दीदी आप आत्मनिष्ठ साध्वी हो, भ्रमों को उड़ाने वाली हो। ऐसी आत्म तत्व ज्ञानी इस धरती पर हैं मुझे आश्चर्य होता है। मैं मिल तो नहीं सकता लेकिन धन से ऐसे संतो की सेवा करना चाहूंगा। साहिब बंदगी।
दीदी, एक विचार मेरा भी है , चाहे आप उस स्तर पर पहुंची हैं या नहीं मुझे मालूम नहीं, यह है कि जड़(देह) और चेतन(आत्मा) से परे एक ऐसी सत्ता और है जिसको हम महा चैतन्य परमात्मा कह सकते है। उस स्टेज पर जाकर जड़ (भ्रम)और चेतन (आत्मा)की उत्पत्ति समझ में आती है। चेतना से भी परे, जड़ से भी परे निकला जा सकता है। ऐसे संत ऐसी रहनी गहनी में रहते है कि वो गृहस्थ और बिरक्त दोनो से परे रहते है। कोई बिरला बिरक्त या गृहस्थ ही भवसागर पार कर पाता है।कबीर साहब अपने नेत्र सुरती के माध्यम से अपने शिष्य धर्मदास की पत्नी आमीन को गर्भवती किया था। क्या यह बात सत्य नहीं है। बिरक्त मार्ग से भवसागर पार करना अत्यंत दुर्लभ है।
Saheb bandagi 🙏🙏🙏
जय कबीर साहेब.
,🙏🙏🙏🙏🙏🙏
साहेब बंदगी साहेब बंदगी साहेब बंदगी साहेब जी🤲🤲🤲🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹💐💐💐🌹🌹
साहिब बंदगी साहिब जी❤❤❤❤❤❤
Saheb bandagi saheb ji 🙏💐🙏💐🙏💐
शाहब बंदगी बहुत ही सुन्दर विचार शाहब बंदगी
Saheb bandagi saheb
Saheb bandagi saheb ji
बहुत ही सुन्दर, सारगर्भित एवं कल्याणकारी प्रवचन ।धन्यवाद आपका बहुत बहुतआभार, सपेम साहेब बंदगी साहेब 3🎉🎉🎉
Shahb ji ke charno me koti koti bandan hai 🌷🙏🌹🌷🙏🌹🌷🙏🌹
Saheb bandagi ❤🙏🙏
Saprem saheb bandagi
Satnam
Saheb banadagi sahiba ji 3
दीदी आप आत्मनिष्ठ साध्वी हो, भ्रमों को उड़ाने वाली हो। ऐसी आत्म तत्व ज्ञानी इस धरती पर हैं मुझे आश्चर्य होता है। मैं मिल तो नहीं सकता लेकिन धन से ऐसे संतो की सेवा करना चाहूंगा। साहिब बंदगी।
Bandagi Saheb ji. 🎉🎉🎉
Kanpur
0:46 0:47
❤VAgaban.margare nehi puja nehi upasana.rmji
सुबह की हार्दिक चरण बंदना 🙏🙏🙏
गुरु मां के श्री चरणो मे साहेब बंदगी साहेब जी दास के सभी प्रश्नों का उत्तर आपके सत्संग ही मिल जाता है
👏👏👏👏👏🚩🚩🚩🚩🚩
❤❤ saheb bandagi saheb bandagi sitarambhai surat amroli ❤❤😂
दीदी, गुरु किसी का कोई नहीं है ,जब आप आत्मा हो तो आप स्वयं के गुरु हो।
दीदी, एक विचार मेरा भी है , चाहे आप उस स्तर पर पहुंची हैं या नहीं मुझे मालूम नहीं, यह है कि जड़(देह) और चेतन(आत्मा) से परे एक ऐसी सत्ता और है जिसको हम महा चैतन्य परमात्मा कह सकते है। उस स्टेज पर जाकर जड़ (भ्रम)और चेतन (आत्मा)की उत्पत्ति समझ में आती है। चेतना से भी परे, जड़ से भी परे निकला जा सकता है। ऐसे संत ऐसी रहनी गहनी में रहते है कि वो गृहस्थ और बिरक्त दोनो से परे रहते है। कोई बिरला बिरक्त या गृहस्थ ही भवसागर पार कर पाता है।कबीर साहब अपने नेत्र सुरती के माध्यम से अपने शिष्य धर्मदास की पत्नी आमीन को गर्भवती किया था। क्या यह बात सत्य नहीं है। बिरक्त मार्ग से भवसागर पार करना अत्यंत दुर्लभ है।
Saheb bandagi saheb ji 🌹🌹🌹🌹🌹🤲