मातृ-मंदिर का समर्पित दीप मै|| Matri-mandir ka samarpit deep me ||
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- Опубликовано: 15 сен 2024
- मातृ-मंदिर का समर्पित दीप मै
चाह मेरी यह की मै जलता रहूँ ॥धृ॥
कर्म पथ पर मुस्कराऊँ सर्वदा
आपदाओं को समझ वरदान मैं
जग सुने झूमे सदा अनुराग मे
उल्लसित हो नित्य गाऊँ गान मैं
चीर तम-दल अज्ञता निज तेज से
बन अजय निश्शंक मै चलता रहूँ ॥१॥
सुमन बनकर सज उठे जयमाल में
राह में जितने मिले वे शूल भी
धन्य यदि मै जिन्दगी की राह में
कर सके अभिषेक मेरा धूल भी
क्योंकि मेरी देह मिट्टि से बनी है
क्यों न उसके प्रेम में पलता रहूं ॥२॥
मै जलूँ इतना कि सारे विश्व में
प्रेम का पावन अमर प्रकाश हो
मेदिनी यह मोद से विहँसे मधुर
गर्व से उत्फुल्ल वह आकाश हो
प्यार का संदेश दे अन्तिम किरण
मैं भले अपनत्व को छलता रहूं ॥३॥
मातृ-मन्दिर का अकिंचन दीप मै
चाह मेरी यह कि मै जलता रहूं
mātṛ-maṁdira kā samarpita dīpa mai
cāha merī yaha kī mai jalatā rahū ||dhṛ||
karma patha para muskarāū sarvadā
āpadāoṁ ko samajha varadāna maiṁ
jaga sune jhūme sadā anurāga me
ullasita ho nitya gāū gāna maiṁ
cīra tama-dala ajñatā nija teja se
bana ajaya niśśaṁka mai calatā rahū ||1||
sumana banakara saja uṭhe jayamāla meṁ
rāha meṁ jitane mile ve śūla bhī
dhanya yadi mai jindagī kī rāha meṁ
kara sake abhiṣeka merā dhūla bhī
kyoṁki merī deha miṭṭi se banī hai
kyoṁ na usake prema meṁ palatā rahūṁ ||2||
mai jalū itanā ki sāre viśva meṁ
prema kā pāvana amara prakāśa ho
medinī yaha moda se vihase madhura
garva se utphulla vaha ākāśa ho
pyāra kā saṁdeśa de antima kiraṇa
maiṁ bhale apanatva ko chalatā rahūṁ ||3||
mātṛ-mandira kā akiṁcana dīpa mai
cāha merī yaha ki mai jalatā rahūṁ
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/ ekswaymsewak
सुंदर गीत
उत्कृष्ट गीत उत्कृष्ट गायन
अति सुन्दर। मधुर आवाज। उत्कृष्ट सुर। मनमोहक।
अति सुन्दर
🙏🙏🙏
भारत माता की जय ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
अति सुन्दर ❤❤
🙏🙏🙏
बहुत उत्तम
जय जय श्री राम
भारत माता की जय
bharat mata ki jay
incredible 👌🏼👌🏼👌🏼👌🏼
मातृ-मंदिर का समर्पित दीप मै
चाह मेरी यह की मै जलता रहूँ ॥धृ॥
कर्म पथ पर मुस्कराऊँ सर्वदा
आपदाओं को समझ वरदान मैं
जग सुने झूमे सदा अनुराग मे
उल्लसित हो नित्य गाऊँ गान मैं
चीर तम-दल अज्ञता निज तेज से
बन अजय निश्शंक मै चलता रहूँ ॥१॥
सुमन बनकर सज उठे जयमाल में
राह में जितने मिले वे शूल भी
धन्य यदि मै जिन्दगी की राह में
कर सके अभिषेक मेरा धूल भी
क्योंकि मेरी देह मिट्टि से बनी है
क्यों न उसके प्रेम में पलता रहूं ॥२॥
मै जलूँ इतना कि सारे विश्व में
प्रेम का पावन अमर प्रकाश हो
मेदिनी यह मोद से विहँसे मधुर
गर्व से उत्फुल्ल वह आकाश हो
प्यार का संदेश दे अन्तिम किरण
मैं भले अपनत्व को छलता रहूं ॥३॥
मातृ-मन्दिर का अकिंचन दीप मै
Bahut sunder👌👌👌🙏
धन्यवाद जी
अत्यंत सुन्दर
Dhanabad ji
माँ भारती की जय 🧡.... . ....🙏
जय मां भारती
बहुत उत्कृष्ट
बहुत उत्तम
जय जय श्री राम
भारत माता की जय
बहुत उत्तम
जय जय श्री राम