मन से तो मैं भी सिक्खी से सबसे ज्यादा करीब पाता हूं। दूसरा धर्म जो पाखंड और जीव हत्या से दूर रहने और अहिंसा पर चलने का सच्चा संदेश देता है वो बौद्ध धर्म है। सच है की जब सभी धर्मो की अच्छाइयां और बुराइयां समझ पाते हो तभी उनकी अच्छाइयों को ग्रहण करके बुराइयों को त्यागने की क्षमता रख पाते हो। धन्य हैं राकेश जी जिनको सिक्खी की सीख मिली, गुरु के शरण में जाने की प्रेरणा मिली और व्यसनों से दूर रहने का साहस मिला।
जी, सही कह रहे हैं. राकेशजी भी यही कह रहे हैं कि अच्छी चीजों का ग्रहण करने में बुराई क्या है? यह निजी आस्था का सवाल है. अगर उससे उनके जीवन मे कुछ भी बदलाव आया है तो उनके लिए वो परिवर्तन बड़ी बात है.
सरदार राकेश सिंह के द्वारा जो जागर गाया गया है। वह बहुत ही उच्च कोटि, शानदार और जोशीले अंदाज में शब्दों उच्चारण अति उत्तम तरीके से प्रस्तुत किया गया है। जोकि एक सराहनीय गायन कथा है। बहुत -बहुत बधाई। मैं भी चण्डीगढ़ से H. No. E-3, E-BLOCK, Punjab University Campus, Sector 14, Chandigarh.
पंवार जी कुछ हद तक आपने सही कहा। जातिवाद के कारण भी कई लोग धर्म परिवर्तन कर रहे हैं या फिर उत्तराखंड की अन्य जातियां लिख रहे हैं। दोषी वह समाज है जो उत्तराखंड में भेदभाव करता आया है।
मेरा जीवन भी सिख धर्म से बहुत प्रभावित रहा है जो हमने जाना है और पड़ा है सिख धर्म के बारे में जो इनका त्याग तपस्या और बलिदान रहा है वह हमेशा सराहनीय रहेगा 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
बहुत अच्छा लगा.गढ़वालियों से अनुरोध है कि इन्हे अधिक से अधिक सम्मान पूर्वक आमंत्रित करें.ताकि कि हमारे गढ़वाल की इस लुप्त होती विधा का पुनर्जागरण हो सके. मन एवं शरीर को झकझोर देने वाला संगीत शायद ही कहीं और उपलब्ध हो.
बहुत अच्छी जानकारी और प्रस्तुतिकरण। श्रीमन राकेश ने अपने संघर्ष व कला के बल पर संस्कृति के प्राचीन एवं नवीन स्वरूप को मिलाकर एक अलग उदाहरण पेश किया है।
मुझे तो राकेशसिंह की सोच व अपनी आरथिक सथिति को ठीक करने के लिए धरमपरिवरतन करने के बाद भी अपनी पुसतैनी बिदया व भाषा को कायम रखा है ।दुख तो उन लोगों को देखकर होता है जो पहाड़ से जाते बाद में हैं और अपने रीति रिवाज व भाषा को पहले भूल जाते है ं राकेश जी को तो हमें बहुत बहुत बधाई देनी चाहिए।
शुक्रिया गुसाईं जी, आपने वीडियो के भाव को बहुत सही तरीके से पकड़ा है. राकेश जी इसीलिए साधुवाद के पात्र हैं कि वो बड़े शहर में रहने के बावजूद अपने भीतर के पहाड़, अपनी परंपरा, अपनी लोकविधा को बचाए हुए हैं. हम में से कितने पहाड़ी ऐसा कर पाते हैं? वो तो बूढे मां-पिता की सेवा भी कर रहे हैं. उन्होंने बड़ी बात कही है- माता-पिता की सेवा किसी भी पूजा से बड़ी है.
भाई साहब मैं तो पहले ही लिख चुका हूं कि ये हमारे गांव से हैं और कोली समाज से हैं। ये राकेश सिंह चंडीगढ़ में बसे हुए हैं और ये निहंग बन चुके हैं। अपने गांव आते रहते हैं और जागर भी लगाते हैं। Dhamund सितोनस्यू पट्टी के जिला पौड़ी गढ़वाल से है।
@@PitamberSingh-d5w ये आदमी धर्म नहीं बदला केवल पंथ बदला है। है तो अभी हिंदू। फिर क्यों नहीं अपने परिवार से मिलने अपनी मातृ भूमि में आए। आप लोग तो उत्तराखंड छोड़कर शहरों में बस गए। कुड़ी पुंगडी बांजा पड़ गई पर अब भी आपने घमंड बाकी है। आपके पहाड़ में बिहारी, मुसलमान, नेपाली बस गए। उनको आप नहीं रोकेंगे पर एक सच्चे इंसान को उसके गांव आने से रोकेंगे। क्या इंसाफ हैं।
सुनदर राकेश भेजी सरदार भी ता हिनदु भटी बणीन भेजी आपकू जागर देखी दिल खुश हो गी हम भी निरकार देवता जागरी छा पर आपकी आपकी आवाज सुणी दिल खुश होगी भगवान आपकू सदैब खुश रखू ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏🙏🙏🙏🙏🙏
पंवार जी, कृपया सिक्ख धर्म अपनाने की पूरी जानकारी दें। सबसे अच्छा मुझे सिक्ख धर्म में तलवार धारण करने वाला अधिकार लगता है, क्योंकि आज विधर्मी से लड़ने के लिए, हर सनातनी को अपनी सुरक्षा के लिए हर समय शस्त्र धारण करना चाहिए। जिस देश में एक लाख की आबादी में, सिर्फ एक सौ के करीब पुलिस हो, वहां पुलिस के सहारे नहीं रह सकते हैं। और जब इस एक लाख में 35% विधर्मी हों, तो जनता के चुने हुए प्रतिनिधि भी विधर्मी होंगे, तब पुलिस भी उनकी। इसलिए अपनी और अपने समाज तथा धर्म की रक्षा करने के लिए, शस्त्र बहुत ही आवश्यक है जय श्री राम। हर हर मोदी, हर घर योगी।
*एक छोटा सा कदम मानवता के लिए लंबी कूद बन जाता है* पंवार जी आपका बहुत-बहुत ❤️ से आभार 🙏 आपने इस इन्टरव्यू से श्री राकेश जी के माध्यम से उत्तराखंड समाज के लिए एक प्रेरणा का दीपक जलाया है, कि जैसे राकेश जी ने स्वयं अपने मुखारविंद से किस तरह से देवी-देवताओं के आसन पर विराजे हैं और हम इन मादक पदार्थों का बढ़ते हुए प्रचलन को उस समाज में रहते हुए कभी भी नहीं रोक, बदल सकते। इसलिए अफसोस कि उन्हें अपना धर्म परिवर्तन करने को मजबूर होना पड़ा। मैं उनकी भावनाओं को समझ सकता हूं ।काश!कि उत्तराखंडी समाज उन्हें उनकी इच्छानुसार सहयोग करता तो शायद वह धर्म परिवर्तन ना करते। अंततः में श्री राकेश जी की भावनाओं की कद्र करता हूं।🙏
बहुत खुशी की बात है उन्होंने अपनी परंपरानहीं छोड़ी आज भी अपनी परंपरा को निभा रहे हैं हमारी जो पीढ़ी है वह इस परंपरा को बोलते जा रहे हैं जो लोग बेवकूफ है वही लोग गलत बोलतेहोंगे मैं तो राकेश जी दिल से धन्यवाद जो आपने और हमारी एक परंपरा को दर्शाया है सब को दिखाया है जो लोग सिख धर्म को गलत बोल रहे हैं या सरदार अलाना फालना आज हमारे गुरु की वजह से हम अपनी मंदिरों में पूजा कर रहे हैं अपने गले में जन्य धारी ब्राह्मण या ठाकुरबोल रहे हैं हम उन्नाव की वजह से आज हम हमारा धर्म हमारी परंपरा इनके वजह सेसुरक्षित है
धन्यवाद बिष्ट जी, राकेश सिंह जी बहुत दिन से एक पहेली बने हुए थे. इसलिए मैंने सोचा जरा तलाशा जाए कि ये मामला क्या है. उनसे बातचीत करके बहुत अच्छा लगा। सबसे अच्छा लगा कि वो चंडीगढ़ में रहते हुए भी जागर विधा को सहेजे हुए हैं.
Bahut sundar,jagri lagate hai,,hmare hah sardar ji, hamare garhwali parampra ko sanjoe hua hai,sardar ji ban gaye ese koi farak nahi parta hai,unke dill mein abhi bhi apna uttrakhand kut kut kar bhra hua hai,or apne khandaan ki kala ko sanjoe hua hai, Bahut sundar.
धर्म परिवर्तन गलत है शराब बीड़ी सिगरेट या कोई भी बुरी लत न किसी धर्म में सिखाया जाता है और न छुड़वाया जाता है कमजोर मानसिकता के कारण राकश सिंह ने हिंदू धर्म छोड़ कर सिख धर्म अपनाया है हिंदू धर्म का अपमान किया है राकेश सिंह ने साथ ही उत्तराखंड समाज बदनाम करने की कोशिश की है उतराखण्ड के पहाड़ों में रहने वाले सभी जातियों के लोग हिंदू धर्म को ही मानते हैं
@@dschauhan4592 जी, वैसे किसी की आस्था, विश्वास उसका निजी मामला ही रहने दिया जाय तो ज्यादा अच्छा है. उसमें सब दखल लेंगे तो उसकी अपनी आजादी का अतिक्रमण होगा.
@@dschauhan4592 जी ज्ञात हो कि सिख कोई अलग धर्म नही बल्कि पन्थ है। श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज ने हर हिन्दू के घर से एक संतान को सिख बनाने की परंपरा पंजाब में डाली। आपकी ये बात सही है व्यसन छुड़ाने के लिए ऊंचे मनोबल की आवश्यकता है। @manu जी आपका धन्यवाद
जागर हमारी तमाम परंपराओ में से एक प्रसिद्ध परंपरा हैं! हमारे उत्तराखंडी भाईयो का एक प्रयास ये भी होना चाहिए की जहाँ भी जागर लगती है उसको रिकॉर्ड करके अपलोड करना चाहिए! जागर का हर जगह अलग अलग रंग देखने को मिलता हैं
राकेश जी के बारे में जानकर सारी दुविधा दूर हो गई ।बहुत सुंदर और पुश्तैनी काम कर रहे हैं अपने मूल निवास आकर जनता का भला कर रहे हैं बधाई पात्र हैं हमारी पुरानी प्रथा देवी देवताओं को मिलकर याद करवा रहे ,भला हो रहा है।पावर जी अपने कमाल कर दिया।क्या कभी सीआईडी में रहे ।आपको बहुत बधाई अच्छा कार्य किया है।जो शंका समाधान हुई।
पंवार जी आपने अच्छी खोज खबर कीऔर सच्चाई को उजागर किया। ये हमारे गांव के है पर हमे confirm नहीं था कि वो चण्डीगढ़ में क्या करते है। पिछले साल lockdown में हम गांव गए थे तब हम राकेश से मिले थे। बहुत संस्कारी व मिलनसार व्यस्क्ति हैं। मेरा नाम राजेंद्र सिंह परिहार है।
धन्यवाद परिहार जी. राकेशजी पहाड़ की लोक विधा जागर को बचाए हुए हैं, ये बड़ी बात है. वो भी तब जबकि उन्हें रोजगार की मजबूरियों की वजह से हमारी तरह अपने गांव से बाहर निकलना पड़ा है. उनका ये कमिटमेंट बेमिसाल है.
श्रीमान जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जो कि अपने मेहनत करके सरदास जी का इन्टरव्यू लिया और सबके सामने सत्य को उजागर किया, अगर आदमी का धर्म क्या है और करता क्या है उससे कुछ लेना-देना नहीं होना चाहिए, इन्सान धर्म परिवर्तन करता हैं तो व उसकी व्यक्तिगत राय है लेकिन सरदार जी ने अपना अनुभव को नहीं छोड़ा है, जागर परम्परा को बढ़ावा दे रहे है, जोकि लोग आजकल जागर नही लगा रहे है, जागर की जगह जागरण को बढावा दे रहे हैं, जगरिया को उतनी मानदेय नही मिलती, जितनी की जागरण के कलाकार को मिलती है, अगर कुछ ज्यादा कहा हो तो माफ करना श्रीमान जी लेकिन सत्य को भी झुठला नही सकते धन्यवाद
जी, सही कहा, चंडीगढ़ में रहने के बावजूद राकेशजी ने पहाड़ को, अपने गांव को, अपने बुजुर्ग माता-पिता को नहीं छोड़ा और तमाम चुनौतियों के बीच जागर जैसी अनूठी लोकविधा को भी जगह जगह पहुंचा रहे हैं.
भौत बढ़िया काम करी भैजी तुमुल।। अर मूल राकेश जी कु गढ़वाल ही च, देवी देवता कु आशीर्वाद उथै युगों बिटी मिल्यू च।।। गलत तब लगालू की क्वी भी भैर बटी अयु मनखी चार शब्द सीखी की हमारु संस्कृति तै धंधा बनालू।।।🙏🙏🙏
राकेश सिंह जी की साफगोई को प्रणाम ।वो जिस भी जाति से हों चाहे किसी भी धर्म को अपनाए कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए ,बल्कि हमें तो उनका आभारी होना चाहिए जो उत्तराखंड की लोक संस्कृति को निभा रहे हैं ।। आज हर जाति ,हर स्तर के व्यक्ति ईश्वर को मानने वाले उत्तराखंडी,,और उत्तराखंड के बाहर के भी उन्हें अपनी आस्था या कहें अपनी समस्याओं के समधान के लिए अपने घर बुलाते हैं ।। और ये सही भी है के जहां मन को शांति मिले वही ईश्वर है ।।❤️❤️❤️ पंवार जी का आभार जो आपने ये बात सामने रखी
, भाई जी मैंने कई गढ़वाली लोगो को देखा है जो सीख की वेश भूषा मै रहते है और बोलते गढ़वाली है आप पंजाब साइड मै चले जाओ वाहा आप को कई लोग ऐसे मिलेंगे जो सीख नहीं है पर सीख बने पड़े है और ऐसा वाखिया दिल्ली में भी है
पंवार जी आपने सरदार जी का साक्षात्कार यहां पर प्रस्तुत किया बहुत शानदार रहा परंतु जात पात का जिक्र करके इसकी खासियत को फीका कर दिया । यहां पर नेगी के विचार से मैं सहमत हूँ ।
जी, फीडबैक के लिए आपका धन्यवाद. अच्छा लगा सुनकर कि आपको साक्षात्कार पसंद आया। आपकी आपत्तियां भी खुलेदिल से स्वीकार हैं। कुछ सच्चाइयां असहज जरूर करती हैं, लेकिन हम उनसे मुंह नहीं मोड़ सकते. कोई व्यक्ति सिर्फ इसलिए धर्म तो नहीं बदलेगा कि उसे अपने व्यसन से छुटकारा पाना है.
@@satishcsrivastava2711 जी, मुझे पता नहीं कि आप पहाड़ से ताल्लुक रखते हैं या नहीं. लेकिन आप लोगों से यह सुनकर मुझे अच्छा लग रहा है कि हमारे पहाड़ में जात-पात, ऊंच-नीच का भेदभाव अब खत्म हो गया है. ये जानकारी देने के लिए आपका आभार.
आपका व्यक्तित्व बहुत प्रभावित करने वाला है आपने बहुत अच्छा वीडियो बनाया आपको कोटि कोटि शुभकामनाएं पहाड़ के कहानियों को एक अलग रूप में सच के साथ पेश करने के लिए ।आपको सुनकर हमें हमारी संस्कृति की अनुभूति भी होती है
बहुत ही उम्दा रचना चाहे हम कहीं भी रहे अपनी संस्कृति कभी न भूलें कुछ भी हो जाए अपनी जड़ों से जुड़े रहें भूले नहीं ❤️❤️❤️❤️ यि पहाड़ हमारी शान जान छ 🙏🙏🙏🙏
बड़े भाई राकेश जी को मेरा प्यार भरा नमस्कार राकेश भाई को हम बचपन से जानते हैं वह हमारे मामा जी के बड़े पुत्र हैं और इनका एक खानदानी निरंकार जी के जगरी हैं राकेश भाई उत्तराखंड वह दिल्ली में उनके चाहने वाले बहुत है मनु भाई आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जी
Wah...bahut achha laga ....kyunki main khud Dhamund Gaon ki hun .....jabki main gaon me nahi rahi hun ...par rakesh ji ki boli sun kar maja aa gaya .....
Inki hum b tarif krenge or jo apne bola sir ji hamre uttrakhand ki kami he wo he unch nich ek bidwan gyani aadmi ki b respect nhi hoti ye hmare uttrakhand ka durbhagy he par unhone Jo kra bahut acha kiya dharm koi b ho inhone apni prampra nhi chodi uspe hi kaam kiya🙏🙏🙏🙏
राकेश जी का जागर लगाना हमें भी अजीब लग रहा था सरदार जी जागर लगा रहें है. पर सुन्दर गढ़वाली भाषा बोल रहें है पंजाब मैं रह कर भी अपनी भाषा नहीं छोड़ी. परदेस मैं रहें कर . सब भूल जाते है. रही सिख धर्म की बात हिन्दू और सिख एक जान है दोनों सिख पडोसी होगा तों सब चिंता दूर हों जाती है. यह सब ना बुरा करते है ना बुरा होते देखते है. अपने गुरु के उपदेश मानते है. राकेश डगरी का धन्यवाद देते है पंजाब को कर्मभूमि चुना. रामपुर मुरादाबाद को नहीं. 🙏🙏🙏
Chandigarh me kahan rahte hen sardar ji inka video ek sal pahle dekha tha us time samjh me nahi aaya tha aaj aapki baatchit se samajh aaya dhanyabad ji
Rakesh da namskar, aipna davieya sakti ko aaiga bada raho ho, dav saskirti kai asservad, darm kai sath judkar darm kavi aakala nahi chodta hai, danyabad.
पंवार जी आपका काम बहुत सराहनीय है। बहुत भर्मित करने वाला वीडियो था ये की क्या एक सरदार पहाड़ी संस्कृति के इतना करीब है जहां तक मेरी समझ है ये एक सोची समझी चाल है पॉपुलर होने के लिए। उत्तराखंड संस्क्रति के साथ इस तरह का मजाक मेरे हिसाब से सही नहीं हैं।
सेमवाल जी, जैसे कि आपने बातचीत में भी सुना होगा. राकेशजी ने 12 साल पहले सिखी धारण करने के बाद जागर लगाना छोड़ दिया था. लेकिन फिर उनको अहसास हुआ कि उनकी पिछली छह पीढ़ियां जिस विधा को जीती रही हैं, वो उसमें हुनर होने के बावजूद कैसे छोड़ दें. वो टर्निंग पॉइन्ट था. मेरे ख्याल से उन्होंने जो लोकविधाय बचाई हुई है, उसकी दाद दी जानी चाहिए. बाकी संस्कृति का मज़ाक तो उड़ाने वाले बहुत हैं जो छोरा-छोरी वाले गीतों से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं.
पवार जी नमस्कार धन्यवाद आपका आपने उनके बारे में पूरी जानकारी दी बहुत अच्छी बात है उत्तराखंड की संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं लेकिन जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि मैं पंजाब में रहता हूं और इन्होंने जो सिख धर्म को अपना लिया है इनको मुबारक़ मैं सिर्फ यहां पर यही कहना चाहूंगा कि अगर किसी सिख धर्म से संबंधित लोगों ने इनको यह जागरलगाते हुए देख लिया तो यह परेशानी में जरूर पड़ेंगे इनको अगर आप सलाह दे सको तो इनको कहो की एक ही नाव में रहो दोनो में रहने से दिक्कत आ सकती है
धन्यवाद पटवाल जी. हम तो चाहेंगे कि राकेशजी जागरों की विरासत को यूं ही सहेजे रहें. आगे बढ़ाते रहें. उसे फैलाते रहें. उनके पास जागरों का खज़ाना है. पीढ़ियों से हासिल ज्ञान है. इसे व्यर्थ नहीं जाने देना चाहते। लेकिन उससे ही परिवार नहीं पल पाएगा इसलिए ऑटो चला रहे हैं. बाकी धर्म परिवर्तन की वजहें शायद सामाजिक ज्यादा हैं. उसे हम और आप समझ सकते हैं. वो निरंकार के जागर लगाते हैं. वैसे किसी को इस पर आपत्ति तो नहीं होनी चाहिए। यह राकेशजी का अपना हुनर है।
Lakhvinder singh lakha ek born sikh very famous bhjan bhente gaate hai pag bhi pahante hai mata ki chunri bhi.punjab me gurudwaron me hindu sikh milkar seva karte hai.vyaktigat aastha hai yaha talibani sarkar nahi hai democratic republic hai dharmik swatantrata ka mool adhikar sabhi ko hai
Manu panwar jii aur Rakesh jiii aapki audio sunnii bahut achaa lgaa... Aap logo ka uttrakhand k liyee pyrr aur viswass.... Bahut uchaa haii... Pahale insaaniyat, privaar... Dharam baad me pahale insaan yeh aaapki audio suun k pta chala... Rakesh ji, manuu jiii apko dono dil se salute hai...
मन से तो मैं भी सिक्खी से सबसे ज्यादा करीब पाता हूं। दूसरा धर्म जो पाखंड और जीव हत्या से दूर रहने और अहिंसा पर चलने का सच्चा संदेश देता है वो बौद्ध धर्म है। सच है की जब सभी धर्मो की अच्छाइयां और बुराइयां समझ पाते हो तभी उनकी अच्छाइयों को ग्रहण करके बुराइयों को त्यागने की क्षमता रख पाते हो।
धन्य हैं राकेश जी जिनको सिक्खी की सीख मिली, गुरु के शरण में जाने की प्रेरणा मिली और व्यसनों से दूर रहने का साहस मिला।
जी, सही कह रहे हैं. राकेशजी भी यही कह रहे हैं कि अच्छी चीजों का ग्रहण करने में बुराई क्या है? यह निजी आस्था का सवाल है. अगर उससे उनके जीवन मे कुछ भी बदलाव आया है तो उनके लिए वो परिवर्तन बड़ी बात है.
😂 bodh dharm kab sey jeev hatya ko bura Manta hai?
सरदार राकेश सिंह के द्वारा जो जागर गाया गया है। वह बहुत ही उच्च कोटि, शानदार और जोशीले अंदाज में शब्दों उच्चारण अति उत्तम तरीके से प्रस्तुत किया गया है। जोकि एक सराहनीय गायन कथा है। बहुत -बहुत बधाई। मैं भी चण्डीगढ़ से H. No. E-3, E-BLOCK, Punjab University Campus, Sector 14, Chandigarh.
बहुत सुन्दर
सिख धर्म गुरुओं ने हमारे लिये बहुत बड़ा बलिदान
दिया है l
वाहे गुरु जी का खालसा वाहे गुरु जी की फतेह 🙏 9:39
पंवार जी कुछ हद तक आपने सही कहा। जातिवाद के कारण भी कई लोग धर्म परिवर्तन कर रहे हैं या फिर उत्तराखंड की अन्य जातियां लिख रहे हैं।
दोषी वह समाज है जो उत्तराखंड में भेदभाव करता आया है।
पवांर जी बहुत ही रोचक जानकारी ,लेकिन राकेश जी ने अपने बारे में बेबाक तरीके से बताया वो भी काबिले तारीफ है।
मेरा जीवन भी सिख धर्म से बहुत प्रभावित रहा है जो हमने जाना है और पड़ा है सिख धर्म के बारे में जो इनका त्याग तपस्या और बलिदान रहा है वह हमेशा सराहनीय रहेगा 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
बहुत सही लयबद्ध जागर गायन करते हैं सरदार राकेश सिंह जी...बहुत प्रशंसनीय है...👌👍👍👍
बहुत अच्छा लगा.गढ़वालियों से अनुरोध है कि इन्हे अधिक से अधिक सम्मान पूर्वक आमंत्रित करें.ताकि कि हमारे गढ़वाल की इस लुप्त होती विधा का पुनर्जागरण हो सके. मन एवं शरीर को झकझोर देने वाला संगीत शायद ही कहीं और उपलब्ध हो.
बहुत अच्छी जानकारी और प्रस्तुतिकरण। श्रीमन राकेश ने अपने संघर्ष व कला के बल पर संस्कृति के प्राचीन एवं नवीन स्वरूप को मिलाकर एक अलग उदाहरण पेश किया है।
मैंने इनका जागर लगाते हुए विडियो देखा तो था किन्तु इनके बारे में विस्तृत रूप से आपके इसी विडियो से ज्ञात हुआ। सुन्दर प्रस्तुति।
सरदार राकेश सिह बहुत ही कमाल के जागर गाया
राकेश सिंह जी के द्वारा शानदार जागर सुन कर रुह खुश हो गई
मुझे तो राकेशसिंह की सोच व अपनी आरथिक सथिति को ठीक करने के लिए धरमपरिवरतन करने के बाद भी अपनी पुसतैनी बिदया व भाषा को कायम रखा है ।दुख तो उन लोगों को देखकर होता है जो पहाड़ से जाते बाद में हैं और अपने रीति रिवाज व भाषा को पहले भूल जाते है ं राकेश जी को तो हमें बहुत बहुत बधाई देनी चाहिए।
शुक्रिया गुसाईं जी, आपने वीडियो के भाव को बहुत सही तरीके से पकड़ा है. राकेश जी इसीलिए साधुवाद के पात्र हैं कि वो बड़े शहर में रहने के बावजूद अपने भीतर के पहाड़, अपनी परंपरा, अपनी लोकविधा को बचाए हुए हैं. हम में से कितने पहाड़ी ऐसा कर पाते हैं? वो तो बूढे मां-पिता की सेवा भी कर रहे हैं. उन्होंने बड़ी बात कही है- माता-पिता की सेवा किसी भी पूजा से बड़ी है.
बहुत सुंदर सही बात है भाई जी
उन्होंने सिख धर्म अपनाया है और मेरा मानना है सिख धर्म हमेशा आगे रहा है मदद करने के लिए
@@Active_funs निःसंदेह
Tum ye batao Singh kha se aya
राकेश जी मैंने आपका यू ट्यूब मे वीडियो देखा बहुत ख़ुशी हुई। आप अब अच्छा नाम कमा रहे हो। चंडीगढ बापू जी आश्रम।
Thanku sir nice video really gadhwali singh ne sardaar ji.
भाई साहब मैं तो पहले ही लिख चुका हूं कि ये हमारे गांव से हैं और कोली समाज से हैं। ये राकेश सिंह चंडीगढ़ में बसे हुए हैं और ये निहंग बन चुके हैं। अपने गांव आते रहते हैं और जागर भी लगाते हैं। Dhamund सितोनस्यू पट्टी के जिला पौड़ी गढ़वाल से है।
आपका आभार. मुझे ये पता करने में कुछ वक्त लग गया था. उनका एक वायरल वीडियो एकतरफा मैसेज के साथ सोशल मीडिया पर घूम रहा था. इसलिए मैंने उसकी पड़ताल की
Parihar caste to kumaon mai hote hai ??? Pauri se ho aap ??
Ab sakal mt dikhana uttarakhand me jo dharm change kr sakta h to Kuch be kr sakta h sanskriti barbad kr dega
@@PitamberSingh-d5w ये आदमी धर्म नहीं बदला केवल पंथ बदला है। है तो अभी हिंदू। फिर क्यों नहीं अपने परिवार से मिलने अपनी मातृ भूमि में आए।
आप लोग तो उत्तराखंड छोड़कर शहरों में बस गए। कुड़ी पुंगडी बांजा पड़ गई पर अब भी आपने घमंड बाकी है। आपके पहाड़ में बिहारी, मुसलमान, नेपाली बस गए। उनको आप नहीं रोकेंगे पर एक सच्चे इंसान को उसके गांव आने से रोकेंगे।
क्या इंसाफ हैं।
पंवार
बहुत सुन्दर साक्षात्कार।
Good 😊 👍 राकेश सिंह सिख धर्म एक पवित्र धर्म है,जो हिंदु धर्म को मुस्लिम मैं covet se बचाया है,
सुनदर राकेश भेजी सरदार भी ता हिनदु भटी बणीन भेजी आपकू जागर देखी दिल खुश हो गी हम भी निरकार देवता जागरी छा पर आपकी आपकी आवाज सुणी दिल खुश होगी भगवान आपकू सदैब खुश रखू ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏🙏🙏🙏🙏🙏
आपने सारे भ्रम दूर कर दिए हैं।बहुत ही स्पष्ट शब्दों में। ये एक बहुत अच्छी पहल है कि लोगों के विचारों का संज्ञान लिया जाए। धन्यवाद।
पंवार जी, कृपया सिक्ख धर्म अपनाने की पूरी जानकारी दें।
सबसे अच्छा मुझे सिक्ख धर्म में तलवार धारण करने वाला अधिकार लगता है, क्योंकि आज विधर्मी से लड़ने के लिए, हर सनातनी को अपनी सुरक्षा के लिए हर समय शस्त्र धारण करना चाहिए।
जिस देश में एक लाख की आबादी में, सिर्फ एक सौ के करीब पुलिस हो, वहां पुलिस के सहारे नहीं रह सकते हैं।
और जब इस एक लाख में 35% विधर्मी हों, तो जनता के चुने हुए प्रतिनिधि भी विधर्मी होंगे, तब पुलिस भी उनकी।
इसलिए अपनी और अपने समाज तथा धर्म की रक्षा करने के लिए, शस्त्र बहुत ही आवश्यक है
जय श्री राम।
हर हर मोदी,
हर घर योगी।
*एक छोटा सा कदम मानवता के लिए लंबी कूद बन जाता है*
पंवार जी आपका बहुत-बहुत ❤️ से आभार 🙏
आपने इस इन्टरव्यू से श्री राकेश जी के माध्यम से उत्तराखंड समाज के लिए एक प्रेरणा का दीपक जलाया है, कि जैसे राकेश जी ने स्वयं अपने मुखारविंद से किस तरह से देवी-देवताओं के आसन पर विराजे हैं और हम इन मादक पदार्थों का बढ़ते हुए प्रचलन को उस समाज में रहते हुए कभी भी नहीं रोक, बदल सकते। इसलिए अफसोस कि उन्हें अपना धर्म परिवर्तन करने को मजबूर होना पड़ा। मैं उनकी भावनाओं को समझ सकता हूं ।काश!कि उत्तराखंडी समाज उन्हें उनकी इच्छानुसार सहयोग करता तो शायद वह धर्म परिवर्तन ना करते। अंततः में श्री राकेश जी की भावनाओं की कद्र करता हूं।🙏
बहुत खुशी की बात है उन्होंने अपनी परंपरानहीं छोड़ी आज भी अपनी परंपरा को निभा रहे हैं हमारी जो पीढ़ी है वह इस परंपरा को बोलते जा रहे हैं जो लोग बेवकूफ है वही लोग गलत बोलतेहोंगे मैं तो राकेश जी दिल से धन्यवाद जो आपने और हमारी एक परंपरा को दर्शाया है सब को दिखाया है जो लोग सिख धर्म को गलत बोल रहे हैं या सरदार अलाना फालना आज हमारे गुरु की वजह से हम अपनी मंदिरों में पूजा कर रहे हैं अपने गले में जन्य धारी ब्राह्मण या ठाकुरबोल रहे हैं हम उन्नाव की वजह से आज हम हमारा धर्म हमारी परंपरा इनके वजह सेसुरक्षित है
Bilkul shi baat kahi ki jagri bina madirapan kr nhi lagate jagar kese hoga fir devtaon me shakti 😭😭😭😕😔😔☺
Sardar, bhut, acha religion h
Truely respect h ji
बहुत अच्छा लगा राकेश जी का इंटरव्यू.. धन्यवाद
पंवार जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद आपने तो कमाल कर दिया
आपने सारे उत्तराखंड के लोगों का कन्फ्यूज दूर कर दिया
धन्यवाद बिष्ट जी, राकेश सिंह जी बहुत दिन से एक पहेली बने हुए थे. इसलिए मैंने सोचा जरा तलाशा जाए कि ये मामला क्या है. उनसे बातचीत करके बहुत अच्छा लगा। सबसे अच्छा लगा कि वो चंडीगढ़ में रहते हुए भी जागर विधा को सहेजे हुए हैं.
@@ManuPanwar बहुत बहुत धन्यवाद ए राकेश मेरे मामा के गांव का है
बहुत बहुत धन्यवाद बिष्ट जी आपके प्रयास के लिए
Rakesh bhai mere fufu ke ladke he...
Rakesh ji ki jitni tarif ki jaye km h unki itni achi soch h 👍👍🤚🤚🤗😍😘✔✔✔
Bahut badhiya laga apka interview.
Bahut sundar,jagri lagate hai,,hmare hah sardar ji, hamare garhwali parampra ko sanjoe hua hai,sardar ji ban gaye ese koi farak nahi parta hai,unke dill mein abhi bhi apna uttrakhand kut kut kar bhra hua hai,or apne khandaan ki kala ko sanjoe hua hai, Bahut sundar.
Thank you for such nicely narrated.. Rakesh Singh is from my village. And we r proud of him...
Your welcome SIR. thanx for watching
Thakur bhai aap Badri bhai ke cousin hoo to if yes please contact me on 9891502123
Very nice video thank you Panwar ji.
धर्म परिवर्तन कर भी लिया तो उसमें किसी को दिक्कत नही होनी चाहिए सिख धर्म भी बहुत ही अच्छा है ओर वो हिंदू धर्म की ही शाखा है कोई बुराई नही है
वास्तव मै वस्तु स्थिति सै पर्दा उठा दिया आपने सत्यता को स्थापित किया आपने बहुत बहुत बधाईयाँ है आपको
धन्यवाद सेमवाल जी.
ईसाई धर्म अपनाने से 10 time अच्छा है सिख धर्म अपनाना। वे हिन्दू धर्म के आसपास ही हैं।
Very nice garhwali Jagar by Rakesh ji garhwali Sardar.❤ Dharm Chang his personal matter 🕉️
लाजवाब जानकारी
Amazing ❤️👌 Jai dev bhoomi uttarakhand 🏞️🎪🚩🙏
Ground reality.... Informative interview... Thanks for video.
आपका आभार
एक साहसी एवं वास्तविक उत्तराखण्डी पहाड़ी ,घटनाक्रम कुछ भी रहे हों लेकिन राकेश सिंह का अपनी पहाड़ी संस्कृति के प्रति लगाव सराहनीय है।
वाकई। आपने सही कहा कोई भी घटनाक्रम रहे हों लेकिन उनके हुनर ने कायल कर दिया है.
धर्म परिवर्तन गलत है शराब बीड़ी सिगरेट या कोई भी बुरी लत न किसी धर्म में सिखाया जाता है और न छुड़वाया जाता है कमजोर मानसिकता के कारण राकश सिंह ने हिंदू धर्म छोड़ कर सिख धर्म अपनाया है हिंदू धर्म का अपमान किया है राकेश सिंह ने साथ ही उत्तराखंड समाज बदनाम करने की कोशिश की है उतराखण्ड के पहाड़ों में रहने वाले सभी जातियों के लोग हिंदू धर्म को ही मानते हैं
@@dschauhan4592 जी, वैसे किसी की आस्था, विश्वास उसका निजी मामला ही रहने दिया जाय तो ज्यादा अच्छा है. उसमें सब दखल लेंगे तो उसकी अपनी आजादी का अतिक्रमण होगा.
@@dschauhan4592 जी ज्ञात हो कि सिख कोई अलग धर्म नही बल्कि पन्थ है। श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज ने हर हिन्दू के घर से एक संतान को सिख बनाने की परंपरा पंजाब में डाली। आपकी ये बात सही है व्यसन छुड़ाने के लिए ऊंचे मनोबल की आवश्यकता है। @manu जी आपका धन्यवाद
Gandagi ka ghar hai ye banda
Lalchi hai
बहुत खूब रोमांचित,, विक्की नेगी
जागर हमारी तमाम परंपराओ में से एक प्रसिद्ध परंपरा हैं! हमारे उत्तराखंडी भाईयो का एक प्रयास ये भी होना चाहिए की जहाँ भी जागर लगती है उसको रिकॉर्ड करके अपलोड करना चाहिए! जागर का हर जगह अलग अलग रंग देखने को मिलता हैं
बहुत बढ़िया यह है पहाड़ों की शान
आभार
हमने भी इन्हीं से जागर लगवाया था 16 अप्रैल को 🙏
राकेश जी के बारे में जानकर सारी दुविधा दूर हो गई ।बहुत सुंदर और पुश्तैनी काम कर रहे हैं अपने मूल निवास आकर जनता का भला कर रहे हैं बधाई पात्र हैं हमारी पुरानी प्रथा देवी देवताओं को मिलकर याद करवा रहे ,भला हो रहा है।पावर जी अपने कमाल कर दिया।क्या कभी सीआईडी में रहे ।आपको बहुत बधाई अच्छा कार्य किया है।जो शंका समाधान हुई।
आपका आभार।
Yeh hamaare bde bhai g hain 🙏🙏🙏 jo bhi btaya Gaya hai is video mae sab sach hai aur hame ye dekh kar bahut khushi hui
बहुत-बहुत धन्यवाद. राकेशजी के बहाने कई लोगों से परिचय हो रहा है. आपका आभार. उनको प्रोत्साहित करते रहिए. वो बहुत बड़ा काम कर रहे हैं.
आपके प्रयास सफल रहे आपने पूरी पड़ताल करके सभी को सच्चाई से अवगत करा दिया आप बधाई के पात्र हैं
धन्यवाद फीडबैक के लिए
फालतू का बकबास है ।बेवकूफ बना दिया ।
पंवार जी आपने अच्छी खोज खबर कीऔर सच्चाई को उजागर किया। ये हमारे गांव के है पर हमे confirm नहीं था कि वो चण्डीगढ़ में क्या करते है। पिछले साल lockdown में हम गांव गए थे तब हम राकेश से मिले थे। बहुत संस्कारी व मिलनसार व्यस्क्ति हैं। मेरा नाम राजेंद्र सिंह परिहार है।
धन्यवाद परिहार जी. राकेशजी पहाड़ की लोक विधा जागर को बचाए हुए हैं, ये बड़ी बात है. वो भी तब जबकि उन्हें रोजगार की मजबूरियों की वजह से हमारी तरह अपने गांव से बाहर निकलना पड़ा है. उनका ये कमिटमेंट बेमिसाल है.
@@ManuPanwar पंवार जी आपका तहे दिल से धन्यवाद। आपने इस मुद्दे को गहराइयों में जाकर इसकी पड़ताल की। आपकी पत्रकारिता को salute।
सरदार जी गढवाल की एक शान है आपका बहुत बहुत धन्यवाद पवांर जी
जी , धन्यवाद
श्रीमान जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जो कि अपने मेहनत करके सरदास जी का इन्टरव्यू लिया और सबके सामने सत्य को उजागर किया, अगर आदमी का धर्म क्या है और करता क्या है उससे कुछ लेना-देना नहीं होना चाहिए, इन्सान धर्म परिवर्तन करता हैं तो व उसकी व्यक्तिगत राय है लेकिन सरदार जी ने अपना अनुभव को नहीं छोड़ा है, जागर परम्परा को बढ़ावा दे रहे है, जोकि लोग आजकल जागर नही लगा रहे है, जागर की जगह जागरण को बढावा दे रहे हैं, जगरिया को उतनी मानदेय नही मिलती, जितनी की जागरण के कलाकार को मिलती है,
अगर कुछ ज्यादा कहा हो तो माफ करना श्रीमान जी लेकिन सत्य को भी झुठला नही सकते
धन्यवाद
जी, सही कहा, चंडीगढ़ में रहने के बावजूद राकेशजी ने पहाड़ को, अपने गांव को, अपने बुजुर्ग माता-पिता को नहीं छोड़ा और तमाम चुनौतियों के बीच जागर जैसी अनूठी लोकविधा को भी जगह जगह पहुंचा रहे हैं.
श्रीमान जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
One night jagar ke 3 ya 4 ghante ke 5k tk lete h ye mandeh km h kya🤔🤣
One night jagar ke 3 ya 4 ghante ke 5k tk lete h ye mandeh km h kya🤔🤣
अति सुन्दर। वास्तविकता को सामने लाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।👍👍
धन्यवाद फीडबैक के लिए
Good. Brother. Good. News. Thanks
भौत बढ़िया काम करी भैजी तुमुल।।
अर मूल राकेश जी कु गढ़वाल ही च, देवी देवता कु आशीर्वाद उथै युगों बिटी मिल्यू च।।।
गलत तब लगालू की क्वी भी भैर बटी अयु मनखी चार शब्द सीखी की हमारु संस्कृति तै धंधा बनालू।।।🙏🙏🙏
ठीक बोन्ना छा भैजि
Badiya bahut badiya
आपके पर्यास से सबका सन्देह दूर करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
वीडियो देखने के लिए आपका धन्यवाद
Bahut badiya
Bohut achhi khoj ki aapne bhai je ❤
राकेश सिंह जी की साफगोई को प्रणाम ।वो जिस भी जाति से हों चाहे किसी भी धर्म को अपनाए कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए ,बल्कि हमें तो उनका आभारी होना चाहिए जो उत्तराखंड की लोक संस्कृति को निभा रहे हैं ।। आज हर जाति ,हर स्तर के व्यक्ति ईश्वर को मानने वाले उत्तराखंडी,,और उत्तराखंड के बाहर के भी उन्हें अपनी आस्था या कहें अपनी समस्याओं के समधान के लिए अपने घर बुलाते हैं ।। और ये सही भी है के जहां मन को शांति मिले वही ईश्वर है ।।❤️❤️❤️ पंवार जी का आभार जो आपने ये बात सामने रखी
@Bablu Juyal धन्यवाद भाई. वाकई राकेशजी का योगदान बहुत बड़ा है. समझदार लोग ही इस नज़रिये से देख पा रहे हैं.
Sardar ji bahut ache h hamare ghar aaye the 🙏🙏
, भाई जी मैंने कई गढ़वाली लोगो को देखा है जो सीख की वेश भूषा मै रहते है और बोलते गढ़वाली है आप पंजाब साइड मै चले जाओ वाहा आप को कई लोग ऐसे मिलेंगे जो सीख नहीं है पर सीख बने पड़े है
और ऐसा वाखिया दिल्ली में भी है
Waah Rakeshji apke bahut hi mahan vichaar ha
पंवार जी आपने सरदार जी का साक्षात्कार यहां पर प्रस्तुत किया बहुत शानदार रहा परंतु जात पात का जिक्र करके इसकी खासियत को फीका कर दिया । यहां पर नेगी के विचार से मैं सहमत हूँ ।
जी, फीडबैक के लिए आपका धन्यवाद. अच्छा लगा सुनकर कि आपको साक्षात्कार पसंद आया। आपकी आपत्तियां भी खुलेदिल से स्वीकार हैं। कुछ सच्चाइयां असहज जरूर करती हैं, लेकिन हम उनसे मुंह नहीं मोड़ सकते. कोई व्यक्ति सिर्फ इसलिए धर्म तो नहीं बदलेगा कि उसे अपने व्यसन से छुटकारा पाना है.
@@ManuPanwar aapka hidden point ब्यक्त करना तथा व्यशनों को दूर कर उनका शुद्ध आहार व्याहार बनकर .....
@@ManuPanwar Manu ji Jaat paat ke baare main bolne se pehle achi tarah pata karein ki aap kya bol rahe hain.
@@satishcsrivastava2711 जी, मुझे पता नहीं कि आप पहाड़ से ताल्लुक रखते हैं या नहीं. लेकिन आप लोगों से यह सुनकर मुझे अच्छा लग रहा है कि हमारे पहाड़ में जात-पात, ऊंच-नीच का भेदभाव अब खत्म हो गया है. ये जानकारी देने के लिए आपका आभार.
आपका व्यक्तित्व बहुत प्रभावित करने वाला है आपने बहुत अच्छा वीडियो बनाया आपको कोटि कोटि शुभकामनाएं पहाड़ के कहानियों को एक अलग रूप में सच के साथ पेश करने के लिए ।आपको सुनकर हमें हमारी संस्कृति की अनुभूति भी होती है
आपका आभार
Thanks manu ji for this information
पंवार जी सादर प्रणाम ..बहुत सुंदर जानकारी 👌👌आपका आभार
आपका धन्यवाद राकेशजी
Wah
Nice
Bhut sunder things
बहुत ही उम्दा रचना चाहे हम कहीं भी रहे अपनी संस्कृति कभी न भूलें कुछ भी हो जाए अपनी जड़ों से जुड़े रहें भूले नहीं ❤️❤️❤️❤️ यि पहाड़ हमारी शान जान छ 🙏🙏🙏🙏
जी, बड़ी बात है कि वो पीढ़ियों की परंपरा के निर्वहन के लिए वो ठेठ चंडीगढ़ से पहाड़ में पहुंच जाते हैं.
Bahut sunder...appreciate
Mai bhi koli Hu aut mujhe garbh haiki Nirankar devta ki kripa humate upar hai
बहुत बढ़िया❤❤
salute to dear sardar jee. everybody must take it in positive sense..god job
धन्यवाद. इन लोककलाकार को ऐसी ही सराहना चाहिए.
बहुत सुंदर जानकारी मुस्लिम बनने से अच्छा है सरदार बन जाओ
क्या मार्गदर्शन दिया है !!!!
@@tikaramuniyal6127
Tum brahman ho , uski zindagi samjho
बड़े भाई राकेश जी को मेरा प्यार भरा नमस्कार राकेश भाई को हम बचपन से जानते हैं वह हमारे मामा जी के बड़े पुत्र हैं और इनका एक खानदानी निरंकार जी के जगरी हैं राकेश भाई उत्तराखंड वह दिल्ली में उनके चाहने वाले बहुत है मनु भाई आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जी
शुक्रिया, अच्छा लगा कि इस वीडियो के बहाने राकेशजी के बारे में और भी लोगों से जुड़ना हो रहा है
Bjaad me jaye peer or nirankaar jai mahakal stya sanatan ki jai
Rakesh ji ki batey ekdum sahi hai, 👌✌🙏🏽🙏🏽
Right rakash Singh ji
Wah...bahut achha laga ....kyunki main khud Dhamund Gaon ki hun .....jabki main gaon me nahi rahi hun ...par rakesh ji ki boli sun kar maja aa gaya .....
Bhut acha lga apne Rakesh bhai ke bare mein sab video banai rakesh bhai mere bua ke ladke hai.. 🙏🙏🙏
Ye mere mama ji hai 🙏
एक तरफ तो खुशी है कि उन्होंने अपनी संस्कृति का सम्मान करके उसे जीवित रखा लेकिन दूसरी जातिवाद से पीड़ित उन्हें धर्म
J
बहुत सुन्दर जानकारी। धन्यबाद आपको।
Thanks u information
Inki hum b tarif krenge or jo apne bola sir ji hamre uttrakhand ki kami he wo he unch nich ek bidwan gyani aadmi ki b respect nhi hoti ye hmare uttrakhand ka durbhagy he par unhone Jo kra bahut acha kiya dharm koi b ho inhone apni prampra nhi chodi uspe hi kaam kiya🙏🙏🙏🙏
Sunder👌😔❤❤💕
Bahut sundar wah
भौत सही जानकारी भैजी bhaskar bahuguna
धन्यवाद दिदा
Rakesh bhai bahut acha laga yr aap ki video
Jai nirankar deta ki
राकेश जी का जागर लगाना हमें भी अजीब लग रहा था सरदार जी जागर लगा रहें है. पर सुन्दर गढ़वाली भाषा बोल रहें है पंजाब मैं रह कर भी अपनी भाषा नहीं छोड़ी. परदेस मैं रहें कर . सब भूल जाते है. रही सिख धर्म की बात हिन्दू और सिख एक जान है दोनों सिख पडोसी होगा तों सब चिंता दूर हों जाती है. यह सब ना बुरा करते है ना बुरा होते देखते है. अपने गुरु के उपदेश मानते है. राकेश डगरी का धन्यवाद देते है पंजाब को कर्मभूमि चुना. रामपुर मुरादाबाद को नहीं. 🙏🙏🙏
जन्म से गढ़वाली हैं।
फिर कोई ताजुब क्यों उनके गढ़वाली बोलने पर।
वो हमारे गांव से ही है।
May naman karti hu rajesh bhaj jagri ji ko🙏
Chandigarh me kahan rahte hen sardar ji inka video ek sal pahle dekha tha us time samjh me nahi aaya tha aaj aapki baatchit se samajh aaya dhanyabad ji
आपका काम बहुत सराहनीय
शुक्रिया. लेकिन बहुत कुछ सुनना भी पड़ रहा है.
Bahut sundar hai g
Rakesh da namskar, aipna davieya sakti ko aaiga bada raho ho, dav saskirti kai asservad, darm kai sath judkar darm kavi aakala nahi chodta hai, danyabad.
पंवार जी आपका काम बहुत सराहनीय है।
बहुत भर्मित करने वाला वीडियो था ये की क्या एक सरदार पहाड़ी संस्कृति के इतना करीब है
जहां तक मेरी समझ है ये एक सोची समझी
चाल है पॉपुलर होने के लिए। उत्तराखंड संस्क्रति के साथ इस तरह का मजाक मेरे हिसाब से सही नहीं हैं।
सेमवाल जी, जैसे कि आपने बातचीत में भी सुना होगा. राकेशजी ने 12 साल पहले सिखी धारण करने के बाद जागर लगाना छोड़ दिया था. लेकिन फिर उनको अहसास हुआ कि उनकी पिछली छह पीढ़ियां जिस विधा को जीती रही हैं, वो उसमें हुनर होने के बावजूद कैसे छोड़ दें. वो टर्निंग पॉइन्ट था. मेरे ख्याल से उन्होंने जो लोकविधाय बचाई हुई है, उसकी दाद दी जानी चाहिए. बाकी संस्कृति का मज़ाक तो उड़ाने वाले बहुत हैं जो छोरा-छोरी वाले गीतों से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं.
पवार जी नमस्कार धन्यवाद आपका आपने उनके बारे में पूरी जानकारी दी बहुत अच्छी बात है उत्तराखंड की संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं लेकिन जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि मैं पंजाब में रहता हूं और इन्होंने जो सिख धर्म को अपना लिया है इनको मुबारक़ मैं सिर्फ यहां पर यही कहना चाहूंगा कि अगर किसी सिख धर्म से संबंधित लोगों ने इनको यह जागरलगाते हुए देख लिया तो यह परेशानी में जरूर पड़ेंगे इनको अगर आप सलाह दे सको तो इनको कहो की एक ही नाव में रहो दोनो में रहने से दिक्कत आ सकती है
धन्यवाद पटवाल जी. हम तो चाहेंगे कि राकेशजी जागरों की विरासत को यूं ही सहेजे रहें. आगे बढ़ाते रहें. उसे फैलाते रहें. उनके पास जागरों का खज़ाना है. पीढ़ियों से हासिल ज्ञान है. इसे व्यर्थ नहीं जाने देना चाहते। लेकिन उससे ही परिवार नहीं पल पाएगा इसलिए ऑटो चला रहे हैं. बाकी धर्म परिवर्तन की वजहें शायद सामाजिक ज्यादा हैं. उसे हम और आप समझ सकते हैं. वो निरंकार के जागर लगाते हैं. वैसे किसी को इस पर आपत्ति तो नहीं होनी चाहिए। यह राकेशजी का अपना हुनर है।
Lakhvinder singh lakha ek born sikh very famous bhjan bhente gaate hai pag bhi pahante hai mata ki chunri bhi.punjab me gurudwaron me hindu sikh milkar seva karte hai.vyaktigat aastha hai yaha talibani sarkar nahi hai democratic republic hai dharmik swatantrata ka mool adhikar sabhi ko hai
Manu panwar jii aur Rakesh jiii aapki audio sunnii bahut achaa lgaa...
Aap logo ka uttrakhand k liyee pyrr aur viswass....
Bahut uchaa haii...
Pahale insaaniyat, privaar...
Dharam baad me pahale insaan yeh aaapki audio suun k pta chala...
Rakesh ji, manuu jiii apko dono dil se salute hai...
आपका धन्यवाद 🙏
बहुत सुन्दर सोच छ भाई की🙏🙏🙏🙏🙏
सिक्ख धर्म अपना कर बहुत अच्छा किया. सिक्ख कौम मेहनतकश होती है. जातिवादी सोच से परे सेवा भावना से ओतप्रोत सिक्ख धर्म अपनाने में गर्व की बात है.
Han khalistani b hote......Tum b sikh banjao
Khalsatino ko Dhaka hindu ko galiy data h
Yeah are hamare Guru Hain
Rakesh ji ki baton Mai point hai bhed bhav jati ke naam par hota hai hamare samaj Mai