369सिर्फ आपको पॉजिवटिव रखने के लिए एक भार्मिक सहारा भर है बात थोट को इस आस्था के साथ करने से पॉजिटिव विटी को स्पोर्ट है,जो धारणा है बनाते है उसका प्रतिफल होता है,किसी भी वस्तु अंक या कोई एक चीज खुद चुनले बस भरोसा होना चाहिए वही चीज हमारे लिए ईश्वर बन जाती है ✌️
श्री मान जी, आपकी बात यथार्थ सत्य है,लेकिन 369 का नियम,साइंस और साइकोलॉजी ये कहते है, की आप कोई इच्छा बार बार लिखते है या मन और हरदय से पढ़ते है, वो चीज हमारे अवचेतन मस्तिष्क तक पहुंच जाती है, जब आपके मस्तिष्क में कोई इच्छा अपनी जगह बना ले तो शरीर अपने आप चलने की बजाय दौड़ने लगता है, और रास्ते अपने आप मिलते दिखाई देते चले जाते है, वैसे ये फिजिक्स का सवाल है या तो आप इसे स्वयं सिद्ध करे, धन्यवाद जय श्री राम
आपसे अनुरोध है कि मेरा आने वाला नया वीडियो आप जरूर देखें जिसमें आपके द्वारा बताई गई बात को लॉ ऑफ अट्रैक्शन के इस आने वाले वीडियो में अच्छे से समझाने का प्रयत्न किया है। सम्भव है आपकी शंका का समाधान मिल जाए। जय श्रीहरि
वेद,उपनिषदमें सब कुछ है तो ये सब जाननेवालोने इन शास्रोको जनसामान्य को पढनेसे क्यो रोका? जिस वैज्ञानिक दृष्टिकोन की जरुरत है उसे रोकनेके लिये कौन लोग आज भी प्रयास करते है? और एक बात! वह सब विज्ञान/शास्त्र/ आगे क्यो नहीं बढ़ पाया?
मित्र, बच्चों की तरह बातें करते हो किसने रोका है वेदों और शास्त्रों को पढ़ने से आप जब इतना जानते हैं तो ये भी जानते होंगे की भारत में कहीं से भी आप ये वेद, पुराण आदि खरीद सकते हैं। इनका एक मुख्य प्रकाशक है गीता प्रेस, गोरखपुर उनसे मंगवा लीजिए और पढ़िए। वैज्ञानिक दृष्टिकोण तो तभी बनेगा जब आप इनका अध्यन करेंगे। इस विज्ञान के आगे न बढ़ने के दो कारण हैं। पहला है हमारी शिक्षा पद्धति जो हमें धन अर्जित ज्ञान तो सिखाती है लेकिन धर्म ज्ञान नहीं सिखाती, दूसरा है हमारा स्वयं की इस विषय पर रुचि का अभाव। यदि समय मिले तो कम से कम उपनिषदों को जरूर पढ़िएगा। सारे वेदों का सार इनमें दिया है जिन्हें स्वयं आदि शंकराचार्य जी ने लिखा है।
Aap ki bat me dum hai somi ji👌👍
धन्यवाद आपका। जय श्री हरि।
काम करना आवश्यक है,अपनी सोच को सकारात्मक रखते हुए
369सिर्फ आपको पॉजिवटिव रखने के लिए एक भार्मिक सहारा भर है बात थोट को इस आस्था के साथ करने से पॉजिटिव विटी को स्पोर्ट है,जो धारणा है बनाते है उसका प्रतिफल होता है,किसी भी वस्तु अंक या कोई एक चीज खुद चुनले बस भरोसा होना चाहिए वही चीज हमारे लिए ईश्वर बन जाती है ✌️
आप ठीक कहते हैं। आस्था बड़ी चीज है।
श्री मान जी,
आपकी बात यथार्थ सत्य है,लेकिन 369 का नियम,साइंस और साइकोलॉजी ये कहते है,
की आप कोई इच्छा बार बार लिखते है या मन और हरदय से पढ़ते है,
वो चीज हमारे अवचेतन मस्तिष्क तक पहुंच जाती है,
जब आपके मस्तिष्क में कोई इच्छा अपनी जगह बना ले तो शरीर अपने आप चलने की बजाय दौड़ने लगता है,
और रास्ते अपने आप मिलते दिखाई देते चले जाते है,
वैसे ये फिजिक्स का सवाल है या तो आप इसे स्वयं सिद्ध करे,
धन्यवाद
जय श्री राम
आपसे अनुरोध है कि मेरा आने वाला नया वीडियो आप जरूर देखें जिसमें आपके द्वारा बताई गई बात को लॉ ऑफ अट्रैक्शन के इस आने वाले वीडियो में अच्छे से समझाने का प्रयत्न किया है। सम्भव है आपकी शंका का समाधान मिल जाए।
जय श्रीहरि
Thanks sir
आपका भी धन्यवाद है मित्र।
Guruji, pranaam aapne bilkul sahi kahaa hamaare vedo me, shaastro me prmaan sahit bahut ese sutr hai jo is 369 ke adhure rahsye se adhik upyogi hain.
वाहे गुरु, परहित के पहले लाइक???!
Sherlock bhaiya apna dekhte Hain To apna hota uski baat duniya ka dikhte Hain ki duniya ka dastur hi
Karm kro fal milga very good sir ji
☺️☺️
Nice
वेद,उपनिषदमें सब कुछ है तो ये सब जाननेवालोने इन शास्रोको जनसामान्य को पढनेसे क्यो रोका? जिस वैज्ञानिक दृष्टिकोन की जरुरत है उसे रोकनेके लिये कौन लोग आज भी प्रयास करते है? और एक बात! वह सब विज्ञान/शास्त्र/ आगे क्यो नहीं बढ़ पाया?
मित्र, बच्चों की तरह बातें करते हो
किसने रोका है वेदों और शास्त्रों को पढ़ने से
आप जब इतना जानते हैं तो ये भी जानते होंगे की भारत में कहीं से भी आप ये वेद, पुराण आदि खरीद सकते हैं। इनका एक मुख्य प्रकाशक है गीता प्रेस, गोरखपुर उनसे मंगवा लीजिए और पढ़िए। वैज्ञानिक दृष्टिकोण तो तभी बनेगा जब आप इनका अध्यन करेंगे। इस विज्ञान के आगे न बढ़ने के दो कारण हैं। पहला है हमारी शिक्षा पद्धति जो हमें धन अर्जित ज्ञान तो सिखाती है लेकिन धर्म ज्ञान नहीं सिखाती, दूसरा है हमारा स्वयं की इस विषय पर रुचि का अभाव। यदि समय मिले तो कम से कम उपनिषदों को जरूर पढ़िएगा। सारे वेदों का सार इनमें दिया है जिन्हें स्वयं आदि शंकराचार्य जी ने लिखा है।
App tesla se Jada dimag bale hai 😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
Vedh, Sastra sab jhut hai Nikola Tesla ka 369 hi sahi hai
Chup kro .krm pardhan k saath y ek sehyog h