आचार्य प्रशांत संग लाइव ऑनलाइन सत्रों से जुड़ें, फ्री ईबुक पढ़ें: acharyaprashant.org/grace?cmId=m00036 'Acharya Prashant' app डाउनलोड करें: acharyaprashant.org/app?cmId=m00036 उपनिषद, गीता व सभी प्रमुख ग्रंथों पर ऑनलाइन वीडियो श्रृंखलाएँ: acharyaprashant.org/hi/courses?cmId=m00036 संस्था की वेबसाइट पर जाएँ: acharyaprashant.org/hi/home
अपनी कामना हो अपनी इच्छाओं को जरा जांच हो वह अधिकांश था तुम्हारे अहंकार से ही निकालरही होगी निष्काम था के दो प्रकार या तरीके :- (a) अपनी कामना के कारण का दायरा बढ़ाकर जैसे यदि आप पहले कहते थे कि मैं केवल अपने परिवार के लिए काम करता हूं तो अब अपने समाज के लिए कम करें b)कोई भी काम सत्य के लिए या कृष्ण के लिए करें क्योंकि आज तक आपने जितने सारे काम अपनी कामना से किए हैं उनकी परिणीति अंतत: दुख ही रही है उससे आपको कुछ स्थाई नहीं मिला है क्योंकि जो आपकी कामना थी वह गलत थी या अत्यंत क्षणिक व छोटी थी इसका केंद्र आत्मा की जगह अहंकार था हम जीवन में जितने भी अधिकांश कार्य करते हैं उसका केंद्र अहंकार होता है अहकार के केन्द्र मे होने के कारण हमें हमेशा अपूर्ण की ही अनुभूति होती है और उसे पूरा करने के लिए हम कार्य करते रहते हैं इसलिए यह आवश्यक है कि कार्यों का केंद्र आत्मा हो जिससे हमें पूर्णता .मिल सके हालांकि यह कम पूरे जीवन पर्यंत तक चलता रहता है
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Ahimsa and veganism is spirituality 🙏🌍🙏🌎
नाम का होना तब तक जरुरी है, जब तक सही काम न मिले
Koti koti naman acharya ji
Bina swarth ke life m work kro divaro ko today chye or aage bdna❤❤v thanks or v right sir ji
नमन आचार्य जी। 🙏
Vagawan aachary parshant jyu ka charno me koti koti naman
Aacharya ji Pranam❤❤🎉
Pranam Aacharya ji
Thanku sir ji gud guidance 🙏
🙏
Koti koti pranam guruji 🙏🙏🙏
धन्यवाद आचार्य जी
Hardik naman gurubar amazing gyan ❤❤❤❤
salute sir
Bohuth Bohuth sahi hai Aacharya ji 🙏🙏🙏🙏
Thanks
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌻🌻🌻
❤❤❤❤❤
शत् शत् नमन आचार्य श्री🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Aacharya ji me aapke pas aa rah hu aapki sharan me
❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏🙏
जब वास्तविक हित किसी कामना से पूरा नही हो रहा तो निष्काम हो जाओगे।
Sir plz thoda practical situations ke sath bataiyeee
Jo kaam dar aur moh ko time ke sath increase karta jaye,
wo nishkam karm nhi hai
Page laggu🙏
अपनी कामना हो अपनी इच्छाओं को जरा जांच हो वह अधिकांश था तुम्हारे अहंकार से ही निकालरही होगी
निष्काम था के दो प्रकार या तरीके :-
(a) अपनी कामना के कारण का दायरा बढ़ाकर जैसे यदि आप पहले कहते थे कि मैं केवल अपने परिवार के लिए काम करता हूं तो अब अपने समाज के लिए कम करें
b)कोई भी काम सत्य के लिए या कृष्ण के लिए करें
क्योंकि आज तक आपने जितने सारे काम अपनी कामना से किए हैं उनकी परिणीति अंतत: दुख ही रही है उससे आपको कुछ स्थाई नहीं मिला है
क्योंकि जो आपकी कामना थी वह गलत थी या अत्यंत क्षणिक व छोटी थी इसका केंद्र आत्मा की जगह अहंकार था
हम जीवन में जितने भी अधिकांश कार्य करते हैं उसका केंद्र अहंकार होता है
अहकार के केन्द्र मे होने के कारण हमें हमेशा अपूर्ण की ही अनुभूति होती है और उसे पूरा करने के लिए हम कार्य करते रहते हैं इसलिए यह आवश्यक है कि कार्यों का केंद्र आत्मा हो जिससे हमें पूर्णता .मिल सके हालांकि यह कम पूरे जीवन पर्यंत तक चलता रहता है
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