हेमोर्ध्वपुण्ड्र श्लोक || Hemordhvapundra Shloka

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  • Опубликовано: 4 янв 2025

Комментарии • 4

  • @Ramanujo_Vijayathe
    @Ramanujo_Vijayathe  2 года назад

    इन श्लोकों में श्री लालजी के दिव्य श्रीविग्रह सुन्दर श्री अंगों का वर्णन है :-
    जाम्बू नद सुवर्ण के समान सुन्दर मनोहर उर्ध्वपुण्ड्र धारण किये हुए, सुन्दर नासिका वाले, मन्द- मन्द हँसन है जिनका, सुन्दर मुकुट है जिनका उसे धारण किए हुए, सुडौल चिक्कन कपोल वाले, लाल ओष्ठ वाले, भक्तों पर अनुग्रहमय दृष्टि वाले श्री भगवान के मुखारबिन्द का ध्यान करते हैं ।।१।।
    पीताम्बर धारण किये हुए, तापहारिणी श्री नेत्र वाले सुन्दर विशाल बाहु, वक्षस्थल वाले, कर्ण में कुण्डल धारण करने वाले, जल से भरे मेघ के समान श्याम विग्रह वाले, घुँघराले केश वाले, श्री लक्ष्मीपति भगवान हमारे सामने प्रगट हों ।।२।।
    सुन्दर भृकुटि वाले, मनोहर शीतल दृष्टि वाले मन्द हँसन वाले, मधुर वचन वाले, कब अत्यन्त गद्गद् हृदय से प्रसन्न होते हुए अपनी सेवा स्वीकार करेंगे ।।३।।
    हे प्रभो, काले-काले अंगूठिया केश वाले, कमलदल नवन, सुन्दर भृकुटि वाले मंद हँसते हुए गोपियों के घर माखन चुराने जाते थे कि उनका मन चुराने ।।४।।
    मेघ के समान सुन्दर, कमल के समान श्री नेत्र वाले मोर, मुकुट धारण किय हुए, बंशी शंगी बाजा बगल में दबाये हुए, सुन्दर मनोहर नटवर ग्वाल वेष में, हे श्री लालजी, जो आपका दर्शन करने वाले, आप ही में चित्त लगाने वाले बड़भागी चेतन थे, वे धन्य थे। आपके अतिरिक्त स्वप्न में भी वे अन्य वस्तु नहीं जानते थे ।।५।।
    नित्य आपके कैंकर्य ही में निरत रहने वाले, आपकी सेवा को ही फल मानने वाले, नित्य प्रति क्षण, प्रेम समुद्र, में आपका अनुसंधान करने वाले, आपके नित्य पार्षदों के साथ हे प्रभो कब आपकी सेवा करूँगा ।।६।।

  • @mangalbhattad7408
    @mangalbhattad7408 2 года назад

    Jsmnki

  • @mangalbhattad7408
    @mangalbhattad7408 2 года назад

    Ye stotram kya hai

    • @Ramanujo_Vijayathe
      @Ramanujo_Vijayathe  2 года назад

      इन श्लोकों में श्री लालजी के दिव्य श्रीविग्रह सुन्दर श्री अंगों का वर्णन है :-
      जाम्बू नद सुवर्ण के समान सुन्दर मनोहर उर्ध्वपुण्ड्र धारण किये हुए, सुन्दर नासिका वाले, मन्द- मन्द हँसन है जिनका, सुन्दर मुकुट है जिनका उसे धारण किए हुए, सुडौल चिक्कन कपोल वाले, लाल ओष्ठ वाले, भक्तों पर अनुग्रहमय दृष्टि वाले श्री भगवान के मुखारबिन्द का ध्यान करते हैं ।।१।।
      पीताम्बर धारण किये हुए, तापहारिणी श्री नेत्र वाले सुन्दर विशाल बाहु, वक्षस्थल वाले, कर्ण में कुण्डल धारण करने वाले, जल से भरे मेघ के समान श्याम विग्रह वाले, घुँघराले केश वाले, श्री लक्ष्मीपति भगवान हमारे सामने प्रगट हों ।।२।।
      सुन्दर भृकुटि वाले, मनोहर शीतल दृष्टि वाले मन्द हँसन वाले, मधुर वचन वाले, कब अत्यन्त गद्गद् हृदय से प्रसन्न होते हुए अपनी सेवा स्वीकार करेंगे ।।३।।
      हे प्रभो, काले-काले अंगूठिया केश वाले, कमलदल नवन, सुन्दर भृकुटि वाले मंद हँसते हुए गोपियों के घर माखन चुराने जाते थे कि उनका मन चुराने ।।४।।
      मेघ के समान सुन्दर, कमल के समान श्री नेत्र वाले मोर, मुकुट धारण किय हुए, बंशी शंगी बाजा बगल में दबाये हुए, सुन्दर मनोहर नटवर ग्वाल वेष में, हे श्री लालजी, जो आपका दर्शन करने वाले, आप ही में चित्त लगाने वाले बड़भागी चेतन थे, वे धन्य थे। आपके अतिरिक्त स्वप्न में भी वे अन्य वस्तु नहीं जानते थे ।।५।।
      नित्य आपके कैंकर्य ही में निरत रहने वाले, आपकी सेवा को ही फल मानने वाले, नित्य प्रति क्षण, प्रेम समुद्र, में आपका अनुसंधान करने वाले, आपके नित्य पार्षदों के साथ हे प्रभो कब आपकी सेवा करूँगा ।।६।।