मंगल मैत्री साधना....

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  • Опубликовано: 3 окт 2024
  • मंगल मैत्री
    मंगल मैत्री
    नमस्कार दोस्तों! आज मैं मंगल मैत्री के बारे में आपसे बात करना चाहूंगी. यदि आपने मेरे पहले लिखे हुए लेख पढ़े होंगें तो आपने ध्यान दिया होगा कि मैं हमेशा मंगल मैत्री की बात करती हूं.
    आपके मन में यह प्रशन होगा कि मंगल मैत्री क्या है तथा इसे कैसे करते हैं. इसलिए आज़ मैं आपको इसी बारे में बताने जा रही हूं.
    मंगल मैत्री क्या है?
    गौतम बुद्ध ने जो ध्यान विधि “विपश्यना” सिखाई, उसमे मंगल मैत्री का बड़ा महत्व है. इस विधि में ध्यान करने के पश्चात जब मन निर्मल हो जाता है प्रसन्न अनुभव करता है, तब हम यह निर्मलता, पवित्रता, प्रसंता सभी प्राणियों, देवी-देवताओं पूजनीय व्यक्तियों में बांटते हैं. तथा उन सबके मंगल की कामना करते हैं.मंगल मैत्री ध्यान के बाद 5 मिनट मिनट के लिए की जाती है.
    मंगल मैत्री कैसे करें?
    मन को स्थिर करके प्रसन्नता से भर कर सभी प्राणियों, जीव-जंतुओं, सजीव-निर्जीव, देवी देवता, शुभ-अशुभ शक्तियां और जो भी इस ब्रम्हांड में है उनके प्रति मंगल की कामना करना. सभी खुश रहें, प्रसन्न रहें, शील-सदाचार का पालन करें, सबका भला हो, सबका मंगल हो, सबका कल्याण हो इस प्रकार की कामना करना.
    स्वयं को मंगल मैत्री देना
    कभी कभी हम स्वयं निराश, दुखी तथा परेशानी में होते हैं.तो जब तक हम स्वयं निर्मल चित, खुश नहीं होंगे तब तक दूसरों को कैसे मंगल में दिखेंगें? दूसरी की मंगल की कामना कैसे करेंगे?
    इसलिए जब हमारा मन किसी बात से दुखी हो तो हमें सबसे पहले खुद के लिए मंगल मैत्री करनी चाहिए.
    मैं खुश रहूं, स्थिर चित्र रहूं, प्रसन्न रहूं, मेरा मन शांत स्थिर प्रज्ञावान हो, में किसी से वेर ना करूं. मुझसे कोई वेर ना करे. मैं शील-सदाचार का जीवन जीऊं. इस प्रकार स्वयं के लिए मंगल मैत्री करें.
    मंगल मैत्री कब करें?
    प्रातः 20 मिनट के ध्यान के पश्चात 5 मिनट मंगल मैत्री करें. दिन में जब भी मन प्रसन्न हो वह प्रसन्नता सब में वितरित करें. स्थिर मन से मंगल मंत्री करें.
    मंगल मैत्री के लाभ
    मन निर्मल होता है
    द्वेष दूर होते हैं
    दुश्मन भी दोस्त बन जाते हैं
    स्वास्थ्य अच्छा रहता है
    जीवन जीने में आनंद आने लगता है
    सकारात्मक वातावरण पैदा होता है

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