यही इस देश की विडंबना है कि यहां सच्चाई को दबाया गया है भ्रम को फैलाया गया है। जबकि सच्चाई को बताया जाना चाहिए जिससे लोगों में सत्य के प्रति निष्ठा और जानकारी बढ़े और सही निर्णय ले सकें।
Sir तभी मुझे आजतक history कभी समझ नहीं आई क्योंकि historians ने बहुत भ्रमित किया है । मगर आपकी इस जानकारी को काफी appreciate करता हूं। अब मुझे समझ में आ गया के आखिर history real में है क्या । Thanks for this knowledge 🙏
आपको बहुत धन्यवाद ऐसी बारीकी से लिपि और भाषा में अंतर बताया । ऐसा लगता है की प्राकृत भाषा का ही संस्कारित रूप ही संस्कृत है। संस्कृत से प्राकृत में लिखा कोई ग्रंथ नही मिलता है jbki प्राकृत से संस्कृत में बहुत ग्रथ पाए जाते है । अतः आपकी बातो में सच्चाई मालूम होती है ।ऐसे कठिन विषय बात करने का बहुत बहुत धन्यवाद ।
जिस समय इंडो यूरोपीय भाषा का कॉन्सेप्ट दिया गया था उस समय अशोक के अभिलेख नही पढ़े गए थे इसीलिए उस समय एकेडमिक में ये स्वीकार कर लिया गया कि संस्कृत इंडो यूरोपीय भाषा है। बाद में कई विद्वानों ने अपडेट किया लेकिन तब तक भारत मे लोगों ने वही कोंन्सेप्ट प्रचलित कर दिया। आज भी कुछ लोग संस्कृत को इंडो यूरोपीय भाषा बताते हैं जबकि यह पाली प्राकृत से संस्कारित हुई है। यवन, पार्थियन, शक, कुषाण, हूण लोगों के आने पर कुछ नए स्वर और व्यंजन जोड़े गए जिसे हाइब्रिड संस्कृत कहा गया। 'ऋ' को तो 7वीं सदी के बाद जोड़ा गया। अब कोई बताए कि ऋग्वेद किसने हज़ारो साल पहले लिख दिया??
सही कहा आपने यहां हमेशा सच्चाई को छुपाकर झूठ और भ्रम फैलाया गया है जिससे देश का बहुत नुकसान हुआ है। इसलिए देश के सभी जागरूक और बुद्धजीवी लोगों से गुजारिश है कि भारत का सच्चा इतिहास देश के सामने आना चाहिए।
जय भारत सर जी, महान बौद्ध धर्म एवं बौद्धिक संस्क्रति को कुटिल बाहरी योजनाओं के द्वारा कमजोर/नष्ट-भ्रष्ट करके भारत के सत्य इतिहास को दबाया जाता रहा है परन्तु धीरे-धीरे सत्य सामने आ रहा है ।जय संविधान जय विज्ञान ।
सर बहुत बहुत धन्यवाद आपका संस्कृत भाषा को लेकर जो भ्रम लोगों में फैला है उसे दुर करने में आपका प्रयास सराहनिय है.इस विडीओ में आपने सम्राट अशोक के गिरनार मेजर राॅक इंस्क्रीप्शन का जो अनुवाद किया है उसमे समाज का अर्थ ऐसा त्योहार या ट्रॅडीशन होना चाहिये और मोर का अर्थ पंछी और मिग का अर्थ प्राणी से है.
सम्राट अशोक ने इसी तरह के कई शिलालेख भारत के विभिन्न जगहो पर खुदवाये थे जो वहा की स्थानिय भाषा में लिखे गये थे.जहा मोर शब्द की जगह मुर्ग शब्द का उपयोग किया गया है.
भारतीय भाषा और लिपियों के संदर्भ में तटस्थ दृष्टि से गहन खोजपरक विश्लेषण के लिए आपका आभार। मैं आपसे सहमत हूं। मैं भी भाषा पर काम करता हूं। मैंने भी यही बात कई जगह कही है कि भारत की सबसे प्राचीन जनभाषा जिसे प्राकृत नाम से संबोधित किया गया है, को संस्कार कर लिखित प्रयोजन के लिए संस्कृत बनाई गई थी।
Sar aap bilkul sahi padha rahe hain Hamare desh ki sabse Prachin Bhasha prakruti Pali hi hai brahmanvadi itihaaskar aur sarkaren Ne is sacchai ko sadaiv Dafan karne ki koshish Ki Hai lekin Aaj Unki is kartut ka Bhanda foot chuka hai Namo buddhay Jay Bheem Jay Ashok Jay mulniwasi
आपका यह वीडियो बहुत ही ज्ञानवर्धक है। मैं तो विज्ञान का विद्यार्थी रहा हूं,पर प्राचीन भारतीय इतिहास में मेरी सदा से रुचि रही है,पर पढ़ नहीं पाया। जीवन के अंतिम सत्र में मैं फिर से पढ़ रहा हूं। कुछ पढ़ा भी है पर वह प्रारंभिक है। जूनागढ़ के अभिलेख में लिखी कुछ पंक्तियों को कुछ लोग प्रारंभिक संस्कृत के तौर पर प्रस्तुत करते हैं।आपके द्वारा बहुत सी बातें स्पष्ट हुईं।
Yeh pehla esa channel h jisper itni durlabh jankari mili .great job sir .kitni Khushi ho rahi hai yeh prachin lipi sikhker bata ni sakti .Thank you so much sir 🙏
आपका प्रयास सराहनीय है।🙏 किंतु श्र त्र ज्ञ क्ष आदि कोई अलग अक्षर नहीं, संयुक्ताक्षर हैं। अर्थात् ये वास्तव में एक से अधिक अक्षरों के समूह हैं। हाँ, हम इनका और कुछ अन्य अक्षरों का भी, उच्चारण अशुद्ध करते हैं। श्र = श् + र् + अ त्र = त् + र् + अ क्ष = क् + ष् + अ ज्ञ = ज् + ञ् + अ और गृ = ग् + ऋ ट्र = ट् + र् + अ क्र = क् + र् + अ कृ = क् + ऋ कर्म = क् + अ + र् + म् + अ आप अपने फोन पर भी इन्हें जोड़कर देख सकते हैं। अतः ब्राह्मी लिपि में "क्ष त्र ज्ञ श्र(यदि श ब्राह्मी में है तो) क्र ट्र कर्म" लिखे जा सकते हैं। हाँ , च्योंकि ऋ,ॠ नहीं है तो कृ,कॄ आदि नहीं लिखे जा सकते। मैं संस्कृत को मूल रूप से सीखने हेतु पाणिनि व्याकरण (अष्टाध्यायी, धातुपाठ, लिङ्गानुशासनम्, उणादिकोष, गणपाठ) में अध्ययनरत हूँ। संस्कृत में सभी शब्द धातुओं से बनते हैं। यदि कोई संस्कृत व्याकरण जानता हो तो वह किसी भी संस्कृत शब्द के मूल में जाकर उसका अर्थ जान सकता है। संस्कृत को जानने से संस्कृत एक अत्यन्त उन्नत भाषा लगती है। यह पाली से पुरानी हो या न हो, यह पता नहीं, न ही मेरे लिए यह जानना अति महत्त्वपूर्ण है, न मैं विशेषज्ञ हूँ। लेकिन संस्कृत निश्चित ही संसार की सबसे पुरानी भाषा नहीं हो सकती। इसकी उन्नतता इसका प्रमाण है। आज तक के जीवन के अनुभवों को देखकर ऐसी भाषा पहले प्रयास में ही बन जाए, ऐसा निश्चित ही नहीं प्रतीत होता। ऐसा हो सकता है कि भाषा धीरे-धीरे विकसित हुई हों, और उस विकास में आगे कहीं जाकर संस्कृत की उत्पत्ति संभव हुई हो। ऐसी भाषा जिसका एक - एक शब्द का ठीक वैसा होना जैसा कि वो है, व्याकरण के किसी कारण से है। यह भाषा निश्चित ही संस्कारित की गई, अतः संस्कृत, व अन्य भाषाऐं जो इसके निर्माण में सहायक रहीं अथवा इसके बाद भी बनीं, जिनके शब्दों का वैसा होना, जैसे कि वो हैं बोलने वालों की नैसर्गिकता, पसंद अथवा बोलने में रसिकता के कारण हुआ वो प्राकृत, मतलब जो वैसी हैं जैसी वो प्रकृति प्रदत्त अर्थात् नैसर्गिक थीं, जैसी लोगों को ठीक, सुगम लगी; जिसके ठीक वैसा होने के पीछे ज़्यादा मानव निर्मित नियम नहीं हैं।। जैसे - पाली, मागधी, ब्रजभाषा, हिन्दी आदि। विषय ज़्यादा परेशान कर रहा हो तो छोड़ो। यह बात उतनी महत्वपूर्ण नहीं है कि जीवन का सबसे बड़ा मुद्दा बन जाए। सबसे बड़ा मुद्दा होने की गुणवत्ता है। जीवन की गुणवत्ता है। कोई और सांसारिक विषय चाहिए हो तो - आज पर्यावरण की स्थिति, व मेरी , मेरे कार्य करने, संसार से मेरे संबंधों व समाज(राष्ट्र व शासनतंत्र सहित) की स्थिति व उनका मूल आधार। 🙏
सर आपका कार्य बहुँत ही सराहनीय है जो कि आधुनिक युग में इन राजनैतिक पार्टियों ने इसे जहरीला बनाकर रख दिया है। आपका विडियो देखने के बाद दिमाग के सारे जाले साफ हो गए हैं। हालांकि इस विषय को लेकर हम पहले से कहते आऐ हैं कि पाली प्राकृत ही देश की प्राचीन भाषा है और उसे आपने प्रमाणिक कर दिया।
सर मुझे आपके वीडियो से बहुत ही अच्छा ज्ञान मिलता है कृपया करके आप इस तरह का और भी वीडियो बनाते रहे और यूट्यूब पर उसे अपलोड करें ताकि हम जैसे लोगों का ज्ञानवर्धक हो सके
बहुत बढ़िया राह पर जा रहे हो मित्र। साइंस जर्नी सही ही कहते हैं उनका कारवां बढ़ रहा है। आप जैसे लोग भिन्न खुलकर आ रहे हैं। आप नाप तोल के बोलते हो वो एग्रेसिव हैं। दोनो का महत्व है
Very Nice sir. You are really an honest and knowledgeful person sir. Nowadays its very difficult to remain unaffected from the impressions of wrong history. You are the one who has well studied and presented us about real history.
Sir tab toh hamara pura itihaas hi galat padaya ja raha hai, vedic yug wali baat hi bilkul juthi nikal gayi, Aap ki baat bilkul sahi lagti hai, ancient history toh rewrite karne ki zarurat hai. Yeh toh historians ka shadyanter lagta hai kyon ki iss ko toh aak aam aadmi bhi samj sakta hai
धम लिपी को सबसे पहले अंग्रेज़ पुरातत्ववेत्ता जेम्स प्रिंसेप ने 1937 पढ़ा था ना कि यहां के भाषाविदों या लिपी के जानकारों ने। यहां के तथाकथित बुद्धजीवियों को अहंकार है कि संस्कृत ही सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत को लिखने का वास्तविक लिपि देवनागरी है इस लिपि के बिना संस्कृत नहीं लिखी जा सकती।
वाह sir, मान गए आप गुरुओं के भी गुरु हैं इतनी गहराई से अध्यन करके हमे भारत का असली इतिहास बताने वाला कोई super tallented इंसान ही होगा वरना हमे education book में वर्षों से गलत इतिहास पढ़ाया जाता था । आपका दिल से बहुत बहुत धन्यवाद । I
मैं प्राकृत और संस्कृत को समकालीन मानता था, कि संस्कृत विद्वानों और उच्च वर्गों के द्वारा प्रयोग में रहा होगा और प्राकृत आम जनता के द्वारा बोला जाता रहा होगा। और कहा भी जाता है कि बुद्ध ने इसीलिए प्राकृत भाषा मे संदेश दिए ताकि आम जनता तक बात पहुंचे। भविष्य पुराण में भी यही कहा गया है कि बुद्ध अवतार में विष्णु जी ने अनार्यों को सम्मोहित करने के लिए प्राकृत भाषा मे संदेश दिया। अनार्य अर्थात जो श्रेष्ठ या शिक्षित नहीं थे। मगर आपने जो बताया वो भी सही लग रहा है। फिर भी और खोज होनी चाहिए।
Yes if we study graphology , its very clear that how script changed and affected society time to time , using brahmi or bhambi lipi or script is better for human development as society or personal development Prakrat or pali is used in too many company logos now a days , Good to see your clear knowledge and preaentation it will make awareness in common indian Thanking you
I agree 👍 sir ...Pali prakrit hi. Hai.. Sanskrit baad me chalan me aaya hai... Suruaat . Kbhi bhi Etna sudhdha ho hi nhi sakta .. Jis trah se Pali pra. Bhasha ko bataya pad ke ..iagrre Niche cament paad ke rha nhi gya ...so 🙏👍
सर नमस्कार आज मेरा बहुत ज्ञानवर्धन हुआ है। आप के ज्ञान को बहुत बहुत साधुवाद,🙏🙏 सर मैं यह जानना चाहता हूं, की आप ने यह सब कैसे सीखा।। आप से और ज्यादा प्रश्न केसे पूछ सकता हूं
Sir yeh statement jordar tha mai job karta hu youtuber nahi hui sir very thanks to your hard work of creating good video like this . Apko to noble prize milna chahiye itni bharo reasearch ki ha mere liye nayi jankari ha , great sir
सच्चाई हजम नहीं होती भारतीयों को । मैं पिछले 4 साल से ईरान और मध्यपूर्व का इतिहास पढ़ रहा हूं और आपसे पूर्णतः सहमत हूं ।
पालि सीखो सभी, जो असोक की बानि।
सब्ब सुखद मनभावनी, गहन ज्ञान की खानि।।
बहुत ही अच्छी तरह से पाली ब्राह्मी और संस्कृत भाषा के बारे में बताया, ऐसे ही पुराने अभिलेखों को पढ़ा और समझा जा सकता है।
यही इस देश की विडंबना है कि यहां सच्चाई को दबाया गया है भ्रम को फैलाया गया है।
जबकि सच्चाई को बताया जाना चाहिए जिससे लोगों में सत्य के प्रति निष्ठा और जानकारी बढ़े और सही निर्णय ले सकें।
Sir तभी मुझे आजतक history कभी समझ नहीं आई क्योंकि historians ने बहुत भ्रमित किया है ।
मगर आपकी इस जानकारी को काफी appreciate करता हूं। अब मुझे समझ में आ गया के आखिर history real में है क्या ।
Thanks for this knowledge 🙏
भारत का सच्चा इतिहास आर्कियोलॉजिकल fact based , बाहर लाने के लिए आपका शुक्रिया ।
जय भीम नमो बुद्धाय🙏🙏
आपको बहुत धन्यवाद ऐसी बारीकी से लिपि और भाषा में अंतर बताया । ऐसा लगता है की प्राकृत भाषा का ही संस्कारित रूप ही संस्कृत है।
संस्कृत से प्राकृत में लिखा कोई ग्रंथ नही मिलता है jbki प्राकृत से संस्कृत में बहुत ग्रथ पाए जाते है । अतः आपकी बातो में सच्चाई मालूम होती है ।ऐसे कठिन विषय बात करने का बहुत बहुत धन्यवाद ।
जिस समय इंडो यूरोपीय भाषा का कॉन्सेप्ट दिया गया था उस समय अशोक के अभिलेख नही पढ़े गए थे इसीलिए उस समय एकेडमिक में ये स्वीकार कर लिया गया कि संस्कृत इंडो यूरोपीय भाषा है। बाद में कई विद्वानों ने अपडेट किया लेकिन तब तक भारत मे लोगों ने वही कोंन्सेप्ट प्रचलित कर दिया। आज भी कुछ लोग संस्कृत को इंडो यूरोपीय भाषा बताते हैं जबकि यह पाली प्राकृत से संस्कारित हुई है। यवन, पार्थियन, शक, कुषाण, हूण लोगों के आने पर कुछ नए स्वर और व्यंजन जोड़े गए जिसे हाइब्रिड संस्कृत कहा गया। 'ऋ' को तो 7वीं सदी के बाद जोड़ा गया। अब कोई बताए कि ऋग्वेद किसने हज़ारो साल पहले लिख दिया??
सही कहा आपने यहां हमेशा सच्चाई को छुपाकर झूठ और भ्रम फैलाया गया है जिससे देश का बहुत नुकसान हुआ है।
इसलिए देश के सभी जागरूक और बुद्धजीवी लोगों से गुजारिश है कि भारत का सच्चा इतिहास देश के सामने आना चाहिए।
बहुत आसानी से पाली सिखा रहे हैं आप।
बुंदेलखंड सर जी आप जैसे व्यक्तियों विचारकों पर हम जैसे भारतीय को गर्व है क्रांतिकारी जय जय जय भारत जय संविधान सत्यमेव जयते ✍️💖🌹🇮🇳💪🙏
जय भारत सर जी, महान बौद्ध धर्म एवं बौद्धिक संस्क्रति को कुटिल बाहरी योजनाओं के द्वारा कमजोर/नष्ट-भ्रष्ट करके भारत के सत्य इतिहास को दबाया जाता रहा है परन्तु धीरे-धीरे सत्य सामने आ रहा है ।जय संविधान जय विज्ञान ।
सर बहुत बहुत धन्यवाद आपका संस्कृत भाषा को लेकर जो भ्रम लोगों में फैला है उसे दुर करने में आपका प्रयास सराहनिय है.इस विडीओ में आपने सम्राट अशोक के गिरनार मेजर राॅक इंस्क्रीप्शन का जो अनुवाद किया है उसमे समाज का अर्थ ऐसा त्योहार या ट्रॅडीशन होना चाहिये और मोर का अर्थ पंछी और मिग का अर्थ प्राणी से है.
सम्राट अशोक ने इसी तरह के कई शिलालेख भारत के विभिन्न जगहो पर खुदवाये थे जो वहा की स्थानिय भाषा में लिखे गये थे.जहा मोर शब्द की जगह मुर्ग शब्द का उपयोग किया गया है.
आपका पाली भाषा के बारे में बहुत सुन्दर जानकारी दी इसके लिए बहुत-बहुत साधुवाद व बधाइयाँ जय भारत
Hanara.ateet.bahut.sunder.aapne...dhamm.lipi.ki.bahut.hi.satik.jankari.di.hay
Sir ji great job....first time muje original language ki history mile hai....acha laga aapka ye video.
भारतीय भाषा और लिपियों के संदर्भ में तटस्थ दृष्टि से गहन खोजपरक विश्लेषण के लिए आपका आभार। मैं आपसे सहमत हूं।
मैं भी भाषा पर काम करता हूं। मैंने भी यही बात कई जगह कही है कि भारत की सबसे प्राचीन जनभाषा जिसे प्राकृत नाम से संबोधित किया गया है, को संस्कार कर लिखित प्रयोजन के लिए संस्कृत बनाई गई थी।
बहुत ही प्रसंशनीय कार्य आपके द्वारा किया जा रहा है।
जिस इतिहास से आजतक हम अनभिज्ञ थे उस इतिहास से अवगत कराने के लिए आपको विनम्र धन्यवाद...
सरजी...आपको बहूत बहूत धन्यवाद...🙏🙏
आपके चरण को नमन करता हू....
कुदरत आपको बहूत लंबी उम्र दे....
𑁍 𑀦𑀫𑁄𑀩𑀼𑀤𑀥𑀸𑀬 𑁍
Sar aap bilkul sahi padha rahe hain Hamare desh ki sabse Prachin Bhasha prakruti Pali hi hai brahmanvadi itihaaskar aur sarkaren Ne is sacchai ko sadaiv Dafan karne ki koshish Ki Hai lekin Aaj Unki is kartut ka Bhanda foot chuka hai Namo buddhay Jay Bheem Jay Ashok Jay mulniwasi
भारत का इतिहास बताने के लिए धन्यवाद जय भी नमो बुधाय
बहुत अच्छा काम कर रहे हो सर आप, मुझे आपके व्हिडिओ बेहत पसंद है, इतिहास सिर्फ सत्य जांनना चाहता है, नाकी किसी की मर्जी सांभालना... आगे बढे सर...
आनन्द प्रद वीडियो है बुद्धि को चमतकृत कर दिया। रुचिर विषय सीखने को प्रेरित करता है- साधुवाद हृदय से साधु वाद।
जय भीम जय संविधान जय सावित्रीबाई फुले🐘🐘🐘🐘🐘
आपका यह वीडियो बहुत ही ज्ञानवर्धक है। मैं तो विज्ञान का विद्यार्थी रहा हूं,पर प्राचीन भारतीय इतिहास में मेरी सदा से रुचि रही है,पर पढ़ नहीं पाया। जीवन के अंतिम सत्र में मैं फिर से पढ़ रहा हूं। कुछ पढ़ा भी है पर वह प्रारंभिक है। जूनागढ़ के अभिलेख में लिखी कुछ पंक्तियों को कुछ लोग प्रारंभिक संस्कृत के तौर पर प्रस्तुत करते हैं।आपके द्वारा बहुत सी बातें स्पष्ट हुईं।
भाई HAे साहब आप की सेवा अमूल्य है दुनिया में सबसे बड़ा पुण्य कार्य सत्य को सामने
Yeh pehla esa channel h jisper itni durlabh jankari mili .great job sir .kitni Khushi ho rahi hai yeh prachin lipi sikhker bata ni sakti .Thank you so much sir 🙏
सर,आप सचमुच लोगोंको ज्ञान दे रहे हो,धन्यवाद आपका।
सत्य को उजागर करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद. इस ऐतिहासिक तथ्यपूर्ण खोज में हम सभी आपके साथ हैं.
आपका प्रयास सराहनीय है।🙏
किंतु श्र त्र ज्ञ क्ष आदि कोई अलग अक्षर नहीं, संयुक्ताक्षर हैं। अर्थात् ये वास्तव में एक से अधिक अक्षरों के समूह हैं।
हाँ, हम इनका और कुछ अन्य अक्षरों का भी, उच्चारण अशुद्ध करते हैं।
श्र = श् + र् + अ
त्र = त् + र् + अ
क्ष = क् + ष् + अ
ज्ञ = ज् + ञ् + अ
और
गृ = ग् + ऋ
ट्र = ट् + र् + अ
क्र = क् + र् + अ
कृ = क् + ऋ
कर्म = क् + अ + र् + म् + अ
आप अपने फोन पर भी इन्हें जोड़कर देख सकते हैं।
अतः ब्राह्मी लिपि में "क्ष त्र ज्ञ श्र(यदि श ब्राह्मी में है तो) क्र ट्र कर्म" लिखे जा सकते हैं। हाँ , च्योंकि ऋ,ॠ नहीं है तो कृ,कॄ आदि नहीं लिखे जा सकते।
मैं संस्कृत को मूल रूप से सीखने हेतु पाणिनि व्याकरण (अष्टाध्यायी, धातुपाठ, लिङ्गानुशासनम्, उणादिकोष, गणपाठ) में अध्ययनरत हूँ। संस्कृत में सभी शब्द धातुओं से बनते हैं। यदि कोई संस्कृत व्याकरण जानता हो तो वह किसी भी संस्कृत शब्द के मूल में जाकर उसका अर्थ जान सकता है। संस्कृत को जानने से संस्कृत एक अत्यन्त उन्नत भाषा लगती है। यह पाली से पुरानी हो या न हो, यह पता नहीं, न ही मेरे लिए यह जानना अति महत्त्वपूर्ण है, न मैं विशेषज्ञ हूँ। लेकिन संस्कृत निश्चित ही संसार की सबसे पुरानी भाषा नहीं हो सकती। इसकी उन्नतता इसका प्रमाण है। आज तक के जीवन के अनुभवों को देखकर ऐसी भाषा पहले प्रयास में ही बन जाए, ऐसा निश्चित ही नहीं प्रतीत होता। ऐसा हो सकता है कि भाषा धीरे-धीरे विकसित हुई हों, और उस विकास में आगे कहीं जाकर संस्कृत की उत्पत्ति संभव हुई हो। ऐसी भाषा जिसका एक - एक शब्द का ठीक वैसा होना जैसा कि वो है, व्याकरण के किसी कारण से है। यह भाषा निश्चित ही संस्कारित की गई, अतः संस्कृत, व अन्य भाषाऐं जो इसके निर्माण में सहायक रहीं अथवा इसके बाद भी बनीं, जिनके शब्दों का वैसा होना, जैसे कि वो हैं बोलने वालों की नैसर्गिकता, पसंद अथवा बोलने में रसिकता के कारण हुआ वो प्राकृत, मतलब जो वैसी हैं जैसी वो प्रकृति प्रदत्त अर्थात् नैसर्गिक थीं, जैसी लोगों को ठीक, सुगम लगी; जिसके ठीक वैसा होने के पीछे ज़्यादा मानव निर्मित नियम नहीं हैं।। जैसे - पाली, मागधी, ब्रजभाषा, हिन्दी आदि।
विषय ज़्यादा परेशान कर रहा हो तो छोड़ो। यह बात उतनी महत्वपूर्ण नहीं है कि जीवन का सबसे बड़ा मुद्दा बन जाए।
सबसे बड़ा मुद्दा होने की गुणवत्ता है। जीवन की गुणवत्ता है।
कोई और सांसारिक विषय चाहिए हो तो - आज पर्यावरण की स्थिति, व मेरी , मेरे कार्य करने, संसार से मेरे संबंधों व समाज(राष्ट्र व शासनतंत्र सहित) की स्थिति व उनका मूल आधार।
🙏
सर बहुत-बहुत धन्यवाद आपने बहुत सटीक जानकारी दी है इस वीडियो में।
भारत का जो इतिहास लिखा गया है उसमें संशोधन करने की जरूरत है ।
स्लूट सर बहुत ही शांति से सरल रूप से प्यार से धीरे धीरे इतनी पुरानी प्राचीन इतिहासिक भाषा को समझाया है धन्यवाद
Most important knowledge
Real history real fact
Bahut hi asani se smjha diya Pali v सत्य दर्शन
थैंक्यू सर
सराहनीय कार्य किया है आपने
Very very important and knowledgeable episode.
Keep it up.
First time in my life. Wonderful.
Super Shrimaan Ji. Thanks. May GOD bless you with more wisdom to decode many more such secrets.
सर आपका कार्य बहुँत ही सराहनीय है जो कि आधुनिक युग में इन राजनैतिक पार्टियों ने इसे जहरीला बनाकर रख दिया है।
आपका विडियो देखने के बाद दिमाग के सारे जाले साफ हो गए हैं। हालांकि इस विषय को लेकर हम पहले से कहते आऐ हैं कि पाली प्राकृत ही देश की प्राचीन भाषा है और उसे आपने प्रमाणिक कर दिया।
सर मुझे आपके वीडियो से बहुत ही अच्छा ज्ञान मिलता है कृपया करके आप इस तरह का और भी वीडियो बनाते रहे और यूट्यूब पर उसे अपलोड करें ताकि हम जैसे लोगों का ज्ञानवर्धक हो सके
बहुत बढ़िया राह पर जा रहे हो मित्र।
साइंस जर्नी सही ही कहते हैं
उनका कारवां बढ़ रहा है।
आप जैसे लोग भिन्न खुलकर आ रहे हैं।
आप नाप तोल के बोलते हो
वो एग्रेसिव हैं।
दोनो का महत्व है
आप लिपि को ब्राह्मी नहीं कहे…अशोक ने खुद उसे धम्म लिपि कहा हे..😢
Sir, you have exposed lies. Thank you bringing this hidden truth in light.
इस बहुमूल्य और सुंदर जानकारी के लिए आप को सहृदय बहुत-बहुत साधुवाद आगे भी आप इस तरह की जानकारी देते रहे
Very Nice sir.
You are really an honest and knowledgeful person sir. Nowadays its very difficult to remain unaffected from the impressions of wrong history. You are the one who has well studied and presented us about real history.
Sir namaskar Jay bhim namo buddhaay। आप को बोहोत बोहोत धन्यवाद सत्य इतिहास जानकारी देने से
excellent information for us.
Sir आपने बहुत अच्छी तरह समझाया
सटीक जानकारी।। ऐसी सामग्री आम जन तक जानी चाहिए।।
Dhamm Lipi (Brahmi Lipi since 1850 CE) is oldest official lipi after Indus Valley Civilization
Sir tab toh hamara pura itihaas hi galat padaya ja raha hai, vedic yug wali baat hi bilkul juthi nikal gayi, Aap ki baat bilkul sahi lagti hai, ancient history toh rewrite karne ki zarurat hai. Yeh toh historians ka shadyanter lagta hai kyon ki iss ko toh aak aam aadmi bhi samj sakta hai
This video is one of the best disertation on the ancient script.The narration is anexcellent
Wah
Amazing
Ur great
Sir this video give very good information about India language
धम लिपी को सबसे पहले अंग्रेज़ पुरातत्ववेत्ता जेम्स प्रिंसेप ने 1937 पढ़ा था ना कि यहां के भाषाविदों या लिपी के जानकारों ने।
यहां के तथाकथित बुद्धजीवियों को अहंकार है कि संस्कृत ही सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत को लिखने का वास्तविक लिपि देवनागरी है इस लिपि के बिना संस्कृत नहीं लिखी जा सकती।
इनके पास लाखो बरस पुराने वेद पढ़े है पर ये उस भारतीय भाषा को नहीं जानते जो शिलालेखो पर मिलती है..गजब दोगलापन है कुपमण्डुको का..!
अति प्रशसनीय काम,सरजी,आपको ! बहुत बहुत धन्यवाद !
Bahot bahot dhanyawad bhai
सर बोहत बढिया जानकारी दिये. बोहत बोहत शुक्रिया 👌👌🙏🙏
वाह sir, मान गए आप गुरुओं के भी गुरु हैं इतनी गहराई से अध्यन करके हमे भारत का असली इतिहास बताने वाला कोई super tallented इंसान ही होगा वरना हमे education book में वर्षों से गलत इतिहास पढ़ाया जाता था । आपका दिल से बहुत बहुत धन्यवाद । I
तथ्यपरक इतिहास का अन्वेषण। साधुवाद।
मैं प्राकृत और संस्कृत को समकालीन मानता था, कि संस्कृत विद्वानों और उच्च वर्गों के द्वारा प्रयोग में रहा होगा और प्राकृत आम जनता के द्वारा बोला जाता रहा होगा। और कहा भी जाता है कि बुद्ध ने इसीलिए प्राकृत भाषा मे संदेश दिए ताकि आम जनता तक बात पहुंचे।
भविष्य पुराण में भी यही कहा गया है कि बुद्ध अवतार में विष्णु जी ने अनार्यों को सम्मोहित करने के लिए प्राकृत भाषा मे संदेश दिया। अनार्य अर्थात जो श्रेष्ठ या शिक्षित नहीं थे।
मगर आपने जो बताया वो भी सही लग रहा है। फिर भी और खोज होनी चाहिए।
भविष्यपुराण में तो तैमुर और बाबर को पुर्नजन्म का ब्राहम्ण बताया गया है और इसलिये ब्राह्मणो का इनका सहयोग करना चाहिए..तो ये भी मानते होंगे आप..!
बहुत सुन्दर जानकारी दी गई ❤❤❤
बहुत ही अच्छा! धन्यबाद
Aapka kaam srahniy hai.....sir
Yes if we study graphology , its very clear that how script changed and affected society time to time , using brahmi or bhambi lipi or script is better for human development as society or personal development
Prakrat or pali is used in too many company logos now a days ,
Good to see your clear knowledge and preaentation it will make awareness in common indian
Thanking you
Wow kitne aasani se aap sab samjha dete ho 👍
Respected sir aap ka kaam srahniye hai.
सच्चा इतिहास 👍👍🙏
You are most learnered person of India.
सबको प्राकृत भाषा पाली को सिखना और सिखाना चाहिए, ताकि सबको अपने इतिहास के बारे में सच्चाई का पता चल सके।
I agree 👍 sir ...Pali prakrit hi. Hai.. Sanskrit baad me chalan me aaya hai...
Suruaat . Kbhi bhi Etna sudhdha ho hi nhi sakta ..
Jis trah se Pali pra. Bhasha ko bataya pad ke ..iagrre
Niche cament paad ke rha nhi gya ...so 🙏👍
बहुत ही शानदार जानकारी। An eye opening information।।
Khup sunder mahtvapurn jankari dhannywad ji
बहुत ही ज्ञानवर्धक 🙏
तर्क और तत्थ्य, विद्द्वत्ता पूर्ण , साधूवाद
Sir aapko jitni baar bhi namaskar kare kam hai
Sachh samne la diya aapne jai ho
Aap ne bahot achhese point ko clear kar diya
Thank,s sir. Bemisaal.....🙏
Very deep knowledge ..never seen before......great video👍👍
सर नमस्कार
आज मेरा बहुत ज्ञानवर्धन हुआ है।
आप के ज्ञान को बहुत बहुत साधुवाद,🙏🙏
सर मैं यह जानना चाहता हूं, की आप ने यह सब कैसे सीखा।।
आप से और ज्यादा प्रश्न केसे पूछ सकता हूं
Thankyou sir, 💐💐
Very nice Sir correct analysis 👌👍
Sir aapne bahut achchhe se samjhaya✍️Thankyou sir👍🙏🙏
बहुत ही अच्छी जानकारी दी है❤ धन्यवाद सर
Great 👍👍
Super sir ji 🙏🙏🙏
गुरु जी आपके चरण कहां है...? उन चरणों में मेरा कोटि-कोटि नमन🙏🙏🙏
अदभुद।
हमे आज तक पढाया गया की संस्कृत ही सभी भाषा की जननी है, लेकिन अब पता चला की हमें मूर्ख बनाया गया है, धन्यवाद सरजी .....
Great Dham Lepee
JayBhim NamoBudha JaySavidhan JayBharat 💙💙💙
Good Information
सर आपका स्वागत है ये तथ्यों के साथ सचाई पेश करते है 🙏🙏
Mai gauv se hu ...hamare yha maa.ya dadi ke ummar ke lady ...ke chehre pe hai
Excellent text and narration.
Your work and efforts are commendable.
सर आप इतिहास के जानकार हैं, कृपा करके यह बताने कष्ट करें कि शक, हूण, कुषाण वँश की आज कौन जाति भारत में हैं?
Sir yeh statement jordar tha mai job karta hu youtuber nahi hui sir very thanks to your hard work of creating good video like this . Apko to noble prize milna chahiye itni bharo reasearch ki ha mere liye nayi jankari ha , great sir
Im dr. sunita
Your effort for exposing/knowing truth is excellent.
It is matter of our roots
It should b very clear
Great work sir 👍