साहेल: आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई [Sahel: The Fight Against Terrorism] | DW Documentary हिन्दी
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- Опубликовано: 18 сен 2024
- सहारा के दक्षिण में स्थित साहेल क्षेत्र में आतंकवादी समूहों का बढ़ना जारी है. आतंकवादी हमले, हत्याएं और गांवों पर छापे सहित जिहादी घुसपैठ रोजाना की बात हो गई है. स्थिति तेजी से बदतर होती जा रही है.
अफ्रीकी सेनाएं अपना मोर्चा बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं, जिसके कारण पूरा इलाका असुरक्षित हो गया है. इसके अलावा, फ्रांस ने इस इलाके में अपना सैन्य समर्थन कम करने का फैसला किया है. नतीजतन, स्थानीय लोगों को अपने बचाव के लिए हथियार उठाने को मजबूर होना पड़ा है.
माली दोगों लोगों का गढ़ है. डान ना अंबासागू मिलिशिया (ऐसे लड़ाके जो भगवान में यकीन रखते हैं) पुराने हथियार रखने वाले एक हजार लोगों का समूह है. वे कलाशनिकोव और रॉकेट लांचर से लैस इस्लामी चरमपंथियों का सामना करते हैं. लेकिन ये "डोज़ो" लड़ाके तंत्र-मंत्र, ताबीज और पारंपरिक जादू-टोने पर भी भरोसा करते हैं. वे 45 डिग्री के तापमान में पानी की कमी और भोजन के बिना लड़ते हैं. वे उन 300,000 लोगों के लिए प्रतिरोध की अंतिम उम्मीद हैं जो अभी भी दोगों पठार पर रहते हैं.
मॉरितानिया राष्ट्र, आतंक के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभा रहा है. यह रिपोर्ताज एक जीएसआई या स्पेशल इंटरवेंशन ग्रुप के नेतृत्व में चल रहे एक ऑपरेशन को भी दिखाता है जिसके तहत कमांडो यूनिट माली की सीमा पर जिहादियों को ट्रैक करने की जिम्मेदारी निभाती हैं. लाइट एयरक्राफ्ट्स के एक दस्ते ने जिहादी वाहनों को ट्रैक किया और सीमा पार करते ही उन्हें उड़ा दिया.
मॉरितानिया में एक विशेष पुलिस बल भी है जो देश के दूरस्थ कोनों तक पहुँचने में सक्षम है. वे अनोखे वाहन पर यात्रा करते हैं - ऊँटों पर! कर्नल अल-खलील और ऊँट सवारों की उनकी टीम खानाबदोश लोगों से रेगिस्तान में हफ्तों घूमकर खुफिया जानकारी इकट्ठा करती है.
यह फिल्म सीमाओं के आर पार जिहाद के बढ़ते खतरे को दर्शाने वाली एक लंबी यात्रा है.
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/ dwhindi
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