खरवार समाज इस धरती का प्रथम साशक श्रीष्ठी का योजना , रचनाकार जीवों में सर्वश्रेष्ठ मानव प्रजाति के ज्ञान बृद्धी है। शभू-शेक अठ्ठासी पीढ़ी में प्रथम शासक गुरु सा ज्ञानी सा संत सा त्रिशूल धारी त्रयनेत्र धारी त्रयंम्बक त्रिशंकू ऋषिशिरोमणी स्वयंभू सा महाप्रभू के 80वें पीढ़ी में दक्ष पुत्री माता पार्वती अर्थात अदिति का विवाह महा प्रभू शिव अर्थात कश्यप के पुत्र का नाम आदित्य अर्थात सूर्य अर्थात ब्रह्म अर्थात विष्णु अर्थात शंकर अर्थात तैतीस देव के पुत्र का नाम मरीचि के कला स्त्री से कश्यप और अत्री कश्यप से सूर्य वंश और अत्री से चंद्र वंश कश्यप अर्थात मनु के आठवें पुत्र नाम करुष से करुषवंश करुवारवंश कषरवारवंश कहरवारवंश गहरवारवंश कलवारवंश गहरवारवंश कर्कखंड झारखंड कश कुश काशी कन कनेत कंस कौरव कुरुक्षेत्र कर्ण कैश्पियन सागर से कश्मीर और कश्मीर से कन्याकुमारी तक का इतिहास कोल किरात कोया नाग निषाद आदि । अत्री से सोम अर्थात चंद्र और चंद्र के पुत्र का नाम गोविन्द चंद्र और गोविन्द चंद्र के पुत्र मदन चंद्र फिर मदन चंद्र के पुत्र का नाम विजय चंद्र फिर विजय चंद्र के पुत्र जय चंद्र जिन्हें इतिहास का काला अध्याय कहा जाता है, जय चंद्र के पुत्र का नाम हरिश्चंद्र और पुत्री का नाम संयोगिता गढ़वाल वंश आदि
आदिवासी आदिमजाती गोंड खरवार चेरो कोल मुंडा हजारों दस हजार वर्ष पूर्व का इतिहास शभू-शेक अठ्ठासी पीढ़ी पीठ के रचयिता बैलो के सींग से निर्मित ताज से सुशोभित त्रयनेत्र धारी त्रिशूल धारी महा प्रभू परमात्मा श्रीष्ठी की योजना , रचना कार राजा धिराज महाराज सा गुरु , ज्ञानी , संत , शाधक के स्वरुप का वर्णनन आज भी आदिवासी शिव ,पार्वती , गणेश , कार्तिकेय , दुर्गा , काली , शेर , भालु की भेष बूषा में नृत्य , नाटक , बाद्य के माध्यम से निरंतर कोशिश में लगें है, हिस्ट्री आफ भारत का इतिहास को समझाना बतलाना चाहते है, पर लोग समझ कर ना समझने का ढ़ोग करते है। अंत समझने वाले जब महर्षि वाल्मिक जी की दोहा उल्टा नाम जपे जग जाना । वाल्मिक भयो ब्रह्म समाना । मृत्यु ही अंत है, और सत्य है। सत्य ही शुरुआत। जीस प्रकार एक विज जमी के अन्दर अपने को सड़ा - गलाकर शुरुआत को उत्पन्न करता है। जीस प्रकार प्रथम अंक एक अंतिम अंक नौ के बाद शुन्य को जोड़कर दस बनता है। हर एक के साथ शुन्य जोड़ने पर प्रथम अंक बनता है। इसी तरह प्रथम अंक ही अंत होता है। अब चाहे कोई जीतना भी चतुराई करे पर आदिवासी ही सत्य है , प्रथम है, और अंत । गरीबी इतनी भी बुरी नही जीतनी अमीरी का चकाचौंध चिढ़ाता है , गरीबों की मौत कम एहसास कराता और धन के अभाव जल्द मुक्ती पाता है। अमीरी इतना भी अच्छा नही की धन प्रभाव के कारण मुक्ती देर में पाता है। हम सब इन्ही गुफा , कन्दरा , जीव , जन्तु , पशु , पशु - पंक्षी वृक्ष आदिवासी से आदिमानव, मानव बने है। कहानी लंबा है, सालिड है। फर्क इतना है, जो चक्रव्यूह बनाते है, उसी चक्रव्यूह में फस जाते और प्रकृत द्वारा निर्धारित दायित्व का निर्वहन नही कर । विचारों के अदान -प्रदान पर शेष भाग जोड़ा जायेगा ।
LOHARA के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय से तीन बार डिसीजन हो चुका है यह बताएं कि यह जनजाति बिहार में कहां पाई जाती है और उनकी ट्रेडिशनल व्यवसाय और कुल देवता कौन है ।
Very nice jai Kharwar samaj
Thank you sir for Introducing our Tribe ❤
You explained so much about the Kharwar caste thank you sir I'm Abhishek Khairwar frm gkp UP
खारवाल खरीवाल खारोल समाज राजस्थान के सभी जिलों में निवास करती है
Thank you sir, good information
Very good
Thanks for your helpful video 🙂,,,, I am also kharwar Tribes 10:38
tumhara caste certificate hai kya?
Nice information 😊
Great 👍
धन्यवाद सर
❤❤
जय हो
Thanku sir....
Where are you from My brother ❤ I'm also belonging to kharwar tribe ❤
Hello sir 😊 i am survanshi kharwar 😊😊
Suryavanshi rajput
Are bhai suryavanshi kab se adiwasi ho gya
Jay hind sir
Jay shree ram 😊😊😊😊😊 kharwar Jay
खरवार समाज इस धरती का प्रथम साशक श्रीष्ठी का योजना , रचनाकार जीवों में सर्वश्रेष्ठ मानव प्रजाति के ज्ञान बृद्धी है।
शभू-शेक अठ्ठासी पीढ़ी में प्रथम शासक गुरु सा ज्ञानी सा संत सा त्रिशूल धारी त्रयनेत्र धारी त्रयंम्बक त्रिशंकू ऋषिशिरोमणी स्वयंभू सा महाप्रभू के 80वें पीढ़ी में दक्ष पुत्री माता पार्वती अर्थात अदिति का विवाह महा प्रभू शिव अर्थात कश्यप के पुत्र का नाम आदित्य अर्थात सूर्य अर्थात ब्रह्म अर्थात विष्णु अर्थात शंकर अर्थात तैतीस देव के पुत्र का नाम मरीचि के कला स्त्री से कश्यप और अत्री
कश्यप से सूर्य वंश और अत्री से चंद्र वंश
कश्यप अर्थात मनु के आठवें पुत्र नाम करुष से करुषवंश करुवारवंश कषरवारवंश कहरवारवंश गहरवारवंश कलवारवंश गहरवारवंश कर्कखंड झारखंड कश कुश काशी कन कनेत कंस कौरव कुरुक्षेत्र कर्ण कैश्पियन सागर से कश्मीर और कश्मीर से कन्याकुमारी तक का इतिहास कोल किरात कोया नाग निषाद आदि ।
अत्री से सोम अर्थात चंद्र और चंद्र के पुत्र का नाम गोविन्द चंद्र और गोविन्द चंद्र के पुत्र मदन चंद्र फिर मदन चंद्र के पुत्र का नाम विजय चंद्र फिर विजय चंद्र के पुत्र जय चंद्र जिन्हें इतिहास का काला अध्याय कहा जाता है, जय चंद्र के पुत्र का नाम हरिश्चंद्र और पुत्री का नाम संयोगिता गढ़वाल वंश आदि
Jai johar
आदिवासी आदिमजाती गोंड खरवार चेरो कोल मुंडा हजारों दस हजार वर्ष पूर्व का इतिहास शभू-शेक अठ्ठासी पीढ़ी पीठ के रचयिता बैलो के सींग से निर्मित ताज से सुशोभित त्रयनेत्र धारी त्रिशूल धारी महा प्रभू परमात्मा श्रीष्ठी की योजना , रचना कार राजा धिराज महाराज सा गुरु , ज्ञानी , संत , शाधक के स्वरुप का वर्णनन आज भी आदिवासी शिव ,पार्वती , गणेश , कार्तिकेय , दुर्गा , काली , शेर , भालु की भेष बूषा में नृत्य , नाटक , बाद्य के माध्यम से निरंतर कोशिश में लगें है, हिस्ट्री आफ भारत का इतिहास को समझाना बतलाना चाहते है, पर लोग समझ कर ना समझने का ढ़ोग करते है।
अंत समझने वाले जब महर्षि वाल्मिक जी की दोहा
उल्टा नाम जपे जग जाना ।
वाल्मिक भयो ब्रह्म समाना ।
मृत्यु ही अंत है, और सत्य है।
सत्य ही शुरुआत।
जीस प्रकार एक विज जमी के अन्दर अपने को सड़ा - गलाकर शुरुआत को उत्पन्न करता है।
जीस प्रकार प्रथम अंक एक अंतिम अंक नौ के बाद शुन्य को जोड़कर दस बनता है।
हर एक के साथ शुन्य जोड़ने पर प्रथम अंक बनता है।
इसी तरह प्रथम अंक ही अंत होता है।
अब चाहे कोई जीतना भी चतुराई करे पर आदिवासी ही सत्य है , प्रथम है, और अंत ।
गरीबी इतनी भी बुरी नही जीतनी अमीरी का चकाचौंध चिढ़ाता है , गरीबों की मौत कम एहसास कराता और धन के अभाव जल्द मुक्ती पाता है।
अमीरी इतना भी अच्छा नही की धन प्रभाव के कारण मुक्ती देर में पाता है।
हम सब इन्ही गुफा , कन्दरा , जीव , जन्तु , पशु , पशु - पंक्षी वृक्ष आदिवासी से आदिमानव, मानव बने है।
कहानी लंबा है, सालिड है।
फर्क इतना है, जो चक्रव्यूह बनाते है, उसी चक्रव्यूह में फस जाते और प्रकृत द्वारा निर्धारित दायित्व का निर्वहन नही कर ।
विचारों के अदान -प्रदान पर शेष भाग जोड़ा जायेगा ।
Hi sir ❤
Ham bhee cast hai khawar singh brand
उरांव जनजाति का इतिहास
Sanjay Kumar kharwar
Hum kherwad he per ye harishchandra ko he hum nhi mante he ki hum harishchand ka wansaj nhi he!!jay sing bonga!!
Kharwar jati konse language mae baat karte hai
Kherijhar kaha hai esko khud pata nhi hai to kya btayga
LOHARA के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय से तीन बार डिसीजन हो चुका है यह बताएं कि यह जनजाति बिहार में कहां पाई जाती है और उनकी ट्रेडिशनल व्यवसाय और कुल देवता कौन है ।
बहुत कुछ डिफरेंट बताया गया इस विडीयो मे जो मेल नहीं हुआ खरवार से
Kharwar jate ka whasp gurup aal indea hona chahea jeshe pure neuz Mel shke
Am kharwar but ye pata nhi hai hamko ki harishchandra ka vanshaj hai .ham to sirf raja dhawal dev ke bare me hi jante hai
Kherwar nhi hota be
Kharwar ji hota hai 😡
Jabardasti kuchh bhi Bata ke itihaas banane lagte Hain
Beta tu na apna history pata karo thik hai tumhara to aata pata to hai hi nhi hai
❤❤