||संपूर्ण विवेक चूड़ामणि|| Vivekacūḍāmaṇi By AadiGuru Shankaracharya ||
HTML-код
- Опубликовано: 8 сен 2024
- #विवेक_चूड़ामणि
#वेदांत_का_सार
#अद्वैत_वेदांत
#आदिगुरु_शंकराचार्य
#सनातन_धर्म
#विश्वगुरु
#स्थूल_शरीर_का_वर्णन
#आत्मचिंतन_का_विधान
#vivek_chudamani_by_aadiguru_Shankaracharya
Discover the Meaning of Brahminshta with Vivekachudamani by AadiGuru Shankaracharya
विवेकचूडामणि आदि शंकराचार्य द्वारा संस्कृत भाषा में विरचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है जिसमें अद्वैत वेदान्त का निर्वचन किया गया है। इसमें ब्रह्मनिष्ठा का महत्त्व, ज्ञानोपलब्धि का उपाय, प्रश्न-निरूपण, आत्मज्ञान का महत्त्व, पंचप्राण, आत्म-निरूपण, मुक्ति कैसे होगी, आत्मज्ञान का फल आदि तत्त्वज्ञान के विभिन्न विषयों का अत्यन्त सुन्दर निरूपण किया गया है। माना जाता हैं कि इस ग्रन्थ में सभी वेदों का सार समाहित है। शंकराचार्य ने अपने बाल्यकाल में ही इस ग्रन्थ की रचना की थी।
विवेकचूडामणि ग्रंथ का आरम्भ निम्न श्लोक के साथ होता है:-
" मायाकल्पिततुच्छसंसृतिलसत्प्रज्ञैरवेद्यं जगत्सृष्टिस्थित्यवसानतोप्यनुमितं सर्वाश्रयं सर्वगम्।
इन्दोपेन्द्रमरुद्रणप्रमृतिमिर्नित्यं त्द्ददब्जेर्चितं वन्देशेष फलप्रदं श्रुतिशिरोवाक्यैकवेद्यं शिवम्।।"
इस मंगलाचरण के बाद शंकराचार्य जी अपने गुरु को प्रणाम करते हैं और आगे मनुष्य जन्म मिलना ही कितना दुर्लभ है, उसमें भी ब्राह्मणत्व की प्राप्ति और वैदिक धर्मपरायण होना कितना कठिन, उसमें भी इसमें विद्वान होना कितना कठिन है और अन्त में सबकुछ होते हुए भी ब्रह्म को जानना और मोक्ष की प्राप्ति करना कितना दुर्लभ कार्य है, इस बात का निरुपण किया गया है। सुप्रसिद्ध श्लोक वाक्य ब्रह्म सत्यं जगत् मिथ्या जीवो ब्रह्मैव नापरः (ब्रह्म सत्य है, जीवन मिथ्या है, जीव और ब्रह्म में कोई अन्तर नहीं है) इस ग्रन्थ का ही एक भाग है।
विवेकचूडामणि का आरम्भ ब्रह्मनिष्ठ के महत्त्व से हुई है और अंतिम भाग में अनुबन्ध चतुष्टय के साथ ग्रन्थ की समाप्ति होती है। मध्य के अन्य अनुभागों में मुख्यतः ज्ञानोपलब्धि का उपाय, ब्रह्मज्ञान के अधिकारी व्यक्ति का निरुपण, गुरु, उपदेश, प्रश्न निरुपण, शिष्य, स्वप्रयत्न का महत्त्व (आत्मज्ञान की प्राप्ति हेतु), आत्मज्ञान का महत्व, स्थूल शरीर, दस इन्द्रियाँ, अंतःकरण, पंचप्राण, सूक्ष्म शरीर, अहंकार, प्रेम, माया, त्रिगुण, आत्म और अनात्म का भेद, अन्नमय, प्राणमय, ज्ञानमय आदि कोश, मुक्ति कैसे होगी?, आत्मा के स्वरुप के विषय में प्रश्नोत्तरी, ब्रह्म, वासना, योगविद्या, आत्मज्ञान का फल, जीवन्मुक्त के लक्षण आदि आध्यात्मविद्या के गुह्य विषयों पर विवरण लिखा गया हैं। इसे वेदान्त भी कहा जाता है।
Vivek chudamani by adi shankaracharya
vivek chudamani
vivek chudamani gita press
vivek chudamani shankaracharya pdf
अद्वैत वेदांत
अद्वैतवाद
जगद्गुरु शंकराचार्य
धर्मो रक्षति रक्षितः
भारतीय दर्शन
भारतीय दर्शन में क्या है
विवेक चूड़ामणि
विवेक चूड़ामणि शंकराचार्य
शंकर का अद्वैत वेदांत
गुरु🌷
आत्मा तो हमारा नहीं, ये आत्मा तो बहु जन्म से पहले है जो भगवान की सृष्टि है, हम तो इस जन्म में इस आत्मा को प्राप्त किया, ये आत्मा को जो हमें प्रदान किया ओह खुद आत्मा की सद् गति के लिए खुद प्रयास करें, हम ये सब कुछ नहीं करूंगा, अगले जन्म को ये आत्मा को कोई दूसरा पा लेगा तो ओह मजा मारेगा, खुशी में रहेगा, हम कष्ट उठाएं क्यों, ना बाबा ना
आद्या जगत गुरु भगवत पाद श्री शंकराचार्य नमः 🙏🌺🙏
ऊँ ऊँ ऊँ नम आद, भूत ज्ञान 🌅🌅🌅🌅🌅🌺🌺🌺🌺🌺🪷🪷🪷🪷
Adi Jagadguru ji mera sahaara pranaam.
Jai guru
अद्भुत ज्ञान
AUD ADI SHANKARAACHAARY 🙏🛕🚩🕉
Omm namho bhagabate basudebaya namah
।। पुनरपी जननं पुनरपी मरणं पुनरपी जननी जठरे सयनं।
यह संसारे भव दुष्तारे कृपया पाहि तारे मुरारी।।
🙏भज गोविन्दं भज गोविन्दं गोविन्दं भज मूढमते 🙏
Dhanyawad mitr
Om Namo sibaya
1008🎉❤❤❤❤❤
ॐ नमः शिवाय, 🙏🌿🌹🌷🌹🌿🙏🚩🚩🚩🚩🚩
A U M OMMM
Very nice
2:19:23
Totally disagree..
Guru sirf bodh nhi karvata, dikha bhi deta he. Kamaal he, Guru ke baare me aisa likha.
Dusri baat, ved, vadaant aadi se kabhi Brahm ka pta nhi chalta, sirf mahima pta chalti he, moksha/nirvana ka pta chalta he.
Vivek churamani,aisa lagta he, jaise ved se churai hui baaton se likha gaya he. Kuchh naya nhi he isme.