Jaag Utha Hai Aaj Desh Ka Vah Soya Abhiman - RSS Deshbhakti Geet

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  • Опубликовано: 27 ноя 2024
  • श्री विजया दशमी के पावन अवसर पर देशभक्ति से ओतप्रोत यह संघ गीत आप के समक्ष प्रस्तुत करते हुए हमें अपार हर्ष हो रहा है। संघ गीत स्वयंसेवकों के लिए एवं देशभक्तों के लिए प्रेरणा के स्त्रोत रहे है। आज जब सीमापार से शत्रु आक्रमक तेवर दिखा रहा है और आतंकवाद अपने नापाक इरादे समय समय पर उजागर करता है। इस स्थिति से निपटने के लिए और मातृभूमि की सुरक्षा के लिए हमे जागना होगा और हर प्रयास से शत्रु के इरादों को असफल बनाना होगा. ऐसी ही प्रेरणा इस गीत से मिलती है।
    यह प्रेरक गीत मैं योगेंद्र रानडे मेरी पत्नी सौ. ईशा एवम् पुत्री अवनी के साथ प्रस्तुत कर रहा हूँ। कृपया आशीष दे।
    इस वर्ष की विजयादशमी विशेष है। अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के शिलान्यास से सभी देशवासीयों को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त हुई है।
    आप सभी को श्री विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं !!!
    जाग उठा है आज देश का वह सोया अभिमान।
    प्राची की चंचल किरणों पर आया स्वर्ण विहान॥ जाग उठा...
    स्वर्ण प्रभात खिला घर-घर में जागे सोये वीर
    युध्दस्थल में सज्जित होकर बढ़े आज रणधीर
    आज पुनः स्वीकार किया है असुरों का आह्वान॥ जाग उठा...
    सहकर अत्याचार युगों से स्वाभिमान फिर जागा
    दूर हुआ अज्ञान पार्थ का धनुष-बाण फिर जागा
    पांचजन्य ने आज सुनाया संसृति को जयगान॥जाग उठा...
    जाग उठी है वानर-सेना जाग उठा वनवासी
    चला उदधि को आज बाँधने ईश्वर का विश्वासी
    दानव की लंका में फिर से होता है अभियान॥।जाग उठा...
    खुला शम्भु का नेत्र आज फिर वह प्रलयंकर जागा
    तांडव की वह लपटें जागी वह शिवशंकर जागा
    तालताल पर होता जाता पापों का अवसान॥जाग उठा...
    ऊपर हिम से ढकी खड़ी हैं वे पर्वत मालाएँ
    सुलग रही हैं भीतर-भीतर प्रलयंकर ज्वालाएँ
    उन लपटों में दीख रहा है भारत का उत्थान॥।जाग उठा...

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