मान्यताओं के मुताबिक, इसी स्थान पर सीता मां पाताल में समा गईं थीं। हनुमान जी और लक्ष्मण की कोई खबर नहीं मिलने पर भगवान राम खुद युद्ध के लिए पहुंचे। तो उन्हें पता चला कि लव- कुश उनके पुत्र हैं। यहीं माता सीता की राम जी से मुलाकात हुई थी। जब राम जी ने माता सीता को स्पर्श किया था तो वे धरती में समा गईं थी। ऐसा मान्यता है कि इस समाधि स्थल की रखवाली हनुमान जी करते हैं। आज भी यहां मां सीता पाताल प्रवेश द्वार के ठीक सामने हनुमान जी की मूर्ति है।
तीन नदियों के किनारे स्थित इस स्थान पर रामायण काल में महर्षि वाल्मिकी का आश्रम था। बिहार के बगहा और नेपाल सीमा के पास स्थित वाल्मीकि आश्रम की खूबसूरती गजब की है। वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड के अनुसार, भगवान राम और सीता के आदेश के चलते लक्ष्मण मां सीता को वाल्मीकि आश्रम में छोड़कर अयोध्या लौट गए थे। वाल्मीकि का आश्रम तमसा नदी के तट पर था। इसका वर्णन वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड में मिलता है। वाल्मीकि आश्रम में सीता वनदेवी के नाम से रहती हैं। उस समय वह गर्भवती रहती हैं। वहीं, जुड़वा लव और कुश का जन्म हुआ। वर्तमान में वाल्मीकि आश्रम वाल्मीकि नगर के भारत और नेपाल सीमा पर स्थित है। यहां आसानी से पहुंचने के लिए नेपाल भी झूला पुल का निर्माण कर रहा है। इस आश्रम के पास नारायणी, तमसा व सोनभद्र नाम की नदी बहती है। नारायणी को गंगा की तरह ही पवित्र माना जाता है। आश्रम के परिसर में माता सीता का मंदिर स्थित है। यहां माता सीता की रसोई भी बनी है।एक कुआं भी है जिसे लेकर कहा जाता है कि माता सीता इसका प्रयोग पानी के लिए करती थीं। एक पेड़ भी है जिसको लेकर माना जाता है कि यहीं लव-कुश बैठकर ऋषि वाल्मीकि से शिक्षा प्राप्त किया करते थे। वहीं, आश्रम में पेड़ की टहनियों से झूले बने हुए हैं। मान्यता है कि इसी झूले पर वे झूलते थे। भगवान राम ने जब अश्वमेघ यज्ञ कराया था तो कोई भी राजा श्रीराम के घोड़े को पकड़ने की हिम्मत नहीं कर पाया था। रामायण में उल्लेख है कि जब वह घोड़ा यहां पहुंचा तो लव कुश ने उसे बांध लिया था। जब श्रीराम का घोड़ा हनुमान जी छुड़ाने के लिए आए तो लव कुश ने उन्हें परास्त कर बंधक बना लिया था। आज भी यह स्थल यहां बना हुआ है, जहां घोड़े को बांधा गया था। इस जगह पर वाल्मीकि द्वारा बनाए हवन कुंड भी है। मान्यताओं के मुताबिक, इसी स्थान पर सीता मां पाताल में समा गईं थीं। हनुमान जी और लक्ष्मण की कोई खबर नहीं मिलने पर भगवान राम खुद युद्ध के लिए पहुंचे। तो उन्हें पता चला कि लव- कुश उनके पुत्र हैं। यहीं माता सीता की राम जी से मुलाकात हुई थी। जब राम जी ने माता सीता को स्पर्श किया था तो वे धरती में समा गईं थी। ऐसा मान्यता है कि इस समाधि स्थल की रखवाली हनुमान जी करते हैं। आज भी यहां मां सीता पाताल प्रवेश द्वार के ठीक सामने हनुमान जी की मूर्ति है।
Second meee Jai shree raam jai sita mata❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰
क्या एक पुत्री अपने पिता से ऐसा बोल सकती है कि उसके पति उससे बहुत प्रेम करते है, इसलिए उन्हें छोड़ मायके नहीं जा सकती, कलपित रामयुग मेँ होना तो असम्भव रहा होगा किन्तु सीता से केवल इसलिए कहलवाया गया क्योंकि सीता का परित्याग कर बन मेँ भेजना था।
ye sab dikha kar hum aurton ko ye bataya ja rha hai ki kabhi apne maa baap ke pas mat jao hamesha pati ke liy sab kuchh tyag karte raho ye purush Pradhan samaj me aurton ka koi astitva nahi ...
Kash mata sita chli jati to km se km wo tyag wala scene nhi hota.
जो होना होता है वो होकर रहता है 😊😊
Yes you are right
E pagal dhobi ke baja se
मान्यताओं के मुताबिक, इसी स्थान पर सीता मां पाताल में समा गईं थीं। हनुमान जी और लक्ष्मण की कोई खबर नहीं मिलने पर भगवान राम खुद युद्ध के लिए पहुंचे। तो उन्हें पता चला कि लव- कुश उनके पुत्र हैं। यहीं माता सीता की राम जी से मुलाकात हुई थी। जब राम जी ने माता सीता को स्पर्श किया था तो वे धरती में समा गईं थी।
ऐसा मान्यता है कि इस समाधि स्थल की रखवाली हनुमान जी करते हैं। आज भी यहां मां सीता पाताल प्रवेश द्वार के ठीक सामने हनुमान जी की मूर्ति है।
तीन नदियों के किनारे स्थित इस स्थान पर रामायण काल में महर्षि वाल्मिकी का आश्रम था। बिहार के बगहा और नेपाल सीमा के पास स्थित वाल्मीकि आश्रम की खूबसूरती गजब की है। वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड के अनुसार, भगवान राम और सीता के आदेश के चलते लक्ष्मण मां सीता को वाल्मीकि आश्रम में छोड़कर अयोध्या लौट गए थे। वाल्मीकि का आश्रम तमसा नदी के तट पर था। इसका वर्णन वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड में मिलता है। वाल्मीकि आश्रम में सीता वनदेवी के नाम से रहती हैं। उस समय वह गर्भवती रहती हैं। वहीं, जुड़वा लव और कुश का जन्म हुआ।
वर्तमान में वाल्मीकि आश्रम वाल्मीकि नगर के भारत और नेपाल सीमा पर स्थित है। यहां आसानी से पहुंचने के लिए नेपाल भी झूला पुल का निर्माण कर रहा है।
इस आश्रम के पास नारायणी, तमसा व सोनभद्र नाम की नदी बहती है। नारायणी को गंगा की तरह ही पवित्र माना जाता है। आश्रम के परिसर में माता सीता का मंदिर स्थित है। यहां माता सीता की रसोई भी बनी है।एक कुआं भी है जिसे लेकर कहा जाता है कि माता सीता इसका प्रयोग पानी के लिए करती थीं। एक पेड़ भी है जिसको लेकर माना जाता है कि यहीं लव-कुश बैठकर ऋषि वाल्मीकि से शिक्षा प्राप्त किया करते थे। वहीं, आश्रम में पेड़ की टहनियों से झूले बने हुए हैं। मान्यता है कि इसी झूले पर वे झूलते थे।
भगवान राम ने जब अश्वमेघ यज्ञ कराया था तो कोई भी राजा श्रीराम के घोड़े को पकड़ने की हिम्मत नहीं कर पाया था। रामायण में उल्लेख है कि जब वह घोड़ा यहां पहुंचा तो लव कुश ने उसे बांध लिया था। जब श्रीराम का घोड़ा हनुमान जी छुड़ाने के लिए आए तो लव कुश ने उन्हें परास्त कर बंधक बना लिया था। आज भी यह स्थल यहां बना हुआ है, जहां घोड़े को बांधा गया था। इस जगह पर वाल्मीकि द्वारा बनाए हवन कुंड भी है।
मान्यताओं के मुताबिक, इसी स्थान पर सीता मां पाताल में समा गईं थीं। हनुमान जी और लक्ष्मण की कोई खबर नहीं मिलने पर भगवान राम खुद युद्ध के लिए पहुंचे। तो उन्हें पता चला कि लव- कुश उनके पुत्र हैं। यहीं माता सीता की राम जी से मुलाकात हुई थी। जब राम जी ने माता सीता को स्पर्श किया था तो वे धरती में समा गईं थी।
ऐसा मान्यता है कि इस समाधि स्थल की रखवाली हनुमान जी करते हैं। आज भी यहां मां सीता पाताल प्रवेश द्वार के ठीक सामने हनुमान जी की मूर्ति है।
iss dharti pe Sab paakar bhi kuch adhura rah jata h,ye bhagwan hoke unko b bhi sahna pada😢😢😢
Thankyou soo much for this information
Wo isthan devghat hai Nepal ke SITA gufa hai ja sitaji ne aapna jiban bitaya taha
Jay ho Sree Ram.Lord Ram always bless you Aashies beta.your performance is unforgetable.
Seetaram Seetaram Seetaram Seetaram Seetaram Seetaram Seetaram Seetaram Seetaram Seetaram Seetaram
Niyati k samne kisi nhi chali
Second meee Jai shree raam jai sita mata❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰
जय रघुनंदन राम ❤️🙏
क्या एक पुत्री अपने पिता से ऐसा बोल सकती है कि उसके पति उससे बहुत प्रेम करते है, इसलिए उन्हें छोड़ मायके नहीं जा सकती, कलपित रामयुग मेँ होना तो असम्भव रहा होगा किन्तु सीता से केवल इसलिए कहलवाया गया क्योंकि सीता का परित्याग कर बन मेँ भेजना था।
ye sab dikha kar hum aurton ko ye bataya ja rha hai ki kabhi apne maa baap ke pas mat jao hamesha pati ke liy sab kuchh tyag karte raho
ye purush Pradhan samaj me aurton ka koi astitva nahi ...
jai jai janknandani jai siya ram ji ki
जय श्री राम सीता राम
Jay shree Ram ji lakshaman ji Sita Maya bhakat Hanuman ji raksha karjo 🙏🙏
Jay siyaram raksha karjo ❤❤
Jai SiyaRam 🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹
Jai Shri Ram
Radhe Krishna ❤❤Jai siyaram ❤❤❤
Sabi Shri Ram Bhaktoo Ko Mere Or Se JAI SHRI RAM JI 🙏🙏🙏
Jai shree ram bhi
Jai Seya Ram Ji
🙏🙏🙏
Jay Sita Ram 🙏🙏🙏
Jay Siya Ram ji 🚩🚩
उर्मिला, मांडवी और श्रुतकीर्ति गर्भवती नहीं हुईं 😂😂😂😂😂
💕Jay jay Siya Ram💕
❤️💙❤️💙❤️💙❤️
জয় শ্রী রাম 🚩🌷
Hannu ji is soooo cutee❤
জয় সীতারাম ❤❤❤❤
Jay sree ram
eswar ka lathii parne per ,man ka mail bhi turant dur ho jata hai
Dharm ki jay
Jai shree sitaram
Please upload nammkaran please please please
जय श्री सियाराम जी 😊
jay siya ram