैं ।
कही कही जगह ब्रह्माजी की पुजा होती हैं ।
जैन धर्म में भी श्री ब्रह्मदेव की पुजा होती हैं ।
To tujhe bhi to log guru nhi maante
🙏
🙏