हम बैठे अपनी मौन सौं || ham baithe apanee maun saun || Mangal Bhakti Suman || Jain Bhajan || Jainism

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  • Опубликовано: 10 сен 2024
  • हम बैठे अपनी मौन सौं।।टेक।।
    दिन दस के मेहमान जगत जन, बोलि बिगारै कौन सौं।।१।।
    गये विलाय भरम के बादर, परमारथ-पथ-पौन सौं।
    अब अन्तर गति भई हमारी, परचे राधा रौन सौं।।२।।
    प्रगटी सुधापान की महिमा, मन नहिं लागै बौन सौं।
    छिन न सुहाय और रस फीके, रुचि साहिब के लौन सौं।।३।।
    रहे अघाय पाय सुख संपति, को निकसै निज भौन सौं।
    सहज भाव सद्गुरु की संगति, सुरझै आवागौन सौं।।४।।
    जीवन पथ दर्शन || ब्र. श्री रवीन्द्रजी ‘आत्मन्’
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