मुनीश्री डॉ कुमारश्रमणजी विद्वान संत है । इन्होने बहुत अच्छी तरह से व्यवस्थापन के सूत्र समझाए है । इसमे आचार्य महाश्रमणजी के विहार का व्यवस्थापन , तेरापंथ संघ का व्यवस्थापन इनका उल्लेखनीय वर्णन किया है । कार्यकर्ता के महत्व तथा उनका संतुलन के बारे मे बताया । सभी प्रकार के कार्यकर्ता अपनी तथा संघ की कार्यक्षमता बढाने मे उपयुक्त है । मुझे सेवा देना है , और धर्मसंघ मे आप क्या दे सकते है ये सोचे । गुरूदृष्टी के समर्पण के भाव रखे । समर्पण का मतलब सिर्फ गुरू इंगित के प्रति समर्पण । आपने बहुत अच्छी तरह से विस्तृत जानकारी दी । सभी तेरापंथी भाई बहनोँ को इस मार्गदर्शक व्याख्यान का लाभ मिलेगा । और अपना धर्मसंघ आदर्श बनेगा । ओम अर्हम । डॉ विजय संचेती
Vande guruwarm
Matthen Vanddami Gurudev.
VANDE MUNIWARAM
मुनीश्री डॉ कुमारश्रमणजी विद्वान संत है । इन्होने बहुत अच्छी तरह से व्यवस्थापन के सूत्र समझाए है । इसमे आचार्य महाश्रमणजी के विहार का व्यवस्थापन , तेरापंथ संघ का व्यवस्थापन इनका उल्लेखनीय वर्णन किया है । कार्यकर्ता के महत्व तथा उनका संतुलन के बारे मे बताया । सभी प्रकार के कार्यकर्ता अपनी तथा संघ की कार्यक्षमता बढाने मे उपयुक्त है । मुझे सेवा देना है , और धर्मसंघ मे आप क्या दे सकते है ये सोचे । गुरूदृष्टी के समर्पण के भाव रखे । समर्पण का मतलब सिर्फ गुरू इंगित के प्रति समर्पण ।
आपने बहुत अच्छी तरह से विस्तृत जानकारी दी । सभी तेरापंथी भाई बहनोँ को इस मार्गदर्शक व्याख्यान का लाभ मिलेगा । और अपना धर्मसंघ आदर्श बनेगा ।
ओम अर्हम ।
डॉ विजय संचेती
vande guruvarm om bhikshu
Vanda
Mi om arhm🌹🙏🙏🙏🙏🙏
वंदे मुनि वरम
वन्दे मुनी वरम
Matthen Vanddami Gurudev.