घोघरधार- जहां पर देवताओं और डायनों के बीच हर साल होता है युद्ध

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  • Опубликовано: 21 окт 2024
  • घोघरधार- जहां पर देवताओं और डायनों के बीच हर साल होता है युद्ध
    घोघरधार- जहां पर देवताओं और डायनों के बीच हर साल होता है युद्ध
    देव भूमि हिमाचल में भादों मास शुरू होते ही अधिकांश देवी देवताओं के मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए हैं। सभी देवी देवता इस माह में स्वर्ग के भ्रमण पर चले जाते हैं। स्वर्ग भ्रमण पर निकले देवी देवताओं के नाग पंचमी के दिन डायनों के साथ युद्ध होंगे। इन युद्धों का आखों देखा हाल आने वाले नवरात्रों में देवी देवताओं के मंदिरों में होने वाले जागरणों में पुजारी (गुर) बताएंगे। नवरात्रों में पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली के श्रद्धालुओं के अलावा विदेशी पर्यटकों का भी भारी सैलाब हिमाचल के देवी देवताओं के मंदिरों में उमड़ता है।
    देवी मां चतुर्भुजा की भी युद्ध में अहम भूमिका
    इन युद्धों में हिमाचल के मंडी जिला की देवी मां चतुर्भुजा की भी अहम भूमिका रहती है। देवी मां का मंदिर जोगिंद्र नगर से 22 किलोमीटर दूर सिकंदर धार पर है। पांडवों द्वारा स्थापित किया गया यह देवी चतुर्भुजा का प्राचीन मंदिर दूर-दूर से दिखाई देता है। कहा जाता है कि पांडव जब अपने अज्ञात वास के दौरान यहां से गुजर रहे थे तो देवी मां ने उन्हें इसी चोटी पर दर्शन दिए थे। देवी मां ने सर्व कल्याण के लिए उन्हें मंदिर बनाने के लिए कहा था। पांडवों ने पिंडी रूप में माता चतुर्भुजा की स्थापना की थी।
    सात दिन तक चलेगा युद्ध
    लोक कथा के अनुसार मंडी के पधर जनपद के घोघर धार के मैदान में प्राचीन काल से देवताओं और डायनों के बीच एक सप्ताह तक चलने वाले भयंकर युद्ध के हार-जीत के परिणाम पुजारी (गुर) बताते हैं। यह परंपरा आज भी जारी है। श्रद्धालु अपने जीवन की मनोकामनाओं को फलित करवाने हेतु मन्नते मांगते हैं तथा पूरी होने पर परिवार सहित बैंड बाजे के मंदिर में आते हैं। रात्रि को जागरण करते हैं।
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