Self-righteousness (RH 027)

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  • Опубликовано: 16 ноя 2024

Комментарии • 10

  • @leelagehlot9751
    @leelagehlot9751 3 года назад

    बहुत बड़ी और रहस्य पूर्ण बात है यह इसका सीधा सा अंतर गूढ़ रहस्य ही है कि प्रत्येक पाप और गलती किसी के द्वारा ही की गई हो उसमें प्रत्येक स्वयं व्यक्तित्व जिम्मेवार है अर्थात संसार की संपूर्ण नकारात्मकता या निषेधात्मकता एक सामूहिक मानसिकता की ही परिणति है और इसे सामूहिक मानसिकता में ही स्वीकार करना पड़ेगा तभी सार्वभौमिक निस्तारण और सार्वभौमिक प्रेम की स्थापना की जा सकती है अर्थात सामूहिक सिद्धि।

    • @AuroMaa
      @AuroMaa  3 года назад

      निस्संदेह

  • @adityaverma9963
    @adityaverma9963 4 года назад

    Jai Sree Maa

  • @suchetabandyopadhyaya6120
    @suchetabandyopadhyaya6120 4 года назад

    Thank you🙏

  • @yogeshbariya
    @yogeshbariya 4 года назад

    Namste Alok Da 🙏

  • @amlok2k
    @amlok2k 4 года назад

    Thanks

  • @santilatasahoo3343
    @santilatasahoo3343 4 года назад

    Thanks you dada

  • @myandroid2022
    @myandroid2022 4 года назад

    Manju
    Thanks Bhai

  • @biswanathpradhan8502
    @biswanathpradhan8502 4 года назад +1

    Pranam Alok da

  • @anjaligupta7499
    @anjaligupta7499 4 года назад

    Apurba Apurba