जय श्री राम। आपने रामायण तथा मानस का 25 बिंदुओं में तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया यह बहुत अच्छी बात है मेरे पास भी गीता प्रेस की वाल्मीकि रामायण हैउसके अनुसार आपकी सारी बातें सटीक नहीं बैठती हो सकता है आपके पास अन्य प्रेस की रामायण हो बहुत सारी बातें और भी हैं गिनती करें तो सैकड़ों हो जाएंगीआपने कहा कि स्वयंबर रचा ही नहीं गया था यह बात बिल्कुल सत्य हैपरंतु आपने एक बात नहीं बताई की उस धनुष को जनक जी ने अनेकों बार राजाओं के सामने प्रस्तुत किया था उनका वचन यही था कि जो धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा दे उसी से विवाह किया जाएगा क्योंकि वह धनुष शिवजी का उनके वंशजों को धरोहर के रूप में दिया गया थाभला धरोहर रखी चीज को कौन तोड़ने के लिए कह सकता है एक बात मानस में और कि भगवान राम ने हनुमान जी को मुद्रिका दी थी जिसे वह अपने मुंह में लेकर लंका के लिए रवाना हुए थे जबकि वाल्मीकि रामायण में मुद्रिका की कोई बात ही नहीं है इसी प्रकार मानस में राम की चर्चा हनुमान जी के द्वारा या अन्य पात्रों के द्वारा 228 बार हुई है जबकि रामायण में नाम मात्र की वहां हनुमान जी ने कभी भी राम का स्मरण करके कार्य आरंभ नहीं कियाइस माध्यम से वाल्मीकि जी कहना चाहते हैं कि हनुमानजी स्वयं अपने आप मैं सामर्थ्यवान थे।यह जानकारी केवल में आपको इसलिए प्रेषित कर रहा हूं ताकि अगली बार आप इन सब बातों को पुनः पढ़कर जोड़ दें।
Jai Mairai Shri Ramji Jai Mairai Shri Ramji Jai Mairai Shri Ramji Jai Mairai Shri Ramji Jai Mairai Shri Ramji Jai Mairai Shri Ramji. Koti Koti Dandwat Pranam Bagwanji Aap kai Charanan Mai 🙏🙏🙏🙏🙏
Ram ji ek aadarsh purush the jo kabhi bhi bina puchhe danish utha hi nhi sakte phir khel hi khel mein kaise utha liya ve ek gambhir purush the ve kabhi guru ke samne khel hi khel mein ve kar hi nhi sakte jai shree ram!!
Valmiki ji ki Ramayan me Sampurna Katha he, hr ek baat karib karib batai gai he Tulsidas ji ne ramcharitmanas ko sunder doho me prastut kiya he Or ramcharitmanas pr to swayam shiv ji ne hastakshar kiye the Dono hi granth mahan he, mahanpuran he Dono hi rishi mahan or adbhut he Katha to esi bhi suni hui he ki Valmiki ji ne hi kaliyug me Tulsidas ji ke roop me avtaar liya tha Jai shri ram Ramcharitmanas ki chopaiya bdi chamtkari he Kai Kathin kaam Ramayan ki chopaiyo se saral ho jate he Dono rishi mahan the or dono ki rachnaye bhi mahan Hm is kabil nhi ki in pustako ka mulyankan kr sake ki konsi sahi he or konsi nhi Na hi hm is kabil he ki Tulsidas ji or Valmiki Jese mahan rishiyo ka mulyankan kr sake Dono mahan he Or Ishwar ki kathao ka paar to bde bde rishi muni bhi na pa ske Dono granth hi Kalyug me Amrit saman he Jis granth me hmara mn lge hm wo padh skte he Jai jai shri sitaram
जय वाल्मीकि जी। वेद में भेदभाव नहीं है।स्वयम् वेद पढ़ो और रूढ़िवादी मूर्खों को भी पढ़ाओं कि वेद में जातिवाद, छुआछूत, देवी-देवता, पूजापाठ, कर्मकाण्ड नहीं है।वेद, संस्कृत व्याकरण, वैदिक इतिहास पर हमने बहुत कार्य किया है।आपको हमारे चैनल और वेबसाइट देखने से ज्ञात हो जायेगा।हम इनसे पूछते हैं कि हिन्दू शब्द का प्रयोग सबसे पहले कब, किसने, किस पुस्तक में किया था। किसी प्राचीन ग्रन्थ में हिन्दू शब्द तक नहीं है।वेद में सबको समान अधिकार है, इसीलिए ये हिन्दू वेद को नहीं मानते हैं।यह सत्य है कि वेद के विरोध में 1925 में गीता प्रेस, गोरखपुर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, नागपुर की स्थापना हुई थी।इनके पास आपको वेद नहीं मिलेगा।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो।हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई। भारत में मौसेरे भाई। बाकी मूल निवासी सारे। भारत के सब वैदिक प्यारे।।सही और सटीक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जायें।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो। हम भारत के लोग वैदिक हैं, हिन्दू नहीं। वेदों के मन्त्रों का सही और सटीक अर्थ जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर पुस्तक सूची देखें। हमारे वीडियो देखें, उनपर कमेंट करें। हम प्रमाण सहित उत्तर देंगे। v4.simplesite.com/#/pages/443... web. vedayan.simplesite.com। email. paliwalprakashanvedicsahitya@gmail.com
सबसे shreshth हैं वालमीक समाज kyonki यह अपनी तो साफ - सफाई रखते ही साथ मे दुसरों के जीवन के लिये भी Hygenic atmostfare रखने की जवाबदारी भी ईन की है जैसे कि आज देश के Prime Minister Sahab ने एक अभियान चलाया है - Swachchh Bharat - Smridh Bharat, Jay Walmik Samaj Post By - JAGDISH BINDRA
Jaise kanak k do arth h waise hi koti k do arth h ek crore doosra prakar devta 33 prakar k h. Mere baba ka kahna h .jai sitaram ji ki jai gurudev ji ki.
भगवान् वाल्मीकि को हम नमन करते हैं।परन्तु इतना मत फेको, फेकू होने पर मोदी जी का कापीराइट है।वेद में भेदभाव नहीं है।स्वयम् वेद पढ़ो और रूढ़िवादी मूर्खों को भी पढ़ाओं कि वेद में जातिवाद, छुआछूत, देवी-देवता, पूजापाठ, कर्मकाण्ड नहीं है।वेद, संस्कृत व्याकरण, वैदिक इतिहास पर हमने बहुत कार्य किया है।आपको हमारे चैनल और वेबसाइट देखने से ज्ञात हो जायेगा।हम इनसे पूछते हैं कि हिन्दू शब्द का प्रयोग सबसे पहले कब, किसने, किस पुस्तक में किया था। किसी प्राचीन ग्रन्थ में हिन्दू शब्द तक नहीं है।वेद में सबको समान अधिकार है, इसीलिए ये हिन्दू वेद को नहीं मानते हैं।यह सत्य है कि वेद के विरोध में 1925 में गीता प्रेस, गोरखपुर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, नागपुर की स्थापना हुई थी।इनके पास आपको वेद नहीं मिलेगा।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो।हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई। भारत में मौसेरे भाई। बाकी मूल निवासी सारे। भारत के सब वैदिक प्यारे।।सही और सटीक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जायें।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो। हम भारत के लोग वैदिक हैं, हिन्दू नहीं। वेदों के मन्त्रों का सही और सटीक अर्थ जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर पुस्तक सूची देखें। हमारे वीडियो देखें, उनपर कमेंट करें। हम प्रमाण सहित उत्तर देंगे। v4.simplesite.com/#/pages/443... web. vedayan.simplesite.com। email. paliwalprakashanvedicsahitya@gmail.com
@@himalayanyogisupportthisch9316 यह किसी मूर्ख ने बताया होगा।वाल्मीकि ने राम को मनुष्य माना है और रावण को भी अनेक बार महात्मा कहा है।वेद में भेदभाव नहीं है।स्वयम् वेद पढ़ो और रूढ़िवादी मूर्खों को भी पढ़ाओं कि वेद में जातिवाद, छुआछूत, देवी-देवता, पूजापाठ, कर्मकाण्ड नहीं है।वेद, संस्कृत व्याकरण, वैदिक इतिहास पर हमने बहुत कार्य किया है।आपको हमारे चैनल और वेबसाइट देखने से ज्ञात हो जायेगा।हम इनसे पूछते हैं कि हिन्दू शब्द का प्रयोग सबसे पहले कब, किसने, किस पुस्तक में किया था। किसी प्राचीन ग्रन्थ में हिन्दू शब्द तक नहीं है।वेद में सबको समान अधिकार है, इसीलिए ये हिन्दू वेद को नहीं मानते हैं।यह सत्य है कि वेद के विरोध में 1925 में गीता प्रेस, गोरखपुर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, नागपुर की स्थापना हुई थी।इनके पास आपको वेद नहीं मिलेगा।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो।हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई। भारत में मौसेरे भाई। बाकी मूल निवासी सारे। भारत के सब वैदिक प्यारे।।सही और सटीक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जायें।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो। हम भारत के लोग वैदिक हैं, हिन्दू नहीं। वेदों के मन्त्रों का सही और सटीक अर्थ जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर पुस्तक सूची देखें। हमारे वीडियो देखें, उनपर कमेंट करें। हम प्रमाण सहित उत्तर देंगे। v4.simplesite.com/#/pages/443... web. vedayan.simplesite.com। email. paliwalprakashanvedicsahitya@gmail.com
कुछ लोगो के द्वारा हमारेप्रभु श्री वाल्मीकि जी के द्वारा लिकी गयी रमायण को को अपने लोगो का नाम दिया मगर देर से ही सही मगर पूरे हिंउस्तान में पता cal ही गया कि रमायण के रचइता प्रबु वाल्मीकि जी ही थे
अवश्य ही रामायण तुलसीदास जी से पहले महर्षि वाल्मीकि जी ने ही लिखी थी, और उन्होंने तो काफी घटनाएं घटित होने के पहले ही लिख दी थी, क्योंकि राम नाम के प्रताप से वे त्रिकालदर्शी हो गये थे। लेकिन तुलसीदास जी की रामायण भी अत्यंत सुंदर और चमत्कारी है कहते हैं कि महर्षि वाल्मीकि जी ने ही कलयुग में तुलसीदास जी के रूप में जन्म लिया था और भगवान राम की कथा को सुंदर दोहों में प्रस्तुत करके जन जन के लिए समझने में सरल और भगवान राम का गुणगान और भी आनन्द देने वाला बना दिया था। जय जय श्री सीताराम
तपस्वी शम्बूक के हत्यारे राम के नाम में श्री और जी लगाने की बात क्यों करते हो भाई।वेद में भेदभाव नहीं है।स्वयम् वेद पढ़ो और रूढ़िवादी मूर्खों को भी पढ़ाओं कि वेद में जातिवाद, छुआछूत, देवी-देवता, पूजापाठ, कर्मकाण्ड नहीं है।वेद, संस्कृत व्याकरण, वैदिक इतिहास पर हमने बहुत कार्य किया है।आपको हमारे चैनल और वेबसाइट देखने से ज्ञात हो जायेगा।हम इनसे पूछते हैं कि हिन्दू शब्द का प्रयोग सबसे पहले कब, किसने, किस पुस्तक में किया था। किसी प्राचीन ग्रन्थ में हिन्दू शब्द तक नहीं है।वेद में सबको समान अधिकार है, इसीलिए ये हिन्दू वेद को नहीं मानते हैं।यह सत्य है कि वेद के विरोध में 1925 में गीता प्रेस, गोरखपुर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, नागपुर की स्थापना हुई थी।इनके पास आपको वेद नहीं मिलेगा।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो।हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई। भारत में मौसेरे भाई। बाकी मूल निवासी सारे। भारत के सब वैदिक प्यारे।।सही और सटीक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जायें।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो। हम भारत के लोग वैदिक हैं, हिन्दू नहीं। वेदों के मन्त्रों का सही और सटीक अर्थ जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर पुस्तक सूची देखें। हमारे वीडियो देखें, उनपर कमेंट करें। हम प्रमाण सहित उत्तर देंगे। v4.simplesite.com/#/pages/443... web. vedayan.simplesite.com। email. paliwalprakashanvedicsahitya@gmail.com
वेद और रामायण पढ़ें, सारी जानकारी मिल जायेगी।वेद में भेदभाव नहीं है।स्वयम् वेद पढ़ो और रूढ़िवादी मूर्खों को भी पढ़ाओं कि वेद में जातिवाद, छुआछूत, देवी-देवता, पूजापाठ, कर्मकाण्ड नहीं है।वेद, संस्कृत व्याकरण, वैदिक इतिहास पर हमने बहुत कार्य किया है।आपको हमारे चैनल और वेबसाइट देखने से ज्ञात हो जायेगा।हम इनसे पूछते हैं कि हिन्दू शब्द का प्रयोग सबसे पहले कब, किसने, किस पुस्तक में किया था। किसी प्राचीन ग्रन्थ में हिन्दू शब्द तक नहीं है।वेद में सबको समान अधिकार है, इसीलिए ये हिन्दू वेद को नहीं मानते हैं।यह सत्य है कि वेद के विरोध में 1925 में गीता प्रेस, गोरखपुर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, नागपुर की स्थापना हुई थी।इनके पास आपको वेद नहीं मिलेगा।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो।हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई। भारत में मौसेरे भाई। बाकी मूल निवासी सारे। भारत के सब वैदिक प्यारे।।सही और सटीक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जायें।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो। हम भारत के लोग वैदिक हैं, हिन्दू नहीं। वेदों के मन्त्रों का सही और सटीक अर्थ जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर पुस्तक सूची देखें। हमारे वीडियो देखें, उनपर कमेंट करें। हम प्रमाण सहित उत्तर देंगे। v4.simplesite.com/#/pages/443... web. vedayan.simplesite.com। email. paliwalprakashanvedicsahitya@gmail.com
Maharishi valmiki tatha Sant tulsidas donon hi sanatan dharm ke pran Hain, atah donon hi hamare liye poojya hain. Ek ne vishuddh sanskrit mein granth likha to doosre ne aam Jan ki saral bhasha mein RAM Katha ko Jan Jan tak pahunchaya.
अवश्य ही रामायण तुलसीदास जी से पहले महर्षि वाल्मीकि जी ने ही लिखी थी, और उन्होंने तो काफी घटनाएं घटित होने के पहले ही लिख दी थी, क्योंकि राम नाम के प्रताप से वे त्रिकालदर्शी हो गये थे। लेकिन तुलसीदास जी की रामायण भी अत्यंत सुंदर और चमत्कारी है कहते हैं कि महर्षि वाल्मीकि जी ने ही कलयुग में तुलसीदास जी के रूप में जन्म लिया था और भगवान राम की कथा को सुंदर दोहों में प्रस्तुत करके जन जन के लिए समझने में सरल और भगवान राम का गुणगान और भी आनन्द देने वाला बना दिया था। जय जय श्री सीताराम
+singh zoravar मैं सत्य कह रहा हूँ। महर्षि वाल्मीकि महर्षि प्रचेता के दसवें पुत्र थे। ब्राह्मण के समान कोई भी श्रेष्ठ नहीं है, तुम व्यर्थ मूर्खता की बात कर रहे हो। जय श्रीसीताराम ।।
Maharishi Valmiki Ji pahle Ek Sadharan Shikari the Jinka Naam Ratnakar tha be Nichi Jati ke the baad mein unko Brahm Gyan Mila tab jakar be Maharishi Valmiki Ji kahlaye unke dwara Ramayan mahagranth ki Rachna Hui
वाल्मीकि की बात करता है और ढोंगी तुलसीदास की फोटो लगाये है।ऐसे अनपढ़, पाखण्डी, मूर्ख से क्या आशा की जाये।वेद में भेदभाव नहीं है।स्वयम् वेद पढ़ो और रूढ़िवादी मूर्खों को भी पढ़ाओं कि वेद में जातिवाद, छुआछूत, देवी-देवता, पूजापाठ, कर्मकाण्ड नहीं है।वेद, संस्कृत व्याकरण, वैदिक इतिहास पर हमने बहुत कार्य किया है।आपको हमारे चैनल और वेबसाइट देखने से ज्ञात हो जायेगा।हम इनसे पूछते हैं कि हिन्दू शब्द का प्रयोग सबसे पहले कब, किसने, किस पुस्तक में किया था। किसी प्राचीन ग्रन्थ में हिन्दू शब्द तक नहीं है।वेद में सबको समान अधिकार है, इसीलिए ये हिन्दू वेद को नहीं मानते हैं।यह सत्य है कि वेद के विरोध में 1925 में गीता प्रेस, गोरखपुर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, नागपुर की स्थापना हुई थी।इनके पास आपको वेद नहीं मिलेगा।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो।हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई। भारत में मौसेरे भाई। बाकी मूल निवासी सारे। भारत के सब वैदिक प्यारे।।सही और सटीक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जायें।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो। हम भारत के लोग वैदिक हैं, हिन्दू नहीं। वेदों के मन्त्रों का सही और सटीक अर्थ जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर पुस्तक सूची देखें। हमारे वीडियो देखें, उनपर कमेंट करें। हम प्रमाण सहित उत्तर देंगे। v4.simplesite.com/#/pages/443... web. vedayan.simplesite.com। email. paliwalprakashanvedicsahitya@gmail.com
वेद पढ़ो, आगे बढो। चतुर्वेद भाष्यकार स्वामी शरण ने वेद के एक-एक शब्द का व्याकरण सम्मत प्रामाणिक अर्थ किया है।वेदायन पुस्तक में चारो वेदों के प्रमुख सूक्तों का काव्यानुवाद भी किया है।सनातन धर्म का मूल वेद है।जो वेद को एकमात्र आधार मानता है, वही सनातनी है। हमारे पास सभी वर्गों के युवा वेदपाठ तथा व्याकरण सम्मत प्रामाणिक धातुज वेदार्थ करना सीख रहे हैं।हम सब एक ही ईश्वर के व्यक्त रूप हैं। वेबसाइट- vedayan.simplesite.com/ वेवसाइट देखें।हमारी वेबसाइट पर वैदिक साहित्य निशुल्क PDF उपलब्ध है।चारो वेद, व्याकरण, वैदिक शब्द कोश, वैदिक इतिहास आदि बहुत कुछ उपलब्ध है। वैदिक साहित्य PDF Download करने के लिए इस लिंक मे जाएँ vedayan.simplesite.com वैदिर साहित्य मँगाकर वेदों के प्रचार प्रसार में हमारा सहयोग करें धन्यवाद- Paytm or Phone pay no 8687849004, अधिक videos देखने के लिए हमारे चैनल ruclips.net/channel/UCGNY... को subscribe अवश्य करें।
अंकोरवाट (खमेर भाषा : អង្គរវត្ត) कंबोडिया में एक मंदिर परिसर और दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है,[1]162.6 हेक्टेयर (1,626,000 वर्ग मीटर; 402 एकड़) को मापने वाले एक साइट पर। यह मूल रूप से खमेर साम्राज्य के लिए भगवान विष्णु के एक हिंदू मंदिर के रूप में बनाया गया था, जो धीरे-धीरे 12 वीं शताब्दी के अंत में बौद्ध मंदिर में परिवर्तित हो गया था। यह कंबोडिया के अंकोर में है जिसका पुराना नाम 'यशोधरपुर' था। इसका निर्माण सम्राटसूर्यवर्मन द्वितीय (१११२-५३ई.) के शासनकाल में हुआ था। यह विष्णु मन्दिर है जबकि इसके पूर्ववर्ती शासकों ने प्रायःशिवमंदिरों का निर्माण किया था। मीकांग नदी के किनारे सिमरिप शहर में बना यह मंदिर आज भी संसार का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है जो सैकड़ों वर्ग मील में फैला हुआ है।[2]राष्ट्र के लिए सम्मान के प्रतीक इस मंदिर को १९८३ से कंबोडिया के राष्ट्रध्वज में भी स्थान दिया गया है। यह मन्दिर मेरु पर्वत का भी प्रतीक है। इसकी दीवारों पर भारतीय धर्म ग्रंथों के प्रसंगों का चित्रण है। इन प्रसंगों में अप्सराएं बहुत सुंदर चित्रित की गई हैं, असुरों और देवताओं के बीच समुद्र मन्थन का दृश्य भी दिखाया गया है। विश्व के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थानों में से एक होने के साथ ही यह मंदिर यूनेस्कोके विश्व धरोहर स्थलों में से एक है। पर्यटक यहाँ केवल वास्तुशास्त्र का अनुपम सौंदर्य देखने ही नहीं आते बल्कि यहाँ का सूर्योदय और सूर्यास्त देखने भी आते हैं। सनातनी लोग इसे पवित्र तीर्थस्थान मानते हैं।
इस मूर्ख के पास इतनी बुद्धि नहीं हो सकती मेरे भाई।वेद में भेदभाव नहीं है।स्वयम् वेद पढ़ो और रूढ़िवादी मूर्खों को भी पढ़ाओं कि वेद में जातिवाद, छुआछूत, देवी-देवता, पूजापाठ, कर्मकाण्ड नहीं है।वेद, संस्कृत व्याकरण, वैदिक इतिहास पर हमने बहुत कार्य किया है।आपको हमारे चैनल और वेबसाइट देखने से ज्ञात हो जायेगा।हम इनसे पूछते हैं कि हिन्दू शब्द का प्रयोग सबसे पहले कब, किसने, किस पुस्तक में किया था। किसी प्राचीन ग्रन्थ में हिन्दू शब्द तक नहीं है।वेद में सबको समान अधिकार है, इसीलिए ये हिन्दू वेद को नहीं मानते हैं।यह सत्य है कि वेद के विरोध में 1925 में गीता प्रेस, गोरखपुर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, नागपुर की स्थापना हुई थी।इनके पास आपको वेद नहीं मिलेगा।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो।हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई। भारत में मौसेरे भाई। बाकी मूल निवासी सारे। भारत के सब वैदिक प्यारे।।सही और सटीक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जायें।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो। हम भारत के लोग वैदिक हैं, हिन्दू नहीं। वेदों के मन्त्रों का सही और सटीक अर्थ जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर पुस्तक सूची देखें। हमारे वीडियो देखें, उनपर कमेंट करें। हम प्रमाण सहित उत्तर देंगे। v4.simplesite.com/#/pages/443... web. vedayan.simplesite.com। email. paliwalprakashanvedicsahitya@gmail.com
श्री राम जय राम जय जय राम।
रामायण शत कोटि अपारा। 🐄🐄🙏🙏
Jai shriram jai shri sitsram jai ho baba shivshankar ji
सभी महापुरुषो को दोनो हाथ जोड कर कोटि कोटि परनाम
ज्यश्रीकृष्ण
जय श्री राम। आपने रामायण तथा मानस का 25 बिंदुओं में तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया यह बहुत अच्छी बात है मेरे पास भी गीता प्रेस की वाल्मीकि रामायण हैउसके अनुसार आपकी सारी बातें सटीक नहीं बैठती हो सकता है आपके पास अन्य प्रेस की रामायण हो बहुत सारी बातें और भी हैं गिनती करें तो सैकड़ों हो जाएंगीआपने कहा कि स्वयंबर रचा ही नहीं गया था यह बात बिल्कुल सत्य हैपरंतु आपने एक बात नहीं बताई की उस धनुष को जनक जी ने अनेकों बार राजाओं के सामने प्रस्तुत किया था उनका वचन यही था कि जो धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा दे उसी से विवाह किया जाएगा क्योंकि वह धनुष शिवजी का उनके वंशजों को धरोहर के रूप में दिया गया थाभला धरोहर रखी चीज को कौन तोड़ने के लिए कह सकता है एक बात मानस में और कि भगवान राम ने हनुमान जी को मुद्रिका दी थी जिसे वह अपने मुंह में लेकर लंका के लिए रवाना हुए थे जबकि वाल्मीकि रामायण में मुद्रिका की कोई बात ही नहीं है इसी प्रकार मानस में राम की चर्चा हनुमान जी के द्वारा या अन्य पात्रों के द्वारा 228 बार हुई है जबकि रामायण में नाम मात्र की वहां हनुमान जी ने कभी भी राम का स्मरण करके कार्य आरंभ नहीं कियाइस माध्यम से वाल्मीकि जी कहना चाहते हैं कि हनुमानजी स्वयं अपने आप मैं सामर्थ्यवान थे।यह जानकारी केवल में आपको इसलिए प्रेषित कर रहा हूं ताकि अगली बार आप इन सब बातों को पुनः पढ़कर जोड़ दें।
English subtitle please. Thank you.
जयश्रीराम जयश्रीराम जयश्रीराम जयश्रीराम जयश्रीराम जयश्रीराम जयश्रीराम जयश्रीराम
Bahut Accha Laga Bagwanji. Thank you very much . Koti Koti Dandwat Pranam Bagwanji Aap Kai Charanan Mai 🙏 🙌🙏 🙌🙏 🙌
आपने सुंदर जानकारी प्रदान की
धन्यवाद 🌹✨✔️
जय श्री राम 🙏🚩
Mairai Shri Ramji. Mairai Shri Ramji. Mairai Shri Ramji. Koti Koti Dandwat Pranam Bagwanji Aap Kai Charanan Mai 🙏 🙌🙏 🙌🙏 🙌🙏 🙌
Valmiki Ramayan hi satya hai
Happy birthday to Shri Shri Jai balmiki ji 13 October 2019
Good purnima
ਵਾਲਮੀਕਿ ਰਾਮਾਇਣ ਠੀਕ ਹੈ ਤੁਲਸੀਦਾਸ ਤਾ ਆਪ ਆਗਿਆਨੀ ਸੀ ਭਗਤ ਰਵਿਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਵੀ ਆਪਣੀ ਬਾਣੀ ਵਿਚ ਵਾਲਮੀਕਿ ਰਾਮਾਇਣ ਨੂ ਸਹੀ ਦੱਸਿਆ
Jai Mairai Shri Ramji Jai Mairai Shri Ramji Jai Mairai Shri Ramji Jai Mairai Shri Ramji Jai Mairai Shri Ramji Jai Mairai Shri Ramji. Koti Koti Dandwat Pranam Bagwanji Aap kai Charanan Mai 🙏🙏🙏🙏🙏
Jiski vja s ram ram krtey ho usey jiski vja s jantey ho usi ko nhi jantey fir to bekar h tumhara ram dham ko pujna
Jay Sri Ramakrishna
आज का वाल्मिकी समुदाय महर्षि वाल्मिकी के वंशज हैं! अत: हिन्दु समाज के अभिन्न अंग वाल्मिकी समुदाय के साथ यथोचित सम्मान युक्त ब्यवहार करना चाहिये!
Baba ji bahut gyan dia aapne ab ghar par aram karo jao
आप और वीडियो क्यों नहीं
Jai Mairai Shri Ramji Jai Mairai Shri Ramji Jai Mairai Shri Ramji. Koti Koti Dandwat Pranam Bagwanji Aap Kai Charanan Mai 🙏 🙌🙏 🙌🙏 🙌🙏 🙌
Goswami tulsi das ji maharshi valmiki ji maharaj dono mahapuruso ko koti koti pranam
दोनो महर्षि अद्भुत थे उनको।अज्ञानी नही।समझ सकते
Jay shri 8
Bhagwan valmik Ramayan is Correct , this is the law of nature, pure holy book Ramayan, ocean of knowledge. WOHI EK
Namo Namah Valmiki
Jai Shree Ram Jai Hanuman Ji ki Jai
Than you very much .Bahut hi Badiya. Ati Sundet. God bless you all 🙏 🙏🙏 🙏🙏 .
जय श्री राम 💓💓💓
Subtitles Plzzzzz
Bhut acha,can u tell me uttar Ramayana kisne likhi
जय श्री सीता राम हनुमान जी महाराज की जय।
Ram ji ek aadarsh purush the jo kabhi bhi bina puchhe danish utha hi nhi sakte phir khel hi khel mein kaise utha liya ve ek gambhir purush the ve kabhi guru ke samne khel hi khel mein ve kar hi nhi sakte jai shree ram!!
Valmiki ji ki Ramayan me Sampurna Katha he, hr ek baat karib karib batai gai he
Tulsidas ji ne ramcharitmanas ko sunder doho me prastut kiya he
Or ramcharitmanas pr to swayam shiv ji ne hastakshar kiye the
Dono hi granth mahan he, mahanpuran he
Dono hi rishi mahan or adbhut he
Katha to esi bhi suni hui he ki Valmiki ji ne hi kaliyug me Tulsidas ji ke roop me avtaar liya tha
Jai shri ram
Ramcharitmanas ki chopaiya bdi chamtkari he
Kai Kathin kaam Ramayan ki chopaiyo se saral ho jate he
Dono rishi mahan the or dono ki rachnaye bhi mahan
Hm is kabil nhi ki in pustako ka mulyankan kr sake ki konsi sahi he or konsi nhi
Na hi hm is kabil he ki Tulsidas ji or Valmiki Jese mahan rishiyo ka mulyankan kr sake
Dono mahan he
Or Ishwar ki kathao ka paar to bde bde rishi muni bhi na pa ske
Dono granth hi Kalyug me Amrit saman he
Jis granth me hmara mn lge hm wo padh skte he
Jai jai shri sitaram
Hare Ram Hare Ram Ram Ram Hare Hare Hare Krishen Hare Krishen Krishen Krishen Hare Hare
Jai valmiki har har valmiki
जय वाल्मीकि जी
जय वाल्मीकि जी। वेद में भेदभाव नहीं है।स्वयम् वेद पढ़ो और रूढ़िवादी मूर्खों को भी पढ़ाओं कि वेद में जातिवाद, छुआछूत, देवी-देवता, पूजापाठ, कर्मकाण्ड नहीं है।वेद, संस्कृत व्याकरण, वैदिक इतिहास पर हमने बहुत कार्य किया है।आपको हमारे चैनल और वेबसाइट देखने से ज्ञात हो जायेगा।हम इनसे पूछते हैं कि हिन्दू शब्द का प्रयोग सबसे पहले कब, किसने, किस पुस्तक में किया था। किसी प्राचीन ग्रन्थ में हिन्दू शब्द तक नहीं है।वेद में सबको समान अधिकार है, इसीलिए ये हिन्दू वेद को नहीं मानते हैं।यह सत्य है कि वेद के विरोध में 1925 में गीता प्रेस, गोरखपुर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, नागपुर की स्थापना हुई थी।इनके पास आपको वेद नहीं मिलेगा।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो।हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई। भारत में मौसेरे भाई। बाकी मूल निवासी सारे। भारत के सब वैदिक प्यारे।।सही और सटीक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जायें।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो। हम भारत के लोग वैदिक हैं, हिन्दू नहीं। वेदों के मन्त्रों का सही और सटीक अर्थ जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर पुस्तक सूची देखें। हमारे वीडियो देखें, उनपर कमेंट करें। हम प्रमाण सहित उत्तर देंगे। v4.simplesite.com/#/pages/443... web. vedayan.simplesite.com। email. paliwalprakashanvedicsahitya@gmail.com
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जय जय श्री सीताराम
Jai Shri
Jay shri Ram
Thank you sir
Jai Siya Ram Ji
🌺🌺जय श्री राम🌺🌺🚩🚩🙏🙏
33 करोड़ कही नही लिखा है 33 कोटि लिखा है ,कोटि का मतलब प्रकार होता हैं।
Sahi kaha hai
Balmiki Ramayan Kyon sahi hai isase pahle 29 Ramayan dikhaya gaye hain Kyon Sahi Nahin Hai please Hamen bataen Jay Bharat mata ki Jay Sitaram
Stay Safe Stay home and celebrate this auspicious occasion with your family. We wish you all good health and a happy Ram Navami.
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सबसे shreshth हैं वालमीक समाज kyonki यह अपनी तो साफ - सफाई रखते ही साथ मे दुसरों के जीवन के लिये भी Hygenic atmostfare रखने की जवाबदारी भी ईन की है जैसे कि आज देश के Prime Minister Sahab ने एक अभियान चलाया है - Swachchh Bharat - Smridh Bharat, Jay Walmik Samaj Post By - JAGDISH BINDRA
Jagdish Bindra thanks
Bhai mahirishi valmiki brahman the
Dwaparyug me ek bhakt hue swapach valmiki
Lekin maharishi valmiki bhrahman hai ye durpravhar karna band kr de plz
Jai ho maal papa ki jai maa narmda gi
Vaalmiki ji ek name tha
धन्यवाद
Jaise kanak k do arth h waise hi koti k do arth h ek crore doosra prakar devta 33 prakar k h. Mere baba ka kahna h .jai sitaram ji ki jai gurudev ji ki.
Jai Shree Ram Jai Shree Laxman Jai Shree Bharat Jai Shree Shatrughan Jai Maa Sita Jai Hanuman Bhagwan Ki Jai Ho
🙏🙏
Jai Shree Nath Ji Jai Gau Mata Jai
Shree Ram ke Jai Gopal ke Jai Shree Nand Baba ke Jai Shree Mahakal
Jay Shriram,
Gyan vardhak
Jai siyaram,jai....
Om shiri guru Valmikay namah
जय श्री राम राम राम राम जय जय राम जय जय राम
Chi bhi bk d
Bhagwan balmiki ki jai ho
राम के जन्म से 10,000 वर्ष पहले ही सृष्टिकर्ता वाल्मीकि दयावान रामायण लिख देती अब यह सभी को पता चल चुका है
Ji haa bhagwan balmik ji ne ram ke janam se 10 hazar saal pehle hi likh di thi ji
Shree ram bolo Bhai vah bhagwan Vishnu ka avatar h jai Shree ram
जय श्री राम
भगवान् वाल्मीकि को हम नमन करते हैं।परन्तु इतना मत फेको, फेकू होने पर मोदी जी का कापीराइट है।वेद में भेदभाव नहीं है।स्वयम् वेद पढ़ो और रूढ़िवादी मूर्खों को भी पढ़ाओं कि वेद में जातिवाद, छुआछूत, देवी-देवता, पूजापाठ, कर्मकाण्ड नहीं है।वेद, संस्कृत व्याकरण, वैदिक इतिहास पर हमने बहुत कार्य किया है।आपको हमारे चैनल और वेबसाइट देखने से ज्ञात हो जायेगा।हम इनसे पूछते हैं कि हिन्दू शब्द का प्रयोग सबसे पहले कब, किसने, किस पुस्तक में किया था। किसी प्राचीन ग्रन्थ में हिन्दू शब्द तक नहीं है।वेद में सबको समान अधिकार है, इसीलिए ये हिन्दू वेद को नहीं मानते हैं।यह सत्य है कि वेद के विरोध में 1925 में गीता प्रेस, गोरखपुर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, नागपुर की स्थापना हुई थी।इनके पास आपको वेद नहीं मिलेगा।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो।हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई। भारत में मौसेरे भाई। बाकी मूल निवासी सारे। भारत के सब वैदिक प्यारे।।सही और सटीक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जायें।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो। हम भारत के लोग वैदिक हैं, हिन्दू नहीं। वेदों के मन्त्रों का सही और सटीक अर्थ जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर पुस्तक सूची देखें। हमारे वीडियो देखें, उनपर कमेंट करें। हम प्रमाण सहित उत्तर देंगे। v4.simplesite.com/#/pages/443... web. vedayan.simplesite.com। email. paliwalprakashanvedicsahitya@gmail.com
@@himalayanyogisupportthisch9316 यह किसी मूर्ख ने बताया होगा।वाल्मीकि ने राम को मनुष्य माना है और रावण को भी अनेक बार महात्मा कहा है।वेद में भेदभाव नहीं है।स्वयम् वेद पढ़ो और रूढ़िवादी मूर्खों को भी पढ़ाओं कि वेद में जातिवाद, छुआछूत, देवी-देवता, पूजापाठ, कर्मकाण्ड नहीं है।वेद, संस्कृत व्याकरण, वैदिक इतिहास पर हमने बहुत कार्य किया है।आपको हमारे चैनल और वेबसाइट देखने से ज्ञात हो जायेगा।हम इनसे पूछते हैं कि हिन्दू शब्द का प्रयोग सबसे पहले कब, किसने, किस पुस्तक में किया था। किसी प्राचीन ग्रन्थ में हिन्दू शब्द तक नहीं है।वेद में सबको समान अधिकार है, इसीलिए ये हिन्दू वेद को नहीं मानते हैं।यह सत्य है कि वेद के विरोध में 1925 में गीता प्रेस, गोरखपुर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, नागपुर की स्थापना हुई थी।इनके पास आपको वेद नहीं मिलेगा।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो।हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई। भारत में मौसेरे भाई। बाकी मूल निवासी सारे। भारत के सब वैदिक प्यारे।।सही और सटीक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जायें।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो। हम भारत के लोग वैदिक हैं, हिन्दू नहीं। वेदों के मन्त्रों का सही और सटीक अर्थ जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर पुस्तक सूची देखें। हमारे वीडियो देखें, उनपर कमेंट करें। हम प्रमाण सहित उत्तर देंगे। v4.simplesite.com/#/pages/443... web. vedayan.simplesite.com। email. paliwalprakashanvedicsahitya@gmail.com
Very nice
jay sree ram 🙏🙏🙏
Abey ram k malik ko bhulgiya kya jai bhagvan valmiki ji
जयश्रीराम
कुछ लोगो के द्वारा हमारेप्रभु श्री वाल्मीकि जी के द्वारा लिकी गयी रमायण को को अपने लोगो का नाम दिया मगर देर से ही सही मगर पूरे हिंउस्तान में पता cal ही गया कि रमायण के रचइता प्रबु वाल्मीकि जी ही थे
।
अवश्य ही रामायण तुलसीदास जी से पहले महर्षि वाल्मीकि जी ने ही लिखी थी, और उन्होंने तो काफी घटनाएं घटित होने के पहले ही लिख दी थी, क्योंकि राम नाम के प्रताप से वे त्रिकालदर्शी हो गये थे।
लेकिन तुलसीदास जी की रामायण भी अत्यंत सुंदर और चमत्कारी है
कहते हैं कि महर्षि वाल्मीकि जी ने ही कलयुग में तुलसीदास जी के रूप में जन्म लिया था और भगवान राम की कथा को सुंदर दोहों में प्रस्तुत करके जन जन के लिए समझने में सरल और भगवान राम का गुणगान और भी आनन्द देने वाला बना दिया था।
जय जय श्री सीताराम
@@omlanguagestudiogermanlang6260 L
Arendkand me 14 sarg Nahi hai
Jay shiree ram Jay shiree bajrang balee
आप भगवान जी के नाम तो आदर से लो
श्री राम जी
श्री लछमन जी
देवी सीता जी
बोलिये
देz।
बो
तपस्वी शम्बूक के हत्यारे राम के नाम में श्री और जी लगाने की बात क्यों करते हो भाई।वेद में भेदभाव नहीं है।स्वयम् वेद पढ़ो और रूढ़िवादी मूर्खों को भी पढ़ाओं कि वेद में जातिवाद, छुआछूत, देवी-देवता, पूजापाठ, कर्मकाण्ड नहीं है।वेद, संस्कृत व्याकरण, वैदिक इतिहास पर हमने बहुत कार्य किया है।आपको हमारे चैनल और वेबसाइट देखने से ज्ञात हो जायेगा।हम इनसे पूछते हैं कि हिन्दू शब्द का प्रयोग सबसे पहले कब, किसने, किस पुस्तक में किया था। किसी प्राचीन ग्रन्थ में हिन्दू शब्द तक नहीं है।वेद में सबको समान अधिकार है, इसीलिए ये हिन्दू वेद को नहीं मानते हैं।यह सत्य है कि वेद के विरोध में 1925 में गीता प्रेस, गोरखपुर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, नागपुर की स्थापना हुई थी।इनके पास आपको वेद नहीं मिलेगा।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो।हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई। भारत में मौसेरे भाई। बाकी मूल निवासी सारे। भारत के सब वैदिक प्यारे।।सही और सटीक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जायें।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो। हम भारत के लोग वैदिक हैं, हिन्दू नहीं। वेदों के मन्त्रों का सही और सटीक अर्थ जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर पुस्तक सूची देखें। हमारे वीडियो देखें, उनपर कमेंट करें। हम प्रमाण सहित उत्तर देंगे। v4.simplesite.com/#/pages/443... web. vedayan.simplesite.com। email. paliwalprakashanvedicsahitya@gmail.com
Ram
Jai Jai seetaram
Jai valmiki ji
Bhai ek baat kitna baar bologey
Jai Valmiki
Excellent. Thanks. God bless you all 🙏🙏🙏🙏🙏
Nice
Real nice can i know from where did you get this information from buddy
Read Valmiki Ramayana you will get to know.
वेद और रामायण पढ़ें, सारी जानकारी मिल जायेगी।वेद में भेदभाव नहीं है।स्वयम् वेद पढ़ो और रूढ़िवादी मूर्खों को भी पढ़ाओं कि वेद में जातिवाद, छुआछूत, देवी-देवता, पूजापाठ, कर्मकाण्ड नहीं है।वेद, संस्कृत व्याकरण, वैदिक इतिहास पर हमने बहुत कार्य किया है।आपको हमारे चैनल और वेबसाइट देखने से ज्ञात हो जायेगा।हम इनसे पूछते हैं कि हिन्दू शब्द का प्रयोग सबसे पहले कब, किसने, किस पुस्तक में किया था। किसी प्राचीन ग्रन्थ में हिन्दू शब्द तक नहीं है।वेद में सबको समान अधिकार है, इसीलिए ये हिन्दू वेद को नहीं मानते हैं।यह सत्य है कि वेद के विरोध में 1925 में गीता प्रेस, गोरखपुर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, नागपुर की स्थापना हुई थी।इनके पास आपको वेद नहीं मिलेगा।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो।हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई। भारत में मौसेरे भाई। बाकी मूल निवासी सारे। भारत के सब वैदिक प्यारे।।सही और सटीक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जायें।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो। हम भारत के लोग वैदिक हैं, हिन्दू नहीं। वेदों के मन्त्रों का सही और सटीक अर्थ जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर पुस्तक सूची देखें। हमारे वीडियो देखें, उनपर कमेंट करें। हम प्रमाण सहित उत्तर देंगे। v4.simplesite.com/#/pages/443... web. vedayan.simplesite.com। email. paliwalprakashanvedicsahitya@gmail.com
Maharishi valmiki tatha Sant tulsidas donon hi sanatan dharm ke pran Hain, atah donon hi hamare liye poojya hain. Ek ne vishuddh sanskrit mein granth likha to doosre ne aam Jan ki saral bhasha mein RAM Katha ko Jan Jan tak pahunchaya.
अवश्य ही रामायण तुलसीदास जी से पहले महर्षि वाल्मीकि जी ने ही लिखी थी, और उन्होंने तो काफी घटनाएं घटित होने के पहले ही लिख दी थी, क्योंकि राम नाम के प्रताप से वे त्रिकालदर्शी हो गये थे।
लेकिन तुलसीदास जी की रामायण भी अत्यंत सुंदर और चमत्कारी है
कहते हैं कि महर्षि वाल्मीकि जी ने ही कलयुग में तुलसीदास जी के रूप में जन्म लिया था और भगवान राम की कथा को सुंदर दोहों में प्रस्तुत करके जन जन के लिए समझने में सरल और भगवान राम का गुणगान और भी आनन्द देने वाला बना दिया था।
जय जय श्री सीताराम
इसमें रावण और यमराज के युद्ध की बात दो बार आई है।
India News 85 vakthm
महर्षि भगवान वाल्मीकि महर्षि प्रचेता के दसवें पुत्र थे। इसीलिए भगवान वाल्मीकि ब्राह्मण थे। जय सीताराम ।।
Bhagwan nahi sant valmiki bhagwan shri ram ke bhakt the valmiki ji
Tum shaitan brahmino ka koi jatt dharam hai besharm bikhari ab tum shri valmiki ko brahmin batta rahe ho !
+singh zoravar मैं सत्य कह रहा हूँ। महर्षि वाल्मीकि महर्षि प्रचेता के दसवें पुत्र थे। ब्राह्मण के समान कोई भी श्रेष्ठ नहीं है, तुम व्यर्थ मूर्खता की बात कर रहे हो। जय श्रीसीताराम ।।
Maharishi Valmiki Ji pahle Ek Sadharan Shikari the Jinka Naam Ratnakar tha be Nichi Jati ke the baad mein unko Brahm Gyan Mila tab jakar be Maharishi Valmiki Ji kahlaye unke dwara Ramayan mahagranth ki Rachna Hui
@@singhzoraver9286 महर्षि व्यास भी ब्राह्मण नहीं थे पर वे वेद पुराण गीता के रचयिता है गीता में वर्ण है न की जाति सभी मनुष्य श्रेष्ठ होता है
बोलो जय श्रीराम
आपके ज्ञान का मै सम्मान करता हूं
दोनों रामायण आपके पास है?
है तो कृपया दोनों रामायण के लिखीत खोलकर दीखाए दोनो मे अन्तर
RAMAYANA THE DIFFERENCE IN BETWEEN VALMIK & TULSI RAMAYANA EXPLAINED NICELY. (PUNE ).
Jay balmiki
Ankorwat ka Mandir b to bahut purana h 12 vi satabdi k ant m jise bodh Mandir m parivartit kr diya gya
NICE.
बाल्मीकि नही वाल्मीकि होता है
आगे से वाल्मीकि जी लिखना समझ आगया
Om jay shri sitaramji
Y
वाल्मीकि की बात करता है और ढोंगी तुलसीदास की फोटो लगाये है।ऐसे अनपढ़, पाखण्डी, मूर्ख से क्या आशा की जाये।वेद में भेदभाव नहीं है।स्वयम् वेद पढ़ो और रूढ़िवादी मूर्खों को भी पढ़ाओं कि वेद में जातिवाद, छुआछूत, देवी-देवता, पूजापाठ, कर्मकाण्ड नहीं है।वेद, संस्कृत व्याकरण, वैदिक इतिहास पर हमने बहुत कार्य किया है।आपको हमारे चैनल और वेबसाइट देखने से ज्ञात हो जायेगा।हम इनसे पूछते हैं कि हिन्दू शब्द का प्रयोग सबसे पहले कब, किसने, किस पुस्तक में किया था। किसी प्राचीन ग्रन्थ में हिन्दू शब्द तक नहीं है।वेद में सबको समान अधिकार है, इसीलिए ये हिन्दू वेद को नहीं मानते हैं।यह सत्य है कि वेद के विरोध में 1925 में गीता प्रेस, गोरखपुर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, नागपुर की स्थापना हुई थी।इनके पास आपको वेद नहीं मिलेगा।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो।हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई। भारत में मौसेरे भाई। बाकी मूल निवासी सारे। भारत के सब वैदिक प्यारे।।सही और सटीक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जायें।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो। हम भारत के लोग वैदिक हैं, हिन्दू नहीं। वेदों के मन्त्रों का सही और सटीक अर्थ जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर पुस्तक सूची देखें। हमारे वीडियो देखें, उनपर कमेंट करें। हम प्रमाण सहित उत्तर देंगे। v4.simplesite.com/#/pages/443... web. vedayan.simplesite.com। email. paliwalprakashanvedicsahitya@gmail.com
Jay valmiki bagvan
वेद पढ़ो, आगे बढो। चतुर्वेद भाष्यकार स्वामी शरण ने वेद के एक-एक शब्द का व्याकरण सम्मत प्रामाणिक अर्थ किया है।वेदायन पुस्तक में चारो वेदों के प्रमुख सूक्तों का काव्यानुवाद भी किया है।सनातन धर्म का मूल वेद है।जो वेद को एकमात्र आधार मानता है, वही सनातनी है। हमारे पास सभी वर्गों के युवा वेदपाठ तथा व्याकरण सम्मत प्रामाणिक धातुज वेदार्थ करना सीख रहे हैं।हम सब एक ही ईश्वर के व्यक्त रूप हैं।
वेबसाइट- vedayan.simplesite.com/ वेवसाइट देखें।हमारी वेबसाइट पर वैदिक साहित्य निशुल्क PDF उपलब्ध है।चारो वेद, व्याकरण, वैदिक शब्द कोश, वैदिक इतिहास आदि बहुत कुछ उपलब्ध है। वैदिक साहित्य PDF Download करने के लिए इस लिंक मे जाएँ vedayan.simplesite.com
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रामचरित ओर बालविकी में फ़र्क क्यों ?
jai siyarama
अंकोरवाट (खमेर भाषा : អង្គរវត្ត) कंबोडिया में एक मंदिर परिसर और दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है,[1]162.6 हेक्टेयर (1,626,000 वर्ग मीटर; 402 एकड़) को मापने वाले एक साइट पर। यह मूल रूप से खमेर साम्राज्य के लिए भगवान विष्णु के एक हिंदू मंदिर के रूप में बनाया गया था, जो धीरे-धीरे 12 वीं शताब्दी के अंत में बौद्ध मंदिर में परिवर्तित हो गया था। यह कंबोडिया के अंकोर में है जिसका पुराना नाम 'यशोधरपुर' था। इसका निर्माण सम्राटसूर्यवर्मन द्वितीय (१११२-५३ई.) के शासनकाल में हुआ था। यह विष्णु मन्दिर है जबकि इसके पूर्ववर्ती शासकों ने प्रायःशिवमंदिरों का निर्माण किया था। मीकांग नदी के किनारे सिमरिप शहर में बना यह मंदिर आज भी संसार का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है जो सैकड़ों वर्ग मील में फैला हुआ है।[2]राष्ट्र के लिए सम्मान के प्रतीक इस मंदिर को १९८३ से कंबोडिया के राष्ट्रध्वज में भी स्थान दिया गया है। यह मन्दिर मेरु पर्वत का भी प्रतीक है। इसकी दीवारों पर भारतीय धर्म ग्रंथों के प्रसंगों का चित्रण है। इन प्रसंगों में अप्सराएं बहुत सुंदर चित्रित की गई हैं, असुरों और देवताओं के बीच समुद्र मन्थन का दृश्य भी दिखाया गया है। विश्व के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थानों में से एक होने के साथ ही यह मंदिर यूनेस्कोके विश्व धरोहर स्थलों में से एक है। पर्यटक यहाँ केवल वास्तुशास्त्र का अनुपम सौंदर्य देखने ही नहीं आते बल्कि यहाँ का सूर्योदय और सूर्यास्त देखने भी आते हैं। सनातनी लोग इसे पवित्र तीर्थस्थान मानते हैं।
जय वाल्मीकि
Jai valmiki mehar kri dateya
SHARMA G SOLAN HP.
THANKS
Bhai j valmiki j Ramayana kaha milegi link do .please
Nimn se shresth Sadharan Se asadharan bane aur mahagranth Ramayen ko likhne bale Maharishi Valmiki Ji ko Mera sat sat Pranam
Jay shri ram 🙏
ram sabjiv me saman rup she biraj man he vahi mera ram he
Yam wala khahani do bar a gaya hai
10000 saal pahle likha di thi ramayan wo bhi raam janam se pahle jai valmeki ji
Bilkul sahi JAI VALMIKI JI
सर्वप्रथम सृरिष्टीकृर्त्ता भगवान वाल्मीकि जी द्वारा रचित आदि महा काव्य महरामायण लिखो या बोलों।
ना कि रामचरितमानस।
इस मूर्ख के पास इतनी बुद्धि नहीं हो सकती मेरे भाई।वेद में भेदभाव नहीं है।स्वयम् वेद पढ़ो और रूढ़िवादी मूर्खों को भी पढ़ाओं कि वेद में जातिवाद, छुआछूत, देवी-देवता, पूजापाठ, कर्मकाण्ड नहीं है।वेद, संस्कृत व्याकरण, वैदिक इतिहास पर हमने बहुत कार्य किया है।आपको हमारे चैनल और वेबसाइट देखने से ज्ञात हो जायेगा।हम इनसे पूछते हैं कि हिन्दू शब्द का प्रयोग सबसे पहले कब, किसने, किस पुस्तक में किया था। किसी प्राचीन ग्रन्थ में हिन्दू शब्द तक नहीं है।वेद में सबको समान अधिकार है, इसीलिए ये हिन्दू वेद को नहीं मानते हैं।यह सत्य है कि वेद के विरोध में 1925 में गीता प्रेस, गोरखपुर और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, नागपुर की स्थापना हुई थी।इनके पास आपको वेद नहीं मिलेगा।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो।हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई। भारत में मौसेरे भाई। बाकी मूल निवासी सारे। भारत के सब वैदिक प्यारे।।सही और सटीक जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर जायें।वेद पढ़ो, बाबाओं से बचो। हम भारत के लोग वैदिक हैं, हिन्दू नहीं। वेदों के मन्त्रों का सही और सटीक अर्थ जानने के लिए हमारी वेबसाइट पर पुस्तक सूची देखें। हमारे वीडियो देखें, उनपर कमेंट करें। हम प्रमाण सहित उत्तर देंगे। v4.simplesite.com/#/pages/443... web. vedayan.simplesite.com। email. paliwalprakashanvedicsahitya@gmail.com
Jai sita ram
Badiya bhai
Ek baat sabit hoti hai jab hindu gulam the tb se dharam granth me milawat shuru ho gayi.
Apne sahi kaha ham logo ke dharmik grandh ko sabne milawat karke bataya
Tulsi Das ji bhol raha ho valmiki ji bhi bholo bhi video ke starting me