जय सियाराम 🙏🙏💐 आपने बड़ी सटीक, और सार्थक जानकारी दी है, शास्त्र सम्मत प्रमाण दिए।। लेकिन एक भ्रम अब भी है कि बद्रीनाथ में ब्रह्मकपाल में पिंडदान के बाद पिंडदान नहीं करना चाहिए,ऐसा वहां के पंडे आद ने बताया और संकल्प करवाया कि यहां श्राद्ध के बाद आप जलदान, तर्पण आदि कर सकते हैं, लेकिन पिंडदान नहीं। क्योंकि यहां आने पर समस्त पितर भगवान के धाम गये तो आगे किसे पिंडदान करेंगे। अतः अब पिंडदान नहीं करना।।इस संबंध में शास्त्र आज्ञा क्या है। जानकारी देने का कष्ट करें।।🙏🙏💐💐 क
प्रणाम गुरुजी, नमन कृपया ये बताये,,,जिससे सभी का समाधान हो । 1 ऐसा कहते है क्या ब्रह्म कपाली (बद्रीनाथ) में मातृपक्ष के ही पिंड तर्पण या श्राद्ध होता है । 2 क्या तीर्थ यात्रा के दौरान भी तर्पण कर सकते है जैसे चारधाम यात्रा में बद्रीनाथ दर्शन के साथ ब्रह्मकपली मे पितृ निमित्त तर्पण भी कर दे । 3 लगभग तर्पण उज्जैन, अयोध्या, वाराणसी, गया जी, बोद्धगया जी, बद्रीनाथ, प्रयागराज आदि समेत आठ जगहों पर कहा गया है,,तो व्यक्ति को किस जगह करना चाहिए,,, 4 क्या गया जी के बाद ब्रह्मकपाली में भी श्राद्ध करना है । 5 क्या सब तर्पण उपरोक्त स्थानों पर होने पर भी घर मे पिंड, तर्पण आदि करना चाहिए । 6 क्या गया जी मे और अधिक बार भी तर्पण कर सकते है । 7 गया जी मे कोई 1-3 दिन, कोई 11 दिन कोई 17 दिन तर्पण पूजा कहता है तो हमें कितने दिन की करना होती है । 8 क्या नारायण बलि, त्रिपिंडी अंतिम पूजा है पितृमोक्ष की,,,और यदि है तो उसे करने के बाद गयाजी भी जाना है, या फिर गयाजी के बाद भी नारायण बलि त्रिपिंडी कर सकते है, पहले क्या करना है,,,,या क्या उचित है,,,या इसकी आवश्यकता क्या है । 9 नारायण नागबलि, त्रिपिंडी कराने पर पण्डित और आने का संकल्प छुड़ाते है तो ऐसे कितनी बार करना होती है पूजा । 10 कुछ लोग उपाय बताते है कि कहीं ना जाये अमावस को दीपक लगाए, पीपल के नीचे जल, आता आदि डाले तो कोई काले तिल तो कोई और कुछ बताता है तो इससे भी क्रिया पूर्ण होती है क्या । 11 क्या उपरोक्त तीर्थ स्थलों पर बार बार तर्पण की आवश्यकता होती है । 12 केवल गयाजी या गयाजी फिर ब्रह्मकपाली या पहले ब्रह्मकपाली फिर गयाजी या प्रयागराज फिर काशी फिर गयाजी फिर ब्रह्मकपाली । 13 क्या तीर्थ यात्रा और तर्पण साथ मे कर सकते है या मांगलिक कार्यक्रम, तर्पण, विवाह गृह प्रवेश आदि में 1 वर्ष का अंतर होना । 14 कभी कभी इतना सब करने के बाद भी स्वप्न में पितृ परेशान करें या जीवन मे परेशानियां आये तो फिर क्या करें और उपयुक्त समाधान सम्भव क्यों नहीं हो पाता है ऐसा क्यों । 15 जो माता पिता की सेवा करें कभी गलत कार्य मे लिप्त न हो समयानुसार दान पुण्य करें देखने मे आया उन्हें भी पितृ सताते है और उन्ही की कुंडली मे पितृ दोष आदि होता है और जो व्यवसनी हो , दुराचार करता हो उसके सभी ग्रह बलवान होते है और रात्रि में निर्भय होकर सोते है और उनपर लक्ष्मी की कृपा भी निरन्तर होती है । ऐसा क्यों होता है । कृपया समाधान करें ।
श्रीमान जी आपके सभी प्रश्न बहुत ही उत्तम हैं और मेरी इच्छा है कि इन सभी प्रश्नों के ऊपर मैं वीडियो के द्वारा समाधान या उत्तर दूं तो ज्यादा अच्छा रहेगा क्योंकि इन सभी प्रश्नों का उत्तर एक साथ सभी लोग पा सकेंगे। जल्दी ही इन सभी विषयों पर गुरु आज्ञा से प्रकाश डालूंगा।
@@ASTRODISHA बहुत ही उत्तम होगा,,,यदि ऐसा सहज रूप से कार्य हो जिससे मतिभ्रम दूर हो,,,कही तो हिंदुत्व आधे से ज्यादा कन्फ्यूजन और अंधविश्वास में ही जी रहा,,,कृपया शास्त्रोक्त प्रमाणित सार गर्भित प्रकाश डालते हुए समाधान करें,,,वीडियो का इंतज़ार रहेगा,,,नमो नीलकण्ठाय🙏🙏🙏
Gurujiko pranam ham pahele gayame uskabad narayani sila uskabad brahma kapalme matapitaka pindadan kia avi gharme sradh Karna chahie na nehi mujhe krupaya marg bataie
श्रीमान जी पहले गया जी में पिंडदान किया जाता है। उसके बाद श्री बद्रीनाथ जी धाम में पिंडदान किया जाता है। अगर आप बद्रीनाथ जी में पिंडदान कर चुके हैं तो अब गयाजी में नहीं करना चाहिए। इसके अलावा मैं आपको एक बात और बता देना चाहता हूं कि जब भी आप बद्रीनाथ धाम में जाते हैं तो वहां के ब्राह्मण बड़े विद्वान होते हैं और वह पहले ही आपसे पूछते हैं कि क्या आपने गयाजी में पिंडदान किया है। यदि आपने वहां नहीं किया होता तो वह पिंडदान नहीं करवाते। वह केवल तर्पण ही करवाते हैं। आप जरा गौर कीजिएगा कि आपने वहां पिंडदान किया है या तर्पण किया है। दोनों में अंतर होता है।
Brahma kapaal ghat par pind dan ke bad Gaya me shraaddh nahi karne chahiye to fir Badari chhetra ke Brahma kapaal ghat me pind dan ke bad mrityu sthan vishesh me pind dan kar sakate hai kyaa?
Ashwin ke Shraddh paksha ke aage peechhe bhi Gaya ya Badari chhetra me pitaron ko pind dan kar sakate hain kyaa jaise ki mrityu ke samay me, chahe koi bhi mahina ho, shraaddh karne ka vidhan hai?
नहीं ऐसा नहीं है श्रीमान जी। श्राद्ध पक्ष तो केवल पितरों के लिए एक विशेष पर्व का समय है। जो कि 15 दिन चलता है। इस समय में विशेष तौर पर हर एक व्यक्ति के पितर, उनके पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने परिवार वालों से अपने लिए श्राद्ध और पूजा उपासना की कामना करते हैं। यह समय उनकी पूजा के लिए विशेष होता है। परंतु साल में किसी भी समय पितरों की पूजा आराधना की जा सकती है। प्रतिदिन भी पिंडदान किए जा सकते हैं। इसमें कोई बाधा नहीं है।
प्रणाम पंडित जी 🙏 जब हम गया श्राद्ध के लिए बिहार गए थे तो घर से पितृ आवाहन कर चावल नारियल लेके गए थे. ब्रह्मा कपाल श्राद्ध के लिए घर से कुछ लेके आना चाहिए? Kya Brahma kapali me kshetrwar vyavastha hai? कृपा कर teerth पहाड़ी गढ़वाली पंडित जी का फ़ोन नंबर प्रदान करें. धन्यवाद🙏
इन स्थानों पर पिंड दान तो पित्रों की दोष मुक्ति के लिए किया जाता है। परंतु तरपण एवम श्राद्ध कभी भी बंद नहीं होते, अन्यथा पितरों के भूखे प्यासे रहने पर वंश वृद्धि बंद हो जाएगी। पितृ ही तो है जो अपनी वंश वृद्धि चाहते है, ताकि उनको तृप्ति मिलती रहे।
Pranam swikar kre.mi har amawasya ko pitro ke nimit jau ke aate ka gola gau ko khilata ho to Kya brham kpaal me shradh krne ke baad phir gau ko jau ka gola khilana chahiye ya nhi
ओम नमः शिवाय जी श्रीमान ब्रह्म कपाल पर श्राद्ध आदि करने के बाद भी गाय को जो का आटा खिला सकते हैं क्योंकि यह पुण्य दाई करम है और पितरों के निमित्त से चाहे कहीं भी श्राद्ध क्यों न करें उसके बावजूद भी श्राद्ध करने की अनुमति शास्त्रों में दी गई है पितरों का श्राद्ध तर्पण आदि कभी छोड़ना नहीं चाहिए 3 पीढ़ी से पहले के पितरों का तर्पण अथवा श्राद्ध आदि गयाजी श्राद्ध अथवा ब्रह्म कपाल पर श्राद्ध करने के बाद छोड़ा जा सकता है। परंतु पिता, दादा, परदादा आदि से संबंधित श्राद्ध आदि कर्म सदैव करनी चाहिए।
Parnam Pandit ji mera naam shibu he mere pata ji ko dihant hoke 3.4 saal ho gya he par meri maa avi he ek pandit se bat kiye ki avi me gaya jake apne pita ka mukti ke liye ky pind daan kr sakta hun.to unhone mana kiya he gaya me mata pita dono ke mirtyu ke bad hi gaya sarad krna chiye kaha kirpa hme bataye ky sahi he ye
Mai unmarried hun..ek hi santan hun,ladki.maa ke shradhya ghar par hui hai 6 months pahle..sabhi kaj mai hi ki thi. Batsarik shradhya mai Gaya me ja ke karna chahti hun..ye mai kar sakti hun kya?please bataiye guruji..
गुरु जी ,प्रणाम गुरु जी , 30/09/2020 को मैने अपने पिता श्री का पिंड दान गया जी में किया। उसके बाद से मन मे लगातार प्रशन आ रहा है । कि क्या अब 16 श्रद्ध मैं तर्पण करना है कि नही । होम लगाना है । कि नही कुछ लोग बोल रहे हैं अब कुछ नही करना है। जबकि मैं करना चाहता हु। क्योंकि वो मेरे पिता थे ।। या प्रथम दिन तर्पण या 16 दिन तिथि को तर्पण होम ,या अंतिम दिन होम तर्पण आदि।। मर्ग दर्शन प्रदान करे ।गुरु जी🙏🏻
श्रीमान जी शास्त्रों के अनुसार गया श्राद्ध एक नित्य श्राद्ध होता है। इसे एक से अधिक बार भी किया जा सकता है तथा गया श्राद्ध करने के पश्चात भी घर पर अथवा तीर्थ आदि में जाकर पिंड दान आदि से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं।
श्रीमान जी स्थानीय श्राद्ध करने के उपरांत गया जी में श्राद्ध करना चाहिए तथा तीन पीढ़ी से ऊपर के जितने भी पितर हैं। उनके श्राद्ध निकालना बंद कर सकते हैं। परंतु पिता, दादा, परदादा आदि के श्राद्ध सदैव निकालने चाहिए। भारतीय संस्कृति के अनुसार से पितरों से संबंधित श्राद्ध, तर्पण आदि सदैव करना चाहिए। इसे कभी भी छोड़ना नहीं चाहिए और ना ही ऐसा कोई स्थान है कि वहां पर श्राद्ध करने के पश्चात फिर कभी भी किसी भी पिता का श्राद्ध ना करें। हर हर महादेव
जो ब्यक्ति ब्रह्म कपाल पर पिण्ड दान कर दिए, तब जबकि पुरे परिवार का पिण्ड दान विधि-विधान से गया जी मे किया गया है।तो ऐसी परिस्थित मे परिवार को कैसे समझाए।
श्रीमान जी गया श्राद्ध एक नित्य श्राद्ध है। इसको एक से अधिक बार भी किया जा सकता है तथा गया श्राद्ध करने के पश्चात तीन पीढ़ियों तक का पितर श्राद्ध, तर्पण, होम - हवन, पूजन आदि आगे भी जारी रखना चाहिए और तीन पीढ़ी के बाद का छोड़ा जा सकता है। अगर गयाजी करने के पश्चात ब्रह्म कपाल बद्रीनाथ जी में श्राद्ध किया गया है तो यह और भी उत्तम है।
बहुत अधिक खर्चा नहीं आता है जी । हम इसी वर्ष जून में पिंडदान कर कर आए। आप अपनी श्रद्धा से जितना मर्जी दान दे सकते हैं! बाकी वहां पंडित जी ने मात्र 2100 रुपए अपनी दक्षिणा ली थी । किंतु बद्रीनाथ तक आने-जाने में आपका खर्चा हो सकता है ।गर्मी की छुट्टियों के दिनों में महंगा पड़ता है जाना ,आराम से वहां तक पहुंचने के लिए साधन भी नहीं मिलते। या तो आप अपनी गाड़ी से जाएं या आप किराये की गाड़ी करें या फिर बस में ,पूरी की पूरी बस बुक करा कर एक पूरा ग्रुप जाता है उस ग्रुप में जाएं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट की तरह कोई भी बस नहीं मिल पाई हमें ( जून में) हालांकि आजकल (सितंबर में )सुन रहे हैं कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी उपलब्ध है तो आना-जाना सस्ता पड़ता है।
आचार्य जी प्रणाम मेरे ससुराल वाले आर्य समाजी हैं अर्थी को ले जाते समय भी वे लोग राम नाम सत्य के स्थान पर ओम नाम सत्य पुकारते हैं । जबकि मेरी विशेष रूचि सनातन परंपराओं की ओर है जब इस वर्ष शिवरात्रि के आसपास मेरी सासू मां का निधन हुआ। तब पता नहीं स्थानीय पिंडदान किया गया या नहीं। हालांकि हमारा गांव गंगा जी के पास ही है। गंगा जी के किनारे ही उनका अंतिम संस्कार किया गया। हम बद्रीनाथ के दर्शन के लिए गए । वहां पता चला ब्रह्म कपाल पर आप पिंड दान कर सकते हैं।तब मेरे पति ,जो चार भाइयों में तीसरे नंबर पर हैं ,उन्होंने अपनी माताजी का पिंड दान दिया, जबकि गयाजी में पिंडदान हमने नहीं किया। तो अब दोष का निवारण कैसे करें!
देखिए राम नाम सत्य के स्थान पर ओम नाम सत्य पुकारना भी एक ही बात है। क्योंकि राम जी भगवान का ही नाम है। परमात्मा का नाम है और ओम भी उन्हीं का स्वरूप है। इसमें कोई विशेष बाधा नहीं है और अपने मन में इसके लिए कोई शंका ना रखें। रह गई यह बात की आपने गयाजी में पहले ना करके बद्रीनाथ धाम में पिंडदान किया है तो इसके लिए भी कोई विशेष प्रायश्चित नहीं है। आप समय-समय पर उनके लिए श्राद्ध आदि करते रहे। जैसे अक्षय तृतीया है। होली - दिवाली है। सोमवती अमावस्या है। भौमवती अमावस्या, शनिचरी अमावस्या या उनकी कोई तिथि है। उस पर पिंडदान आदि कर सकते हैं समय-समय पर। अब गयाजी में पिंडदान नहीं करना है। क्योंकि ऊपर की कक्षा पास करने के बाद में कोई नीचे की कक्षा में नहीं आता।
ओम नमः शिवाय श्रीमान जी पिंडदान करने के पश्चात पितरों से संबंधित जितने भी कर्म होते हैं वह छोड़ने नहीं चाहिए। उन्हें अवश्य पूरा करना चाहिए। जैसे कि जल देना, पीपल की परिक्रमा करना, श्राद्ध करना, ब्राह्मण भोजन, साल में एक बार वस्त्र दान आदि आदि सभी कार्य करने चाहिए।
गुरु जी ,प्रणाम गुरु जी , 30/09/2020 को मैने अपने पिता श्री का पिंड दान गया जी में किया। उसके बाद से मन मे लगातार प्रशन आ रहा है । कि क्या अब 16 श्रद्ध मैं तर्पण करना है कि नही । होम लगाना है । कि नही कुछ लोग बोल रहे हैं अब कुछ नही करना है। जबकि मैं करना चाहता हु। क्योंकि वो मेरे पिता थे ।। या प्रथम दिन तर्पण या 16 दिन तिथि को तर्पण होम ,या अंतिम दिन होम तर्पण आदि।। मर्ग दर्शन प्रदान करे ।गुरु जी🙏🏻
@@Rahulsingh-ox9gw श्रीमान जी अपने पूर्वजों का श्राद्ध आदि कर्म छोड़ने का तो प्रश्न ही नहीं बनता क्योंकि शास्त्रों में स्पष्ट रूप से लिखा है कि प्रतिदिन श्राद्ध अथवा तर्पण किया जा सकता है तो श्राद्ध पक्ष में अवश्य अपने माता-पिता आदि तीन पीढ़ियों तक का श्राद्ध पिंडदान तर्पण होम हवन गायत्री मंत्र का जाप आदि अवश्य और अवश्य करना चाहिए यह चीजें कभी भी छोड़ने योग्य नहीं होती।
ruclips.net/video/nXISODCUIRQ/видео.html is video me bataya gya hai ki brham kapaal me pind daan karne ke baad phir khi pind daan nhi kar sakte h.kya ye baat sahi h
ओम नमः शिवाय पुष्पा जी आपकी बात सत्य है कि जीते जी माता पिता की सेवा उनको प्रसन्न रखना उनको आनंदित रखना आदि आदि करना चाहिए परंतु हिंदू संस्कृति के अनुसार से उनकी मृत्यु के पश्चात भी उनके लिए कर्म करने का विधान है। भगवान राम जी ने भी अपने पिताजी की मृत्यु के उपरांत अपने पिताजी के लिए श्राद्ध किया और जीते जी उनके वचन का पालन करने के लिए बनवास में गए।
जी हां आपने सही कहा नॉर्मल मंत्र का जाप उस तरीके से नहीं करते हैं। जिस तरीके से वीडियो में माला फेरना दिखाया गया है। परंतु हाथ की पांचों अंगुलियों के द्वारा मंत्र जाप किया जा सकता है। किस अंगुली से किस तरह के मंत्र का जाप किया जाता है। इसके बारे में इसके बारे में जल्दी ही नया वीडियो बनाया जाएगा।
App log shirf logo ko murkh banate ho , Taki app logo k income source bana rahe, app log kave vagwan dar dekha k tho kave pitro ka dar dikha k , lutne ka dhanda banaye baite ho, garib logo ko murkh bana k lutna band karo, plz.
श्रीमान जी आलोचना करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद साधुवाद। संसार में सब तरह की चीजें होती हैं। यहां पर हर चीज का जोड़ा है। अच्छाई का बुराई का, ज्ञान का अज्ञान का, दिन का रात्रि का, आप और हम भी उनमें से एक ही हैं। रह गई बात श्राद्ध की तो श्राद्ध भगवान राम जी ने भी अपने पिता का किया था। इसका एक नहीं अनेकों उदाहरण है। पूजा पाठ भी हमारे आराध्य देव अथवा अवतार जो धरती पर हुए हैं। उन्होंने किया है। बात सिर्फ मानने अथवा ना मानने की है। परंतु फिर भी आपको बहुत-बहुत साधुवाद। आप किसी और को नहीं मानते कम से कम आप अपने आपको तो मानते हैं और आप का वजूद बिना भगवान के हो नहीं सकता इसलिए भगवान सर्वत्र हैं।
जनता को भ्रमित करना आप लोगों का काम है पित्रों की कभी मुक्ति नही होगी उनका आवाहन करते रहना उचित प्रतीत नहीं होता । गया जाने का अर्थ सभी पित्रों को मुक्ति प्रदान करनाहै । क्या आप अपने यहां परिवार के सैकड़ों पित्रों का श्राद्ध करते है ।आपके बताए मार्ग से तो कभी भी किसी पित्र का श्राद्ध समाप्त नहीं होना चाहिए और सैकड़ों पित्रों का श्राद्ध करते रहे जो किसी के लिए सम्भव नही है ।
धन्य हैं गुरु जी। एक वीडियो में इतना सारा भ्रम दूर कर दिए आपने। चरणस्पर्श।
HAR HAR MAHADEV
अतिसुंदर रुपसेआपनेसमझायाआपकोपणाम
हर हर महादेव
Bahut hi achhi jankari milti hai. Aapke program se.
आपका बहुत-बहुत साधुवाद
हर हर महादेव
जय सियाराम 🙏🙏💐
आपने बड़ी सटीक, और सार्थक जानकारी दी है, शास्त्र सम्मत प्रमाण दिए।। लेकिन एक भ्रम अब भी है कि बद्रीनाथ में ब्रह्मकपाल में पिंडदान के बाद पिंडदान नहीं करना चाहिए,ऐसा वहां के पंडे आद ने बताया और संकल्प करवाया कि यहां श्राद्ध के बाद आप जलदान, तर्पण आदि कर सकते हैं, लेकिन पिंडदान नहीं। क्योंकि यहां आने पर समस्त पितर भगवान के धाम गये तो आगे किसे पिंडदान करेंगे। अतः अब पिंडदान नहीं करना।।इस संबंध में शास्त्र आज्ञा क्या है। जानकारी देने का कष्ट करें।।🙏🙏💐💐
क
भइया जी ब्रह्मकपाल में पंडित जी ने कितना ख़र्चा बताया था पिंड दान का और कितने दिन की पूजा हुई, और कोई contact no. है आपके पास क्या??
Namashkar ptji karyakram bohot jyanbardhak tha bohot achha laga .
आपको बहुत-बहुत साधुवाद हैं।
हर हर महादेव
प्रणाम गुरुजी, नमन
कृपया ये बताये,,,जिससे सभी का समाधान हो ।
1 ऐसा कहते है क्या ब्रह्म कपाली (बद्रीनाथ) में मातृपक्ष के ही पिंड तर्पण या श्राद्ध होता है ।
2 क्या तीर्थ यात्रा के दौरान भी तर्पण कर सकते है जैसे चारधाम यात्रा में बद्रीनाथ दर्शन के साथ ब्रह्मकपली मे पितृ निमित्त तर्पण भी कर दे ।
3 लगभग तर्पण उज्जैन, अयोध्या, वाराणसी, गया जी, बोद्धगया जी, बद्रीनाथ, प्रयागराज आदि समेत आठ जगहों पर कहा गया है,,तो व्यक्ति को किस जगह करना चाहिए,,,
4 क्या गया जी के बाद ब्रह्मकपाली में भी श्राद्ध करना है ।
5 क्या सब तर्पण उपरोक्त स्थानों पर होने पर भी घर मे पिंड, तर्पण आदि करना चाहिए ।
6 क्या गया जी मे और अधिक बार भी तर्पण कर सकते है ।
7 गया जी मे कोई 1-3 दिन, कोई 11 दिन कोई 17 दिन तर्पण पूजा कहता है तो हमें कितने दिन की करना होती है ।
8 क्या नारायण बलि, त्रिपिंडी अंतिम पूजा है पितृमोक्ष की,,,और यदि है तो उसे करने के बाद गयाजी भी जाना है, या फिर गयाजी के बाद भी नारायण बलि त्रिपिंडी कर सकते है, पहले क्या करना है,,,,या क्या उचित है,,,या इसकी आवश्यकता क्या है ।
9 नारायण नागबलि, त्रिपिंडी कराने पर पण्डित और आने का संकल्प छुड़ाते है तो ऐसे कितनी बार करना होती है पूजा ।
10 कुछ लोग उपाय बताते है कि कहीं ना जाये अमावस को दीपक लगाए, पीपल के नीचे जल, आता आदि डाले तो कोई काले तिल तो कोई और कुछ बताता है तो इससे भी क्रिया पूर्ण होती है क्या ।
11 क्या उपरोक्त तीर्थ स्थलों पर बार बार तर्पण की आवश्यकता होती है ।
12 केवल गयाजी या गयाजी फिर ब्रह्मकपाली या पहले ब्रह्मकपाली फिर गयाजी या प्रयागराज फिर काशी फिर गयाजी फिर ब्रह्मकपाली ।
13 क्या तीर्थ यात्रा और तर्पण साथ मे कर सकते है या मांगलिक कार्यक्रम, तर्पण, विवाह गृह प्रवेश आदि में 1 वर्ष का अंतर होना ।
14 कभी कभी इतना सब करने के बाद भी स्वप्न में पितृ परेशान करें या जीवन मे परेशानियां आये तो फिर क्या करें और उपयुक्त समाधान सम्भव क्यों नहीं हो पाता है ऐसा क्यों ।
15 जो माता पिता की सेवा करें कभी गलत कार्य मे लिप्त न हो समयानुसार दान पुण्य करें देखने मे आया उन्हें भी पितृ सताते है और उन्ही की कुंडली मे पितृ दोष आदि होता है और जो व्यवसनी हो , दुराचार करता हो उसके सभी ग्रह बलवान होते है और रात्रि में निर्भय होकर सोते है और उनपर लक्ष्मी की कृपा भी निरन्तर होती है । ऐसा क्यों होता है ।
कृपया समाधान करें ।
श्रीमान जी आपके सभी प्रश्न बहुत ही उत्तम हैं और मेरी इच्छा है कि इन सभी प्रश्नों के ऊपर मैं वीडियो के द्वारा समाधान या उत्तर दूं तो ज्यादा अच्छा रहेगा क्योंकि इन सभी प्रश्नों का उत्तर एक साथ सभी लोग पा सकेंगे। जल्दी ही इन सभी विषयों पर गुरु आज्ञा से प्रकाश डालूंगा।
@@ASTRODISHA बहुत ही उत्तम होगा,,,यदि ऐसा सहज रूप से कार्य हो जिससे मतिभ्रम दूर हो,,,कही तो हिंदुत्व आधे से ज्यादा कन्फ्यूजन और अंधविश्वास में ही जी रहा,,,कृपया शास्त्रोक्त प्रमाणित सार गर्भित प्रकाश डालते हुए समाधान करें,,,वीडियो का इंतज़ार रहेगा,,,नमो नीलकण्ठाय🙏🙏🙏
@@NamoNilkanthay जी प्रभु जी 🙏
Gurujiko pranam ham pahele gayame uskabad narayani sila uskabad brahma kapalme matapitaka pindadan kia avi gharme sradh
Karna chahie na nehi mujhe krupaya marg bataie
Guruji Maine Gaya me pinddan nahi. Kiya kintu badrivishal me jakar Kiya hai to kya gayaji me bhi pinddan karna chahiy
श्रीमान जी पहले गया जी में पिंडदान किया जाता है। उसके बाद श्री बद्रीनाथ जी धाम में पिंडदान किया जाता है। अगर आप बद्रीनाथ जी में पिंडदान कर चुके हैं तो अब गयाजी में नहीं करना चाहिए। इसके अलावा मैं आपको एक बात और बता देना चाहता हूं कि जब भी आप बद्रीनाथ धाम में जाते हैं तो वहां के ब्राह्मण बड़े विद्वान होते हैं और वह पहले ही आपसे पूछते हैं कि क्या आपने गयाजी में पिंडदान किया है। यदि आपने वहां नहीं किया होता तो वह पिंडदान नहीं करवाते। वह केवल तर्पण ही करवाते हैं। आप जरा गौर कीजिएगा कि आपने वहां पिंडदान किया है या तर्पण किया है। दोनों में अंतर होता है।
ओम नमः शिवाय
Great information sir
HAR HAR MAHADEV
Brahma kapaal ghat par pind dan ke bad Gaya me shraaddh nahi karne chahiye to fir Badari chhetra ke Brahma kapaal ghat me pind dan ke bad mrityu sthan vishesh me pind dan kar sakate hai kyaa?
Ashwin ke Shraddh paksha ke aage peechhe bhi Gaya ya Badari chhetra me pitaron ko pind dan kar sakate hain kyaa jaise ki mrityu ke samay me, chahe koi bhi mahina ho, shraaddh karne ka vidhan hai?
Kya Keval Shradha Paksh Mein Hi pinddan kiye Jaate Hain Gaya ji mein
नहीं ऐसा नहीं है श्रीमान जी।
श्राद्ध पक्ष तो केवल पितरों के लिए एक विशेष पर्व का समय है। जो कि 15 दिन चलता है। इस समय में विशेष तौर पर हर एक व्यक्ति के पितर, उनके पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने परिवार वालों से अपने लिए श्राद्ध और पूजा उपासना की कामना करते हैं। यह समय उनकी पूजा के लिए विशेष होता है। परंतु साल में किसी भी समय पितरों की पूजा आराधना की जा सकती है। प्रतिदिन भी पिंडदान किए जा सकते हैं। इसमें कोई बाधा नहीं है।
Nice information 🙏
आपका बहुत-बहुत साधुवाद
हर हर महादेव
Pandit Ji Gaya Ji me Jaye bina Brahamkapal me sharad kar sakte hai kya? Please reply
Badrinath pinddan ke bad ghar par pinddan darpan hota hai ki nhi
गुरु जी प्रणाम , अगर पिता के जीवित रहते कुवारे पुत्र का देहान्त होजाये तो पिता का क्या कर्तब्य होता है ?
Mummy papa ke hote hue beta apne purvajo ke liye pinddaan kra skta hai kya??
Pandit ji jiska brother nhi jiska unmarked sister nhi Khali father hi mother hn to unko kahse krna hoga Hamada marg dharshan krh pl
श्रीमान आप कृपया अपने प्रश्न को विस्तार से बताएं क्योंकि प्रश्न पूरा समझ में नहीं आया है।
Pranam guruji.... Agar kisi ko koi pret badha h toh kya wah swayam hi kisi bhagwan k mantra jaap aur havan karke thik ho skta h kya??
प्रणाम पंडित जी 🙏
जब हम गया श्राद्ध के लिए बिहार गए थे तो घर से पितृ आवाहन कर चावल नारियल लेके गए थे. ब्रह्मा कपाल श्राद्ध के लिए घर से कुछ लेके आना चाहिए? Kya Brahma kapali me kshetrwar vyavastha hai? कृपा कर teerth पहाड़ी गढ़वाली पंडित जी का फ़ोन नंबर प्रदान करें. धन्यवाद🙏
Kya brham kpaal me shradh ke baad phir shradh nhi krna chahiye
Sir puskar mai pitaji ka pinddan hota hai
Sir aapse ek sawal hai humney pinddaan Kiya hey par mere papa koh pitru dosh hai toh uski Pooja karwa sakte hai
यहां जाने का कोई खास समय का महत्व है क्या ?
इन स्थानों पर पिंड दान तो पित्रों की दोष मुक्ति के लिए किया जाता है।
परंतु तरपण एवम श्राद्ध कभी भी बंद नहीं होते, अन्यथा पितरों के भूखे प्यासे रहने पर वंश वृद्धि बंद हो जाएगी। पितृ ही तो है जो अपनी वंश वृद्धि चाहते है, ताकि उनको तृप्ति मिलती रहे।
Pranam guruji 🙏
Guru ji hamare mata ji jinda hai
Kya hum pind daan kr skte hai
Kirpa bataye
Pranam swikar kre.mi har amawasya ko pitro ke nimit jau ke aate ka gola gau ko khilata ho to Kya brham kpaal me shradh krne ke baad phir gau ko jau ka gola khilana chahiye ya nhi
ओम नमः शिवाय
जी श्रीमान ब्रह्म कपाल पर श्राद्ध आदि करने के बाद भी गाय को जो का आटा खिला सकते हैं क्योंकि यह पुण्य दाई करम है और पितरों के निमित्त से चाहे कहीं भी श्राद्ध क्यों न करें उसके बावजूद भी श्राद्ध करने की अनुमति शास्त्रों में दी गई है पितरों का श्राद्ध तर्पण आदि कभी छोड़ना नहीं चाहिए 3 पीढ़ी से पहले के पितरों का तर्पण अथवा श्राद्ध आदि गयाजी श्राद्ध अथवा ब्रह्म कपाल पर श्राद्ध करने के बाद छोड़ा जा सकता है। परंतु पिता, दादा, परदादा आदि से संबंधित श्राद्ध आदि कर्म सदैव करनी चाहिए।
@@ASTRODISHA ruclips.net/video/nXISODCUIRQ/видео.html kripya bataye ki is video ke baat theek hai ya nahi
Parnam Pandit ji mera naam shibu he mere pata ji ko dihant hoke 3.4 saal ho gya he par meri maa avi he ek pandit se bat kiye ki avi me gaya jake apne pita ka mukti ke liye ky pind daan kr sakta hun.to unhone mana kiya he gaya me mata pita dono ke mirtyu ke bad hi gaya sarad krna chiye kaha kirpa hme bataye ky sahi he ye
Mai unmarried hun..ek hi santan hun,ladki.maa ke shradhya ghar par hui hai 6 months pahle..sabhi kaj mai hi ki thi. Batsarik shradhya mai Gaya me ja ke karna chahti hun..ye mai kar sakti hun kya?please bataiye guruji..
जी हां
मेरे अनुसार तो कर सकती हैं।
Mata ke Jinda Rahte Pita ki Jaya kar sakte hain
गुरु जी ,प्रणाम
गुरु जी , 30/09/2020 को मैने अपने पिता श्री का पिंड दान गया जी में किया। उसके बाद से मन मे लगातार प्रशन आ रहा है । कि क्या अब 16 श्रद्ध मैं तर्पण करना है कि नही । होम लगाना है । कि नही कुछ लोग बोल रहे हैं अब कुछ नही करना है। जबकि मैं करना चाहता हु। क्योंकि वो मेरे पिता थे ।।
या प्रथम दिन तर्पण या 16 दिन
तिथि को तर्पण होम ,या अंतिम दिन होम तर्पण आदि।।
मर्ग दर्शन प्रदान करे ।गुरु जी🙏🏻
क्या गया में त्रिपिंडी श्राद्ध करने कि बाद भी पिंड दान करना आवश्यक है ?
Gaya shraddh ke bad ghar mein pindatmak Shraddha Hoga ya Nahi ?
श्रीमान जी शास्त्रों के अनुसार गया श्राद्ध एक नित्य श्राद्ध होता है। इसे एक से अधिक बार भी किया जा सकता है तथा गया श्राद्ध करने के पश्चात भी घर पर अथवा तीर्थ आदि में जाकर पिंड दान आदि से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं।
ब्रह्म कपाल में पितृ तर्पण में कितना समय लगता है।
ब्रह्म कपाल पर पूजा पाठ करने में आपको आराम से दो ढाई घंटा लग जाता है।
बाकी समय आपका बद्रीनाथ तक आना और जाना
लगभग 3 दिन
🙏🙏🙏🙏
कहां पर श्राद्ध कर लेने से कभी पितरों को श्राद्ध नहीं करना चाहिए कृपया बताने की कष्ट करें
श्रीमान जी स्थानीय श्राद्ध करने के उपरांत गया जी में श्राद्ध करना चाहिए तथा तीन पीढ़ी से ऊपर के जितने भी पितर हैं। उनके श्राद्ध निकालना बंद कर सकते हैं। परंतु पिता, दादा, परदादा आदि के श्राद्ध सदैव निकालने चाहिए। भारतीय संस्कृति के अनुसार से पितरों से संबंधित श्राद्ध, तर्पण आदि सदैव करना चाहिए। इसे कभी भी छोड़ना नहीं चाहिए और ना ही ऐसा कोई स्थान है कि वहां पर श्राद्ध करने के पश्चात फिर कभी भी किसी भी पिता का श्राद्ध ना करें।
हर हर महादेव
जो ब्यक्ति ब्रह्म कपाल पर पिण्ड दान कर दिए, तब जबकि पुरे परिवार का पिण्ड दान विधि-विधान से गया जी मे किया गया है।तो ऐसी परिस्थित मे परिवार को कैसे समझाए।
श्रीमान जी गया श्राद्ध एक नित्य श्राद्ध है। इसको एक से अधिक बार भी किया जा सकता है तथा गया श्राद्ध करने के पश्चात तीन पीढ़ियों तक का पितर श्राद्ध, तर्पण, होम - हवन, पूजन आदि आगे भी जारी रखना चाहिए और तीन पीढ़ी के बाद का छोड़ा जा सकता है। अगर गयाजी करने के पश्चात ब्रह्म कपाल बद्रीनाथ जी में श्राद्ध किया गया है तो यह और भी उत्तम है।
ब्रह्मकपाल के किसी पंडित जी का no. होगा जो पिंड दान करवा दे, और ब्रह्मकपाल में कितना ख़र्चा आ जाता है, पिंड दान का??
SHRIMAN
NUMBER UPLABDH NAHI HAI. BAAKI ISS BAARE ME SABHI JANKARI VAHAN KARYA KARNE WALE BRAHMAN DEVTA HI DE SAKTE HAIN
बहुत अधिक खर्चा नहीं आता है जी ।
हम इसी वर्ष जून में पिंडदान कर कर आए। आप अपनी श्रद्धा से जितना मर्जी दान दे सकते हैं! बाकी वहां पंडित जी ने मात्र 2100 रुपए अपनी दक्षिणा ली थी ।
किंतु बद्रीनाथ तक आने-जाने में आपका खर्चा हो सकता है ।गर्मी की छुट्टियों के दिनों में महंगा पड़ता है जाना ,आराम से वहां तक पहुंचने के लिए साधन भी नहीं मिलते।
या तो आप अपनी गाड़ी से जाएं
या आप किराये की गाड़ी करें
या फिर बस में ,पूरी की पूरी बस बुक करा कर एक पूरा ग्रुप जाता है उस ग्रुप में जाएं।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट की तरह कोई भी बस नहीं मिल पाई हमें ( जून में)
हालांकि आजकल (सितंबर में )सुन रहे हैं कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी उपलब्ध है तो आना-जाना सस्ता पड़ता है।
आचार्य जी प्रणाम
मेरे ससुराल वाले आर्य समाजी हैं
अर्थी को ले जाते समय भी वे लोग राम नाम सत्य के स्थान पर ओम नाम सत्य पुकारते हैं ।
जबकि मेरी विशेष रूचि सनातन परंपराओं की ओर है
जब इस वर्ष शिवरात्रि के आसपास मेरी सासू मां का निधन हुआ। तब पता नहीं स्थानीय पिंडदान किया गया या नहीं। हालांकि हमारा गांव गंगा जी के पास ही है। गंगा जी के किनारे ही उनका अंतिम संस्कार किया गया।
हम बद्रीनाथ के दर्शन के लिए गए । वहां पता चला ब्रह्म कपाल पर आप पिंड दान कर सकते हैं।तब मेरे पति ,जो चार भाइयों में तीसरे नंबर पर हैं ,उन्होंने अपनी माताजी का पिंड दान दिया, जबकि गयाजी में पिंडदान हमने नहीं किया।
तो अब दोष का निवारण कैसे करें!
देखिए राम नाम सत्य के स्थान पर ओम नाम सत्य पुकारना भी एक ही बात है। क्योंकि राम जी भगवान का ही नाम है। परमात्मा का नाम है और ओम भी उन्हीं का स्वरूप है। इसमें कोई विशेष बाधा नहीं है और अपने मन में इसके लिए कोई शंका ना रखें।
रह गई यह बात की आपने गयाजी में पहले ना करके बद्रीनाथ धाम में पिंडदान किया है तो इसके लिए भी कोई विशेष प्रायश्चित नहीं है। आप समय-समय पर उनके लिए श्राद्ध आदि करते रहे। जैसे अक्षय तृतीया है। होली - दिवाली है। सोमवती अमावस्या है। भौमवती अमावस्या, शनिचरी अमावस्या या उनकी कोई तिथि है। उस पर पिंडदान आदि कर सकते हैं समय-समय पर।
अब गयाजी में पिंडदान नहीं करना है। क्योंकि ऊपर की कक्षा पास करने के बाद में कोई नीचे की कक्षा में नहीं आता।
@@ASTRODISHA dhanyawad
ऐसा कहते हैं कि पितर पक्ष में मरने वाले सीधे पितर लोक जाते हैं दरवाजे खुले रहते हैं क्या ये सही है
पिंड के बाद पितृ क़ो पानी दे या नहीं
ओम नमः शिवाय
श्रीमान जी
पिंडदान करने के पश्चात पितरों से संबंधित जितने भी कर्म होते हैं वह छोड़ने नहीं चाहिए। उन्हें अवश्य पूरा करना चाहिए। जैसे कि जल देना, पीपल की परिक्रमा करना, श्राद्ध करना, ब्राह्मण भोजन, साल में एक बार वस्त्र दान आदि आदि सभी कार्य करने चाहिए।
गुरु जी ,प्रणाम
गुरु जी , 30/09/2020 को मैने अपने पिता श्री का पिंड दान गया जी में किया। उसके बाद से मन मे लगातार प्रशन आ रहा है । कि क्या अब 16 श्रद्ध मैं तर्पण करना है कि नही । होम लगाना है । कि नही कुछ लोग बोल रहे हैं अब कुछ नही करना है। जबकि मैं करना चाहता हु। क्योंकि वो मेरे पिता थे ।।
या प्रथम दिन तर्पण या 16 दिन
तिथि को तर्पण होम ,या अंतिम दिन होम तर्पण आदि।।
मर्ग दर्शन प्रदान करे ।गुरु जी🙏🏻
@@Rahulsingh-ox9gw श्रीमान जी अपने पूर्वजों का श्राद्ध आदि कर्म छोड़ने का तो प्रश्न ही नहीं बनता क्योंकि शास्त्रों में स्पष्ट रूप से लिखा है कि प्रतिदिन श्राद्ध अथवा तर्पण किया जा सकता है तो श्राद्ध पक्ष में अवश्य अपने माता-पिता आदि तीन पीढ़ियों तक का श्राद्ध पिंडदान तर्पण होम हवन गायत्री मंत्र का जाप आदि अवश्य और अवश्य करना चाहिए यह चीजें कभी भी छोड़ने योग्य नहीं होती।
ruclips.net/video/nXISODCUIRQ/видео.html is video me bataya gya hai ki brham kapaal me pind daan karne ke baad phir khi pind daan nhi kar sakte h.kya ye baat sahi h
Beta beti agar shraddh nahi bhi kare to kya hum atmshraddh karenge. Beti, beta kisi ka bharosa nahi.
किसने देखा है मरने के बाद पितृ देव आते है या नही,,, जीते जी ही सब करके खूश रखे, माता पिता को,,,,, आप पंडितो के परिवार वाले ही कूछ नही करते
ओम नमः शिवाय
पुष्पा जी आपकी बात सत्य है कि जीते जी माता पिता की सेवा उनको प्रसन्न रखना उनको आनंदित रखना आदि आदि करना चाहिए परंतु हिंदू संस्कृति के अनुसार से उनकी मृत्यु के पश्चात भी उनके लिए कर्म करने का विधान है। भगवान राम जी ने भी अपने पिताजी की मृत्यु के उपरांत अपने पिताजी के लिए श्राद्ध किया और जीते जी उनके वचन का पालन करने के लिए बनवास में गए।
Suruat me jo mala ferne ka Drishya dikha rahe hein wo galat tarika h🙏🙏
जी हां आपने सही कहा नॉर्मल मंत्र का जाप उस तरीके से नहीं करते हैं। जिस तरीके से वीडियो में माला फेरना दिखाया गया है। परंतु हाथ की पांचों अंगुलियों के द्वारा मंत्र जाप किया जा सकता है। किस अंगुली से किस तरह के मंत्र का जाप किया जाता है। इसके बारे में इसके बारे में जल्दी ही नया वीडियो बनाया जाएगा।
App log shirf logo ko murkh banate ho , Taki app logo k income source bana rahe, app log kave vagwan dar dekha k tho kave pitro ka dar dikha k , lutne ka dhanda banaye baite ho, garib logo ko murkh bana k lutna band karo, plz.
श्रीमान जी
आलोचना करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद साधुवाद। संसार में सब तरह की चीजें होती हैं। यहां पर हर चीज का जोड़ा है। अच्छाई का बुराई का, ज्ञान का अज्ञान का, दिन का रात्रि का, आप और हम भी उनमें से एक ही हैं।
रह गई बात श्राद्ध की तो श्राद्ध भगवान राम जी ने भी अपने पिता का किया था। इसका एक नहीं अनेकों उदाहरण है। पूजा पाठ भी हमारे आराध्य देव अथवा अवतार जो धरती पर हुए हैं। उन्होंने किया है। बात सिर्फ मानने अथवा ना मानने की है। परंतु फिर भी आपको बहुत-बहुत साधुवाद। आप किसी और को नहीं मानते कम से कम आप अपने आपको तो मानते हैं और आप का वजूद बिना भगवान के हो नहीं सकता इसलिए भगवान सर्वत्र हैं।
जनता को भ्रमित करना आप लोगों का काम है पित्रों की कभी मुक्ति नही होगी उनका आवाहन करते रहना उचित प्रतीत नहीं होता । गया जाने का अर्थ सभी पित्रों को मुक्ति प्रदान करनाहै । क्या आप अपने यहां परिवार के सैकड़ों पित्रों का श्राद्ध करते है ।आपके बताए मार्ग से तो कभी भी किसी पित्र का श्राद्ध समाप्त नहीं होना चाहिए और सैकड़ों पित्रों का श्राद्ध करते रहे जो किसी के लिए सम्भव नही है ।