बहुत बड़ी और रहस्य पूर्ण बात है यह इसका सीधा सा अंतर गूढ़ रहस्य ही है कि प्रत्येक पाप और गलती किसी के द्वारा ही की गई हो उसमें प्रत्येक स्वयं व्यक्तित्व जिम्मेवार है अर्थात संसार की संपूर्ण नकारात्मकता या निषेधात्मकता एक सामूहिक मानसिकता की ही परिणति है और इसे सामूहिक मानसिकता में ही स्वीकार करना पड़ेगा तभी सार्वभौमिक निस्तारण और सार्वभौमिक प्रेम की स्थापना की जा सकती है अर्थात सामूहिक सिद्धि।
बहुत बड़ी और रहस्य पूर्ण बात है यह इसका सीधा सा अंतर गूढ़ रहस्य ही है कि प्रत्येक पाप और गलती किसी के द्वारा ही की गई हो उसमें प्रत्येक स्वयं व्यक्तित्व जिम्मेवार है अर्थात संसार की संपूर्ण नकारात्मकता या निषेधात्मकता एक सामूहिक मानसिकता की ही परिणति है और इसे सामूहिक मानसिकता में ही स्वीकार करना पड़ेगा तभी सार्वभौमिक निस्तारण और सार्वभौमिक प्रेम की स्थापना की जा सकती है अर्थात सामूहिक सिद्धि।
निस्संदेह
Jai Sree Maa
Thank you🙏
Namste Alok Da 🙏
Thanks
Thanks you dada
Manju
Thanks Bhai
Pranam Alok da
Apurba Apurba