श्रीमद्भगवद्गीता || अध्याय3 श्लोक27 || प्रकृति के गुण और अहंकार का भ्रम || आचर्य प्रशांत ||
HTML-код
- Опубликовано: 12 сен 2024
- प्रकृतेः क्रियमाणानि गुणैः कर्माणि सर्वशः।
अहङ्कारविमूढात्मा कर्ताहमिति मन्यते ।27।
यथार्थ में प्रकृति के तीन गुणों से उत्पन्न शरीर और इन्द्रियों के द्वारा ही संसार के सब काम होते हैं लेकिन अहंकार से अंधा मनुष्य सोचता है- मैंने किया ।
#shrimadbhagwatgita
#acharyaprashant
#astrology
#gita
जिस कर्मकांड और धारणों को सनातन धर्म मान बैठे हैं वो है ही नही, वास्तविक सनातन धर्म तो गीता उपनिषद..है
आचार्य प्रशान्त के द्वारा जो हम सबों को शिक्षा / दीक्षा दी जाती है उसको मैं यह पे शेयर करता है।
अगर आप सबों को भी आचार्य प्रशान्त से जीवन जीने के बहुमूल्य उपयोगी दर्शन , श्री मद्भागवत गीता, अष्टवक्र गीता, उपनिषद सीखना है तो उनके गीता समागम सत्र से जुड़े, जीवन में आप अलग आनंद महसूस कीजिएगा।
समागम सत्र से जुड़ने के लिए आचार्य प्रशान्त का app download करें
play.google.co...
Visit Site-
acharyaprashan...
ॐ सचिदानंद रूपाय विश्वतपत्याधीहेतवे
तापत्रय विनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नमः 🪔
❤❤❤❤
Om namah shivay!
ये जानना ही की तुम सो रहे हो तुम्हारे जागने का प्रमाण है