♦️परमात्मा कबीर जी समझाते हैं कि हे भोले प्राणी! गरूड़ पुराण का पाठ उसे मृत्यु से पहले सुनाना चाहिए था ताकि वह परमात्मा के विधान को समझकर पाप कर्मों से बचता। पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर अपना मोक्ष करता। जिस कारण से वह न प्रेत बनता, न पितर बनता, न पशु-पक्षी आदि-आदि के शरीरों में कष्ट उठाता। मृत्यु के पश्चात् गरूड़ पुराण के पाठ का कोई लाभ नहीं मिलता।♦️गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में भी प्रमाण है की जो पितरों की पूजा करता है वो पितरों को प्राप्त होता है जो भूत पूजते हैं वो भूत बनते हैं♦️जीवित बाप के लठ्ठम लठ्ठा, मूवे गंग पहुचैया। जब आवे आसोज का महीना, कौवा बाप बनईयां। जीवित बाप के साथ तो लड़ाई रखते हैं और उनके मरने के उपरांत उनके श्राद्ध निकालते हैं।
श्रीमद्भगवद गीता अध्याय 8 का श्लोक 3 में गीता ज्ञान दाता ब्रह्म भगवान ने कहा है कि वह परम अक्षर ‘ब्रह्म‘ है जो जीवात्मा के साथ सदा रहने वाला है। वह परम अक्षर ब्रह्म गीता ज्ञान दाता से अन्य है, वह कबीर परमात्मा हैं।
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण व भक्ति साधना करता है उसको न कोई सुख होता है न ही सिद्धी प्राप्त होती है और ना ही उसकी गति होती है अर्थात् व्यर्थ साधना है। ऐसे ही छठ पूजा की परंपरा है।
परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है। - पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
Beautiful🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
Mein aapka bahut bda fen hu
❤❤❤❤❤🎉🎉
जय नाथ री सा 🙏🙏
Very nice
❤
बहुत-बहुत ही सुन्दर 🙏🙏
Jai ho sa
❤❤❤
धना भारती जी का भजन
हर हर महादेव
जय दानगिरी महाराज जय हो
जुडाल दिनेश
Kalu Bhai
જય દાન ગીરિ જય હો
♦️परमात्मा कबीर जी समझाते हैं कि हे भोले प्राणी! गरूड़ पुराण का पाठ उसे मृत्यु से पहले सुनाना चाहिए था ताकि वह परमात्मा के विधान को समझकर पाप कर्मों से बचता। पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर अपना मोक्ष करता। जिस कारण से वह न प्रेत बनता, न पितर बनता, न पशु-पक्षी आदि-आदि के शरीरों में
कष्ट उठाता। मृत्यु के पश्चात् गरूड़ पुराण के पाठ का कोई लाभ नहीं मिलता।♦️गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में भी प्रमाण है की जो पितरों की पूजा करता है वो पितरों को प्राप्त होता है जो भूत पूजते हैं वो भूत बनते हैं♦️जीवित बाप के लठ्ठम लठ्ठा, मूवे गंग पहुचैया।
जब आवे आसोज का महीना, कौवा बाप बनईयां।
जीवित बाप के साथ तो लड़ाई रखते हैं और उनके मरने के उपरांत उनके श्राद्ध निकालते हैं।
श्रीमद्भगवद गीता अध्याय 8 का श्लोक 3 में
गीता ज्ञान दाता ब्रह्म भगवान ने कहा है कि वह परम अक्षर ‘ब्रह्म‘ है जो जीवात्मा के साथ सदा रहने वाला है।
वह परम अक्षर ब्रह्म गीता ज्ञान दाता से अन्य है, वह कबीर परमात्मा हैं।
जय दानगिरि जी महाराज
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण व भक्ति साधना करता है उसको न कोई सुख होता है न ही सिद्धी प्राप्त होती है और ना ही उसकी गति होती है अर्थात् व्यर्थ साधना है। ऐसे ही छठ पूजा की परंपरा है।
जोगभारती आप ने झरडेशवर महादेव री अपलोड करु सा
कॉपीराईट लगेगी अपलोड किया तो
@@SARPANCH_GUJARAT Very Nice Thanks.
Very good...
😢थ
पी
Jai Ho
परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।
- पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
Ab clear dikh rha hai
Nice
अब
क्या हूंकि
Jaygarudevkijaymalakomankobhajanwalidoribhagtikimemahadbharijaypirsivsjnthinathjikijayjaynaganarayjayganesh
jay gurudev ri
Jai ho
Shrkarnebothtexlagayhamnebhidekhamagarhartexgariboparaadarithhyaagarkoitexlagashketoshriphdadagariparlagadohamunkeshmarthnhyjaybhawanijayganesh