आदित्य जी आपने मेरे चैनल पर कभी मुक्तिबोध पर आधारित कार्यक्रम को सुना और इसमें कई आलोचकों के साथ नरेश सक्सेना को भी सुना और अपनी भावना प्रकट की इसके लिए धन्यवाद
धन्यवाद गौतम जी। मुक्तिबोध पर आधारित कार्यक्रम को आपने मेरे चैनल पर देखा और नरेश सक्सेना तथा अन्य आलोचकों को अपनी राय व्यक्त करते हुए आपने देखा और सुना इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
धन्यवाद संतोष जी आपने मुक्तिबोध पर आधारित कार्यक्रम को मेरे चैनल के माध्यम से देखा मैं हमेशा प्रयासरत रहूंगा कि इस तरह के कार्यक्रम आप लोगों तक पहुंचाता रहूं।
अपनी आँखों से देखता हूँ / अजेय अपनी आँखों से देखता हूँ लौटाता हूँ तमाम चश्मे तेरे दिए हुए कि सोचता हूँ अब अपनी ही आँखों से देखूँगा मैं अपनी धरती लोग देखता हूँ यहाँ के सच देखता हूँ उन का और पकता चला जाता हूँ उन के घावों और खरोंचों के साथ देखता हूँ उन के बच्चे हँसी देखता हूँ उन की और खिलखिला उठता हूँ दो घड़ी तितलियों और फूलों के साथ औरतें देखता हूँ उन की उनकी रुलाई देखता हूँ और बूँद बूँद रिसने लगता हूँ अँधेरी गुफाओं और भूतहे खोहों में अपनी धरती देखता हूँ अपनी ही आँखों से देखता हूँ उस का कोई छूटा हुआ सपना और लहरा कर उड़ जाता हूँ अचानक उस के नए आकाश में लौटाता हूँ ये चश्मे तेरे दिए हुए कि इन मे से कुछ का छोटी चीज़ों को बड़ा दिखाना और कुछ का दूर की चीज़ों को पास दिखाना अच्छा न लगा कि इन मे से कुछ का साफ शफ्फाक़ चीज़ो को धुँधला दिखाना और यहाँ तक कि कुछ का धुँधली चीज़ों को साफ दिखाना भी अच्छा न लगा देखता हूँ अपनी यह धरती अब मेरी अपनी ही आँखों से जिस के लिए वे बनीं हैं और देखता हूँ वैसी ही उतनी ही जैसी जितनी कि वह है और कोशिश करता हूँ जानने की क्या यही एक सही तरीक़ा है देखने का ! सितम्बर 15,2011
मुक्तिबोध को याद करते हुए विद्वानों को बुलाकर व्याख्यान के आयोजन के लिए साधुवाद।
व्याख्यान को सुनने और कमेंट देने के लिए आपको बहुत-बहुत धनयवाद
Adbhut vyakhyan.
Rajendra chandrakant Rai
धन्यवाद राजेंद्र जी आपने मेरे चैनल पर मुक्तिबोध पर आधारित कार्यक्रम को देखा और सुना और इसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।
अद्भुत जानकारी, मुक्तिबोध की सृष्टि और दृष्टि को समझने में अत्यंत उपयोगी है।
धन्यवाद अयोध्या जी आपने मेरे चैनल पर नरेश सक्सेना को कवि मुक्तिबोध को सुना
Dhanyawaad
धन्यवाद थॉमस जी आपने मेरे चैनल मुक्तिबोध पर आधारित कार्यक्रम को सुना देखा और अपनी भावना प्रकट की।
Shukriya संस्मरण सुनाने के लिए
आदित्य जी आपने मेरे चैनल पर कभी मुक्तिबोध पर आधारित कार्यक्रम को सुना और इसमें कई आलोचकों के साथ नरेश सक्सेना को भी सुना और अपनी भावना प्रकट की इसके लिए धन्यवाद
बहुत बढ़िया
धन्यवाद रजनी जी
भाई thank you
धन्यवाद संतोष जी आपने मेरे चैनल पर कवि आलोचक मुक्तिबोध पर आधारित कार्यक्रम को सुना देखा और अपनी राय व्यक्त की।
Muktibodh jaise here ki pahchan agye ji jaisi parkhi nazar hi Kar sakti hai
धन्यवाद गौतम जी। मुक्तिबोध पर आधारित कार्यक्रम को आपने मेरे चैनल पर देखा और नरेश सक्सेना तथा अन्य आलोचकों को अपनी राय व्यक्त करते हुए आपने देखा और सुना इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
Great poiet muktbodh.
धन्यवाद संतोष जी आपने मुक्तिबोध पर आधारित कार्यक्रम को मेरे चैनल के माध्यम से देखा मैं हमेशा प्रयासरत रहूंगा कि इस तरह के कार्यक्रम आप लोगों तक पहुंचाता रहूं।
अपनी आँखों से देखता हूँ / अजेय
अपनी आँखों से देखता हूँ
लौटाता हूँ
तमाम चश्मे तेरे दिए हुए
कि सोचता हूँ
अब अपनी ही आँखों से देखूँगा
मैं अपनी धरती
लोग देखता हूँ यहाँ के
सच देखता हूँ उन का
और पकता चला जाता हूँ
उन के घावों और खरोंचों के साथ
देखता हूँ उन के बच्चे
हँसी देखता हूँ उन की
और खिलखिला उठता हूँ
दो घड़ी तितलियों और फूलों के साथ
औरतें देखता हूँ उन की
उनकी रुलाई देखता हूँ
और बूँद बूँद रिसने लगता हूँ
अँधेरी गुफाओं और भूतहे खोहों में
अपनी धरती देखता हूँ
अपनी ही आँखों से
देखता हूँ उस का कोई छूटा हुआ सपना
और लहरा कर उड़ जाता हूँ
अचानक उस के नए आकाश में
लौटाता हूँ ये चश्मे तेरे दिए हुए
कि इन मे से कुछ का
छोटी चीज़ों को बड़ा दिखाना
और कुछ का
दूर की चीज़ों को पास दिखाना
अच्छा न लगा
कि इन मे से कुछ का
साफ शफ्फाक़ चीज़ो को धुँधला दिखाना
और यहाँ तक कि कुछ का
धुँधली चीज़ों को साफ दिखाना
भी अच्छा न लगा
देखता हूँ अपनी यह धरती
अब मेरी अपनी ही आँखों से
जिस के लिए वे बनीं हैं
और देखता हूँ वैसी ही उतनी ही
जैसी जितनी कि वह है
और कोशिश करता हूँ जानने की
क्या यही एक सही तरीक़ा है देखने का !
सितम्बर 15,2011
धन्यवाद अजेय जी ।
आपने मेरे चैनल पर कवि मुक्तिबोध पर आधारित इन सभी आलोचकों को सुना साथ में एक कविता के साथ आपने अपनी भावना भी प्रकट की।
💐💐🙏🙏
Love you
धन्यवाद प्रिंस कुमार जी आपने मेरे चैनल पर मुक्तिबोध पर आधारित कार्यक्रम कार्यक्रम को देखा और सुना ।
too many cuts
Yaani ke har jagah le-de-ke EK Hee Problem hai.... MANUVAAD, JAATIVAAD, BRAHMANVAAD, Jaati-Paati kaa koodaa kachraa
धन्यवाद भरत जी आपने मेरे चैनल पर कवि मुक्तिबोध पर आलोचक नरेश सेना को सुना और उस पर अपनी राय अभिव्यक्ति की।
@@kapilnishad4470 aap aur content daale! :)
जी जरूर मैं प्रयास करूंगा इस तरह के कार्यक्रम जहां भी हो। मैं उसे आप लोगों तक पहुंचाता रहूंगा
@@kapilnishad4470 dhanyavaad Kapil!
खाली कुर्सियां लानत है हम तमाम युवाओं पर!जो कटे हुए है साहित्य से
धन्यवाद भास्कर जी आपने मुक्तिबोध पर आयोजित कार्यक्रम को सुना तमाम वक्ताओं के साथ वरिष्ठ आलोचक नरेश सक्सेना को भी सुना।