कोई कमी नहीं है सिर्फ महत्वाकांक्षा बढ़ गई है! 1)गंवार लड़की को फौजी चाहिए,फौजी को एजुकेटेड जॉब वाली! 2) पढ़ी लिखी को सरकारी नौकरी वाला चाहिए,सरकारी नौकरी वाले को अच्छी इकोनॉमिक बैंक ग्राउंड वाली या सुविधा जनक जॉब वाली चाहिए! 3) सुविधाजनक जाब वाली लड़की को अच्छी इकोनॉमिक पोजीशन वेल सेटल्ड चाहिए;वेल सेटल्ड वेल इकोनॉमिक पोजीशन वाले को रोब दार जॉब वाली बीबी या बी बी का फैमिलीबैक ग्राउंड वाली चाहिए! वेल बैक ग्राउंड वेल पोजीशन वाली लड़की पहले ही किसी से चक्कर चला कर फुर्र हो जाती है! समीकरण असंतुलित हो चुका है संतुलन के लिए वैल्यू कम या ज्यादा वाला फंडा है बस!
@ManuPanwar according to self capability and self valuation is must in both the sites. मतलब खुद की औकात का खुद आंकलन करेंगे तो ऐसा अकाल नहीं पड़ेगा रोजगार की कमी तब भी थी जब लोग 40 -50 साल पहले बाहर जाकर नौकरी करते थे पर अपनी औकात में रह कर ब्याह करते थे!
ये बहस ऐसे है जैसे "बहस होनी थी गरीबी की रेखा पर और हो रही है रेखा की गरीबी पर "।समस्या उन लड़कियों की हैं जो गाँव ही पैदा हुई,वहीं पढ़ी और शादी में मांग करती हैं सरकारी नौकरी और देहरादून में मकान वाले की क्योंकि काम न करना पड़े। दरअसल आज की तारीख में कोई खेती पशुपालन नहीं करना चाहती है। बैठे बैठे खाने को मिले। कमाने वाला चाहे दर दर भटक रहा हो।
सही बात है अंकल जी। लड़कियां बैठे बैठे खाना चाहती हैं और आपकी बेटी भी ऐसा ही चाहती होगी। असल मे बात ये है कि शादी कर के तुम लोग ले आते हो बहु फिर तुन्हें चाहिए 1 साल के अंदर एंड नाती। अगर नाती नहीं हो रहा तो शादी के 3 महीने बाद से ही लड़कियों का जीना हराम कर देती हैं तुम्हारी बीवियां, मतलब जो सासुए और उनकी दगड़िया होती हैं। चौथे महीने जो कोई छूत हो गई तो बस खाने भी नहीं देते की अब नाती नहीं बना रही। फिर बच्चा पैदा कर दिया अगर लड़की हो गई तो 1 साल के अंदर दूसरा बच्चा चहोये। नाती तो तुम्हे चाहिए ही। अगर वापस नातनी हो गई तो बहु की आत्महत्या करने की नोबत ला देती हैं ये गांव की महिलाएं। अब बच्चे पालने को पैसा तो चाहिए ना। बेरोजगार लड़के से शादी कर के अपनी ज़िंदगी खराब करनी होरी। या तो तुम लोग कह दो कि हमारा बेटा बेरोजगार है। तो तुम्हारी मर्ज़ी बच्चे करो या न करो। तुमने पालना है। फिर वो बेरोजगार घर के खर्चे की चिंता से परेशान आएगा दारू पी के। उसका दोष भी बहु पे ही कि पहले तो हमारा लड़का नी पीता था। कुल मिला के इन सब झंझटो से बचने का एक ही रास्ता है या तो तुम लोग फ्रीडम दे दो कि बच्चे करना नहीं करना तुंहरी मर्ज़ी है। तो हम लड़कियां भी कर लेंगी बेरोजगार से शादी। वरना ज्यादा हल्ला मत मचाओ नेपाल से ले के आओ बहु
मैं आपकी बात से सहमत हूं, लेकिन अगर महिलाएं कार्य नहीं कर रही है तो इसके पीछे भी पुरुष वर्ग का हाथ है क्योंकि उन्होंने शुरू से ही महिलाओं को ज्यादा जिम्मेदारी दी है। भले वह 10000 की नौकरी बाहर कर लेंगे। लेकिन अपने गांव में जहां वह 20 से ₹30000 भी खेती-बाड़ी और गाय दूध बेच कर सकता है, लेकिन वह ऐसा नहीं करता है बल्कि महिलाओं पर शोषण अत्याचार होता है। इसलिए महिलाएं का रुख बाहर की तरफ भी हुआ है। इस बात पर कोई ध्यान नहीं देगा और ना ही इस बात पर कोई बात करेगा।
पहाड़ की लड़की दूर दराजों से गए मुस्लिम लेबर से तो शादी करने को तैयार है लेकिन पहाड़ी लड़की को ठुकरा दे रही है ये आज की लड़कियों ने बहार के लड़कों से शादी करना अपना स्टेटस बना दिया है।
सबसे पहले पहाड़ी लड़को को नशा छोड़ना होगा काम धंधे पर ध्यान देना चाहिए, और 24-25 साल तक खुद के पैरो में खड़ा हो जाना चाहिए, पैसा कम ज्यादा लगा रहता है,फिर लड़कियों के माँ बाप को भी अपनी लड़की को सही शिक्षा और संस्कार देने चाहिए, लड़कियों की शादी की उम्र 23 और लड़कों की 26 साल तय होनी चाहिए,पति पत्नी समझदार और मेहनती हो तो शादी के बाद भी बहुत कुछ कर सकते है,लेकिन पहाड़ियों का हिसाब गलत है,26-26 साल तक लड़का शादी के बारे में सोचता तक नही ना इनके माँ बाप सोचते है,वही हाल लड़कियों का है,18 साल होते ही बाहर जॉब करने आ जाती है,फिर ये लोग भी देखा देखी जिंदगी जीते है,दूसरा पहाड़ो में लड़कियों की डिमाण्ड बहुत गलत है,सरकारी नौकरी,हल्द्वानी में घर या प्लाट अकेला लड़का उसके बाद कोई रिश्ते आते भी है,कुंडली मे रूकावट फिर लड़का लडक़ी की हर कोई रिश्ता पसन्द भी तो नही आ सकता
बिल्कुल संजीव कंडपाल जी सही कह रहे है ।90 से 2000 के दशक में उन मांबाप का यही कहना था हम तो बहुत ठीक है हमारे तो लडके ही लडके है जिन मां बाप की लडकियें थी उन को हिन भावना से देखा जाता था ।आज 20,25 साल के बाद वही समस्या उत्पन्न हो रही है ।उन लडकों के लिये लडकियें कहां से आयेंगी ये सबक उन्हीं मां-बाप के लिए है जिन्होंने कहा की हमारे तो लडके ही लडके है हमारी तो लड़की है ही नही हम high status के है ।अब लाऔ बहू कहां से लाओगे ।अब लडक़ियों के भाव तो स्वतः ही बढेंगें । अब जओ नेपाल,भूटान, अरूणाचल, बगैरह बगैरह।
मे देहरादून ordnance factory me कार्यरत हूं... और सामने सामने कई केस देखे हैं जिसमें पहाड़ी ल़डकियां ने अपनी पसंद बाहरी... बिहारी और जाट लड़कों को बनाया.... कारण हमारे पहाड़ी भाइयों को ल़डकियों से ज्यादा interest दारू सिगरेट मे... दूसरे उनकी सादा पहाड़ी परवरिश है..जिसमे वह बाहरी के मुकाबले ज्यादा तेज तर्रार नहीं है जिससे पहाड़ी लड़किया उन्हें गंवार के रूप में देखती हैं... दूसरा पहाड़ी लड़कियां उन लोगों की पहली पसंद होती है क्योंकि उन्हें जीवन संगिनी के रूप में ऐसी ही sareef खूबसूरत ladki चाहिए hoti hai
Sahi kha daru cigarette sirf uttrakhand mein he bikta hai baki sab bahari rajyon mein .. aird dudh dahi milta hai ..... Sharam ani chaiye apko aisi tippani krne mein ..
पवांर जी आपने उत्तराखंड की ज्वलंत समस्या पर वार्ता करायी है ।वार्ता बहुत सुन्दर रही ।भट्ट जी और कंडवाल जी ने वर्तमान परिदृश्य पर अपने बेहतरीन तर्क रखे । मेरा मानना यह है कि पहाड़ के ग्रामवासी और प्रवासी सभी मिलाकर लडकों और लड़कियों की संख्या में कमी नहीं आई है बल्कि प्रत्येक लड़के अथवा लड़की अपने भविष्य को एक सुविधाजनक स्थान में जीवनयापन करना चाहते हैं ।पहाड़ में सरकार द्वारा जंगली सुअर, बन्दर, तेंदुए, बाघ और आवारा जानवरों की कोई समुचित व्यवस्था न करने के कारण गाँव में खेती करना मुश्किल हो गया है ,बिना खेती के गाँव के लड़कों की आय कहां से होगी । दूसरा सरकार ने पहाड़ में 30 वर्ष पहले के मुकाबले आज आधे सेभी कम कर दिए हैं जिस कारण वहां पर युवकों को रोजगार नहीं मिल पाता । तब बेरोजगार से आज की महगाई के दौर में कौन लड़की शादी करके अपने भविष्य को अनिश्चित बनाना चाहेगी । उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र से आज फौजी पसन्द से बाहर तो हैं ही साथ ही प्राइमरी अध्यापक भी लड़कियों की पसंद से बाहर हो चुके हैं क्योंकि पहाड़ में उनके बच्चों के लिए शिक्षा ,स्वास्थ्य संबंधी कोई संतोषजनक व्यवस्था सरकार द्वारा नहीं बनाई जा रही है बल्कि और भी बदतर हालत हो गए हैं। आज के नए परिदृश्य में जाति या नाड़ीवेद का कोई मुद्दा नहीं रह गया है । शायद मैने कुछ ज्यादा ही लिख दिया है । क्षमा कीजिएगा । भगवन्त सिंह बंगारी स्याल्दे ( अल्मोड़ा )
यह समस्या केवल पहाड़ नहीं अपितु समूचे हिन्दू समाज की पूरे देश में हो चुकी है,कारण हिन्दू समाज में केवल दो बच्चे पैदा करने का कांग्रेस की जालसाजी वाला तर्क जिससे हिन्दू आबादी की पैदावार रोकी जा सके,और जो दो बच्चे पैदा हो रहे हैं उसमें बेटा बेटा का जन्म अनुपात 7 पर 3 हो चुका है,उस पर भी दो प्रतिशत लड़कीयों पूरे देश में पूरे हिन्दू समाज में लव जिहाद की शिकार हो रही हैं,जिसमें पहाड़ हो या हरियाणा कोई भी प्रांत हो अछूता नहीं है,इसलिए इस पर समग्र हिन्दू समाज को सोचना पड़ेगा।
बेरोजगार लोग किस मुद्दे पर आंदोलन कर रहे हैं? प्राइमरी स्कूल में अब गैर पहाड़ी मास्टरों की भर्ती होती हैं, पटवारी,पतरोल भी अब गैर पहाड़ी लोग होते हैं, किस खुशफहमी हो सर? फौजी,मास्टर,सरकारी नौकर दुर्लभतम वस्तु है पहाड़ के लिए। पॉडकास्ट पर मत जाओ।
बहुत सही मुद्दा उठाया है। सभी साथी अच्छा बोल रहे हैं,,,, शादी ना होने के अनेकों कारण मिलकर आज ऐसी नौबत आई है। सबसे बड़ा चिन्तनीय कारण बदल रहा लिंगानुपात है। गांव के युवा पढ़ लिख गए हैं , सो उनका ध्यान सिर्फ नौकरी पर है। नौकरी हैं नहीं,,,या मिल नहीं रही। नौकरी पाने के चक्कर में वह कुछ और करना नहीं चाहता। जैसा आपने कहा दादी की पेंशन मिल रही,पोता उसी में मस्त है, ज्यादातर की इस तरह की हालत है। यह मानसिकता भयानक है,,, इस मानसिकता के चलते वह दूसरे अवसरों की तरफ देख भी नहीं रहा। कुछ लोग लड़कियों को दोष दे रहे,ऐसा उचित नहीं है। कौन अपने लिए अच्छा घर और वर नहीं चाहता। हर किसी के सपने हैं। इस समस्या का एक समाधान यह भी है कि अपने आप को काबिल बनाएं । लड़के हों,चाहे लड़कियां हों। खैर,,, वैसे सारा मामला चिन्तनीय तो है ही।
बेरोज़गारी तथा लड़कों ग़लत दिशा में जाना जैसे शराबी होना जुवा खेलना तथा लड़कियों का नये फैशन को अपनाना गढ़वाल को छोडकर। पलायन करना अपना रिती का। तयागना। ति रिवाजों का
डिवोर्स कराने के लिए भी कई प्रोफेशनल प्रोजेक्ट हो रहे हैं। शादी के बाद ही वह मेहनत करने लग जाते हैं। साल में अगर 6 डिवोर्स करा पाए तो उन्हें 12लाख मिल रहे हैं।
पहाड़ी लड़के जवानी में पढ़ाई लिखाई का काम धछोड़कर प्रकृति का आनंद लें रहे हैऔर शादी की उम्र मे vlog बनाकर अपना रोज़गार दिखा रहें हैं साथ ही लड़की नौकरीपेशा सुंदर और संस्कारिक चाहिए और स्वयं इसके विपरीत हैं। ऐसा तो होना ही है।😊
लड़कियों के पास अब गैर पहाड़ी रिश्तों का आकर्षण ज्यादा जिम्मेदार है मौजूदा संकट का! खास कर नौकरी कर रही लड़कियाँ अपने कार्यस्थल मै ही अपने लिए जोड़ी बना रही हैं! पिछले दिनों देहरादून की लड़कियों द्वारा प्रस्तुत तलाक़ के उदाहरण शादी के प्रति शहरी उदासीनता या फिर बेटी की कमाई पर पिता की निर्भरता जैसे मकान की कर्ज की किश्तें भी बड़ा कारण है! अब तो शादी के बाद भी टिक जाने की संभावनाएं भी क्षीण हो रही हैं! गज़ब का परिवर्तन आया है समाज मै!
Sahi kaha aapne jab ladkiyan gair pahadi se shadi kar rahi hai to pahadi ladko ko kyo pahadi adki chahiye gair pahadi ladkiyon se Saadi karo Jab ye kaam hona shuru hoga to to un ladkiyon ko wapas aana padega Jo gair pahadi ladkon me ja rahi hai or unke mata pita jo aaj bolte hai ki hamari ladki kaam nahi karegi wo bhi sochne par majboor ho jayenge
Bhut hi sundar Bhatt ji isi baat ka parinam aaj hmara uttrakhand bhugat raha or fir bhi dosh ladkiyo ko hi Diya ja raha .sach mein. Aaj tasalli mili aapko sunkar dhanyawad bhai Bhatt ji🙏🙏
जो रोजगार के सिलसिले में नीचे उतरा है, उसे गरियाना तो सबसे आसान काम है. उससे हमारा पाड़ि भाइयों की जिकुड़ी में सेळि पड़ जाती है. छपछपी पड़ जाती है. लेकिन हमारी आधी से ज्यादा ज़िन्दगी वहीं गुजरी है भाई.
@ManuPanwar पवार जी उनको सोचना होगा जो देहरादून में बैठ के नेता बनकर बैठे हुए हैं। ऐशो आराम में जी रहे और चर्चा करते हैं पलायन पे? मैं तो पहाड़ में ही रहता हूँ। मैं तो बोलूँगाई। और उनकी भी गलती है जो। रोजगार के चक्कर में नीचे निकल गए उसके बाद उनकी अगली पीढ़ियों ने मुडके नहीं देखा। उनकी भी गलती है। उनको तो बोलने का कोई हाकी नहीं है। पहाड़ के बारे में सिर्फ नाम के आगे बिष्ट। रावत नेगी भारद्वाज पांडे तिवारी लगने से पहाड़ी नहीं हो जाता आदमी। रिवर्स पलायन जब तक नहीं होगा पहाड़। का कुछ नहीं हो सकता। जब हिमाचल में भी तो लोग रहते हैं हिमाचल वालों ने भी तो आपने कोई डेवलप किया है वो तो नहीं भागे कहीं। गलती उनकी है जो योजनाएं तो बना रहे हैं लेकिन खुद पलायन करके भागे नेता सारे यहां यहाँ के पलायन करके बाहर रहते हैं। दिल्ली में इनकी कोठियां धंधे पानी है। होटल हैं। नोट यहां से छापते हैं योजनाओं का पैसा ये ले? जाते हैं। लोग पहाड़ में नहीं हैं अपनी जमीनें भूल चुके हैं वहां आके बाहर के लोग बस रहे हैं....... रोजगार के लिए लोग बाहर जाएं लेकिन रिटायरमेंट के बाद तो वापस आ सकते हैं, राट क्षेत्र में लोग हैं वहाँ तो पलायन इतना इतना अधिक नहीं है।.... खैर यह बहस का मुद्दा हो सकता है या तो दोषी सब है या फिर कोई नहीं है। फिर इसमें बातें नहीं होनी चाहिए..... अन्यथा मत लीजिए।दर्द है दिल का इसलिए बोल दिया, आप अपने भाई हैं।
@ManuPanwar जिनका रोजगार वहीं है वो क्यों उतरे है? जिनका गांव मार्केट से 1 किमी दूर है वो क्यों पास के बाजार में किराए पर रह रहे? बैठ कर ज्ञान पेलना आसान है धरातल पर बैठ कर चर्चा मुश्किल है । और जब तक बिना सोचे तीर नहीं चला लेते तब तक तुम लोगो की जिकुड़ी पर छपछपी नहीं पड़ती
आज के समय अधिकतर मां बाप की हिम्मत नहीं है जो अपने बच्चों की शादी कर सकें. चाहे उनका बड़ा मकान हो व लड़का लड़की का बड़ा पैकेज हो. इस समय रोजगार की समस्या नहीं है बल्कि शादी की समस्या है.
इसे हम इस तरह भी देख सकते हैं, गांवों में रहने वाले लड़के वास्तव में दिशाहीन होते जा रहे हैं, और लडकियों की पढाई लिखाई का स्तर बढ गया है, और उनका रुझान नौकरी की ओर अधिक होने से वह घरेलू लडकों से शादी नहीं करना चाहती, क्योंकि गांवों में लडकियों के लिये प्रत्यक्ष रोजगार नहीं है। और खेती बाड़ी , पशुपालन वह करना नहीं चाहती।
पहाड़ की लड़कियां कुछ ना समझ भी मुझे लगती हैं, क्योंकि वे फेरी वाले के साथ,बारबर के साथ और नार्मल बहार के लेबर के बहलाने फुसलाने में आ कर भाग रही हैं।ऐ भी एक कमजोरी हमारी लड़कियों की है।
Hmm bas ladki ghas kat ti rahe ...janwar sambhalti rahe ... jab pregnant ho to 10 km paidal chale... doctor / hospital dur tak na ho .. pati baithe baithe carrom / taash khele ..
@ManuPanwar सर आपने बिल्कुल सही कहा हर व्यक्ति को अपने फैसले लेने का पूर्ण अधिकार है। इस ज्वलंत मुद्दे पर को आपने उठाया उसके लिए आप धन्यवाद के पात्र हैं।
@@ManuPanwar, ajaadi ka dhindora peet rahe ho to bhoo kanoon ke time kyu muh chalne lagta hai aapka?? Kayi pahadi ladkiya to aisi hai jo rehte Delhi, dehradun, Rishikesh haldwani, kotdwar the par ladki ki jab shaadi desiy0 mein hui to desi khasamo ne unke liye pahad mein ek ghar banane ki iccha rakhi to ladki walo ne gaw ki apni ek jameen de di. Upar se jab yeh bahar rehne wali pahadi ladkiya desiyo mein byah karengi to ladkiyo ka akaal to hoga hi. Seher ke pahadi ladke gaw ki ladkiya layenge aur dekha dekhi mein gaw ki dusri ladkiya bhi dehradun, Delhi, haldwani wala dhundengi..aise to pahadi Uttarakhand mein hi minority ban raha hai. Aur aap marji aur ajaadi ka gyan pel rahe.😂😂😂
@@ManuPanwartoh pariwar ka kya kiya unko haq nhi hai ki wo apni beti ki shaadi ache pariwar walon mein kare ladko ka kya dosh hai unko ladkiyan nhi mil rahi pasand katua ya nali ke kide are hai kya toh phir adhe se jyada hindu garhwali ladke avivahit hai kya ladki laalchi nhi hai kya wo hawasi nhi hai ya fir usmin samajh nhi hai or apne pariwaar ke prati samaan nhi hai apne dharm par vishwash nhi hai vishwash wo hai jiss se sukh prapat hota hai lekin avishwaash se utni hi hani hoti hai
पहाडी लडकियां भी स्थायित्व चाहती है,उसने देख लिया कि पहाड में कठिन परिश्रम के वाबजूद कुछ हासिल नहीं होता बल्कि अपना खुद का वजूद खत्म हो जाता है। फिर उसे सन्तान के पालन पोषण शिक्षा चिकित्सा व अपनी भविष्य भी तो देखना है। अब गांव गुठ्यार तो वैसे तो पहले से ठीक ठाक है लेकिन न तो समुचित चिकित्सा ना सुरक्षित रोजगार की व्यवस्था है।
Han isse pahle to log wahan rahe hi nhi hein jeise , wo baad mein pachta rahe hein, jo kewal and only money based par chal rhe hein wo utne khus nhi hein, Bahut sari ladkiyan unvyahi hi ho rhi hein, karma returns,
@@AmitPant-ss9ij...ji please Mai faminist ladkiyo ki side to nhi lungi pr .....ladkiyo ko dos dena bnd kre ....phle jb ldke acchi job krne lge phodo se bahr Jane lge to unhe kaam wali ldki km aur padi likhi ldki dhudhne lge ...ma baap me smaj ki niyamo se htkr ladkiyo ko pdhana suru kiya ...ab jb ldki pdhi likhi hai to kyu na acchi job wale ladk dhudhe ....banki jb ldkiya km h puroso me to paida hi nhi huyi to kha se milengi ......aur aap apne ganw me hi btaye ek do ldko ko chokr kon accha ldka hota h khud hi jawab de... responsibility lena sikho ldko jruri nhi h shadi hi ho jindgi me accha bnna sikho
Sthayitva dekho kon mana kar rha ha, ladki ko apna ko apna ghar bhi dekhan chahiye, sab padhe likhe hein aaj kal ab anapadh koi nhi rhata ajkal thk chu, or bata dun isi chakkar mein koi na bhave, fir 40 mein pachtawe ya fir jaldi hote bhi pachtawe, kyunki priority hi anusangik nhi ha, dundho dundho , Riste dil se banye jate hein , values se banaye jate hein, value honi chahiye, padhe likhe ladke bhi ab nakhare dikhate hein , kyun jawab samne ha, so where you are going you know yourself
Mai Bhatt ji ki baton se bilkul sahmat hu kyo ki meri bhi 2 betiya hai dono govt job me level 6 pr hai hm bhi uttrakhand se h isliye hm chahte the ki hme uttrakhand ka hi ladka mile but 5 sal lge betiyo ke brabr ladka dhudhne me finely ab dono ki shadi hui hai
मनोज रावत जी आपने बिल्कुल सही कहा है। सारी समस्या आज तक की उत्तरप्रदेश आधीन सरकारो के पहाड के लोगो के साथ भेदभाव का है। उत्तराखंड की सरकार - केंद्र की सरकार को कुछ ऐसी योजना बनानी पड़ेगी की हमारे पहाड़ी भाईयो। को अपने पहाड मै ही सबकुछ मिल जाऐ।व बहू भी मिल जाऐगी। भट्ट जी आपका इस शुभ काम के लिए बहुत-बहुत आभार पर अब अपना देहरादून वेगाना हो गया। धन्यवाद।
💯 BAat ki Ek BAat 💯.. After 2016 Mobile ne Ladkiyo Ka life Style hi Change Kiya.. bt I'm Married 2020 .in Village poor Girl & I''m Stay in Mumbai Happy with My Family ❤
एक आकड़े के अनुसार कुछ सालों से अब तक उत्तराखंड से लगभग 6 हजार से अधिक लड़कियां व महिलायें गायब हुई वे कहां गयी किनसे शादी की कहां हैं किस हालत में है कितनी वापस आयी ?
आपने इस विषय पर सभी लोगों का ध्यान आकर्षित किया और एक मंच पर मुद्दा उठाया उसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, आप बुधिजीवियों से अपेक्षा करते हैं कि आप इस समस्या की तह तक जाएं और इसके समाधान के लिए क्या कर सकते हैं, इसमें आम-जनमानस भी सहायता कर सकते हैं.
इतनी चर्चा करने की जरूरत नहीं है।मुख्य समस्या पहाड़ में शिक्षा का बुरा हाल व रोजगार का तो उससे भी बुरा हाल है चकराता व कालसी में जो शिक्षक पढ़ाने आते हैं वो लोग रोज देहरादून,डोईवाला से 90 से100 किलोमीटर का सफर करके आते हैं लेकिन यहां रुकने को राजी नहीं है।
कारण नम्बर -2 - चाहे बेरोजगार हो या रोजगार वाला शाम का खर्चा २०० का पेट्रोल 800 का मुर्गा बोतल क्या आप कोई ऐसे में कन्या दे दोगे । लड़के अयोग्य होते जा रहे हैं सास को मोटी रकम चाहिए
हमें अपने उत्तराखण्ड में ही शादी करनी चाहिए। दूसरे समुदाय में मत जाओ जब तक बहुत जरूरी नहीं हो जाता। अपने गांव भी जरूर जाना साल में एक बार। तभी हम अपनी भूमि से जुड़े रहेंगे। मैं भी उत्तराखण्ड के लोगों की शादी के लिए लड़का या लड़की ढूंढ रहे लोगों की सहायता करता हूं। जिससे हम अपने ही समाज से जुड़े रहें।
1-क्योंकि पहाड़ मैं जो लोग ज्यादातर बचे हुए हैं वह गरीब है तथा कोई रोजगार उनके पास नहीं है। सरकारको बड़े बड़े इंस्टिट्यूट पहाड़ों में खोलना चाहिए जिससे कुछ रोजगार बड़े । २-पहाड़ों में शराब के ठेके 8:00 तक बंद कर देना चाहिए ताकी दुर्घटनाएं काम हो व पहाड़ के लोग रात को शराब पीने ठेके की तरफ ना जाए। जिससे थोड़ा उनका पैसा बचा सकेंगे। ३-हिमाचल राज्य की तरह पहाड़ के लोगों को भी गांव गांव जाकर सरकारी सब्सिडी वाली योजनाओं की जानकारी मिलनी चाहिए। 80% लोगों को जानकारी नहीं रहती सरकार की क्या क्या योजनाएं गांव के लोगों के लिए चल रही है।
भट्ट जी भी सही कह रहे हैं लडकौ की बहुत पहले से एक्टीवेशन बहुत रही है अब लड़कियां बेचारी नहीं रही पढ़-लिखकर जागरुक हो गई है लडकौ के बराबर कमाने लगी है अपना अच्छा बुरा भी सोचने लगी है उनको भी अब अपने बारे में फैसला लेने का पूरा हक है और क्यूं न हो ❤
उत्तराखंड के लड़कों से शादी करने के बाद सबसे बड़ी समस्या आती है जीवन यापन करने की । उत्तराखंड में लड़कियों को शादी करने के बाद ना तो ससुराल वाले सपोर्ट करते हैं और ना ही मायके वाले और ना ही लड़कियां इतनी सक्षम और काबिल होती है कि वह अपना जीवन निर्वाह स्वयं कर सके। उत्तराखंड में शादी करने के बाद लड़कियों को लावारिस छोड़ दिया जाता हैं जहां लड़कियां अपना घर परिवार जिम्मेदारी उठाने के लिए स्वयं मजबूर हो जाती है , और फिर शहरों में आकर के छोटे छोटे काम या छिछोरी हरकतें करती हुई उत्तराखंड की लड़कियां दिखाई देती हैं। क्योंकि वहां के लोगों के पास ना तो पक्के घर होते हैं और नही गुजारा करने के लिए जमीन
ऐसा इसलिए भी है क्योंकि किसी अधेड़ उमर के लड़के को unmarried लड़की ही चाहिए लड़के unmarried hi रह जाएंगे लेकिन किसी विधवा महिला या divorcy महिला से विवाह नहीं करेंगे ये हमारे समाज का दोगलापन ही है कि समाज के नियम पुरुष के लिए अलग और महिला के लिए अलग......... क्यों ???
मेरी पहली लड़कीं है दूसरा बच्चा होने वाला है लेकिन मुझे नही पता है कि वो पेट वाला बेबी लड़का है या लड़कीं है ।जो भी होगा अच्छा होगा मुझे स्वीकार है । और दो बच्चो के बाद तीसरे के लिए नही जाऊंगा ।एक लड़का एक लड़की हो या फिर दो लड़कियां कोई फर्क नही पड़ता मुझे। वैसे भी लड़कीं लक्ष्मी का स्वरूप है।❤❤❤❤
@kantabisht252 पहाड़ो में तो वैसे भी लेन देन नही होता है हमारे वहाँ लड़कीं वाले कुछ जेवर बनाते है अपनी लड़कीं के लिए और कोई दे ही देता है तो बेड और सोफा वो भी अपनी मर्जी से देते है ।कोई जोर जबर्दस्ती नही करता जे
@@सबप्रभुकीकृपाहै भाई साहब हम हिन्दुओं की यही सोच की एक बेटा एक बेटी हुई तो परिवार पूरा हुआ गलत है... इस तरह भविष्य में चाचा ताऊ मौसी और भी बहुत रिश्ते ऐसे ही खत्म हो जाएंगे.... दूसरे यहाँ मुस्लिम बाहुल्य हो जाएगा तो हमारे बच्चों के ऊपर बांग्लादेश वाला संकट आएगा.... कृपया चार या पांच तक के लिए सोचें... मेहरबानी होगी 🙏🙏🙏🙏
सर प्लीज एक बार उन घरों के बारे में भी चर्चा करे जिन घरों में कोई लड़का सरकारी नौकरी है उन घरों के नखरे भी देख लो ज़रा वह भी अपनी मेहनत से नहीं बाप की जगह में लगे होये ह
Sabko eak din marna ha lekin aajkal shaddi bache pasie ghar isi me pagal ha pta ha dono me se koye marega jbi bhi insaan shaddi ke lye pagal bog vilas mal mutr me kelhna pasand ha insaan ko yahi bagwan ji ki maya na insaan ko iske alawa kuch dikta nehe ha kitna bhi suk suvida ki chise jod lo nehe milega bagwan ji ke name hi suk yeh wife husband bache pasie ghar aso aram sab kuch chutega eak din insaan isi ke piche pagal ha jo saat jana nehe ha asli suk bagwan ji ke name me ha yahi saat jana ha
Ldki chiye pr km sunder nhi, ghr k kaam kre pr job nhi, bolne chlne m achhi ho pr ghr k imp kaamo m nhi, ghr pr maa bhaap ki khatirdari kre apne khud ki halt na sudhare
अच्छा है नही मिल रही लड़कियाँ, अतुल सुभाष नही बनना पड़ेगा उनको।। शादी हो भी रही हैं तो अधिकांश दिखता है कि जहाँ लड़की अच्छी है तो लड़का प्रताड़ित कर रहा है, और कहीं लड़का व परिवार ठीक है तो लड़कियां कुछ "निकिता टाइप" भी हो जा रही हैं।। तो सोचिये शादी नाम के इस पवित्र बंधन का कैसा मज़ाक बना कर रख दिया है??
बिल्कुल सही कहा आपने लड़कीया नौकरी कर रही है उनकी सैलरी 75000 हजार है लड़कों की सैलरी हम से कम है जो कि लड़कों का अपना मकान है घर परिवार अच्छा है लडकीयां अपने मर्जी से चल रहे हैं मेरे पास भी 12से 14 लड़के हैं समस्या बड़ी गंभीर है। जय श्री राम जय श्री कृष्णा 🙏
आदरणीय इसके लिए बहुत सारे कारण हैं, मेरे पास 273 ऐसी कुंडलियां हैं जो 35 साल से ऊपर हैं, पहाड़ में ये इस समय सबसे बड़ी समस्या है, सबसे बड़ा कारण है एसपेक्टेशन उम्मीद ऐसी कि बड़ी नौकरी हो 2 से 2.5 लाख महीने की, साथ में बड़ा मकान, खूबसूरत भी होना चाहिए और अगर परिवार में लड़के की बहन भाई और यहां तक कि मा बाप भी साथ न हो तो उनको वरीयता दी जाती है।
साड़ी की जादा समस्याओं का समाधान ल़डकियों की माँ बाप कर सकते है क्योकि जो ल़डकियों देखने में सुन्दर है उनकी पसन्द 18 19 में ही हो रहीं हैं और माँ बाप बोलते हैं कि हमारी ल़डकियों तो अभी छोटी है मगर अपनी बेटी के बारे मे नही जानते है कि वह कब बड़ी हो गई हैं और जब उन्हें एक बहुत ही सुंदर रिसता आता है और तब वह अपनी ल़डकियों को पूछता है तब ल़डकियों बोलती है कि हमे अभी शादी नहीं करनी है हमको तो padahi करनी है मगर चक्कर कुछ और होता है
बहुत सुन्दर विश्लेषण. हकीकत लेकिन 25% ladkikyan Panjabi, Bihariyo, jaatt etc se शादी ker रही हैं... 5% मुस्लिम ले जा रहे हैं.. जो bach जाती हैं वो इतनी लायक नही कीं अछा लड़का शादी करे, कई कीं demand इतनी होती हैं कि. लड़के पूरा नही कर्ता हैं....
नेपाल से भी नहीं मिल रही है। मैं लगभग नेपाल बॉर्डर में रहता हूं , दो शादियां नेपाल से फिक्स हुई थी । अब वह भी कैंसिल हो गई है । लड़कियों ने इंडिया आने से मन कर दिया ही , सरकारी सर्विस वाले लोगो को भी नेपाल से लड़की नहीं मिल रही है । यह समस्या 20 वर्षो से चल रही है । आने वाले भविष्य में और भी विकट समस्या खड़ी होने वाली है।
अच्छा विषय है। सामाजिक बदलाव और विसंगतियों को इस मुद्दे के सा भी उठाया जा सकता हैं। सामाजिक विसंगतियों के पीछे राजनीतिक नियोजन पर भी सवाल उठते है। पहाड़ के विकास और आर्थिकी पर जिस तरह पच्चीस बरसो से काम हुआ है। उसकी किसी को उम्मीद ही नही थी। परिणा सामने आने लगे है। यदि अभी भी सरकारी तंत्र पहाड़ पर कोई ठोस निर्णय लेकर काम नही करता तो आने वाला समय कैसा होगा यह समझा जा सकता है। बधाई देता हूँ कि आपने एक संवेदनशील मुद्दे को केन्द्र में रखकर परिचर्चा की है। हमारे गाव खुशहाल नही है। यह कहना पर्याप्त नही है। गाँव दुखी है यह कहना बेहतर होगा। आगे भी सामाजिक मुद्दो पर परिचर्चा जारी रखेंगे। -चन्दन सिह नेगी
पहाड़ों में बहुत मुश्किलें है जी, हम तो सिर्फ गर्मियों में गांव जाते थे और घूम कर आ जाते थे बचपन मैं , अब हम कभी कभी ससुराल जाते है पहाड़ में तो सुविधाओं के अभाव में ज्यादा दिन नहीं रह सकते हैं।
आप लोगों ने बहुत ही बडा मुद्दा उठाया है ये समस्या हर एक प्रांत कि है काही पर कम कहीं ज्यादा लाडकीयां पढ रही है उन्हे पता है उन्हे जिंदगी मै अगर कुछ समस्या आई तो अपने माँ बाप के पास नाही आ सकती लडकीया हर क्षेत्र मये बढ रही है लडके हमेशा अपने comfort zone me rahe माँ बाप है जयदाद भी मिलेगी लडकी आकार घर पर काम भी करेगी उनको कुछ भी साबीत नाही करना है ये शायद मेरी अपनी opinion हो सकती है 🙏
सबसे बड़ी समस्या ख्वाहिशें बढ़ गई हैं , मां बाप को भी धन दौलत से परिपूर्ण लड़का चाहिए । जबकि पहले मां बाप ये देखते थे कि किस लायक है ...अपने जॉब में आगे बढ़ने वाला लगन और मेहनती है कि नहीं ...इसी से संतुष्ट हो कर रिश्ते तय हो जाते थे ।
मेरा एक फौजी मित्र है, उसके घरवाले उसके लिए उचित कन्या की खोज में पूछा जा रहा है कि बेटा फौजी है या अग्निवीर। अग्निवीर को मना कर दिया जा रहा है। खैर मेरा मित्र अग्निवीर से पहले भर्ती हो गया था।
एक दूसरे के बारे में जानना भी कठिन हो गया क्योंकि सब अपने गांव से बाहर कहीं महानगरों में सेटल हो गए हैं लड़के के बारे में तथा लड़की के बारे में जानकारी जुटाना बहुत ही कठिन हो गया आप लड़की या लड़के के परिवार के बारे में तो जान सकते हैं परंतु कैंडिडेट के बारे में जानना भी आवश्यक होता है आखिरकार जीवनसाथी की आदतों व्यवहार और व्यक्तित्व को जाने बगैर कोई किसी से शादी कैसे कर सकेगा यह भी एक बहुत बड़ी समस्या उभर कर आई है
मुझे इस बारे में ज्ञान तो था कि यह मुद्दा में काफी ज्वलंत मुद्दा है हमारे पहाड़ में लेकिन आपके डिबेट को सुनकर मैं इसे और गहराई से समझ पाया हूं लेकिन आप लोगों को इस समस्या का कोई ठोस हल भी बताना होगा
सर मुझे लगता है जो बच्चे अपने पैरों पर खड़ा होना चाहते थे जब के लिए वही आजकल शादी के लिए परेशान है और लिंगानुपात सबसे बड़ी समस्या और मोबाइल शादी जो बाद में टूट जाती है
लडकी बाहरी लोगों से शादी कर रही है पैसे के लिए। लेकिन लड़के चाहते है पहाड़ी लड़की हो । लड़कों को भी देसी लडकियों से शादी कर लेनी चाहिए पहाड़ी लड़कियों के तो वैसे भी भाव बढ़ गए है। देसी लड़कियां तो फिर भी ठीक है
Iske kai reasons hain aur ye bohot saare factors ka mila jula effect hai..par ek baat to fact hai ki isse agle 15-20 saalon mei uttarakhand ki bachi khuchi bhasha, rehen sehen, sanskriti, religious practices, demography.. basically uttarakhand ki mool pehchan vilupti ki kagaar pe pohoch jayegi.
आजकल शायद लड़के, 16:55 लड़की की समस्या नहीं है महंगी पढ़ाई, एरोप्लेन main घूमना, बड़ी ,बड़ी कम्पनी के ब्रांड के कपड़े, होटलों मैं खाना ,व्रत मैं भी बाहर खाना , घर में बाईयों का खर्चा, दूसरों को देखकर अपना स्टेंडर्ड मेंटेन करना ससुराल मैं ये सभी सुविधाएं, सरकारी नौकरी, बड़ा मकान , ओर लड़की की मां के बड़े सपने , मां की अनचाही सलाह के कारण आज समस्या हो रही है 😂
100% yehi baat he bhai ... social media ki kalpanik duniya me ladkiya ji rhi he ... Uske dekha dekhi me ek bekar si ladki b apne liye Rajkumar ki chahat rakhti he ..
सर जी सबसे बड़ी समस्या तो जाति के अंदर जो जातिवाद है व्व है,,, ब्राह्मण,राजपूत,sc, st सभी मे ये समस्या है कि आपस मे एक ही वर्ण के होने के बावजूद आपस मे रिश्ते देने को तैयार नही है ही ,,,, तो कहा से दिखेंगे रिश्ते,,,,और ये देहरादून में मकान हो ऐसा जरूरी नही है, न तो लड़कियों की संख्या कम है न लड़को की , जाती के अंदर जाती वाला सीन है
बहस का कोई हल नहीं है, में सभी पुरुष मित्रों को सलाह ये देना चाहूंगा कि सरकारी नौकरी के लिए जीतोड़ मेहनत करें तो ब्वारी मिल जाएगी, बाकी बेरोजगार भाइयों के लिए ये है कि आप लोग क्या ही करोगे शादी करके शांति की खोज में एक बार जरूर निकलें, अंततः बुद्धम शरणम् गच्छामि 😃🙏
भाई जी एक कारण यह भी है की जब से घड़वाली लड़की चोटी बड़ी नोकरी ५ _१० हजार वाली ,ओ लड़कियां अपने आप सेट कर रहै है और जो मां बाप के भरोसे है उनको लड़कियां नहीं मिल रही जो चालू टैप के है उनके पास दो दो चार चार गर्लफ्रेंड है
कोई कमी नहीं है सिर्फ महत्वाकांक्षा बढ़ गई है!
1)गंवार लड़की को फौजी चाहिए,फौजी को एजुकेटेड जॉब वाली!
2) पढ़ी लिखी को सरकारी नौकरी वाला चाहिए,सरकारी नौकरी वाले को अच्छी इकोनॉमिक बैंक ग्राउंड वाली या सुविधा जनक जॉब वाली चाहिए!
3) सुविधाजनक जाब वाली लड़की को अच्छी इकोनॉमिक पोजीशन वेल सेटल्ड चाहिए;वेल सेटल्ड वेल इकोनॉमिक पोजीशन वाले को रोब दार जॉब वाली बीबी या बी बी का फैमिलीबैक ग्राउंड वाली चाहिए!
वेल बैक ग्राउंड वेल पोजीशन वाली लड़की पहले ही किसी से चक्कर चला कर फुर्र हो जाती है!
समीकरण असंतुलित हो चुका है संतुलन के लिए वैल्यू कम या ज्यादा वाला फंडा है बस!
You meant to say ganwaro ko fauji pasand hai?
@Dakoti. Priority!
It is not so complicated to understand.
Bilkul sahi baat h
सबको सुरक्षित और खुशहाल जीवन के बारे में प्राथमिकतायें तय करने का हक है। असल मसला ये है कि हमारे यहां रोजगार का संकट है. बुनियादी सुविधाओं का संकट है.
@ManuPanwar according to self capability and self valuation is must in both the sites. मतलब खुद की औकात का खुद आंकलन करेंगे तो ऐसा अकाल नहीं पड़ेगा
रोजगार की कमी तब भी थी जब लोग 40 -50 साल पहले बाहर जाकर नौकरी करते थे पर अपनी औकात में रह कर ब्याह करते थे!
ये बहस ऐसे है जैसे "बहस होनी थी गरीबी की रेखा पर और हो रही है रेखा की गरीबी पर "।समस्या उन लड़कियों की हैं जो गाँव ही पैदा हुई,वहीं पढ़ी और शादी में मांग करती हैं सरकारी नौकरी और देहरादून में मकान वाले की क्योंकि काम न करना पड़े। दरअसल आज की तारीख में कोई खेती पशुपालन नहीं करना चाहती है। बैठे बैठे खाने को मिले। कमाने वाला चाहे दर दर भटक रहा हो।
सही बात है अंकल जी। लड़कियां बैठे बैठे खाना चाहती हैं और आपकी बेटी भी ऐसा ही चाहती होगी।
असल मे बात ये है कि शादी कर के तुम लोग ले आते हो बहु फिर तुन्हें चाहिए 1 साल के अंदर एंड नाती। अगर नाती नहीं हो रहा तो शादी के 3 महीने बाद से ही लड़कियों का जीना हराम कर देती हैं तुम्हारी बीवियां, मतलब जो सासुए और उनकी दगड़िया होती हैं।
चौथे महीने जो कोई छूत हो गई तो बस खाने भी नहीं देते की अब नाती नहीं बना रही।
फिर बच्चा पैदा कर दिया अगर लड़की हो गई तो 1 साल के अंदर दूसरा बच्चा चहोये। नाती तो तुम्हे चाहिए ही। अगर वापस नातनी हो गई तो बहु की आत्महत्या करने की नोबत ला देती हैं ये गांव की महिलाएं।
अब बच्चे पालने को पैसा तो चाहिए ना।
बेरोजगार लड़के से शादी कर के अपनी ज़िंदगी खराब करनी होरी। या तो तुम लोग कह दो कि हमारा बेटा बेरोजगार है। तो तुम्हारी मर्ज़ी बच्चे करो या न करो। तुमने पालना है। फिर वो बेरोजगार घर के खर्चे की चिंता से परेशान आएगा दारू पी के। उसका दोष भी बहु पे ही कि पहले तो हमारा लड़का नी पीता था।
कुल मिला के इन सब झंझटो से बचने का एक ही रास्ता है या तो तुम लोग फ्रीडम दे दो कि बच्चे करना नहीं करना तुंहरी मर्ज़ी है। तो हम लड़कियां भी कर लेंगी बेरोजगार से शादी।
वरना ज्यादा हल्ला मत मचाओ नेपाल से ले के आओ बहु
Sahi kaha aapne
मैं आपकी बात से सहमत हूं, लेकिन अगर महिलाएं कार्य नहीं कर रही है तो इसके पीछे भी पुरुष वर्ग का हाथ है क्योंकि उन्होंने शुरू से ही महिलाओं को ज्यादा जिम्मेदारी दी है। भले वह 10000 की नौकरी बाहर कर लेंगे। लेकिन अपने गांव में जहां वह 20 से ₹30000 भी खेती-बाड़ी और गाय दूध बेच कर सकता है, लेकिन वह ऐसा नहीं करता है बल्कि महिलाओं पर शोषण अत्याचार होता है। इसलिए महिलाएं का रुख बाहर की तरफ भी हुआ है। इस बात पर कोई ध्यान नहीं देगा और ना ही इस बात पर कोई बात करेगा।
भले ही लड़की के मां बाप अपनी बेटी के लिए ऐसा रिश्ता देखते हैं जहाँ उसे कठिन काम न करना पड़े
पहाड़ की लड़की दूर दराजों से गए मुस्लिम लेबर से तो शादी करने को तैयार है लेकिन पहाड़ी लड़की को ठुकरा दे रही है ये आज की लड़कियों ने बहार के लड़कों से शादी करना अपना स्टेटस बना दिया है।
लड़की को दोष देना सबसे आसान काम है
@@ManuPanwar
पंवार जी चरित्र पतन तो हुआ ही है ।
Isme hamare samaj ki bhi kami hain... Hamara pahadi samaaj sirf paisa dekh kar hi relation banata hain.
@@AnilSharma-ho3gz
इसलिए मैं चरित्र पतन लिखा था ।
सबसे पहले पहाड़ी लड़को को नशा छोड़ना होगा काम धंधे पर ध्यान देना चाहिए, और 24-25 साल तक खुद के पैरो में खड़ा हो जाना चाहिए, पैसा कम ज्यादा लगा रहता है,फिर लड़कियों के माँ बाप को भी अपनी लड़की को सही शिक्षा और संस्कार देने चाहिए, लड़कियों की शादी की उम्र 23 और लड़कों की 26 साल तय होनी चाहिए,पति पत्नी समझदार और मेहनती हो तो शादी के बाद भी बहुत कुछ कर सकते है,लेकिन पहाड़ियों का हिसाब गलत है,26-26 साल तक लड़का शादी के बारे में सोचता तक नही ना इनके माँ बाप सोचते है,वही हाल लड़कियों का है,18 साल होते ही बाहर जॉब करने आ जाती है,फिर ये लोग भी देखा देखी जिंदगी जीते है,दूसरा पहाड़ो में लड़कियों की डिमाण्ड बहुत गलत है,सरकारी नौकरी,हल्द्वानी में घर या प्लाट अकेला लड़का उसके बाद कोई रिश्ते आते भी है,कुंडली मे रूकावट फिर लड़का लडक़ी की हर कोई रिश्ता पसन्द भी तो नही आ सकता
अविवाहित रहना भी विकल्प सही है इसमें कोई आपत्ति नहीं है ।।।।
Ladkiyan bhi toh budhi ho rahi hain,, sex ratio toh same hi hai,,, jin chutiyon pe kam ni hota vo aisi video bnate hain,,,
Yeh matter bahut important hai , mera khud ka bada
bhai 50 plus ho gya h
काफ़ी महत्वपूर्ण मुद्दे पे बात हुई । नमन ऐसी उच्च कोटि की पत्रकारिता को पंवार सर ।
बिल्कुल संजीव कंडपाल जी सही कह रहे है ।90 से 2000 के दशक में उन मांबाप का यही कहना था हम तो बहुत ठीक है हमारे तो लडके ही लडके है जिन मां बाप की लडकियें थी उन को हिन भावना से देखा जाता था ।आज 20,25 साल के बाद वही समस्या उत्पन्न हो रही है ।उन लडकों के लिये लडकियें कहां से आयेंगी ये सबक उन्हीं मां-बाप के लिए है जिन्होंने कहा की हमारे तो लडके ही लडके है हमारी तो लड़की है ही नही हम high status के है ।अब लाऔ बहू कहां से लाओगे ।अब लडक़ियों के भाव तो स्वतः ही बढेंगें । अब जओ नेपाल,भूटान, अरूणाचल, बगैरह बगैरह।
केरला , बंगाल या मूली से भी कर सकते हैं
मे देहरादून ordnance factory me कार्यरत हूं... और सामने सामने कई केस देखे हैं जिसमें पहाड़ी ल़डकियां ने अपनी पसंद बाहरी... बिहारी और जाट लड़कों को बनाया.... कारण हमारे पहाड़ी भाइयों को ल़डकियों से ज्यादा interest दारू सिगरेट मे... दूसरे उनकी सादा पहाड़ी परवरिश है..जिसमे वह बाहरी के मुकाबले ज्यादा तेज तर्रार नहीं है जिससे पहाड़ी लड़किया उन्हें गंवार के रूप में देखती हैं... दूसरा पहाड़ी लड़कियां उन लोगों की पहली पसंद होती है क्योंकि उन्हें जीवन संगिनी के रूप में ऐसी ही sareef खूबसूरत ladki चाहिए hoti hai
Sahi kha daru cigarette sirf uttrakhand mein he bikta hai baki sab bahari rajyon mein .. aird dudh dahi milta hai .....
Sharam ani chaiye apko aisi tippani krne mein ..
@sunilrawat9862 .. तो सही विश्लेषण आप ही कर दो... मे फैक्ट पर बात कर रहा हूं... जो देखा है...
पवांर जी आपने उत्तराखंड की ज्वलंत समस्या पर वार्ता करायी है ।वार्ता बहुत सुन्दर रही ।भट्ट जी और कंडवाल जी ने वर्तमान परिदृश्य पर अपने बेहतरीन तर्क रखे ।
मेरा मानना यह है कि पहाड़ के ग्रामवासी और प्रवासी सभी मिलाकर लडकों और लड़कियों की संख्या में कमी नहीं आई है बल्कि प्रत्येक लड़के अथवा लड़की अपने भविष्य को एक सुविधाजनक स्थान में जीवनयापन करना चाहते हैं ।पहाड़ में सरकार द्वारा जंगली सुअर, बन्दर, तेंदुए, बाघ और आवारा जानवरों की कोई समुचित व्यवस्था न करने के कारण गाँव में खेती करना मुश्किल हो गया है ,बिना खेती के गाँव के लड़कों की आय कहां से होगी । दूसरा सरकार ने पहाड़ में 30 वर्ष पहले के मुकाबले आज आधे सेभी कम कर दिए हैं जिस कारण वहां पर युवकों को रोजगार नहीं मिल पाता । तब बेरोजगार से आज की महगाई के दौर में कौन लड़की शादी करके अपने भविष्य को अनिश्चित बनाना चाहेगी ।
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र से आज फौजी पसन्द से बाहर तो हैं ही साथ ही प्राइमरी अध्यापक भी लड़कियों की पसंद से बाहर हो चुके हैं क्योंकि पहाड़ में उनके बच्चों के लिए शिक्षा ,स्वास्थ्य संबंधी कोई संतोषजनक व्यवस्था सरकार द्वारा नहीं बनाई जा रही है बल्कि और भी बदतर हालत हो गए हैं।
आज के नए परिदृश्य में जाति या नाड़ीवेद का कोई मुद्दा नहीं रह गया है ।
शायद मैने कुछ ज्यादा ही लिख दिया है ।
क्षमा कीजिएगा ।
भगवन्त सिंह बंगारी
स्याल्दे ( अल्मोड़ा )
यह समस्या केवल पहाड़ नहीं अपितु समूचे हिन्दू समाज की पूरे देश में हो चुकी है,कारण हिन्दू समाज में केवल दो बच्चे पैदा करने का कांग्रेस की जालसाजी वाला तर्क जिससे हिन्दू आबादी की पैदावार रोकी जा सके,और जो दो बच्चे पैदा हो रहे हैं उसमें बेटा बेटा का जन्म अनुपात 7 पर 3 हो चुका है,उस पर भी दो प्रतिशत लड़कीयों पूरे देश में पूरे हिन्दू समाज में लव जिहाद की शिकार हो रही हैं,जिसमें पहाड़ हो या हरियाणा कोई भी प्रांत हो अछूता नहीं है,इसलिए इस पर समग्र हिन्दू समाज को सोचना पड़ेगा।
बेरोजगार लोग किस मुद्दे पर आंदोलन कर रहे हैं? प्राइमरी स्कूल में अब गैर पहाड़ी मास्टरों की भर्ती होती हैं, पटवारी,पतरोल भी अब गैर पहाड़ी लोग होते हैं, किस खुशफहमी हो सर? फौजी,मास्टर,सरकारी नौकर दुर्लभतम वस्तु है पहाड़ के लिए। पॉडकास्ट पर मत जाओ।
आपने बिल्कुल सही कहा पहाड़ो मे एक मुद्दा दहेज भी है दहेज न लाले पर लडकियों को पर्तादित भी करते ह फिर चाहे लड़का कम कमाता हो पर दहेज पूरा चाहिए
बहुत सही मुद्दा उठाया है। सभी साथी अच्छा बोल रहे हैं,,,, शादी ना होने के अनेकों कारण मिलकर आज ऐसी नौबत आई है।
सबसे बड़ा चिन्तनीय कारण बदल रहा लिंगानुपात है। गांव के युवा पढ़ लिख गए हैं , सो उनका ध्यान सिर्फ नौकरी पर है। नौकरी हैं नहीं,,,या मिल नहीं रही। नौकरी पाने के चक्कर में वह कुछ और करना नहीं चाहता।
जैसा आपने कहा दादी की पेंशन मिल रही,पोता उसी में मस्त है, ज्यादातर की इस तरह की हालत है।
यह मानसिकता भयानक है,,, इस मानसिकता के चलते वह दूसरे अवसरों की तरफ देख भी नहीं रहा।
कुछ लोग लड़कियों को दोष दे रहे,ऐसा उचित नहीं है। कौन अपने लिए अच्छा घर और वर नहीं चाहता। हर किसी के सपने हैं।
इस समस्या का एक समाधान यह भी है कि अपने आप को काबिल बनाएं । लड़के हों,चाहे लड़कियां हों।
खैर,,, वैसे सारा मामला चिन्तनीय तो है ही।
बेरोज़गारी तथा लड़कों ग़लत दिशा में जाना जैसे शराबी होना जुवा खेलना तथा लड़कियों का नये फैशन को अपनाना गढ़वाल को छोडकर। पलायन करना अपना रिती का। तयागना। ति रिवाजों का
डिवोर्स कराने के लिए भी कई प्रोफेशनल प्रोजेक्ट हो रहे हैं। शादी के बाद ही वह मेहनत करने लग जाते हैं। साल में अगर 6 डिवोर्स करा पाए तो उन्हें 12लाख मिल रहे हैं।
पहाड़ी लड़के जवानी में पढ़ाई लिखाई का काम धछोड़कर प्रकृति का आनंद लें रहे हैऔर शादी की उम्र मे vlog बनाकर अपना रोज़गार दिखा रहें हैं साथ ही लड़की नौकरीपेशा सुंदर और संस्कारिक चाहिए और स्वयं इसके विपरीत हैं। ऐसा तो होना ही है।😊
लड़कियों के पास अब गैर पहाड़ी रिश्तों का आकर्षण ज्यादा जिम्मेदार है मौजूदा संकट का! खास कर नौकरी कर रही लड़कियाँ अपने कार्यस्थल मै ही अपने लिए जोड़ी बना रही हैं! पिछले दिनों देहरादून की लड़कियों द्वारा प्रस्तुत तलाक़ के उदाहरण शादी के प्रति शहरी उदासीनता या फिर बेटी की कमाई पर पिता की निर्भरता जैसे मकान की कर्ज की किश्तें भी बड़ा कारण है! अब तो शादी के बाद भी टिक जाने की संभावनाएं भी क्षीण हो रही हैं! गज़ब का परिवर्तन आया है समाज मै!
Sahi kaha aapne jab ladkiyan gair pahadi se shadi kar rahi hai to pahadi ladko ko kyo pahadi adki chahiye gair pahadi ladkiyon se Saadi karo
Jab ye kaam hona shuru hoga to to un ladkiyon ko wapas aana padega Jo gair pahadi ladkon me ja rahi hai or unke mata pita jo aaj bolte hai ki hamari ladki kaam nahi karegi wo bhi sochne par majboor ho jayenge
Bhut hi sundar Bhatt ji isi baat ka parinam aaj hmara uttrakhand bhugat raha or fir bhi dosh ladkiyo ko hi Diya ja raha .sach mein. Aaj tasalli mili aapko sunkar dhanyawad bhai Bhatt ji🙏🙏
क्योंकि आप जैसे लोग शहरों में बैठके ये चर्चा कर रहे हैं पहाड में तो आप रहते नहीं
जो रोजगार के सिलसिले में नीचे उतरा है, उसे गरियाना तो सबसे आसान काम है. उससे हमारा पाड़ि भाइयों की जिकुड़ी में सेळि पड़ जाती है. छपछपी पड़ जाती है. लेकिन हमारी आधी से ज्यादा ज़िन्दगी वहीं गुजरी है भाई.
@ManuPanwar पवार जी उनको सोचना होगा जो देहरादून में बैठ के नेता बनकर बैठे हुए हैं। ऐशो आराम में जी रहे और चर्चा करते हैं पलायन पे? मैं तो पहाड़ में ही रहता हूँ। मैं तो बोलूँगाई। और उनकी भी गलती है जो। रोजगार के चक्कर में नीचे निकल गए उसके बाद उनकी अगली पीढ़ियों ने मुडके नहीं देखा। उनकी भी गलती है। उनको तो बोलने का कोई हाकी नहीं है। पहाड़ के बारे में सिर्फ नाम के आगे बिष्ट। रावत नेगी भारद्वाज पांडे तिवारी लगने से पहाड़ी नहीं हो जाता आदमी। रिवर्स पलायन जब तक नहीं होगा पहाड़। का कुछ नहीं हो सकता। जब हिमाचल में भी तो लोग रहते हैं हिमाचल वालों ने भी तो आपने कोई डेवलप किया है वो तो नहीं भागे कहीं। गलती उनकी है जो योजनाएं तो बना रहे हैं लेकिन खुद पलायन करके भागे नेता सारे यहां यहाँ के पलायन करके बाहर रहते हैं। दिल्ली में इनकी कोठियां धंधे पानी है। होटल हैं। नोट यहां से छापते हैं योजनाओं का पैसा ये ले? जाते हैं।
लोग पहाड़ में नहीं हैं अपनी जमीनें भूल चुके हैं वहां आके बाहर के लोग बस रहे हैं....... रोजगार के लिए लोग बाहर जाएं लेकिन रिटायरमेंट के बाद तो वापस आ सकते हैं, राट क्षेत्र में लोग हैं वहाँ तो पलायन इतना इतना अधिक नहीं है।.... खैर यह बहस का मुद्दा हो सकता है या तो दोषी सब है या फिर कोई नहीं है।
फिर इसमें बातें नहीं होनी चाहिए..... अन्यथा मत लीजिए।दर्द है दिल का इसलिए बोल दिया, आप अपने भाई हैं।
@ManuPanwar जिनका रोजगार वहीं है वो क्यों उतरे है? जिनका गांव मार्केट से 1 किमी दूर है वो क्यों पास के बाजार में किराए पर रह रहे? बैठ कर ज्ञान पेलना आसान है धरातल पर बैठ कर चर्चा मुश्किल है । और जब तक बिना सोचे तीर नहीं चला लेते तब तक तुम लोगो की जिकुड़ी पर छपछपी नहीं पड़ती
@@manoj1827 bilkul sahi.......
@@navinkandwal7195
जी भाई सही है।
अगर आप खुद पहाड़ में रहते हैं,तो फिर यह चर्चा आप कर लेते,,,, आपको कौन रोक रहा है।
आज के समय अधिकतर मां बाप की हिम्मत नहीं है जो अपने बच्चों की शादी कर सकें. चाहे उनका बड़ा मकान हो व लड़का लड़की का बड़ा पैकेज हो. इस समय रोजगार की समस्या नहीं है बल्कि शादी की समस्या है.
इसे हम इस तरह भी देख सकते हैं, गांवों में रहने वाले लड़के वास्तव में दिशाहीन होते जा रहे हैं, और लडकियों की पढाई लिखाई का स्तर बढ गया है, और उनका रुझान नौकरी की ओर अधिक होने से वह घरेलू लडकों से शादी नहीं करना चाहती, क्योंकि गांवों में लडकियों के लिये प्रत्यक्ष रोजगार नहीं है। और खेती बाड़ी , पशुपालन वह करना नहीं चाहती।
पहाड़ की लड़कियां कुछ ना समझ भी मुझे लगती हैं, क्योंकि वे फेरी वाले के साथ,बारबर के साथ और नार्मल बहार के लेबर के बहलाने फुसलाने में आ कर भाग रही हैं।ऐ भी एक कमजोरी हमारी लड़कियों की है।
Hmm bas ladki ghas kat ti rahe ...janwar sambhalti rahe ... jab pregnant ho to 10 km paidal chale... doctor / hospital dur tak na ho .. pati baithe baithe carrom / taash khele ..
Tumhare ghar se bhaagi kya koi
इसका एक मुख्य कारण यह भी है कि पहाड़ी लड़कियां पहले की तुलना में अब अन्य राज्यों में भी शादी कर रही हैं, जो पहले इतना देखने को नहीं मिलता था।
ये उसकी अपनी पसंद, अपनी आजादी का मसला है.
@ManuPanwar सर आपने बिल्कुल सही कहा हर व्यक्ति को अपने फैसले लेने का पूर्ण अधिकार है। इस ज्वलंत मुद्दे पर को आपने उठाया उसके लिए आप धन्यवाद के पात्र हैं।
@@ManuPanwar, ajaadi ka dhindora peet rahe ho to bhoo kanoon ke time kyu muh chalne lagta hai aapka?? Kayi pahadi ladkiya to aisi hai jo rehte Delhi, dehradun, Rishikesh haldwani, kotdwar the par ladki ki jab shaadi desiy0 mein hui to desi khasamo ne unke liye pahad mein ek ghar banane ki iccha rakhi to ladki walo ne gaw ki apni ek jameen de di.
Upar se jab yeh bahar rehne wali pahadi ladkiya desiyo mein byah karengi to ladkiyo ka akaal to hoga hi. Seher ke pahadi ladke gaw ki ladkiya layenge aur dekha dekhi mein gaw ki dusri ladkiya bhi dehradun, Delhi, haldwani wala dhundengi..aise to pahadi Uttarakhand mein hi minority ban raha hai. Aur aap marji aur ajaadi ka gyan pel rahe.😂😂😂
😂😂😂
@@ManuPanwartoh pariwar ka kya kiya unko haq nhi hai ki wo apni beti ki shaadi ache pariwar walon mein kare ladko ka kya dosh hai unko ladkiyan nhi mil rahi pasand katua ya nali ke kide are hai kya toh phir adhe se jyada hindu garhwali ladke avivahit hai kya ladki laalchi nhi hai kya wo hawasi nhi hai ya fir usmin samajh nhi hai or apne pariwaar ke prati samaan nhi hai apne dharm par vishwash nhi hai vishwash wo hai jiss se sukh prapat hota hai lekin avishwaash se utni hi hani hoti hai
सही कहा आपने मॅ भी गांव गया था वहां पर भी बहुत लोग यही बातें कर रहे थे वे लोग भी परेशान हैं मॅन कुमाऊं से हूं । आपकी एक एक बात सच है जी
पहाडी लडकियां भी स्थायित्व चाहती है,उसने देख लिया कि पहाड में कठिन परिश्रम के वाबजूद कुछ हासिल नहीं होता बल्कि अपना खुद का वजूद खत्म हो जाता है। फिर उसे सन्तान के पालन पोषण शिक्षा चिकित्सा व अपनी भविष्य भी तो देखना है। अब गांव गुठ्यार तो वैसे तो पहले से ठीक ठाक है लेकिन न तो समुचित चिकित्सा ना सुरक्षित रोजगार की व्यवस्था है।
सही बात कही
Han isse pahle to log wahan rahe hi nhi hein jeise , wo baad mein pachta rahe hein, jo kewal and only money based par chal rhe hein wo utne khus nhi hein,
Bahut sari ladkiyan unvyahi hi ho rhi hein, karma returns,
@@AmitPant-ss9ij...ji please Mai faminist ladkiyo ki side to nhi lungi pr .....ladkiyo ko dos dena bnd kre ....phle jb ldke acchi job krne lge phodo se bahr Jane lge to unhe kaam wali ldki km aur padi likhi ldki dhudhne lge ...ma baap me smaj ki niyamo se htkr ladkiyo ko pdhana suru kiya ...ab jb ldki pdhi likhi hai to kyu na acchi job wale ladk dhudhe ....banki jb ldkiya km h puroso me to paida hi nhi huyi to kha se milengi ......aur aap apne ganw me hi btaye ek do ldko ko chokr kon accha ldka hota h khud hi jawab de... responsibility lena sikho ldko jruri nhi h shadi hi ho jindgi me accha bnna sikho
Sthayitva dekho kon mana kar rha ha, ladki ko apna ko apna ghar bhi dekhan chahiye, sab padhe likhe hein aaj kal ab anapadh koi nhi rhata ajkal thk chu, or bata dun isi chakkar mein koi na bhave, fir 40 mein pachtawe ya fir jaldi hote bhi pachtawe, kyunki priority hi anusangik nhi ha, dundho dundho ,
Riste dil se banye jate hein , values se banaye jate hein, value honi chahiye, padhe likhe ladke bhi ab nakhare dikhate hein , kyun jawab samne ha, so where you are going you know yourself
Bahut sahi baat kahi h Khandwal ji n,betiyo ko aane nai diya iss duniya m to bahu kaha se milegi 😢
Mai Bhatt ji ki baton se bilkul sahmat hu kyo ki meri bhi 2 betiya hai dono govt job me level 6 pr hai hm bhi uttrakhand se h isliye hm chahte the ki hme uttrakhand ka hi ladka mile but 5 sal lge betiyo ke brabr ladka dhudhne me finely ab dono ki shadi hui hai
मनोज रावत जी आपने बिल्कुल सही कहा है। सारी समस्या आज तक की उत्तरप्रदेश आधीन सरकारो के पहाड के लोगो के साथ भेदभाव का है। उत्तराखंड की सरकार - केंद्र की सरकार को कुछ ऐसी योजना बनानी पड़ेगी की हमारे पहाड़ी भाईयो। को अपने पहाड मै ही सबकुछ मिल जाऐ।व बहू भी मिल जाऐगी। भट्ट जी आपका इस शुभ काम के लिए बहुत-बहुत आभार
पर अब अपना देहरादून वेगाना हो गया।
धन्यवाद।
बहुत सुंदर चर्चा ❤😢😮😊
💯 BAat ki Ek BAat 💯.. After 2016 Mobile ne Ladkiyo Ka life Style hi Change Kiya.. bt I'm Married 2020 .in Village poor Girl & I''m Stay in Mumbai Happy with My Family ❤
एक आकड़े के अनुसार कुछ सालों से अब तक उत्तराखंड से लगभग 6 हजार से अधिक लड़कियां व महिलायें गायब हुई वे कहां गयी किनसे शादी की कहां हैं किस हालत में है कितनी वापस आयी ?
आपने इस विषय पर सभी लोगों का ध्यान आकर्षित किया और एक मंच पर मुद्दा उठाया उसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद,
आप बुधिजीवियों से अपेक्षा करते हैं कि आप इस समस्या की तह तक जाएं और इसके समाधान के लिए क्या कर सकते हैं, इसमें आम-जनमानस भी सहायता कर सकते हैं.
इतनी चर्चा करने की जरूरत नहीं है।मुख्य समस्या पहाड़ में शिक्षा का बुरा हाल व रोजगार का तो उससे भी बुरा हाल है चकराता व कालसी में जो शिक्षक पढ़ाने आते हैं वो लोग रोज देहरादून,डोईवाला से 90 से100 किलोमीटर का सफर करके आते हैं लेकिन यहां रुकने को राजी नहीं है।
कारण नम्बर -2 - चाहे बेरोजगार हो या रोजगार वाला शाम का खर्चा २०० का पेट्रोल 800 का मुर्गा बोतल क्या आप कोई ऐसे में कन्या दे दोगे । लड़के अयोग्य होते जा रहे हैं सास को मोटी रकम चाहिए
Sahi bol rahe ho aap
संकट हो तो ऐसा, जिसकी चर्चा मात्र से चेहरा खिल उठे,
सादर जय श्री राम 🙏🚩
हमें अपने उत्तराखण्ड में ही शादी करनी चाहिए। दूसरे समुदाय में मत जाओ जब तक बहुत जरूरी नहीं हो जाता। अपने गांव भी जरूर जाना साल में एक बार। तभी हम अपनी भूमि से जुड़े रहेंगे। मैं भी उत्तराखण्ड के लोगों की शादी के लिए लड़का या लड़की ढूंढ रहे लोगों की सहायता करता हूं। जिससे हम अपने ही समाज से जुड़े रहें।
सभी का बात करने का ढंग बहुत सौम्य है। बहुत आनंद आया विषय उठाते रहें। सब्सक्राइब कर दिया है😊
तीनों में से एक भी सही जवाब नहीं दे पाया
सभी महानुभावों को नमस्कार, मुझे आप लोगों के विचार अच्छे लगें, बहुत बहुत धन्यवाद
1-क्योंकि पहाड़ मैं जो लोग ज्यादातर बचे हुए हैं वह गरीब है तथा कोई रोजगार उनके पास नहीं है। सरकारको बड़े बड़े इंस्टिट्यूट पहाड़ों में खोलना चाहिए जिससे कुछ रोजगार बड़े ।
२-पहाड़ों में शराब के ठेके 8:00 तक बंद कर देना चाहिए ताकी दुर्घटनाएं काम हो व पहाड़ के लोग रात को शराब पीने ठेके की तरफ ना जाए। जिससे थोड़ा उनका पैसा बचा सकेंगे।
३-हिमाचल राज्य की तरह पहाड़ के लोगों को भी गांव गांव जाकर सरकारी सब्सिडी वाली योजनाओं की जानकारी मिलनी चाहिए। 80% लोगों को जानकारी नहीं रहती सरकार की क्या क्या योजनाएं गांव के लोगों के लिए चल रही है।
विजय जी आपकी बाते निस्वार्थ और स्पस्ट हैं, 👌👍🙏
भट्ट जी भी सही कह रहे हैं लडकौ की बहुत पहले से एक्टीवेशन बहुत रही है अब लड़कियां बेचारी नहीं रही पढ़-लिखकर जागरुक हो गई है लडकौ के बराबर कमाने लगी है अपना अच्छा बुरा भी सोचने लगी है उनको भी अब अपने बारे में फैसला लेने का पूरा हक है और क्यूं न हो ❤
😂😂😂😂😂😂आप शायद गलत फहमी में है ।। पहाड़ की लड़कियां क्या कमा रही है मुझे नहीं पता
आपका प्रोग्राम बहुत सराहनीय लगा । और आशा करता हूं कि आप ऐसे कार्य क्रम लगातार करते रहेंगे ।
उत्तराखंड के लड़कों से शादी करने के बाद सबसे बड़ी समस्या आती है जीवन यापन करने की । उत्तराखंड में लड़कियों को शादी करने के बाद ना तो ससुराल वाले सपोर्ट करते हैं और ना ही मायके वाले और ना ही लड़कियां इतनी सक्षम और काबिल होती है कि वह अपना जीवन निर्वाह स्वयं कर सके। उत्तराखंड में शादी करने के बाद लड़कियों को लावारिस छोड़ दिया जाता हैं जहां लड़कियां अपना घर परिवार जिम्मेदारी उठाने के लिए स्वयं मजबूर हो जाती है , और फिर शहरों में आकर के छोटे छोटे काम या छिछोरी हरकतें करती हुई उत्तराखंड की लड़कियां दिखाई देती हैं। क्योंकि वहां के लोगों के पास ना तो पक्के घर होते हैं और नही गुजारा करने के लिए जमीन
ऐसा इसलिए भी है क्योंकि किसी अधेड़ उमर के लड़के को unmarried लड़की ही चाहिए लड़के unmarried hi रह जाएंगे लेकिन किसी विधवा महिला या divorcy महिला से विवाह नहीं करेंगे
ये हमारे समाज का दोगलापन ही है कि समाज के नियम पुरुष के लिए अलग और महिला के लिए अलग.........
क्यों ???
मेरी पहली लड़कीं है दूसरा बच्चा होने वाला है लेकिन मुझे नही पता है कि वो पेट वाला बेबी लड़का है या लड़कीं है ।जो भी होगा अच्छा होगा मुझे स्वीकार है । और दो बच्चो के बाद तीसरे के लिए नही जाऊंगा ।एक लड़का एक लड़की हो या फिर दो लड़कियां कोई फर्क नही पड़ता मुझे। वैसे भी लड़कीं लक्ष्मी का स्वरूप है।❤❤❤❤
Shadi main lenden band ker do
@kantabisht252 पहाड़ो में तो वैसे भी लेन देन नही होता है हमारे वहाँ लड़कीं वाले कुछ जेवर बनाते है अपनी लड़कीं के लिए और कोई दे ही देता है तो बेड और सोफा वो भी अपनी मर्जी से देते है ।कोई जोर जबर्दस्ती नही करता जे
Dar dikh rha h apka
@@Non.of.your.businesses किसको दिख रहा है डर मुझे
@@सबप्रभुकीकृपाहै भाई साहब हम हिन्दुओं की यही सोच की एक बेटा एक बेटी हुई तो परिवार पूरा हुआ गलत है... इस तरह भविष्य में चाचा ताऊ मौसी और भी बहुत रिश्ते ऐसे ही खत्म हो जाएंगे.... दूसरे यहाँ मुस्लिम बाहुल्य हो जाएगा तो हमारे बच्चों के ऊपर बांग्लादेश वाला संकट आएगा.... कृपया चार या पांच तक के लिए सोचें... मेहरबानी होगी 🙏🙏🙏🙏
विजय सर सही कह रहे है 101%
सर प्लीज एक बार उन घरों के बारे में भी चर्चा करे जिन घरों में कोई लड़का सरकारी नौकरी है उन घरों के नखरे भी देख लो ज़रा वह भी अपनी मेहनत से नहीं बाप की जगह में लगे होये ह
आज माँ बाप अपने बेटियों को उच्च शिक्षा देकर रिश्ता अच्छे घर के रहन सहन को देख रहे हैं, ,,,,
स्वाभाविक सी बात है.
Sabko eak din marna ha lekin aajkal shaddi bache pasie ghar isi me pagal ha pta ha dono me se koye marega jbi bhi insaan shaddi ke lye pagal bog vilas mal mutr me kelhna pasand ha insaan ko yahi bagwan ji ki maya na insaan ko iske alawa kuch dikta nehe ha kitna bhi suk suvida ki chise jod lo nehe milega bagwan ji ke name hi suk yeh wife husband bache pasie ghar aso aram sab kuch chutega eak din insaan isi ke piche pagal ha jo saat jana nehe ha asli suk bagwan ji ke name me ha yahi saat jana ha
To achi baat hai sabko hak hai apka kya matlb ladki pad likh kr gawaro se aur berojgar se shadi kr le
सर फौजी चाहिए पर अग्नि वीर नहीं,टीचर चाहिए पर अतिथि नहीं, सर्विस वाला हो पर आउट शोर्ष नहीं ।
Ldki chiye pr km sunder nhi, ghr k kaam kre pr job nhi, bolne chlne m achhi ho pr ghr k imp kaamo m nhi, ghr pr maa bhaap ki khatirdari kre apne khud ki halt na sudhare
@anamikarawt6711 ladki ka kam pyara,cham nahi.gudhn pyara nam nahi.
भट्ट जी की बात बहुत अच्छी लगी
I agree with Vijay Bhatt
अच्छा है नही मिल रही लड़कियाँ, अतुल सुभाष नही बनना पड़ेगा उनको।। शादी हो भी रही हैं तो अधिकांश दिखता है कि जहाँ लड़की अच्छी है तो लड़का प्रताड़ित कर रहा है, और कहीं लड़का व परिवार ठीक है तो लड़कियां कुछ "निकिता टाइप" भी हो जा रही हैं।। तो सोचिये शादी नाम के इस पवित्र बंधन का कैसा मज़ाक बना कर रख दिया है??
लड़किया औक़ात नाप रही है , और अब इनकी नापी जा रही है ।
बिल्कुल सही कहा आपने लड़कीया नौकरी कर रही है उनकी सैलरी 75000 हजार है लड़कों की सैलरी हम से कम है जो कि लड़कों का अपना मकान है घर परिवार अच्छा है लडकीयां अपने मर्जी से चल रहे हैं मेरे पास भी 12से 14 लड़के हैं समस्या बड़ी गंभीर है। जय श्री राम जय श्री कृष्णा 🙏
आदरणीय इसके लिए बहुत सारे कारण हैं, मेरे पास 273 ऐसी कुंडलियां हैं जो 35 साल से ऊपर हैं, पहाड़ में ये इस समय सबसे बड़ी समस्या है, सबसे बड़ा कारण है एसपेक्टेशन
उम्मीद ऐसी कि बड़ी नौकरी हो 2 से 2.5 लाख महीने की, साथ में बड़ा मकान, खूबसूरत भी होना चाहिए और अगर परिवार में लड़के की बहन भाई और यहां तक कि मा बाप भी साथ न हो तो उनको वरीयता दी जाती है।
Aap sahi kah rahy h par ladki waly ko apny barber key restey dekhna chahy nahi to ladki bhar hi jyagi
साड़ी की जादा समस्याओं का समाधान ल़डकियों की माँ बाप कर सकते है क्योकि जो ल़डकियों देखने में सुन्दर है उनकी पसन्द 18 19 में ही हो रहीं हैं और माँ बाप बोलते हैं कि हमारी ल़डकियों तो अभी छोटी है मगर अपनी बेटी के बारे मे नही जानते है कि वह कब बड़ी हो गई हैं और जब उन्हें एक बहुत ही सुंदर रिसता आता है और तब वह अपनी ल़डकियों को पूछता है तब ल़डकियों बोलती है कि हमे अभी शादी नहीं करनी है हमको तो padahi करनी है मगर चक्कर कुछ और होता है
गढ़वाली होते हुए भी garhwali बोलनेमे हंसी आ रही है दुर्भाग्य यहीं से शुरू होता है
बहुत सुन्दर विश्लेषण. हकीकत लेकिन 25% ladkikyan Panjabi, Bihariyo, jaatt etc se शादी ker रही हैं... 5% मुस्लिम ले जा रहे हैं.. जो bach जाती हैं वो इतनी लायक नही कीं अछा लड़का शादी करे, कई कीं demand इतनी होती हैं कि. लड़के पूरा नही कर्ता हैं....
नेपाल से भी नहीं मिल रही है। मैं लगभग नेपाल बॉर्डर में रहता हूं , दो शादियां नेपाल से फिक्स हुई थी । अब वह भी कैंसिल हो गई है । लड़कियों ने इंडिया आने से मन कर दिया ही , सरकारी सर्विस वाले लोगो को भी नेपाल से लड़की नहीं मिल रही है । यह समस्या 20 वर्षो से चल रही है । आने वाले भविष्य में और भी विकट समस्या खड़ी होने वाली है।
हां, हालात तो वाकई चिंताजनक हैं
यह समस्या हमारे समाज की है कि अब बच्चो पर माॅ बाप का अधिकार नही है बच्चो का अपना डिविजन है चाहे वह किसी भी समाज काहो
इसका कारण हे कि लिंगानुपात मे बडा अंतर हे
दूसरा कारण लडकियो का शिक्षा कि ओर अग्रसर
तीसरा कारण है मन पसंद
अच्छा विषय है। सामाजिक बदलाव और विसंगतियों को इस मुद्दे के सा भी उठाया जा सकता हैं। सामाजिक विसंगतियों के पीछे राजनीतिक नियोजन पर भी सवाल उठते है। पहाड़ के विकास और आर्थिकी पर जिस तरह पच्चीस बरसो से काम हुआ है। उसकी किसी को उम्मीद ही नही थी।
परिणा सामने आने लगे है। यदि अभी भी सरकारी तंत्र पहाड़ पर कोई ठोस निर्णय लेकर काम नही करता तो आने वाला समय कैसा होगा यह समझा जा सकता है।
बधाई देता हूँ कि आपने एक संवेदनशील मुद्दे को केन्द्र में रखकर परिचर्चा की है।
हमारे गाव खुशहाल नही है। यह कहना पर्याप्त नही है। गाँव दुखी है यह कहना बेहतर होगा।
आगे भी सामाजिक मुद्दो पर परिचर्चा जारी रखेंगे।
-चन्दन सिह नेगी
आप चर्चा करे है🙏🙏 सही
सुशील और संस्कारी लड़की मिलना असम्भव हो गया हैं .. लेकिन पढ़ीलिखी सुन्दर तो मिल जाती हैं.. और वो सुन्दर पुरे परिवार में क्लेश करती हैं..
पंवार जी शादी हो नहीं पा रही है ??? ऐसे बहुत से लोग है जो शादी करना ही नहीं चाहते है ।
शायद ऐसे लोग गिनती के ही होंगे
Reality ye hai ki ladke bhi shadi ni krna chahte ,,, kyunki hathon se kam chal jata hai,,, sirdardi kyun mol le
Kandwal sir की बातें काफी हद तक सही हैँ
पहाड़ों में बहुत मुश्किलें है जी, हम तो सिर्फ गर्मियों में गांव जाते थे और घूम कर आ जाते थे बचपन मैं , अब हम कभी कभी ससुराल जाते है पहाड़ में तो सुविधाओं के अभाव में ज्यादा दिन नहीं रह सकते हैं।
आप लोगों ने बहुत ही बडा मुद्दा उठाया है
ये समस्या हर एक प्रांत कि है काही पर कम कहीं ज्यादा
लाडकीयां पढ रही है
उन्हे पता है उन्हे जिंदगी मै अगर कुछ समस्या आई तो अपने माँ बाप के पास नाही आ सकती
लडकीया हर क्षेत्र मये बढ रही है
लडके हमेशा अपने comfort zone me rahe
माँ बाप है
जयदाद भी मिलेगी
लडकी आकार घर पर काम भी करेगी
उनको कुछ भी साबीत नाही करना है
ये शायद मेरी अपनी opinion हो सकती है
🙏
हम ये सोच रहे हैं लड़का हो या लड़की उत्तराखण्डियों से ही शादी हो गढ़वाली हो या कुमाऊनी हो
शिक्षा एवं रोजगार का न होना ही एक कारण है । और इसके लिए हमारे नेता गण भी जिम्मेदार है
Siksha to bharbur h pahaadi ladkiyo m bas vha rijgaar ki kami h
सबसे बड़ी समस्या ख्वाहिशें बढ़ गई हैं , मां बाप को भी धन दौलत से परिपूर्ण लड़का चाहिए । जबकि पहले मां बाप ये देखते थे कि किस लायक है ...अपने जॉब में आगे बढ़ने वाला लगन और मेहनती है कि नहीं ...इसी से संतुष्ट हो कर रिश्ते तय हो जाते थे ।
मेरा एक फौजी मित्र है, उसके घरवाले उसके लिए उचित कन्या की खोज में पूछा जा रहा है कि बेटा फौजी है या अग्निवीर। अग्निवीर को मना कर दिया जा रहा है। खैर मेरा मित्र अग्निवीर से पहले भर्ती हो गया था।
बताइए, अग्निवीर ने भी एक बड़ा संकट पैदा कर दिया है.
Pehle beta bhi uchhit hona chahiye nashedi se kon shadi karega
एक और अच्छी चर्चा. धन्यवाद पंवार साब.
आप महानभावी लोगों से प्रसन्न है।।आकी लड़की है या लड़का
जाति बंधन समाप्त करना पड़ेगा।
क्यों ??
Kyon Hindu kar rahe ho Anya dharmon ko Apna lo tabhi ho sakti hai Jo Hindu chala rahe pahle unko chup raho yahi rashtrawad hai
@@shayannegi6986 तुम कौनसे नेगी हो ???
Jaati bandhan sabse satik chiz hai iska
एक दूसरे के बारे में जानना भी कठिन हो गया क्योंकि सब अपने गांव से बाहर कहीं महानगरों में सेटल हो गए हैं लड़के के बारे में तथा लड़की के बारे में जानकारी जुटाना बहुत ही कठिन हो गया आप लड़की या लड़के के परिवार के बारे में तो जान सकते हैं परंतु कैंडिडेट के बारे में जानना भी आवश्यक होता है आखिरकार जीवनसाथी की आदतों व्यवहार और व्यक्तित्व को जाने बगैर कोई किसी से शादी कैसे कर सकेगा यह भी एक बहुत बड़ी समस्या उभर कर आई है
आजकल यही हो गया सरकारी नौकरी वाला लड़का चाहिए और लड़कों को जाब वाली चाहिए बड़े शोचनीय दशा है।
सबको सुरक्षित भविष्य के बारे में सोचने का हक है. लेकिन नौकरियां हैं कहां?
@@ManuPanwar bhai general catagory ke liye sarkari hai kya
मुझे इस बारे में ज्ञान तो था कि यह मुद्दा में काफी ज्वलंत मुद्दा है हमारे पहाड़ में लेकिन आपके डिबेट को सुनकर मैं इसे और गहराई से समझ पाया हूं लेकिन आप लोगों को इस समस्या का कोई ठोस हल भी बताना होगा
पहाड़ में लड़के आलसी होते हैं। औरतें ही खेती बाड़ी करके बच्चे पढ़ा लिखा रही हैं। मेरे कुछ जानने वालों द्वारा पता लगा है। लड़कों को मेहनती होना चाहिए।
Ladkiya haryana, gurgaon, up ke ladko se patt gate hai after doing professional course...😂😂😂😂
भट्ट जी ऐ बात सही है हमारी लडकीयां बाहरी समाज में सादी कर रहि है और लडके या मां बाप अपने समाज में ही लड़की खुजते है हे भी एक कारण है
I lived in Vadodara Gujarat but same problem also here.All parents require high financial family not good cultural girl.
सर मुझे लगता है जो बच्चे अपने पैरों पर खड़ा होना चाहते थे जब के लिए वही आजकल शादी के लिए परेशान है और लिंगानुपात सबसे बड़ी समस्या और मोबाइल शादी जो बाद में टूट जाती है
मैं स्वयं उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का मैप 32 साल का हूं जबकि मैं तीन बहनों की विदा कर चुका हूं लेकिन अभी हमारे को देने के लिए कोई भी तैयार नहीं है
लडकी बाहरी लोगों से शादी कर रही है पैसे के लिए। लेकिन लड़के चाहते है पहाड़ी लड़की हो । लड़कों को भी देसी लडकियों से शादी कर लेनी चाहिए पहाड़ी लड़कियों के तो वैसे भी भाव बढ़ गए है। देसी लड़कियां तो फिर भी ठीक है
Iske kai reasons hain aur ye bohot saare factors ka mila jula effect hai..par ek baat to fact hai ki isse agle 15-20 saalon mei uttarakhand ki bachi khuchi bhasha, rehen sehen, sanskriti, religious practices, demography.. basically uttarakhand ki mool pehchan vilupti ki kagaar pe pohoch jayegi.
हा सही है इस बात पर चर्चा होनी चाहिये
लड़कों का व्यसनी होना व बेकाम का होना भी एक कारण हो सकता है
आजकल शायद लड़के, 16:55 लड़की की समस्या नहीं है महंगी पढ़ाई, एरोप्लेन main घूमना, बड़ी ,बड़ी कम्पनी के ब्रांड के कपड़े, होटलों मैं खाना ,व्रत मैं भी बाहर खाना , घर में बाईयों का खर्चा, दूसरों को देखकर अपना स्टेंडर्ड मेंटेन करना ससुराल मैं ये सभी सुविधाएं, सरकारी नौकरी, बड़ा मकान , ओर लड़की की मां के बड़े सपने , मां की अनचाही सलाह के कारण आज समस्या हो रही है 😂
100% yehi baat he bhai ... social media ki kalpanik duniya me ladkiya ji rhi he ... Uske dekha dekhi me ek bekar si ladki b apne liye Rajkumar ki chahat rakhti he ..
Absolutely right Bhatt ji
सर जी सबसे बड़ी समस्या तो जाति के अंदर जो जातिवाद है व्व है,,, ब्राह्मण,राजपूत,sc, st सभी मे ये समस्या है कि आपस मे एक ही वर्ण के होने के बावजूद आपस मे रिश्ते देने को तैयार नही है ही ,,,, तो कहा से दिखेंगे रिश्ते,,,,और ये देहरादून में मकान हो ऐसा जरूरी नही है,
न तो लड़कियों की संख्या कम है न लड़को की , जाती के अंदर जाती वाला सीन है
बहुत सुंदर विश्लेषण
बहस का कोई हल नहीं है, में सभी पुरुष मित्रों को सलाह ये देना चाहूंगा कि सरकारी नौकरी के लिए जीतोड़ मेहनत करें तो ब्वारी मिल जाएगी, बाकी बेरोजगार भाइयों के लिए ये है कि आप लोग क्या ही करोगे शादी करके शांति की खोज में एक बार जरूर निकलें, अंततः बुद्धम शरणम् गच्छामि 😃🙏
Pahadon mein kaun si facilityyan hai bataungi aap
Sir bat sahi hai pahar ki halat kharab hai
Baba wali life must ha
Pawar ji Gaon mein na Road Hai na Pani Hai na Kisi Ladki ki Galti Hai na Kisi Ladki ki Galti Hai Ye parshasan ka failure hai ❤
आपकी बात जायज है
लेकिन जो लड़की आज के डेट में बोल रही है कि देहरादून दिल्ली मकान होना चाहिए तो उसके बाप का कितने मकान है देहरादून दिल्ली में
भाई जी एक कारण यह भी है की जब से घड़वाली लड़की चोटी बड़ी नोकरी ५ _१० हजार वाली ,ओ लड़कियां अपने आप सेट कर रहै है और जो मां बाप के भरोसे है उनको लड़कियां नहीं मिल रही जो चालू टैप के है उनके पास दो दो चार चार गर्लफ्रेंड है
सच कहूँ तो आज के समय मे dehradun delhi ki jindgi नर्क है नर्क अपना phad best hai
पहाड़ों पर अब शिक्षा प्राप्ति हो जाने पर लड़कियों ने शिक्षा व रोजगार होना चाहिए लेकिन जब हम अपने ताना बाना छिनविन हो गया है??
Sir ye utrakhand hi nehi Himachal me b yehi samsya he ...
मै भट्ट जी की बात से सत प्रतिशत सह मत हूँ आज लड़कियां शैक्षणिक स्वाभिलम्बी हो रही हैं और लड़के शैक्षणिक स्तर पिछड़ रहे हैं
शादी मुस्लिम की खूब हो रही है और उनकी जन संख्या खूब बढ़ गई है और एक दिन उनका ही राज होगा
It was big problem for the our society special for hilling area we should think about for the Uttarakhand villages
ज्यादातर लड़कियां नौकरी कर रही है और वहीं से भारी राज्यों के लड़कों के साथ शादी कर रही है इसका भी एक मुख्य कारण शादी केलिए लड़कियों का ना मिलना है।
Pahadon main Rojgar ka naam aur Pahad ki ladkiyon ka Rojgar Hetu plan karna Pahad ke ladkon ke shaadi ka sabse bada Sankat