Brief History of Bhurshing mahadev | Bhurshing mahadev Temple Sirmour, Himachal Pradesh

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  • Опубликовано: 22 дек 2024

Комментарии • 17

  • @VeerSingh-jm8kg
    @VeerSingh-jm8kg 2 года назад +1

    Har Har Mahadev

  • @rupadevi9857
    @rupadevi9857 2 года назад

    Very Nice

  • @Pwn59
    @Pwn59 5 месяцев назад +1

    Jai bhole nath😂🙏

  • @rishabsharma3801
    @rishabsharma3801 2 года назад +1

    👍👍

  • @Poojasharma-su9lk
    @Poojasharma-su9lk 2 года назад

    nice

  • @Pwn59
    @Pwn59 5 месяцев назад +1

    Bholenath se bda koi nhi🤣🙏

  • @MAGICIAN_PRADEEP_RAJPUT
    @MAGICIAN_PRADEEP_RAJPUT 2 года назад +2

    Bhai ji bahut mast video thank you purani yaad taaja kar di Mandir dikha kar

  • @Pwn59
    @Pwn59 5 месяцев назад +1

    Ya dekha tha phir vo churddhar chley gye phir ab vhi se dekhte hai sub kuch😂

    • @mpvlogs999
      @mpvlogs999  5 месяцев назад

      कहते हैं कि चूरु और उसके बेटे की जान बचने के बाद दोनों ही भगवान शिव के अनन्‍य भक्‍त हुए। इस घटना के बाद से मंदिर के प्रति लोगों की श्रद्धा बढ़ती गई। साथ ही उस जगह का नाम भी चूड़धार के नाम से प्रसिद्ध हो गया। इसके अलावा चट्टान का नाम चूरु रख दिया गया। कहा जाता है कि हिमाचल प्रवास के दौरान आदि शंकराचार्य ने इस स्‍थान पर शिवलिंग की स्‍थापना की थी। इसी स्‍थान पर एक चट्टान भी मिलती है। जिसे लेकर मान्‍यता है कि यहां पर भगवान शिव अपने परिवार के साथ रहते थे। मंदिर के पास ही दो बावड़ियां हैं। मंदिर जाने वाले सभी श्रद्धालु पहले बावड़ी में स्‍नान करते हैं। उसके बाद मंदिर में प्रवेश करते हैं।